दुबई से कोसों मील दूर अमेरिका के एक छोटे से शहर अल पेसो की छिटकी हुए धुप में होटल के कमरे में बैठे कुछ शब्द मन के आँगन में घुमड़ने लगे हैं ..... कोशिश कर के कागज़ के पन्नों में उतार दिया है उन शब्दों को ........ अब आपके सामने अभिव्यक्त कर रहा हूँ ..........
१)
हवा में अटके कुछ शब्द
बोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं ......
२)
कुछ कह भि लिया
कुछ सुन भि लिया
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भि लिया ........
३)
हवा में तैरते कुछ शब्द
अर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
कुछ कह भी लिया
जवाब देंहटाएंकुछ सुन भी लिया
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भी लिया....
-पहाड़ और नदी देखो खिड़की से झांककर...और अएसे ही दर्जनों शब्द सांकल बजायेंगे. बेहतरीन!!
अजी बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने, बहुत सुंदर लगी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
wah
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
अर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
teenon rachnayen anmol shabd.
व्यक्त होने से पहले
जवाब देंहटाएंदिवंगत हो जाते हैं ......
अभिव्यक्ति की यही कहानी है
बहुत खूब
हवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए
waah shabdon ki mohak abhivyakti.teeno rachnaye gazab hai.bahut sunder.
कुछ कह भि लिया
जवाब देंहटाएंकुछ सुन भि लिया
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भि लिया ........
atyant sundar naasawaa jee aabhaar aapkaa
Rachna itnee sundar hai ki, har doosaree rachna ise nirakh royegee ..
जवाब देंहटाएंhttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
अभिव्यक्ति की सांकल
जवाब देंहटाएंहौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं ......
बहुत सुंदर कविता... बहुत सुंदर लगी.
शब्द,सच मे एक एक शब्द बोल रहा है।बहुत सुंदर, ताज़ी हवा के झोंके सा सुकून मिला है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नासवा जी, ऐसे ही महौल मे शब्द टपकते जाते हैं. उनको इकट्ठा कर लिजिये हम इंतजार कर रहे हैं. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
padhkar aanand aa gaya ji
जवाब देंहटाएं"व्यक्त होने से पहले
जवाब देंहटाएंदिवंगत हो जाते हैं ......"
digambaar sa'ab Amar ho gaye shabd...
divangat hone se pehle....
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भि लिया ........
wakai main abhivyakti, baat bhashaoon mataroon shabdon ke bandhan se pare hai....
....bus ek anant maun !!
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
koi kavita nahi , na koi geet....
...bus tera naam mukammil hai...
बहुत सुन्दर भाव । उम्दा रचना । आभार
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
शब्दों का अभिव्यक्त होना ही पूर्णता है .बहुत सुन्दर भाव लगे हर शब्द के ..शुक्रिया
teeno hi para mein shabdon ki bangi lajawaab hai............aapki abhivyakti ne to hamein maun kar diya.
जवाब देंहटाएंshabd ki bahut sundar abhivyakti.......badhai
जवाब देंहटाएंविचार और भावनाओं की बेहतरीन अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंये चार-चार लाइन दिल लेते है लाइनें बार बार गुनगुनाने का मान करता है..
बहुत सुंदर रचना..धन्यवाद!!!
abhivykti bhut hi anuthe dhang se prstut kiya aapne .
जवाब देंहटाएंabhar
'अभिव्यक्ति की सांकल
जवाब देंहटाएंहौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं '
वाह !बहुत सुंदर!
पहली और तीसरी कघु कविता बहुत ही अच्छी लगीं.
बस खिड़की से ऐसे ही शब्दों को आने दिजीये!संयोजन होता चला जायेगा.संग्रह करते जाएँ!
कविता अच्छी है, पर यह भी ठीक कर कर लें तो बेहतर होगा... अटपटा सा लगता है...
जवाब देंहटाएंशब्द और अभिव्यक्ति की दर्द को आपने खूब उकेरा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंदशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामना
कुछ कह भी लिया
जवाब देंहटाएंकुछ सुन भी लिया
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भी लिया ........
वाह्! बहुत ही सुन्दर भाव अभिव्यक्ति.....
कविता सचमुच बहुत ही अच्छी लगी!!!
एक कविता ऐसी कविता की ही जुबानी.......वाह क्या अभिव्यक्ति है जिसमे हर ख्वाहिश किस तरह से अभिव्यक्त होना चाहती है .........बडी ही सुक्ष्मता से कह डाली है आपने ......बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंगूंगे शब्दों की भाषा और अभिव्यक्ति का मौन \अर्थ के दरवाज़े से खाली लौट जाते हैं और अर्थ की निरंतर तलाश में होंठ छूकर अभिव्यक्त हो गए , पहले अभिव्यक्ति की सांकल खटखटाई थी \कह भी लिया ,सुन भी लिया और चुन भी लिया , व्यक्त होने से पहले दिवंगत हो जाना |तीनो छंद सुंदर
जवाब देंहटाएंहायकू अभियक्ति . शब्द को इतने सुंदर रूप में पिरोना कमाल है .
