लूटने वाले को मेरे घर से क्या मिल पाएगा
चंद टुकड़े कांच के और सिसकता दिल पाएगा
इक फ़ूल का इज़हार था इकरार या इन्कार था
बंद हैं अब कागजों में फूल क्या खिल पाएगा
गाँव की पगडंडियों को छोड़ कर जो आ गया
शहर की तन्हाईयो में ख़ुद को शामिल पाएगा
ओस की एक बूँद ने प्यासे के होठों को छुआ
देखना अब जुस्तुजू को होंसला मिल जाएगा
जिंदगी की कशमकश का जहर जो पीता रहा
होंसले की इन्तहा को शिव के काबिल पाएगा
गाँव की पगडंडियों को छोड़ कर जो आ गया
जवाब देंहटाएंशहर की तन्हाईयो में ख़ुद को शामिल पाएगा
kya kahna hai.
bahut khoob!
दिगम्बर जी,
जवाब देंहटाएंजिंदगी की कशमकश का जहर जो पीता रहा
होंसले की इन्तहा को शिव के काबिल पाएगा
क्या बात है? बहुत अच्छी पंक्तियाँ। बधाई। किसी की पंक्तियों के माध्यम से मैं कहना चाहता हूँ कि-
तल्ख वो शीरी बेतकल्लुफ जिसको पीना आ गया।
मैकशो पीना तो पीना उसको जीना आ गया।।
साथ ही एक सलाह देने का मन कर रहा है। मानना न मानना पूर्णतया आपकी मर्जी। जब मैं
"चंद टुकड़े कांच के और सिसकता दिल पाएगा"
पढ रहा था तो लगा कुछ कट रहा है। क्या आप इसको
"चंद टुकड़े कांच के, रोता हुआ दिल पाएगा"
या और कुछ जो आपको अच्छा लगे। लेकिन मुझे लगता है कि कुछ सुधार की गुँजाईश है। कृपया अन्यथा न लें।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
जिंदगी की कशमकश का जहर जो पीता रहा
जवाब देंहटाएंहोंसले की इन्तहा को शिव के काबिल पाएगा
Wah..Wah
खूब कहते हैं आप..
निरन्तरता बरक़रार रखें..
निखार आता ही रहेगा..
Shubhkamnaen....
ओस की एक बूँद ने प्यासे के होठों को छुआ
जवाब देंहटाएंदेखना अब जुस्तुजू को होंसला मिल जाएगा
सुंदर शब्दों से सजी मार्मिक भावाभिव्यक्ति बधाई इस कविता के लिए मेरे ब्लॉग पर पधारने का बहुत धन्यबाद मेरी नई हाइकु कविता पढने आप सादर आमंत्रित हैं
आप का दृष्टिकोण और कहन का अपना अनूठा अंदाज़ बरबस खींचता है.
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो पढिये:
पत्रकार निशाने पर , क्लिक कीजिये
http://hamzabaan.blogspot.com/2008/10/blog-post.html
शयामल जी
जवाब देंहटाएंआपका सुझाव सुंदर है, बहुत बहुत धन्यवाद,
उम्मीद है एसे ही मार्ग दर्शन देते रहेंगे
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 08 -12 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज... अजब पागल सी लडकी है .
इक फ़ूल का इज़हार था इकरार या इन्कार था
जवाब देंहटाएंबंद हैं अब कागजों में फूल क्या खिल पाएगा
bahut sunder likha hai ...
badhai ..
वाह ...बहुत ही बढि़या।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
जिंदगी की कशमकश का जहर जो पीता रहा
जवाब देंहटाएंहोंसले की इन्तहा को शिव के काबिल पाएगा
........बेहतरीन !
ओस की एक बूँद ने प्यासे के होठों को छुआ
जवाब देंहटाएंदेखना अब जुस्तुजू को होंसला मिल जाएगा
बहुत सुन्दर भाव और बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है दिगंबर जी ! पूरी गज़ल ही बेमिसाल है ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जिंदगी की कशमकश का जहर जो पीता रहा
जवाब देंहटाएंहोंसले की इन्तहा को शिव के काबिल पाएगा
ekdam katu satya.
wah.....bahut achchi lagi.
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