स्वप्न मेरे: शब्द .....

शनिवार, 26 सितंबर 2009

शब्द .....

दुबई से कोसों मील दूर अमेरिका के एक छोटे से शहर अल पेसो की छिटकी हुए धुप में होटल के कमरे में बैठे कुछ शब्द मन के आँगन में घुमड़ने लगे हैं ..... कोशिश कर के कागज़ के पन्नों में उतार दिया है उन शब्दों को ........ अब आपके सामने अभिव्यक्त कर रहा हूँ ..........

१)
हवा में अटके कुछ शब्द
बोलने को छटपटाते हैं
अभिव्यक्ति की सांकल
हौले से खटखटाते हैं
अर्थ के दरवाज़े से
खाली हाथ लौट आते हैं
व्यक्त होने से पहले
दिवंगत हो जाते हैं ......

२)
कुछ कह भि लिया
कुछ सुन भि लिया
गूंगे शब्दों की भाषा को
अभिव्यक्ति के मौन ने
चुन भि लिया ........

३)
हवा में तैरते कुछ शब्द
अर्थ की निरंतर तलाश में
तेरे होठ छू कर
अभिव्यक्त हो गए ........

83 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ कह भी लिया
    कुछ सुन भी लिया
    गूंगे शब्दों की भाषा को
    अभिव्यक्ति के मौन ने
    चुन भी लिया....


    -पहाड़ और नदी देखो खिड़की से झांककर...और अएसे ही दर्जनों शब्द सांकल बजायेंगे. बेहतरीन!!

    जवाब देंहटाएं
  2. अजी बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने, बहुत सुंदर लगी.

    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. wah
    हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........

    teenon rachnayen anmol shabd.

    जवाब देंहटाएं
  4. व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......
    अभिव्यक्ति की यही कहानी है
    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  5. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए
    waah shabdon ki mohak abhivyakti.teeno rachnaye gazab hai.bahut sunder.

    जवाब देंहटाएं
  6. कुछ कह भि लिया
    कुछ सुन भि लिया
    गूंगे शब्दों की भाषा को
    अभिव्यक्ति के मौन ने
    चुन भि लिया ........

    atyant sundar naasawaa jee aabhaar aapkaa

    जवाब देंहटाएं
  7. Rachna itnee sundar hai ki, har doosaree rachna ise nirakh royegee ..

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  8. अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं
    व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......

    बहुत सुंदर कविता... बहुत सुंदर लगी.

    जवाब देंहटाएं
  9. शब्द,सच मे एक एक शब्द बोल रहा है।बहुत सुंदर, ताज़ी हवा के झोंके सा सुकून मिला है।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर नासवा जी, ऐसे ही महौल मे शब्द टपकते जाते हैं. उनको इकट्ठा कर लिजिये हम इंतजार कर रहे हैं. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  11. "व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......"

    digambaar sa'ab Amar ho gaye shabd...
    divangat hone se pehle....

    अभिव्यक्ति के मौन ने
    चुन भि लिया ........
    wakai main abhivyakti, baat bhashaoon mataroon shabdon ke bandhan se pare hai....

    ....bus ek anant maun !!


    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........
    koi kavita nahi , na koi geet....
    ...bus tera naam mukammil hai...

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर भाव । उम्दा रचना । आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........

    शब्दों का अभिव्यक्त होना ही पूर्णता है .बहुत सुन्दर भाव लगे हर शब्द के ..शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  14. teeno hi para mein shabdon ki bangi lajawaab hai............aapki abhivyakti ne to hamein maun kar diya.

    जवाब देंहटाएं
  15. विचार और भावनाओं की बेहतरीन अभिव्यक्ति..
    ये चार-चार लाइन दिल लेते है लाइनें बार बार गुनगुनाने का मान करता है..
    बहुत सुंदर रचना..धन्यवाद!!!

    जवाब देंहटाएं
  16. 'अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं '

    वाह !बहुत सुंदर!
    पहली और तीसरी कघु कविता बहुत ही अच्छी लगीं.
    बस खिड़की से ऐसे ही शब्दों को आने दिजीये!संयोजन होता चला जायेगा.संग्रह करते जाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  17. कविता अच्छी है, पर यह भी ठीक कर कर लें तो बेहतर होगा... अटपटा सा लगता है...

