स्वप्न मेरे: चाहत

सोमवार, 20 जुलाई 2009

चाहत

महसूस किया है
झुर्मुट की आड़ से
पीले समुंद्र के उस पार से
कोई तो गुज़रा है
इस रेत के पहाड़ से
ताज़ा है अभी
कुछ कदमों की आहट
रेत के समुंदर में
उड़ रही है चाहत
वो चाँद है पूनम का
या खुश्बू तेरे एहसास की
जन्म-जन्मांतर की प्यास है
या बात है इक रात की
सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
अभी तो जी लेने दो ये लम्हा

45 टिप्‍पणियां:

  1. kya baat hai..

    abhi to ji lene do ye lamha.

    bahut sundar kavita..

    puri kavita 3 baar padh chuka hoon..
    abhitak uttam bhav..

    dhanywaad..sundar kavita ke liye..
    aur badhayi bhi..

    जवाब देंहटाएं
  2. रेत के समुंदर में
    उड़ रही है चाहत ..
    बहुत सुन्दर!

    'सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा '

    कविता का सार जैसे इन पंक्तियों में सिमट आया है.
    भावों को बड़ी नरमी से शब्दों में ढलते हैं आप.
    यह आप की कविताओं की ख़ास बात है.
    अच्छी लगी कविता.

    जवाब देंहटाएं
  3. कोई तो गुज़रा है
    इस रेत के पहाड़ से
    ताज़ा है अभी
    कुछ कदमों की आहट
    रेत के समुंदर में
    उड़ रही है चाहत


    ऐसे पल में चले jaane और फिर उसे शब्दों में पिरो देने की कला को सलाम ... ये पल सबको सुलभ नहीं होता , इस पर तो कवियों का एकाधिकार है ...
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. महसूस किया है
    झुर्मुट की आड़ से
    पीले समुंद्र के उस पार से
    कोई तो गुज़रा है
    इस रेत के पहाड़ से
    ताज़ा है अभी
    कुछ कदमों की आहट
    रेत के समुंदर में
    उड़ रही है चाहत

    बहुत ही सुन्दर भाव ........बिल्कुल ताजगी लिये हुये चाहत ............चाहत मे इतनी गहरी बात कही है आपने, जो दिल की गहराई मे रेत की तरह बैठा जा रहा है और वक्त एक टीस पैदा कर रही है .......क्या करे ये चाहत ऐसी ही होती है .बहुत ही खुबसूरत रचना जिसमे चाहत भरी पडी है.

    जवाब देंहटाएं
  5. ab to jee lene do ye lamha...
    aapki kavita me yahi to maza he, bhavnao ko itane sundar tarike se ukerte he ki dil ko chhuti hui si prateet hoti he/

    जवाब देंहटाएं
  6. रेत के समुंदर में
    उड़ रही है चाहत
    एहसास को इतनी कोमलता से आपने छुआ है
    शायद बयान से परे है

    जवाब देंहटाएं
  7. "सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा "

    वाह क्या खूब लिखा है

    जवाब देंहटाएं
  8. चाहत खुशबू की शानदार शव्दों में
    पिरोई अच्छी भावपूर्ण रचना .आभार.

    जवाब देंहटाएं
  9. सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा

    वाह क्या खूबसूरत रचना है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  10. कोई तो गुज़रा है
    इस रेत के पहाड़ से
    ताज़ा है अभी
    कुछ कदमों की आहट
    रेत के समुंदर में
    उड़ रही है चाहत ।।

    वाह्! कितने सुन्दर अहसास समेटे हुए हैं आपने इस रचना में। बहुत बढिया!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. ताज़ा है अभी
    कुछ कदमों की आहट
    रेत के समुंदर में
    उड़ रही है चाहत
    वो चाँद है पूनम का
    या खुश्बू तेरे एहसास की
    waah,lajawab,ye ehsaas aur chahat ka afsana behad khubsurat raha.

    जवाब देंहटाएं
  12. या खुश्बू तेरे एहसास की
    जन्म-जन्मांतर की प्यास है
    या बात है इक रात की
    सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा

    बहुत खूबसूरत एहसास यहीतो है खुद मे खुद को जीना और महसूस करना जीवन को लाजवाब लिखते हैं आप बहुत बहुत शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  13. समुद्र के पार और झुरमुट की आड़ |यह तो हुआ आपका निवास | कोई आपसे बिछड़ कर रेत के पहाड़ से गुजरा है |उस बात को ज्यादा वक्त हुआ नहीं है यानी याद ताजा है उनके (बिछड़ने वाले ) के अहसास की खुशबू अभी वाकी है | यह मिलन की घटना जो कुछ दिन पूर्व हुई वह चाँद दिनों की बात थी या जन्म जन्मान्तर की बात थी यह निश्चय करने में समय लगेगा इसलिए फिलहाल तो जिस स्थिति में हैं जी लेते है फिर फुर्सत में सोचेंगे की यह मिलन की घटना क्या थी भाग्य ,जन्म जन्मान्तर का साथ ,या महज़ एक इत्तेफाक | इससे ज्यादा मेरी समझ में कुछ आ नहीं पा रहा है क्षमा करें

    जवाब देंहटाएं
  14. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  15. वो चाँद है पूनम का
    या खुश्बू तेरे एहसास की
    जन्म-जन्मांतर की प्यास है

    अत्यधिक सुन्दर भाव!
    बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  16. bahut sundar bhaav......कोई तो गुज़रा है
    इस रेत के पहाड़ से
    ताज़ा है अभी
    कुछ कदमों की आहट.....

