स्वप्न मेरे: जिंदगी की रेल है

सोमवार, 19 जनवरी 2009

जिंदगी की रेल है

इस ग़ज़ल के पहले २ शेर मैंने १० साल पहले लिखे थे और ये ग़ज़ल मेरे दिल के बहोत करीब है. कुछ और शेर लिख कर मैंने इसे गुरुदेव पंकज जी के सुपुर्द कर दिया. ये ग़ज़ल ठीक होने के बाद आपकी नज़र है.

आदरणीय पंकज जी का बहुत बहुत आभार

उमर की पटरियों पर जिंदगी की रेल है
ये मरना और जीना तो समय का खेल है

नहीं जब तक मेहरबां मौत हम पर तब तलक
हमारी रूह है और जिस्‍म की ये जेल है

रुई का जिस्‍म है मिट जायेगा कुछ देर में
दिये की धड़कनों में जल रहा बस तेल है

रुकेगी सांस जिस पल बंद होंगीं धड़कनें
वही तो आत्‍मा परमात्‍मा का मेल है

तिरा मासूम चे‍हरा जुल्‍फ काली और घनी
के जैसे चांद का संग बादलों के खेल है

23 टिप्‍पणियां:

  1. उमर की पटरियों पर जिंदगी की रेल है

    वह क्या मतले का मिश्रा उला है,बहोत खूब लिखा है आपने दिगम्बर JI और ऊपर से गुरुदेव का आशीर्वाद फ़िर क्या कहने किसी भी ग़ज़ल के ....
    ढेरो बधाई आपको और गुरूजी मेरा सादर प्रणाम...

    अर्श

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  2. रुई का जिस्‍म है मिट जायेगा कुछ देर में
    दिये की धड़कनों में जल रहा बस तेल है

    बहुत सुंदर और सही लिखा आपने

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  3. रुई का जिस्‍म है मिट जायेगा कुछ देर में
    दिये की धड़कनों में जल रहा बस तेल है
    bahut umda!
    guru ji ka ashirwaad ho to gazal ka shilp umda hi hoga.
    -waise bhi aap ki lekhni bahut paini hai.
    -aap bina 'upnaam' ke gazal likhtey hain.
    -bahut thodey log dekhey hain jo upnaam nahin likhtey.

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  4. बहुत लाजवाब. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. पहले दो शेर पढ़कर लगा गया कि १० साल पहले भी लेखन अदायें कातिल थी जनाब की.

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  6. रुई का जिस्‍म है मिट जायेगा कुछ देर में
    दिये की धड़कनों में जल रहा बस तेल है

    वाह बहुत खूबसूरत।

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  7. वाह ! वाह ! वाह ! लाजवाब ! सचमुच बहुत ही सुंदर दिल कोछूती ग़ज़ल है.

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  8. दस साल??? आप दस साल से लिख रहे हैं...भाई कमाल है...गुरूजी की छाप ग़ज़ल पर दिखाई देती है...आप बहुत नाम कमाएंगे ग़ज़ल के क्षेत्र में इसमें कोई संदेह नहीं...लिखते रहें...
    नीरज

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  9. aapki gazal har ek insaan se dil ko chuti hogi.....aur har ek insaan ko apni jindagi aapke gazal se judi hui lagti hogi.....i am wordless for complement

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  10. उमर की पटरियों पर जिंदगी की रेल है
    ये मरना और जीना तो समय का खेल है

    jab samay ka khel hai to jnab her she'r me marne ki bat kyon...?

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  11. रुई का जिस्‍म है मिट जायेगा कुछ देर में
    दिये की धड़कनों में जल रहा बस तेल है

    bahut badhiya

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  12. उमर की पटरियों पर जिंदगी की रेल है
    ये मरना और जीना तो समय का खेल है

    क्या खूब लिखा है.....
    लगता है कि आप अपनी रचनाओं का आदी बनाकर ही छोडेंगे.

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  13. रुकेगी सांस जिस पल बंद होंगीं धड़कनें
    वही तो आत्‍मा परमात्‍मा का मेल है

    wah..wa

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  14. नहीं जब तक मेहरबां मौत हम पर तब तलक
    हमारी रूह है और जिस्‍म की ये जेल है

    अगर ऊपर लिखे शेर से पहली पंक्ति के दो शब्द हटा दे "तब तलक" तो शेर काफी सुन्दर लगेगा। बाकि आप तो जानते ही है कि मैं मीटर तो जानता ही नहीं। आपकी ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी

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  15. बहुत अच्‍छी रचना । आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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  16. तिरा मासूम चे‍हरा जुल्‍फ काली और घनी
    के जैसे चांद का संग बादलों के खेल है
    बहुत खूबसूरत जज्ब्बत पिरोये हैं आपने अध्यात्म को सजाकर लिखे गए शेर बहुत खूबूरत हैं

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  17. नहीं जब तक मेहरबां मौत हम पर तब तलक
    हमारी रूह है और जिस्‍म की ये जेल है

    रुई का जिस्‍म है मिट जायेगा कुछ देर में
    दिये की धड़कनों में जल रहा बस तेल है

    achi shabd rachna, misre acche ban pade hain

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  18. रुई का जिस्‍म है मिट जायेगा कुछ देर में,
    दिये की धड़कनों में जल रहा बस तेल है॥

    बहुत सुंदर शैर के साथ एक अच्छी गज़ल।

    बहुत धन्यवाद

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  19. वाह ! लाजवाब ! सचमुच बहुत ही सुंदर दिल कोछूती ग़ज़ल है.

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है