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
bahut hi sundar bhai !!!
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंकुछ कह भी लिया
जवाब देंहटाएंकुछ सुन भी लिया
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भी लिया....
kahe bhi to kahe kya ,sundarata aap hi vyakt ho rahi hai .umda happy dashhara .
Abhiwaykyaan aisee jo athaah gahree hain..
जवाब देंहटाएंAnek shubh kamnayen!
घर से दूर होटल के कमरे में अकेले।इतनी सुंदर कविता तो उतरेगी ही!शानदार कविता बधाई
जवाब देंहटाएं"कुछ कह भी लिया
जवाब देंहटाएंकुछ सुन भी लिया"
विजयादशमी की शुभकामनायें!
shukria;
जवाब देंहटाएंshabd...bahut priya lage.
अभिव्यक्ति की सांकल
जवाब देंहटाएंहौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं ......
हाँ ऐसी ही होती हैं कुछ अमर कवितायें ज्प कभी सुनी नहीं जाती कही नहीम जाती और जन्म लेने से पहले ही रचयिता की कोख मे दम तोड देती हैं
हवा में तैरते कुछ शब्द
अर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
लाजवाब अभिव्यक्ति और कुछ शब्द बिना कहे भी बहुत कुछ कह जाते हैं आपकी रचना हमेशा ही लाजवाब होती है बधाई
अभिव्यक्ति की सांकल
जवाब देंहटाएंहौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार
हवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं !
बहुत सुंदर रचना !और सुंदर रचना प्रक्रिया !
सतत् आभार !दिगम्बर जी बहुत दिनों से
मेरे ब्लॉग पर नही आये !कीजे पगफेरा !
व्यक्त होने से पहले
जवाब देंहटाएंदिवंगत हो जाते हैं ......
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भि लिया ........
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
सभी कविताये बहुत सुन्दर. शायद बद्जिया माहौल का अनुकूल असर
हार्दिक आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
गागर में सागर इसे ही कहते हैं।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अभिव्यक्ति का ये अंदाज भी खूब लगा !
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए .
bahut achchi abhivayakti
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भि लिया ..
bahut sunder dhang se kaha hai
bahut lajawaab ...sab kuchh kah diya waah janaab
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति की इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद.
जवाब देंहटाएंहवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं.....
अच्छी नज्म.... दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
क्षणिकाएं नहीं, शब्द चित्र कहना चाहिए इन्हें. कागज़ पे कलेजा निकाल देने वाली कहावत को आपने जीवंत कर दिया.
जवाब देंहटाएंकुछ कह भि लिया
जवाब देंहटाएंकुछ सुन भि लिया
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भि लिया ........
bahut khoob likha hai.
wah digambarji, bs yahi to chaahiye ek madmast rachna me/ aapke is andaaz ka me to deevana hu/ shbdo ko jis dhhang se aap komal banaate he aour use vaakya me pirote he , laazavaab he/
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
अर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
jabardast.../ ye he bhaav/ gahraai/ shbdo ka sakaar hona/ laazavaab/
mugdh hu me/
wah digambarji, bs yahi to chaahiye ek madmast rachna me/ aapke is andaaz ka me to deevana hu/ shbdo ko jis dhhang se aap komal banaate he aour use vaakya me pirote he , laazavaab he/
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
अर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
jabardast.../ ye he bhaav/ gahraai/ shbdo ka sakaar hona/ laazavaab/
mugdh hu me/
vakai bahut khub kaha hai aapane.
जवाब देंहटाएंdil ko chhoo gayee aapaki abhivyakti.
हवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........ shabdo ko manzil mil gyee to arth bhi mil gye warna bhatkate rahte sadio inhi fijao me...kavita abhivayakat ho gyee...
हवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ..
Amazing.......
हवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
digambhar ji , sabse pahle to mai deri se aane ke liye maafi chahunga .
aapki kavita ke is paragraph ne mujhe nishabd kar diya hai ... sochta hoon is para par ek prem kavita likh doon ..
mere paas shabd nahi is abhivyakti ke liye jo ki bahut kuch kahe ja rahi hai ..
mera salaam aapko ..
dhanywad..
मैंने मृत्यु पर एक कविता लिखी है , Please visit this link :
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/09/blog-post_18.html
हमेशा की तरह आपका प्यार और आर्शीवाद चाहिए !
धन्यवाद
आपका
विजय
हैदराबाद
09849746500
व्यक्त होने से पहले
जवाब देंहटाएंदिवंगत हो जाते हैं ......
सही कहा आपने !
बड़ी सुन्दरता और सहजता से इतनी कम पंक्तियों में आपने उन शब्दों को भी अभिव्यक्त कर दिया ....
