तेज़ थी हवा तुम्हारे शहर की
तितलियों का रंग भी उड़ा दिया
बादलों को घर में मैंने दी पनाह
बिजलियों ने घर मेरा जला दिया
बारिशों का खेल भी अजीब था
डूबतों को और भी डुबा दिया
आइनों के शहर का वो शख्स था
सत्य को सफाई से छुपा गया
इक ज्योतिषी हाथ मेरा देख कर
भाग्य की रेखाओं को मिटा गया
कौन सा भंवरा था साथ शहद के
पंखुरी का रंग भी चुरा गया
आइनों के शहर का वो शख्स था
जवाब देंहटाएंसत्य को सफाई से छुपा गया
इक ज्योतिषी हाथ मेरा देख कर
भाग्य की रेखाओं को मिटा गया
कौन सा भंवरा था साथ शहद के
पंखुरी का रंग भी चुरा गया
arre kya baat hai.....
इक ज्योतिषी हाथ मेरा देख कर
जवाब देंहटाएंभाग्य की रेखाओं को मिटा गया
-वाह वाह!! बहुत खूब!!
आनन्द आ गया.
बहुत खूब लिखा है ..बधाई ...
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार रचना...हर लफ्ज़ असरदार...वाह..वा...
जवाब देंहटाएंनीरज
कौन सा भंवरा था साथ शहद के
जवाब देंहटाएंपंखुरी का रंग भी चुरा गया
शानदार रचना...
बहुत अच्छा है भाई .. बधाई I
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाओं के रंग में मैं भी रंगने लगा हूँ.....प्लीज़ मुझे बचाईये......अदभुत लिखते हो आप.....सच.....!!
जवाब देंहटाएंबाप रे बाप....रब्बा मेरे रब्बा....मौला मेरे मौला....हाय माँ कित्ता...कित्ता...कित्ता अच्छा लिखते हो आप.....
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 15 -09 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में ... आईनों के शहर का वो शख्स था
तेज़ थी हवा तुम्हारे शहर की
जवाब देंहटाएंतितलियों का रंग भी उड़ा दिया
बहुत अच्छी रचना
पंक्तियाँ दो चुन सकूँ ये मेरे बस की बात नहीं
जवाब देंहटाएंकुछ कहूँ इस गजल पर,इतनी भी औकात नहीं.
सोचता हूँ शहद के संग,पंखुरी का रंग चुरा लूँ
डर रहा हूँ इतने गहरे उनसे ताल्लुकात नहीं.
बस इतना ही....
आइनों के शहर का शख़्स, रेखा मिटाने वाला ज्योतिषी , रंग चुराने वाला भँवरा ...बहुत ही बढ़िया । शुभकामनाएँ ।
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