उग आये हैं
समय की नागफनी पर
याद के कांटे
नोचने के अनवरत प्रयास में
चुभता हैं दंश
बीती बातों का
पूनम की रातों का
गुज़रे मधुमास का
अनबुझी प्यास का
लहुलुहान हाथों के
रिस्ते खून के साथ
बहा देना चाहता हूँ
तेरी यादों का जंगल
हमेशा हमेशा के लिए
पर ये नागफनी
सूख कर गिरती भी तो नहीं
पर ये नागफनी
जवाब देंहटाएंसूख कर गिरती भी तो नहीं
बहुत खूब !
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकभी कभी यादे गुल्मोहर के लाल टेस फुलो की राह है तो कभी कभी यह नागफनी की कांटो भरा सफर भी होता है ............मैने जब से आपको पढा है वह सिर्फ गुलमोहर के राह थे पर आज इन काटो वाली सफर ने तो मेरे भी दर्द को हरा कर गया ...........वाह बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति .........
जवाब देंहटाएंपूनम की रातों का
गुज़रे मधुमास का
अनबुझी प्यास का
लहुलुहान हाथों के
रिस्ते खून के साथ
बहा देना चाहता हूँ
तेरी यादों का जंगल
हमेशा हमेशा के लिए
पर ये नागफनी
सूख कर गिरती भी तो नहीं
इन पंक्तियो मे जो प्यास और दर्द का सैलाब है एक एक शब्द से रिसरहा है दर्द ........और क्या कहे.........
ओम आर्य
पर ये नागफनी
जवाब देंहटाएंसूख कर गिरती भी तो नहीं
सूख कर गिरने न दे इन यादो को ये तो फिर से पत्तियो की शक्ल लेने वाले है.
बेहतरीन रचना
Kavita main jis bimb ka prayog kiya hai wah dhyan khinchta hai.Shubkamnayen.
जवाब देंहटाएंयाद के कांटे
जवाब देंहटाएंनोचने के अनवरत प्रयास में
चुभता हैं दंश
बीती बातों का
पूनम की रातों का
गुज़रे मधुमास का
अनबुझी प्यास का
" यादे सच मे कांटे ही तो होती हैं , जो समय के साथ साथ और भी गहरे तक चुभती चली जाती हैं......यादो की टीस का भवनात्मक चित्रण....सुंदर "
regards
जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
उत्तम अति उत्तम
जवाब देंहटाएंpurani yaad aur naagfani..dono ka sanyog bahut badhiya darshaya aapne.
जवाब देंहटाएंbhavpurn kavita ...
बहुत गहरी और मार्मिक रचना. वाकई यादें ऐसी ही तो होती हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
रिस्ते खून के साथ
जवाब देंहटाएंबहा देना चाहता हूँ
तेरी यादों का जंगल
हमेशा हमेशा के लिए
पर ये नागफनी
सूख कर गिरती भी तो नहीं
ye yaadein hai,chaho bhi picha nahi chuda sakte inse,gehre bhav bahut sunder badhai.
यादों का गुलाब हो तो सूख भी जाए ,यादों की नागफनी तो रेगिस्तान में भी नहीं सूखती
जवाब देंहटाएंमेरी रिसर्च का युद्ध स्तर पर प्रचार कैसे हो ,आप भी योगदान करें .
bahut umda rachna digambar ji, achcha laga.
जवाब देंहटाएंयादें बस यादें रह जाती हैं
जवाब देंहटाएंकुछ कांटे कुछ फूल
बहुत ही अच्छी रचना.भावपूर्ण. आभार
जवाब देंहटाएंत अच्छा लिखा है |
जवाब देंहटाएंपर ये नागफनी , सूख कर गिरती भी तो नहीं |
सारी कोशिशें बेकार हैं, मृत्यु ही इस नागफनी को मारती है |
बहुत खूब , वाह वाह क्या खूब लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना
उग आये हैं
जवाब देंहटाएंसमय की नागफनी पर
याद के कांटे
नोचने के अनवरत प्रयास में
चुभता हैं दंश
बीती बातों का
पूनम की रातों का
गुज़रे मधुमास का
अनबुझी प्यास का
बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति है कुछ यादें ऐसी ही होती हैं जो कभी नहीं भूलती और हमेशा मन मे चुभती रहती हैरादमी कितना कहे बहा देने को मगर बहा भी नहीं सकता
पर ये नागफनी
सूख कर गिरती भी तो नहीं लाजवाब रचना शुभकामनायें
विरह बेदना का सजीब चित्रण
जवाब देंहटाएंयाद के कांटे
जवाब देंहटाएंनोचने के अनवरत प्रयास में
चुभता हैं दंश
बीती बातों का
पूनम की रातों का
गुज़रे मधुमास का
अनबुझी प्यास का
बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति!!!