हवा में तैरते कुछ शब्द
अर्थ की निरंतर तलाश में
बेहतरीन अभिव्यक्ति ...
हवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं ......
shayad hamare likhne ka karan bhee yahee hai ki ham likhe bagair nahin rah sakte.
achhaa laga
इसीलिए शब्द को ब्रम्ह कहा गया है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
क्या बात है जनाब क्या बात है ,. आधी खुली खिड़की से छनती हुई रोशनी कमाल की बात है हर जगह ... आपके तीनो ही रचनाएँ एक से बढ़ के एक ... हलाकि ये रूप पहली दफा देखा मगर बहुत भाए बहुत पसंद आये ...बहुत बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंअर्श
वाह बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई आपकी ये रचना! इस शानदार और बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन, बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए .......
wah ........kitni sunder abhivyakti hai....
हवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं ......
बेहतरीन अभीव्यक्ती ......
तीनों ही रचनायें ----बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी--
जवाब देंहटाएंपूनम
हमेशा की तरह मन को मुग्ध करती, अद्वितीय रचना......वाह वाह वाह !!!!
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया पढ़कर....
शुक्र है,शब्दों को jhat कागज पर उतार आपने उन्हें दिवंगत होने से बचा लिया...
हवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं ......
एक बेहतरीन रचना प्रस्तुत की आपने …हार्दिक बधाई।
हेमन्त कुमार
dilli aa rahe ho na?
जवाब देंहटाएंabki baar koi bahana nahi chalne waala...
जवाब देंहटाएं...aur bahut samay ho gaya kuch naya falsafa gadhe?
Aap ke blog ka aanad uthatee rahtee hun..padhee rachnaye. baar baar padhtee hun...chand alfaaz aur samandar se gahere bhaav...!
जवाब देंहटाएंThaah nahee lagta...!Jitnee saralta-se kahte hain, mere jaisee adnaa-see wyakti hairaan ho jatee hai!
Maaf karen, transliteration me kuchh samasya lag rahee hai..
vआपकी रचनाये बहुत पसंद आती है ,वतन लौट कर आपका ब्लॉग खोला ,छोटे शब्द गहरे भावः बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंAnubhutiyon ko shabdon me dhalana bahut mushkil hai,lekin yah shabd hi hain jo hamare band kapaton ko kholta hain.Tino hi padbandh utkrist hain.Badhai.
जवाब देंहटाएंदिगम्बर जी,
जवाब देंहटाएंमौन में गूंजती हुई कविता
शब्दों को परिभाषित करते हुये
दिल छू जाते हैं
बहुत ही सुन्दर भाव।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
इन छोटी छोटी क्षणिकाओं में भी आपने बहुत बडी बडी बातें कह दी हैं।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
यह गूंगो की मौन सभा है
जवाब देंहटाएंयहाँ न कुछ समझाना जी .
हवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
सुन्दर भाव
हवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं.....samvedanshil abhivyakti
arth ki talash main kuchh shabd ,
जवाब देंहटाएंsparsh matr se arth ukt ho gaye ,
bahut khoob
हवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं .
भाई,मुद्दत के बाद, यहाँ आकर पता चला कि कविता तो आजकल आपके यहाँ उतरी है.
अप्रतिम अभिव्यक्ति के लिये आपको बहुत-बहुत बधाई.
माफ करियेगा पिछली कुछ पोस्टपर टिप्पणी नहीं दे पाया लेकिन पढी ज़रूर.
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
अर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए.
अच्छी पंक्तियां हैं और पिछली ग़ज़ल बहुत अच्छी थी ख़ासकर ये शेर-
फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा
दोनों रचनाओं के लिये बधाई
कहाँ गये दिगम्बर साहब..बोलने को छटपटाते कुछ नये शब्दों के लिये कब अभिव्यक्ति की साँकल खोलेंगे अब..हम भी मुन्तज़िर हैं अब तो..
जवाब देंहटाएंप्यार, मौन और शब्द पर बहुत सुन्दर क्षणिकाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे अर्थ लिए हुए ..बधाई
हवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
अति सुन्दर भाव नास्वा साहब , मैं जान्त्रा हूँ कि अमेरिका में आपको काफी अच्छी-अच्छी चीजे मिली होंगी !
हवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए .......
poori kavita hi bahut hi jyada sundar hai...
lekin ye panktiyaan to kamal hain bas..
Digambar ji,comment pahel kar chuki hun---wishes dene aayi hun--
जवाब देंहटाएंआप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
Alpana and family
बढ़िया रचना..दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंहवा में तैरते कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........
बहुत शानदार ....................बधाई
हवा में अटके कुछ शब्द
जवाब देंहटाएंबोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
bahut achha.......... sabdon ko अभिव्यक्ति jaldi mil jani chahiye.