स्वप्न मेरे: झूमती पुरवाइयां

गुरुवार, 26 फ़रवरी 2009

झूमती पुरवाइयां

ब्लॉग जगत के सुपरिचित रचनाकार हमारे गुरु श्री "पंकज सुबीर जी" को देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था "भारतीय ज्ञानपीठ" ने अपनी नवलेखन पुरुस्कार योजना के तहत वर्ष 2008 के तीन श्रेष्ठ युवा कथाकारों में सम्मिलित किया है.हम सब के लिए यह गर्व की बात है. पंकज को जी इस बात के लिए बहुत बहुत बधाई.

प्रस्तुत है ये ग़ज़ल पंकज जी के नाम. वैसे आप सब को बता दूं इस ग़ज़ल को गुरुदेव ने आज ही पढने लायक बना कर भेजा है.


गूंजती थीं जिस मुहल्ले में कभी शहनाइयां
दर्द है बिखरा हुवा, बिखरी हुयी तन्हाइयां

कैसा वासंती ये मौसम अब के आया है यहां
कोयलें सहमी हैं और सहमी हुई अमराइयां

हो गए खामोश आधी रात में दीपक सभी
रात भर चलती रहीं इश्राक की पुरवाइयां

सांस पत्‍थर को है लेते देखना तो देख लो
तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां

बस तेरा ही नूर फैला है फिजां में हर तरफ
ये तसव्‍वुफ जानती हैं झूमती पुरवाइयां

झूठ का रंगीन चेहरा इस कदर छाया हुवा
आईने से मुंह छुपाती हैं यहाँ सच्चाइयां

थाह तेरे दिल की ही बस मिल न पाई है मुझे
यूं तो मैंने नाप लीं सागर की सब गहराईयां

साथ तेरा मिल गया आसान हैं अब रास्‍ते
थीं वगरना हर कदम पर मुश्किलें कठिनाइयां

(इश्राक - प्रभात, चमक, उषा, तसव्वुफ़ - रहस्य, गूढ़ ज्ञान)

43 टिप्‍पणियां:

  1. गुरुजी को बहुत बधाई और आपका बहुत आभार इस खबर के लिये.

    लाजवाब गजल. बहुत धन्यवाद और शुभकानाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रणाम
    पंकज जी को हमारी हार्दिक बधाईया.

    साथ तेरा मिल गया आसान हैं अब रास्‍ते
    थीं वगरना हर कदम पर मुश्किलें कठिनाइयां

    दिगम्बर जी वगरना की जगह शायद वर्ना होना चाहिए . बहुत सुन्दर ग़ज़ल .

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही उम्दा गज़ल है हर शेर लाजवाब।
    झूठ का रंगीन चेहरा इस कदर छाया हुवा
    आईने से मुंह छुपाती हैं यहाँ सच्चाइयां
    वाह वाह...।

    जवाब देंहटाएं
  4. बस तेरा ही नूर फैला है फिजां में हर तरफ
    ये तसव्‍वुफ जानती हैं झूमती पुरवाइयां

    बहुत बहुत सुन्दर हर एक शेर .कमाल का लिखा है आपने ..बहुत पसंद आई यह

    जवाब देंहटाएं
  5. आलोक जी प्रणाम
    वगरना को भी उर्दू में वरना के स्‍थान पर प्रयोग किया जाता है और बहुतायात किया जाता है इसे श्‍ाब्‍द के रूप में मान्‍यता है ।
    आपका ही सुबीर

    जवाब देंहटाएं
  6. सबसे पहले तो गुरु जी को सदर प्रणाम और इस अदना के तरफ से ढेरो बधाई और शुभकामना..
    सही कहा है गुरुदेव ने के ग़ज़ल तो सारा कहन का खेल है बहर तो उस्ताद बता ही देते है ,,, बहोत ही शानदार कहन के साथ उम्दा ग़ज़ल ढेरो बधाई कुबूल करें....