लाजवाब रचना!
पर ये नागफनी
जवाब देंहटाएंसूख कर गिरती भी तो नहीं
बहुत खूब,
क्या बात है
एक निवेदन है कृपया ब्लॉग का टेम्पलेट बदल दीजिये या रंग संयोजन को बदल दीजिये और हलके रंग का प्रयोग करिए
वीनस केसरी
तेरी यादों का जंगल
जवाब देंहटाएंहमेशा हमेशा के लिए
पर ये नागफनी
सूख कर गिरती भी तो नहीं
अति सुन्दर अभिव्यक्ति, शुभकामनाये.
अत्यन्त सुंदर! श्री कृष्ण जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंagar sukhakar gir gai to madhumas kaise khlayegi ....
जवाब देंहटाएंachhi rchna
रिस्ते खून के साथ
जवाब देंहटाएंबहा देना चाहता हूँ
तेरी यादों का जंगल
हमेशा हमेशा के लिए
iske sivay koi doosara upay bhi to nahin bhai.badhai!
सुंदर भावाभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंwo yaadein hi kya jo yaad na rahein
जवाब देंहटाएंjinki kasak dil ke sath subah shaam na rahe
aisi hoti hain yaadein..........phir inki nagfani kaise sukhegi aur kaise giregi.
lajawaab.......behtreen.........bahut hi marmik prastuti.
naagfani ko bhi prakarti ne shayad insaano ki rachnao ke liye banaya he..bahut sundar tarike se isaka upayog kiya aapne/
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
जवाब देंहटाएं----
INDIAN DEITIES
इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
समय की नागफनी अजर अमर है.साये की तरह आपके साथ लगी रहेगी.
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .
जवाब देंहटाएंएक बीज,
जवाब देंहटाएंऊपर आने के लिए,
कुछ नीचे गया ,
ज़मीन के .
कस के पकड़ ली मिटटी ,
ताकि मिट्टी छोड़ उड़ सके .
६३ बरसा हुए आज उसे ….
…मिट्टी से कट के कौन उड़ा ,
देर तक ?
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
उग आये हैं
जवाब देंहटाएंसमय की नागफनी पर
याद के कांटे....
...digambar ji maine pehle bhi kaha that ki aapki kavitaien padh kar hatprabh ho jaata ho...
...kya comment doon kya comment doon ...
soch ke fir wapis laut aata hoon...
...jo pratikaatmak kavita ka nirvahan aap karte hain wo aaj ke daur main dekhne ko kum hi milta hai...
aapse zayada mujhe aapse milne ki abhilasha hai...
hardik badhai.
'पर ये नागफनी
जवाब देंहटाएंसूख कर गिरती भी तो नहीं '
बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति है.
कसक लिए हुए है आज की रचना!
आपकी किसी भी रचना पे टिप्पणी देनेकी क़ाबिलियत नही रखती ..
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की मुबारक बाद देने आयी हूँ !
'मेरी जान रहे न रहे ,
मेरी माता के सरपे ताज रहे !"
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंपर ये नागफनी
जवाब देंहटाएंसूख कर गिरती भी तो नहीं
सूख कर गिरने न दे इन यादो को ये तो फिर से पत्तियो की शक्ल लेने वाले है.
बेहतरीन रचना
पर ये नागफनी
जवाब देंहटाएंसूख कर गिरती भी तो नहीं
सूख कर गिरने न दे इन यादो को ये तो फिर से पत्तियो की शक्ल लेने वाले है.
बेहतरीन रचना
नागफनी तो रेगिस्तान का पौधा है....
जवाब देंहटाएंसूखे में जिन्दा रहता है... फिर यादों की बारिश में कैसे सूखेगा?
पनपने दीजिये....
रुत बदल दे !
जवाब देंहटाएंपार कर दे हर सरहद जो दिलों में ला रही दूरियाँ ,
इन्सानसे इंसान तक़सीम हो ,खुदाने कब चाहा ?
