स्वप्न मेरे

शनिवार, 25 अक्टूबर 2025

फिर सियासत को नया गठ-जोड़ दो ...

घिस गए जो आईने वो तोड़ दो.
बुझ गए जो दीप मिल के फोड़ दो.

धूप ने आते ही बादल से कहा,
तुम तो बीडू रास्ता ये छोड़ दो.

तंग होते जा रहे हैं शहर सब,
गाँव की पगडंडियों को मोड़ दो.

दर्द हो महसूस बोले ही बिना,
दिल से दिल के तार ऐसे जोड़ दो.

जोड़ने की बात फिर से कर सके,
फिर सियासत को नया गठ-जोड़ दो.

सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

दीपावली …

अमावस की हथेली से फिसल कर,

उजालों के दरीचे खुल रहे हैं.

प्रकाश पर्व की, असत्य पर सत्य की विजय की, राम जी के अयोध्या आगमन दिवस की समस्त जगत को हार्दिक शुभकामनाएँ … मँगल भव … 🌹🌹❤️🌹🌹🌹🌹

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

रीत करवा की ...

ईश्वर की पूजा, मेरी लम्बी उम्र का व्रत
इससे कहीं आगे है हम दोनों का सच
पल-पल का रिश्ता, जो है रोज़ का किस्सा
कहानी हर लम्हे की, प्रेम के उतरने की

मुझे यक़ीन है तेरी साधना पर
तेरे व्रत, तेरी प्रार्थना पर ...
जानता हूँ जुड़ जाएँगी कुछ नयी साँसें
आज फिर मेरे जीवन में

सुनो ...
एक संकल्प मैं भी लेना चाहता हूँ, आज
करना चाहता हूँ तमाम सांसें, साझा तेरे साथ

दुआ करना करवा माई से
स्वीकार हो मेरा भी संकल्प पूजा के साथ

मैं जानता हूँ जंगली गुलाब
तेरी हर बात सुनता है ऊपर वाला ...

#करवाचौथ #जंगली_गुलाब 

सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

तारीख ...

गौर से देखा चाँद
फिर तारे, बादल, तुम्हें और अपने आप को
बदला हुआ तो कुछ भी नहीं था

ये हवा, हरियाली, फूल रेत, ये सडकें …
थे … पर बदले हुए नहीं

तो क्या था बदला हुआ …
जुदा जुदा, अलग अलग, रोज़ से कुछ
सिवाय एक तारीख़ के
बदल गई जो
समय के एक पल के साथ

और सच कहूँ तो वही तो एक पल है
ले आता है जो हर साल, आज का दिन
और ले आता है झोली भर  ख़ुशियाँ ...

कभी न ख़त्म होने वाला अहसास
हम दोनों का, सुख-दुःख का
इश्क़, मुहब्बत से गुज़रे हर उस वक़्त का
बुना था जिसे लम्हा-दर-लम्हा
नज़र-ब-नज़र हम दोनों के दरमियाँ ...

#जंगली_गुलाब, स्वप्नमेरे, रचना, प्रेम

सोच की हद ...

कुछ करने के लिए
ज़िन्दगी थोड़ी है,
इसलिए सोचा है
बस तुम्हें प्यार करूँगा ...

#स्वप्नमेरे, जंगली_गुलाब, प्रेम