हवस है कैसी, नही बुझती तुम्हारी प्यास है
अपने हिस्से का समुन्दर, तो तुम्हारे पास है
साँस लेती हैं दीवारें, आंख हैं ये खिड़कियाँ
इस शहर के खंडहरों से, बोलता इतिहास है
लाल है पत्ते यहाँ सब, लाल उगती घास है
सोई हुयी है दास्ताँ, बिखरा हुवा विशवास है
मेरे घर के पास से, गुजरा था तेरा काफिला
घर मेरा उस रोज़ से, खिलता हुवा मधुमास है
मुद्दतों से लौट कर, क्यूँ घर न आए तुम मेरे
यूँ तो रहता हूँ मैं घर, पर ज़िन्दगी बनवास है
तुझसे पहले आ गयी थी, तेरे आने की ख़बर
खिल उठी खेतों मैं सरसों, छा गया उल्लास है
बहुत ख़ूब साहब, वाह! उत्तम
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चाँद, बादल और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/
साँस लेती हैं दीवारें, आंख हैं ये खिड़कियाँ
जवाब देंहटाएंइस शहर के खंडहरों से, बोलता इतिहास है
बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने बधाई हो
हवस है कैसी, नही बुझती तुम्हारी प्यास है
जवाब देंहटाएंअपने हिस्से का समुन्दर, तो तुम्हारे पास है
बहुत खूब ! अच्छा लिखते है आप !
'तुझसे पहले आ गयी थी, तेरे आने की ख़बर
जवाब देंहटाएंखिल उठी खेतों मैं सरसों, छा गया उल्लास है'
-सुंदर पंक्तियाँ !
बहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंसाँस लेती हैं दीवारें, आंख हैं ये खिड़कियाँ
इस शहर के खंडहरों से, बोलता इतिहास है
आपकी यह रचना भी अपने आप में एक कहानी है।
स्वप्न मेरे बंद,बंद आंखों में मेरी सुना ज़िंदगी बनवास है
जवाब देंहटाएंस्वप्न मेरे देखा खुली आंखों ,लगा ज़िंदगी आस-पास है
तुझसे पहले आ गयी थी, तेरे आने की ख़बर
जवाब देंहटाएंखिल उठी खेतों मैं सरसों, छा गया उल्लास है
वाह दिगम्बर भाई, नए साल की आपको ढेरों बधाईयां।
तुझसे पहले आ गयी थी, तेरे आने की ख़बर
जवाब देंहटाएंखिल उठी खेतों मैं सरसों, छा गया उल्लास है
वाह दिगम्बर भाई, नए साल की आपको ढेरों बधाईयां।
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
हवस है कैसी, नही बुझती तुम्हारी प्यास है
जवाब देंहटाएंअपने हिस्से का समुन्दर, तो तुम्हारे पास है
वाह!! बहुत लिखा जनाब!! आनन्द आ गया...छा गये. नया साल मुबारक घर भर को.
तुम्हारी प्रोफाइल देख रहा था, नजर पड़ी:
जवाब देंहटाएंजागती आँखों से स्वप्न देखना मेरी फितरत है .........
...
और मेरी मजबूरी. कमबख्त, ये मुई नींद नहीं आती. :)
मुद्दतों से लौट कर, क्यूँ घर न आए तुम मेरे
जवाब देंहटाएंयूँ तो रहता हूँ मैं घर, पर ज़िन्दगी बनवास
" इन पंक्तियों में इन्तजार के पलों की शिकायत की गहरी अनुभूति महसुस हुई "
regards
shabdon mein hain, ye jo lipti aapki ankahi aass hain
जवाब देंहटाएंbhavnao se bahri ye rachna khoob aayi raas hain
बहोत खूब लिखा है आपने वह मज़ा आगया भाई ....बधाई हो ...
जवाब देंहटाएंअर्श
वाह जनाब वाह...अब आप की शायरी में उस्तादों की झलक नजर आने लगी है...कहने का अंदाज़ बेहद खूबसूरत होता जा रहा है....बधाई.
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत सुंदर गहरे भावः से ओतप्रोत रचना बहुत बहुत धन्यबाद
जवाब देंहटाएंवाह ! वाह ! वाह ! अतिसुन्दर ! और क्या कहूँ.........
जवाब देंहटाएंAtyant bhavpurna.
जवाब देंहटाएंNasva ji, ye do she'r bhot pasand aaye-
जवाब देंहटाएंजख्म पर मरहम लगाने क्यों नहीं आते
गीत कोई गुनगुनाने क्यों नहीं आते
आसमां से चांद तारे छीन लाऊंगा
हौसला मेरा बढ़ाने क्यों नहीं आते
pr mans khane wala kuch jcha nahi....