लौट के आयेंगी बहारें ,जायेगी ये खिज़ा,
रुत बदल के देख, गर, चाहती है फूलना!
मुश्किल है बड़ा,नही काम ये आसाँ,
दूर सही,जानिबे मंजिल, क़दम तो बढ़ा!
Swatantrata diwas ke awasarpe ek adnaa-see bhent sweekar karen!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
पर ये नागफनी
जवाब देंहटाएंसूख कर गिरती भी तो नहीं
और खुद-ब-खुद गिरेगी भी नहीं.
हमें उठाना होगा, मज़बूत बनना होगा और जड़ से उखड कर जलना होगा तभी शायद ............
क्या खूब दिग्मबर जी...आजकल तो कयामत बरसा रहे हैं आप इन छंदमुक्तों में!!!
जवाब देंहटाएंAapke shbd evan bimb prayog sadaiv hi mujhe mgdh aur vismit kiya karte hain....aur BHAAV...wo to bas ...ho hi nahi sakta ki man ko baandh na len..
जवाब देंहटाएंAise hi likhte rahen...meri anant shubhkamnayen.
....लहुलुहान हाथों के
जवाब देंहटाएंरिस्ते खून के साथ
बहा देना चाहता हूँ
तेरी यादों का जंगल
हमेशा हमेशा के लिए ....
बहुत सुन्दर भाव उकेरा है आप ने दिगंबर जी.
.लहुलुहान हाथों के
जवाब देंहटाएंरिस्ते खून के साथ
बहा देना चाहता हूँ
तेरी यादों का जंगल
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति आभार्
digambar ji ,
जवाब देंहटाएंnamaskar
naagfani to chahe yadon ke hon ya samay ke sabhi peeda dete hain .
sundar rachna hai .
renu
पर ये नागफनी
जवाब देंहटाएंसूख कर गिरती भी तो नहीं
यादों से दूर जाना
हमेशा से ही नामुमकिन रहा है ....
यादें सताती हैं ,,तो सहारा भी देती हैं
तलत साहब ने कभी गाया था ....
"तेरी याद का दीपक जलता है
दिन रात मेरे वीराने में ......"
खैर !
बहुत अच्छी रचना कही है आपने
दिल में कहीं
गहरे उतर जाने वाला प्रभाव ...
---मुफलिस---
ati sundar .shabd hi itne khoobsurat hai ki achchhe na hone ka sawal hi nahi .aap to behtrin likhate hai .jai hind .
जवाब देंहटाएंyado ke jangal se chhutkara pana etna bhi aasan nahi,google me search karke har swaal ka jwaab mil jata hai,par eska nahi hai.....aap boht hi achha likhte hai....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना। बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंkesri ji ki baat se sahmat ...rang sanyojan badle abhaar
जवाब देंहटाएंयादों की नागफनियां बहुत तकलीफदेती हैं।
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
achcha likha hai.;
जवाब देंहटाएंवाह ये हुई न बात अब आपका ब्लॉग आखों को भा रहा है
जवाब देंहटाएंमेरे निवेदन को स्वीकारने और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद
वीनस केसरी
बेहतरीन नज़्म के लिये बधाई.....
जवाब देंहटाएंअक्सर पढ़ी हुई रचनाएँ बार,बार पढने आ जाती हूँ..हर बार कुछ नया अर्थ मिल जाता है..और डूबती चली जाती हूँ..
जवाब देंहटाएंसादर
मोर फिर नाचा नहीं न प्यास धरती की बुझी
जवाब देंहटाएंझूम कर बादल मगर इतरा रहा बौछार पर
दिगंबर जी ,
बहुत ही भावनात्मक पंक्तियाँ ......सम्वेदनाएँ और यथार्थ दोनों का अद्भुत संगम ....बधाई.
पूनम
उग आये हैं
जवाब देंहटाएंसमय की नागफनी पर
याद के कांटे
नोचने के अनवरत प्रयास में
चुभता हैं दंश
बीती बातों का
bahut khoob
बहुत सुन्दर रचना है...
जवाब देंहटाएंबहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.
जवाब देंहटाएंdard ko khoobsurat alfaaz diye hain...seedhe dil se nikali baat...bahut sundar rachna hai...badhai
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंdard bhare sare sabdo ka anootha sangam