    अर्श

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रणाम
    पकंज जी धन्यवाद मुझे उर्दू का ज्ञान नहीं है तो इस वजह से मुझे लगा की शायद शब्द वर्ना होगा .
    जानकारी और ज्ञान बढ़ाने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. झूठ का रंगीन चेहरा इस कदर छाया हुवा
    आईने से मुंह छुपाती हैं यहाँ सच्चाइयां
    waah bahut khubsurat

    जवाब देंहटाएं
  9. थाह तेरे दिल की ही बस मिल न पाई है मुझे
    यूं तो मैंने नाप लीं सागर की सब गहराईयां

    बस यही कह सकती हूँ,वाह !! वाह !! और केवल वाह !!

    यह बड़ा ही हर्ष का समाचार है,पंकज जी को ढेरों बधाइयाँ.

    जवाब देंहटाएं
  10. गूंजती थीं जिस मुहल्ले में कभी शहनाइयां
    दर्द है बिखरा हुवा, बिखरी हुयी तन्हाइयां


    हो गए खामोश आधी रात में दीपक सभी
    रात भर चलती रहीं इश्राक की पुरवाइयां

    सांस पत्‍थर को है लेते देखना तो देख लो
    तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां


    झूठ का रंगीन चेहरा इस कदर छाया हुवा
    आईने से मुंह छुपाती हैं यहाँ सच्चाइयां


    बहुत खूबसूरत शेर कहे हैं आपने, बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  11. गूंजती थीं जिस मुहल्ले में कभी शहनाइयां
    दर्द है बिखरा हुवा, बिखरी हुयी तन्हाइयां
    गजल का क्या कहना और उससे भी अधिक गुरूजी को समपिॆत ये गजल बाकई ऐसे लोग अब कम ही बचे है । आपने गुरूजी के नाम कर बहुत बढ़िया काम किया है । रचना भी बेहद रोचक है धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  12. pankaj जी को आपके madhyam से badhaiya ...
    सांस पत्‍थर को है लेते देखना तो देख लो
    तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां..
    बहुत khoob लिखा hae. jivant हो uthata hae kaavay.
    बस तेरा ही नूर फैला है फिजां में हर तरफ.....शायद pankaj जी को ये panktya poori तरह samarpit हे. और फिर "साथ तेरा मिल गया आसान हैं अब रास्‍ते
    थीं वगरना हर कदम पर मुश्किलें कठिनाइयां.."
    क्या बात hae. ...

    जवाब देंहटाएं
  13. क्या जादू किया है भाई....
    हमें भी मिलवा तो अपने गुरूजी से....कुछ हम भी सीख जायें....

    जवाब देंहटाएं
  14. गजल प्रभावशाली बनी है. ये खुशनसीबी है कि-
    'साथ तेरा मिल गया आसान हैं अब रास्‍ते
    थीं वगरना हर कदम पर मुश्किलें कठिनाइयां'

    जवाब देंहटाएं
  15. थाह तेरे दिल की ही बस मिल न पाई है मुझे
    यूं तो मैंने नाप लीं सागर की सब गहराईयां

    साथ तेरा मिल गया आसान हैं अब रास्‍ते
    थीं वगरना हर कदम पर मुश्किलें कठिनाइयां

    bahut khoob kya kahne. anupam.

    जवाब देंहटाएं
  16. थाह तेरे दिल की ही बस मिल न पाई है मुझे
    यूं तो मैंने नाप लीं सागर की सब गहराईयां

    क्या बात है. बहुत बढ़िया. बहुत अच्छे शेर.

    जवाब देंहटाएं
  17. सभी शेर बहुत ही सुंदर लगे, एक से बढ कर एक.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  18. निहायत ख़ूबसूरत ग़ज़ल है।
    सांस पत्थर को है लेते देखना तो देख लो
    तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां

    साथ तेरा मिल गया आसान हैं अब रास्‍ते
    थीं वगरना हर कदम पर मुश्किलें कठिनाइयां
    बहुत ख़ूब!
    महावीर शर्मा

    जवाब देंहटाएं
  19. दिगंबर जी ,
    ग़ज़ल तो बहुत अच्छी रची गयी है पर इन पंक्तियों ने बहुत प्रभावित किया .....
    कैसा वासंती ये मौसम अब के आया है यहां
    कोयलें सहमी हैं और सहमी हुई अमराइयां

