स्वप्न मेरे: लम्हों की जुबां

सोमवार, 18 मई 2009

लम्हों की जुबां

१)

चीर कर बादल का किनारा,
चांदनी जब छाने लगेगी,
सरसराती हवा मस्ती में गाने लगेगी,
मुस्कुराती रात,
सर्दी का कम्बल लपेटे,
जब तेरे सिरहाने उतर आएगी,
तू मेरी बाहों में समा जाना,
अलाव खुद -बा-खुद जल उठेंगे.

२)

किसी की बेरुखी,
तू दिल पर न लेना,
बस इतना सोच लेना,
वक़्त हर घाव की दवा है...
अपनी आँखों में उठता समुन्दर,
पलकों के मुहाने ही रोक लेना,
कतरा कतरा मैं पीता रहूँगा,
तेरी प्यास में मैं जीता रहूँगा.

३)

थम गयी है हवा,
ठिठक गयी कायनात,
क्यूँ न नीले आसमान की चादर पर सजे,
बादल के सफ़ेद फूल,
फूंक मार कर उड़ा दूं........
या हलके से गुदगुदी कर,
तुझे हंसा दूं.......
बादलों के बदलते रूप में,
तेरा उदास चेहरा,
अच्छा नहीं लगता........
जब तू खिलखिला कर हंस पड़ेगी,
ये हवा चल पड़ेगी,
बादल भी बदलने लगेगा अपना रूप,
अटकी हुई कायनात,
खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.

28 टिप्‍पणियां:

  1. तेरा उदास चेहरा,
    अच्छा नहीं लगता........
    जब तू खिलखिला कर हंस पड़ेगी,
    ये हवा चल पड़ेगी,
    बादल भी बदलने लगेगा अपना रूप,
    अटकी हुई कायनात,
    खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.

    बढ़िया लगी यह पंक्तियाँ ..किसी के होंठों पर मुस्कराहट दिखे वही सकून देती है ..तीनो भाव पसंद आये

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  2. तेरा उदास चेहरा,
    अच्छा नहीं लगता........
    जब तू खिलखिला कर हंस पड़ेगी,
    ये हवा चल पड़ेगी,
    बादल भी बदलने लगेगा अपना रूप,
    अटकी हुई कायनात,
    खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.

    बढ़िया लगी यह पंक्तियाँ ..किसी के होंठों पर मुस्कराहट दिखे वही सकून देती है ..तीनो भाव पसंद आये..ऊपर वाली टिप्पणी बिटिया के आई डी से हो गयी :)

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  3. किसी की बेरुखी,
    तू दिल पर न लेना,
    बस इतना सोच लेना,
    वक़्त हर घाव की दवा है...
    अपनी आँखों में उठाता समुन्दर,
    पलकों के मुहाने ही रोक लेना,
    कतरा कतरा मैं पीता रहूँगा,
    तेरी प्यास में मैं जीता रहूँगा.

    सुन्दर रचना के बधाई.........सचमुच वक्त के पास हर घाव की दवा है.

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  4. जब तू खिलखिला कर हंस पड़ेगी,
    ये हवा चल पड़ेगी,
    बादल भी बदलने लगेगा अपना रूप,
    अटकी हुई कायनात,
    खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.
    अच्‍छे प्रयोग किये हैं एक बार फिर से । प्रेम की कविताओं के बहुत सुंदर प्रयोग हैं । प्रेम जब तक अंदर न हो तब तक कविताओं में इस प्रकार से फूट कर नहीं आता है ।

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  5. बहुत सुन्दर व भावपूर्ण लिखा है। समझ नहीं आ रहा कि इन तीन में से किसे अधिक पसन्द का कहूँ। सबका कुछ अपना ही जादू सा है।
    घुघूती बासूती

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  6. kisi ke berukhi ko apne dil pe naa lenaa...
    bahot hi khubsurati se aapne apnaa paksh rakhaa hai ... sabhi kavitaayen apne aap me mukammal.... jahaan guru dev khud aakar aashirvaad de rahe ho wahaan hamari kya hasti...

    badhaayee

    arsh

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  7. जब तू खिलखिला कर हंस पड़ेगी,
    ये हवा चल पड़ेगी,
    बादल भी बदलने लगेगा अपना रूप,
    अटकी हुई कायनात,
    खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.

    बहुत ही लाजवाब हैं, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  8. क्या कहूँ......जब इतना भावपूर्ण कुछ पढने को मिलता है तो सहसा सूझता नहीं कि अनुभूति को कैसे अभिव्यक्त किया जाय....

    सिम्पली ग्रेट.....सुपर्ब....