    जवाब देंहटाएं
  18. शब्द और अभिव्यक्ति की दर्द को आपने खूब उकेरा है।

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत सुंदर कविता
    दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  20. कुछ कह भी लिया
    कुछ सुन भी लिया
    गूंगे शब्दों की भाषा को
    अभिव्यक्ति के मौन ने
    चुन भी लिया ........

    वाह्! बहुत ही सुन्दर भाव अभिव्यक्ति.....
    कविता सचमुच बहुत ही अच्छी लगी!!!

    जवाब देंहटाएं
  21. एक कविता ऐसी कविता की ही जुबानी.......वाह क्या अभिव्यक्ति है जिसमे हर ख्वाहिश किस तरह से अभिव्यक्त होना चाहती है .........बडी ही सुक्ष्मता से कह डाली है आपने ......बहुत बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  22. गूंगे शब्दों की भाषा और अभिव्यक्ति का मौन \अर्थ के दरवाज़े से खाली लौट जाते हैं और अर्थ की निरंतर तलाश में होंठ छूकर अभिव्यक्त हो गए , पहले अभिव्यक्ति की सांकल खटखटाई थी \कह भी लिया ,सुन भी लिया और चुन भी लिया , व्यक्त होने से पहले दिवंगत हो जाना |तीनो छंद सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  23. हायकू अभियक्ति . शब्द को इतने सुंदर रूप में पिरोना कमाल है .

    जवाब देंहटाएं
  24. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........

    bahut hi sundar bhai !!!

    जवाब देंहटाएं
  25. इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  26. कुछ कह भी लिया
    कुछ सुन भी लिया
    गूंगे शब्दों की भाषा को
    अभिव्यक्ति के मौन ने
    चुन भी लिया....
    kahe bhi to kahe kya ,sundarata aap hi vyakt ho rahi hai .umda happy dashhara .

    जवाब देंहटाएं
  27. घर से दूर होटल के कमरे में अकेले।इतनी सुंदर कविता तो उतरेगी ही!शानदार कविता बधाई

    जवाब देंहटाएं
  28. "कुछ कह भी लिया
    कुछ सुन भी लिया"

    विजयादशमी की शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  29. अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं
    व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......
    हाँ ऐसी ही होती हैं कुछ अमर कवितायें ज्प कभी सुनी नहीं जाती कही नहीम जाती और जन्म लेने से पहले ही रचयिता की कोख मे दम तोड देती हैं

    हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........
    लाजवाब अभिव्यक्ति और कुछ शब्द बिना कहे भी बहुत कुछ कह जाते हैं आपकी रचना हमेशा ही लाजवाब होती है बधाई

    जवाब देंहटाएं
  30. अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं
    व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं

    बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति, आभार

    जवाब देंहटाएं
  31. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं
    अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं !
    बहुत सुंदर रचना !और सुंदर रचना प्रक्रिया !
    सतत् आभार !दिगम्बर जी बहुत दिनों से
    मेरे ब्लॉग पर नही आये !कीजे पगफेरा !

    जवाब देंहटाएं
  32. व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......

    गूंगे शब्दों की भाषा को
    अभिव्यक्ति के मौन ने
    चुन भि लिया ........

    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........

    सभी कविताये बहुत सुन्दर. शायद बद्जिया माहौल का अनुकूल असर

    हार्दिक आभार.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  33. अभिव्यक्ति का ये अंदाज भी खूब लगा !

    जवाब देंहटाएं
  34. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए .

    bahut achchi abhivayakti

    गूंगे शब्दों की भाषा को
    अभिव्यक्ति के मौन ने
    चुन भि लिया ..

    bahut sunder dhang se kaha hai

    जवाब देंहटाएं
  35. अभिव्यक्ति की इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
  36. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं.....
    अच्छी नज्म.... दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  37. क्षणिकाएं नहीं, शब्द चित्र कहना चाहिए इन्हें. कागज़ पे कलेजा निकाल देने वाली कहावत को आपने जीवंत कर दिया.