    हो गए खामोश आधी रात में दीपक सभी
    रात भर चलती रहीं इश्राक की पुरवाइयां

    हेमंत कुमार

    जवाब देंहटाएं
  20. थाह तेरे दिल की ही बस मिल न पाई है मुझे
    यूं तो मैंने नाप लीं सागर की सब गहराईयां
    waah kya baat hai

    जवाब देंहटाएं
  21. waise to poori ghazal hi umda lagi par nimn do sher to dil me ghar kar gaye kya goodh arth hai bhia wah....(in dono mein ek nai si kafiyat dikhati hai)

    हो गए खामोश आधी रात में दीपक सभी
    रात भर चलती रहीं इश्राक की पुरवाइयां

    सांस पत्‍थर को है लेते देखना तो देख लो
    तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां

    जवाब देंहटाएं
  22. mere blog main aapki tippani aur apka amantran dekha
    itni acchi ghazals mere saath baatne ke liye dhanvyaad,
    vaise to sabhi ghazals aur ghazals ke sabhi sher atulniya hain par kuch jo dil ko chu gaye:

    maaf kijiyega ki sare blog ki tippani ek jagah hi post kar di:
    1)यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर
    जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब

    2)जिंदगी भर लौट कर न जाऊँगा
    आज मेरा रास्ता बस रोक ले (wah wah...)

    3) टूटी चप्पल, चिथड़े कपड़े, हाथ पैर हैं छिले हुवे
    खिचडी दाड़ी, रीति आँखें, ज़ख्म हमेशा खिले हुवे
    &
    मार पड़ी कमजोरों पर, चाहे कोई मज़हब हो
    मंदिर मस्जिद गिरजे लगता आपस में हैं मिले हुवे

    4)सत्य तो बस एक है "इदं न मम"
    देह वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी गगन
    (yagya ka saar isi sher main aa gaya)One of my favourite in entire blog.

    5)क्या हुवा जो तेरा हाथ भी न छू सका
    तेरे माथे की सुर्ख चांदनी में जलता हूँ
    ...apna sher yaad aa gaya. Aap sa to nahi par phir bhi..

    phool banke chone ki chahat nahi humko magar,
    Khusboo banke unko hum bequrar to karte.

    6) wakai sach hai:
    सच्च तो ये है इस खूबसूरत ताज में
    ईंट गारे की जगह आदमी जड़े हैं
    &
    होठ सूखे, धंसी आँखें चिथडा सा बदन
    जिस्म जैसे किसी पतझर में पत्ते झडे हैं

    7)मुद्दतों से ढ़ो रहा हूँ लाश कन्धों पर लिये
    तुम गिद्ध हो ये मॉस खाने क्यूँ नही आते
    &
    बंद है मुटृठी में मेरी सावनी बादल
    है जो हिम्‍मत घर जलाने क्‍यों नहीं आते

    8)लाल पीले फ़िर गुलाबी हो गए
    इश्क मैं हम भी शराबी हो गए

    जब से तुम ने डायरी में रख लिये
    फूल जीते जी किताबी हो गए
    &
    ज़िक्र छेड़ा था अभी उनके सितम का
    कहते हैं वो हम हिसाबी हो गए


    9) हवस है कैसी, नही बुझती तुम्हारी प्यास है
    अपने हिस्से का समुन्दर, तो तुम्हारे पास है
    &
    साँस लेती हैं दीवारें, आंख हैं ये खिड़कियाँ
    इस शहर के खंडहरों से, बोलता इतिहास है(great one)

    10)गीत जो गाना हो राष्ट्रगान होना चाहिए
    घंटियों में गूंजती अज़ान होना चाहिए

    गीदड़ों ने ओढ़ ली है खाल आज शेर की
    आज से जंगल में जंगल राज होना चाहिए (is sher main kafiya badal gaya !!??)

    जवाब देंहटाएं
  23. सांस पत्‍थर को है लेते देखना तो देख लो
    तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां
    गुरुजी को बहुत बधाई , बहुत ही उम्दा गज़ल है हर शेर लाजवाब, ग़ज़ल बहुत पसंद आयी

    regards

    जवाब देंहटाएं
  24. बस तेरा ही नूर फैला है फिजां में हर तरफ
    ये तसव्‍वुफ जानती हैं झूमती पुरवाइयां

    bahut khoob.....pankaj ji ek bar fir badhia....

