स्वप्न मेरे
स्वप्न स्वप्न स्वप्न, सपनो के बिना भी कोई जीवन है
गुरुवार, 4 सितंबर 2008
कुछ तो है
कुछ तो है इस मन में जो बोला नही जाता
राज् कुछ गहरा है जो खोला नही जाता
में तो ऐसा ही हूँ जो अपना सको
हर किसी के साथ में तोला नही जाता
कोन से लम्हे में मेरा दिल जला था
बुझ गयी है आग पर शोला नही जाता
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