प्रेम राधा ने किया, कृष्ण ने, मीरा ने किया हीर ने तो मजनू ने भी प्रेम ही किया पात्र बदलते रहे समय के साथ, प्रेम नहीं वो तो रह गया अंतरिक्ष में, पुनः आने के लिए ...
किस्मत वाले होते हैं वो किरदार प्रेम जिनका चयन करता है जीने के लिए
सच पूछो तो तुम भी एक ऐसी ही रचना हो श्रृष्टि की ...
पर सच बताना … ये इंतज़ार है चाँद का या आवारा से किसी प्यार के झोंके का ...
जानता हूँ ये करवा चौथ का व्रत अभिव्यक्ति है प्रेम के अनकहे एहसास की समर्पण के उस भाव की जो शिव कर देता है हर बंधन …
आज रोकूँगा नहीं तुम्हें … इसलिए नहीं कि मुझे चाहत है लम्बी उम्र की या ज़रूरी है किसी पुरातन परम्परा का निर्वाह इसलिए भी नहीं की तुमने ये व्रत नहीं रक्खा तो क्या कहेगा ये समाज
बल्कि इसलिए ...
कि तुम्हारे प्यार के इज़हार का ये एक दिन दे देता है मुझे वजह कई-कई सालों के प्यार की समय के साथ हर पल तुम्हारे इंतज़ार की हाँ … आज रोकूँगा नहीं तुम्हें … #जंगली_गुलाब
कुछ कहने के लिए किसी ख़ास दिन की ज़रूरत नहीं है वैसे तो … पर अगर दिन ख़ास है तो क्यूँ न उस दिन तो कहा ही जाए … राधे-राधे 😊😊😊🌹🌹🌹🌹🌹
सुना है उम्र की पहली साँस से होता है जीवन का आग़ाज़ पर सच कहूँ तो उसको जीने का आग़ाज़ होता है तब से जब ज़िन्दगी में खिलता है जंगली गुलाब वक़्त की निरंतर चाल उड़ाती है उसकी ख़ुशबू महकाती है हर वो पल जिसका सृजन होता है दो प्रेमियों के मिलन से
ऐसी ही है कुछ हमारी कहानी भी आज ही तो खिला था वो जंगली गुलाब मेरी कायनात में
एक सच जो माँ के रहते कभी महसूस नहीं किया, माँ की हर बात उसके जाने के बाद ही सबसे ज्यादा याद आती है. माँ शायद जानती है ये बात पर अपने रहते हुए जतलाती नहीं.
आज १२ साल हो गए पर लगता नहीं तेरे करीब रहे किसी भी इंसान को ...
बड़े बुजुर्गों ने कहा अड़ोसी-पड़ोसियों ने कहा आते-जाते ने कहा माँ नहीं रही पर मैं कैसे मान लूँ तू नहीं रही तूने खुद से तो नहीं कहा फिर तू है ... हर जगह हर शै में ... आते-जाते उठते-बैठते तुझसे बातें करता हूँ फिर कैसे कह दूँ तू नहीं रही
ओर अगर तू नहीं होती तो जीना क्या इतना आसान होता ... ?