    बहुत बहुत आभार आपका,इतनी सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए...

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  9. तू मेरी बाहों में समा जाना,
    अलाव खुद -बा-खुद जल उठेंगे.

    wah digambar ji, teenon hi rachnayen apne aap men adbhut,

    जब तू खिलखिला कर हंस पड़ेगी,
    ये हवा चल पड़ेगी,
    बादल भी बदलने लगेगा अपना रूप,
    अटकी हुई कायनात,
    खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.

    lajawaab panktian. badhai sweekaren.

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  10. क्या खूब लिखा आपने , तीनो एक से बड कर एक . और तो और सुबीर जी ,रंजना जी जैसे कला पारखियो की सराहना ही ग़ज़ल का स्तर उच्च होने का संकेत देती है .

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  11. aapne jo bayan kiya hai wo mere mann ko bahut bhaya.........

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  12. जब तू खिलखिला कर हंस पड़ेगी,
    ये हवा चल पड़ेगी,
    बादल भी बदलने लगेगा अपना रूप,
    अटकी हुई कायनात,
    खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति वाली कविता ..दिगंबर जी
    आपने प्रेम कविता में अभिव्यक्त भावों और प्राकृतिक सौंदर्य का अच्छा सामंजस्य बैठाया है .
    बहुत अच्छी लगीं ये रचनाएँ .
    हेमंत कुमार

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  13. ... कमाल ... कमाल ... कमाल... बेमिसाल रचनाएँ, ... बधाईयाँ ।

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  14. दिगम्बर जी, जब मिला था आपसे, तो सोचा भी नहीं था कि इतने रूमानी ख्यालातों वाले आशिक से मिल रहा हूँ।
    आहहा, इश्क के इन अद६भुत रंगों ने मन मोह लिया है..
    गुरू जी के कह लेने के बाद तो कुछ कहना शेष रह ही नहीं जाता वैसे भी

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  15. kuch katre pi ke...
    ...aansoon ke kabhi khoon se,

    chal padegi atki kaynnat,
    ...hawa se kabhi phoonk se !!

    Marvellous !! Digambar ji kshama kijiyega itne dino blogging aur apse door raha...
    ..abhi bhi phursat kahin door hi hai !! haan par hai !!
    :)

    -Darpan Sah

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  16. जब तू खिलखिला कर हंस पड़ेगी,
    ये हवा चल पड़ेगी,
    बादल भी बदलने लगेगा अपना रूप,
    अटकी हुई कायनात,
    खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.

    यह बहुत ही प्यारी ,कोमल भावो को सजोये हुए मुस्कुरती सी लगी.

    -लम्हों की ज़ुबां से कही गयीं तीनो रचनायें बहुत अच्छी लगीं.

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  17. वाह वाह और वाह.

    यूँ तो लम्हों की ज़ुबाँ हमने भी सुनी थी मगर

    लम्हे ही लम्हे तो पिरो लाये हो शब्दों में मगर

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  18. बहुत बहुत शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए!
    बहुत ही शानदार रचना लिखा है आपने! आपकी रचना तो काबिले तारीफ है!

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  19. तू मेरी बाहों में समा जाना,
    अलाव खुद -बा-खुद जल उठेंगे
    prem ki itni behtreen shbdavali//
    pichhli kuchh rachnao me aapke shbd jaadoo bikherte naza aa rahe he///
    aapke andar ka vo satvik prem nikhar kar saamne aata dikh rahaa he//baaho me samaa jaanaa, khud b khud alaav jal uthna..// vakai..laazavaab/
    कतरा कतरा मैं पीता रहूँगा,
    तेरी प्यास में मैं जीता रहूँगा.
    in panktiyo ne aapki rachnadharmita ke swarn ko ujagar karte hue kavi jagat ko chamkaa diya//waah//
    अटकी हुई कायनात,
    खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.
    prem jab itna paavan, itana mazboot ho to jivan naach uthataa he//

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  20. kya kahun.............bahut hi gahre pyar ko abhivyakt karti huyi.....dil ke athah sagar se umde jazbaat........ishq ki imtihan hai.

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  21. वाह दिगम्बर भाई आपका ये रंग भी कमाल है आनंद आया आपकी ये रचनाएं पढ़कर!

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  22. दिगम्बर भाई, रंगों के बहाने इतनी खूबसूरत रचनाएं पढने को मिल गयीं।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  23. अलाव खुद बा खुद जल पडेंगे,,,खूब.....बहुत ही खूब....

    और मैं तेरी प्यास को जीता रहूँगा,,,,,कमाल,,,

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है