    जवाब देंहटाएं
  38. कुछ कह भि लिया
    कुछ सुन भि लिया
    गूंगे शब्दों की भाषा को
    अभिव्यक्ति के मौन ने
    चुन भि लिया ........

    bahut khoob likha hai.

    जवाब देंहटाएं
  39. wah digambarji, bs yahi to chaahiye ek madmast rachna me/ aapke is andaaz ka me to deevana hu/ shbdo ko jis dhhang se aap komal banaate he aour use vaakya me pirote he , laazavaab he/
    हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........
    jabardast.../ ye he bhaav/ gahraai/ shbdo ka sakaar hona/ laazavaab/
    mugdh hu me/

    जवाब देंहटाएं
  40. wah digambarji, bs yahi to chaahiye ek madmast rachna me/ aapke is andaaz ka me to deevana hu/ shbdo ko jis dhhang se aap komal banaate he aour use vaakya me pirote he , laazavaab he/
    हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........
    jabardast.../ ye he bhaav/ gahraai/ shbdo ka sakaar hona/ laazavaab/
    mugdh hu me/

    जवाब देंहटाएं
  41. vakai bahut khub kaha hai aapane.
    dil ko chhoo gayee aapaki abhivyakti.

    जवाब देंहटाएं
  42. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........ shabdo ko manzil mil gyee to arth bhi mil gye warna bhatkate rahte sadio inhi fijao me...kavita abhivayakat ho gyee...

    जवाब देंहटाएं
  43. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ..

    Amazing.......

    जवाब देंहटाएं
  44. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........

    digambhar ji , sabse pahle to mai deri se aane ke liye maafi chahunga .

    aapki kavita ke is paragraph ne mujhe nishabd kar diya hai ... sochta hoon is para par ek prem kavita likh doon ..
    mere paas shabd nahi is abhivyakti ke liye jo ki bahut kuch kahe ja rahi hai ..

    mera salaam aapko ..

    dhanywad..

    मैंने मृत्यु पर एक कविता लिखी है , Please visit this link :

    http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/09/blog-post_18.html


    हमेशा की तरह आपका प्यार और आर्शीवाद चाहिए !

    धन्यवाद

    आपका
    विजय
    हैदराबाद
    09849746500

    जवाब देंहटाएं
  45. व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......

    सही कहा आपने !
    बड़ी सुन्दरता और सहजता से इतनी कम पंक्तियों में आपने उन शब्दों को भी अभिव्यक्त कर दिया ....
    हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में

    बेहतरीन अभिव्यक्ति ...

    जवाब देंहटाएं
  46. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं
    अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं
    व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......


    shayad hamare likhne ka karan bhee yahee hai ki ham likhe bagair nahin rah sakte.

    achhaa laga

    जवाब देंहटाएं
  47. क्या बात है जनाब क्या बात है ,. आधी खुली खिड़की से छनती हुई रोशनी कमाल की बात है हर जगह ... आपके तीनो ही रचनाएँ एक से बढ़ के एक ... हलाकि ये रूप पहली दफा देखा मगर बहुत भाए बहुत पसंद आये ...बहुत बहुत बधाई आपको

    अर्श

    जवाब देंहटाएं
  48. वाह बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई आपकी ये रचना! इस शानदार और बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

    जवाब देंहटाएं
  49. बेहतरीन, बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  50. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए .......


    wah ........kitni sunder abhivyakti hai....

    जवाब देंहटाएं
  51. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं
    अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं
    व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......

    बेहतरीन अभीव्यक्ती ......

    जवाब देंहटाएं
  52. तीनों ही रचनायें ----बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी--
    पूनम

    जवाब देंहटाएं
  53. हमेशा की तरह मन को मुग्ध करती, अद्वितीय रचना......वाह वाह वाह !!!!

    आनंद आ गया पढ़कर....

    शुक्र है,शब्दों को jhat कागज पर उतार आपने उन्हें दिवंगत होने से बचा लिया...

    जवाब देंहटाएं
  54. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं
    अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं
    व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं ......

    एक बेहतरीन रचना प्रस्तुत की आपने …हार्दिक बधाई।
    हेमन्त कुमार

    जवाब देंहटाएं
  55. abki baar koi bahana nahi chalne waala...

    ...aur bahut samay ho gaya kuch naya falsafa gadhe?