    जवाब देंहटाएं
  17. अच्‍छे प्रयोग हैं कविता में । प्रेम के रस की चासनी में पगे हुए गुलाब जामुन की तरह है ये कविता जिसका रस धीरे धीरे आत्‍मा में उतरता है ।

    जवाब देंहटाएं
  18. कोई तो गुज़रा है
    इस रेत के पहाड़ से
    ताज़ा है अभी
    कुछ कदमों की आहट

    बहुत ही गहराई लिये शब्‍दों के साथ सुन्‍दर रचना बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  19. bahut hi bhavbhini, dil mein bahut gahre utarti huyi kavita hai .........aur kavita ka saar to aakhiri panktiyon mein aa gaya...........sach padhkar dil ko gahrayi tak choo gayi rachna.

    जवाब देंहटाएं
  20. "वो चाँद है पूनम का
    या खुश्बू तेरे एहसास की
    जन्म-जन्मांतर की प्यास है
    या बात है इक रात की
    सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा"
    प्रेम भरे भावों की सुन्दर प्रस्तुति...
    रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  21. 'वो चाँद है पूनम का
    या खुश्बू तेरे एहसास की
    जन्म-जन्मांतर की प्यास है
    या बात है इक रात की
    सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा '
    - वर्तमान को भरपूर जी लेने का यह जज्बा काबिले तारीफ़ है.

    जवाब देंहटाएं
  22. अभी तो जी लेने दो ये लम्हा ..lamho ko jee ke hi puri zindgee jee li jati hai...indeed a very gud poem...

    जवाब देंहटाएं
  23. महसूस किया है
    झुर्मुट की आड़ से
    पीले समुंद्र के उस पार से
    कोई तो गुज़रा है
    इस रेत के पहाड़ से
    आदरणीय दिगंबर जी ,
    बहुत ही सम्वेदनात्मक एवं भावनाप्रधान रचना के लिए
    बधाई स्वीकारें .
    पूनम

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत सुंदर लिखते हैं आप ,पढ़ कर मज़ा आ गया .शुभकामनायें स्वीकार करें

    जवाब देंहटाएं
  25. ताज़ा है अभी
    कुछ कदमों की आहट
    रेत के समुंदर में
    उड़ रही है चाहत
    वो चाँद है पूनम का
    या खुश्बू तेरे एहसास की

    दिगंबर जी .
    बहुत ख़ूबसूरत बिम्बों और कोमल शब्दों का इस्तेमाल आपकी रचनाओं में चार चाँद लगा देता है.
    हेमंत कुमार

    जवाब देंहटाएं
  26. वो चाँद है पूनम का
    या खुश्बू तेरे एहसास की
    जन्म-जन्मांतर की प्यास है
    या बात है इक रात की
    सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा

    bahut achchha likha hai aapne .badhai!!

    जवाब देंहटाएं
  27. अब इतने प्रबुद्ध लोगों के बाद कहने को शेष क्या रह गया,,,,सोचता हूँ, प्रेम-रस में डूबे इस अनूठे कवि से फिर मिलना कब होगा?

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत ही ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति के साथ आपने ये रचना लिखा है जो मुझे बहुत अच्छा लगा!

    जवाब देंहटाएं
  29. "अभी तो जी लेने दो ये लम्हा"
    इजाज़त है......................

    जवाब देंहटाएं
  30. या खुश्बू तेरे एहसास की
    जन्म-जन्मांतर की प्यास है
    या बात है इक रात की
    सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा

    wah gulzaar sa'ab ki nazm yaad ho aie...

    .....ye lamha filhaal ji lene do,

    जवाब देंहटाएं
  31. सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा
    वाह!!! पूरी कविता सिमट आयी अपनी खूबसूरती के साथ वाह!!

    जवाब देंहटाएं
  32. हार्दिक शुभ कामनाएं !
    अच्छा है अंदाज़े-बयाँ।

    जवाब देंहटाएं
  33. क्या कहा जा सकता है इस बारे में । कहीं से एक तरह की राय तो सुन ही नही पाता है । कैसा होगा आगे का समाज और कैसे होगे उसे आगे बढ़ानेवाले । उसे तो अब राखी सावंत जैसे लोग ही बता सकते है । समलैगिकता ने तो हंगामा ही खड़ा कर दिया है । क्या कहा जाये । अब तो लगता है कि खुदा ही बचा सकते है ।

    जवाब देंहटाएं
  34. सोच लेंगे कभी फ़ुर्सत में
    अभी तो जी लेने दो ये लम्हा
    ye pankitiyan nahi yatharth hai..
    lajwaab..

    जवाब देंहटाएं
  35. बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है