    जवाब देंहटाएं
  25. बस तेरा ही नूर फैला है फिजां में हर तरफ
    ये तसव्‍वुफ जानती हैं झूमती पुरवाइयां

    झूठ का रंगीन चेहरा इस कदर छाया हुवा
    आईने से मुंह छुपाती हैं यहाँ सच्चाइयां

    वाह्! क्या खूब लिखा है,,,,,पंकज जी को हमारी ओर से भी बहुत बहुत बधाई.........

    जवाब देंहटाएं
  26. सांस पत्‍थर को है लेते देखना तो देख लो
    तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां

    bahut hi sundar gazal hai..

    sorry der se pahunchi..bachchon ke exams chal rahey hain -samay nahin milta..

    mujhey sabhi sher nayaab lagey.
    badhayee..

    जवाब देंहटाएं
  27. कैसा वासंती ये मौसम अब के आया है यहां
    कोयलें सहमी हैं और सहमी हुई अमराइयां
    ya fir
    कैसा वासंती ये मौसम अब के आया है यहां
    कोयलें सहमी हैं और दहकी हुई अमराइयां
    shesh shubh

    जवाब देंहटाएं
  28. भाई,

    किस-किस शेर की तारीफ करूँ हर शेर लाजवाब और जिस पर पंकज भाई का आशीश हो तो वो रचना तो शिल्प के हिसाब से भी बहुत निखरी हुई रचना होती है। दिगम्बर भाई आपने खुश किया इतनी गज़ल पढ़वाकर।

    जवाब देंहटाएं
  29. lajawab gazal. mere blog par bhi aayen.
    www.salaamzindadili.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  30. दिगम्बर जी...विलंब से आया हूँ और इस बेहतरीन गज़ल पर बस वाह-वाह किये जा रहा हूँ...एक-एक शेर तराशे हुये हीरे की तरह
    वाह
    खास कर इस शेर पे तो हम मर-मिटे हैम सरकार "थाह तेरे दिल की ही बस मिल न पाई है मुझे/यूं तो मैंने नाप लीं सागर की सब गहराईयां"
    आपकी स्मीत-सी मुस्कान याद आ गयी

    बहुत खूबसूरत गज़ल है "सांस पत्‍थर को है लेते देखना तो देख लो /तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां" ---बहुत खूबसूरत...हम नतमस्तक हुये सर

    जवाब देंहटाएं
  31. बेहतरीन प्रस्तुति सदैव आपके ब्लॉग आकर ताजगी महसूस होती है

    जवाब देंहटाएं
  32. हो गए खामोश आधी रात में दीपक सभी
    रात भर चलती रहीं इश्राक की पुरवाइयां
    पुरवइया के नाम पर लिखी पंकजी जी की यह गजल बेहत खूबसूरत है । प्रकृति की आहट की सुन्दर संवेदना यहां देखी जाती है । शानदार तरीके से लिखी गई गजल है शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  33. झूठ का रंगीन चेहरा इस कदर छाया हुवा
    आईने से मुंह छुपाती हैं यहाँ सच्चाइयां
    कितनी बढ़िया बात और कटु बात को कितनी सहजता से शब्दों में पिरोया है... वाकई लाजवाब है...
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद् ... मुझे फिर से आपका इंतजार रहेगा....

    जवाब देंहटाएं
  34. सांस पत्‍थर को है लेते देखना तो देख लो
    तुम अजंता के बुतों में नाचती परछाइयां

    एक से बढ़कर एक... बहुत ही लाजवाब बहुत-बहुत बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  35. ... बहुत ही खूबसूरत, प्रभावशाली व प्रसंशनीय गजल है!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  36. रंगों के पर्व होली पर आपको हार्दिक शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  37. pankaj ji,
    itni achchhi ghazal ke liye bahut bahut dhanyawaad,saath hi meri ghazalon par tippani ke liye bhi.ek baar aur mera blog denkhe,nai ghazal milegi.

    जवाब देंहटाएं
  38. बहुत खूबसूरत शेर कहे हैं आपने, बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  39. दिगंबर जी,
    बहुत ही उम्दा गज़ल है...

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है