    जवाब देंहटाएं
  56. Aap ke blog ka aanad uthatee rahtee hun..padhee rachnaye. baar baar padhtee hun...chand alfaaz aur samandar se gahere bhaav...!
    Thaah nahee lagta...!Jitnee saralta-se kahte hain, mere jaisee adnaa-see wyakti hairaan ho jatee hai!
    Maaf karen, transliteration me kuchh samasya lag rahee hai..

    जवाब देंहटाएं
  57. vआपकी रचनाये बहुत पसंद आती है ,वतन लौट कर आपका ब्लॉग खोला ,छोटे शब्द गहरे भावः बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  58. Anubhutiyon ko shabdon me dhalana bahut mushkil hai,lekin yah shabd hi hain jo hamare band kapaton ko kholta hain.Tino hi padbandh utkrist hain.Badhai.

    जवाब देंहटाएं
  59. दिगम्बर जी,

    मौन में गूंजती हुई कविता
    शब्दों को परिभाषित करते हुये
    दिल छू जाते हैं

    बहुत ही सुन्दर भाव।

    सादर,


    मुकेश कुमार तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  60. इन छोटी छोटी क्षणिकाओं में भी आपने बहुत बडी बडी बातें कह दी हैं।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

    जवाब देंहटाएं
  61. यह गूंगो की मौन सभा है
    यहाँ न कुछ समझाना जी .

    जवाब देंहटाएं
  62. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........
    सुन्दर भाव

    जवाब देंहटाएं
  63. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं
    अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं.....samvedanshil abhivyakti

    जवाब देंहटाएं
  64. arth ki talash main kuchh shabd ,
    sparsh matr se arth ukt ho gaye ,
    bahut khoob

    जवाब देंहटाएं
  65. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं
    अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं
    व्यक्त होने से पहले
    दिवंगत हो जाते हैं .

    भाई,मुद्दत के बाद, यहाँ आकर पता चला कि कविता तो आजकल आपके यहाँ उतरी है.
    अप्रतिम अभिव्यक्ति के लिये आपको बहुत-बहुत बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  66. माफ करियेगा पिछली कुछ पोस्टपर टिप्पणी नहीं दे पाया लेकिन पढी ज़रूर.
    हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए.
    अच्छी पंक्तियां हैं और पिछली ग़ज़ल बहुत अच्छी थी ख़ासकर ये शेर-
    फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा
    दोनों रचनाओं के लिये बधाई

    जवाब देंहटाएं
  67. कहाँ गये दिगम्बर साहब..बोलने को छटपटाते कुछ नये शब्दों के लिये कब अभिव्यक्ति की साँकल खोलेंगे अब..हम भी मुन्तज़िर हैं अब तो..

    जवाब देंहटाएं
  68. प्यार, मौन और शब्द पर बहुत सुन्दर क्षणिकाएं.
    बहुत गहरे अर्थ लिए हुए ..बधाई

    जवाब देंहटाएं
  69. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं
    अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं
    अर्थ के दरवाज़े से
    खाली हाथ लौट आते हैं

    अति सुन्दर भाव नास्वा साहब , मैं जान्त्रा हूँ कि अमेरिका में आपको काफी अच्छी-अच्छी चीजे मिली होंगी !

    जवाब देंहटाएं
  70. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए .......

    poori kavita hi bahut hi jyada sundar hai...
    lekin ye panktiyaan to kamal hain bas..

    जवाब देंहटाएं
  71. Digambar ji,comment pahel kar chuki hun---wishes dene aayi hun--
    आप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    Alpana and family

    जवाब देंहटाएं
  72. बढ़िया रचना..दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

    जवाब देंहटाएं
  73. हवा में तैरते कुछ शब्द
    अर्थ की निरंतर तलाश में
    तेरे होठ छू कर
    अभिव्यक्त हो गए ........
    बहुत शानदार ....................बधाई

    जवाब देंहटाएं
  74. हवा में अटके कुछ शब्द
    बोलने को छटपटाते हैं
    अभिव्यक्ति की सांकल
    हौले से खटखटाते हैं

    bahut achha.......... sabdon ko अभिव्यक्ति jaldi mil jani chahiye.

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है