अमेरिका के लम्बे प्रवास के बाद दुबई की वापसी ........ घर आने का आनंद ........ शब्दों के माध्यम से कुछ और शब्दों को सिमेटने की कोशिश .......
१)
"प्यार"
गहरा अर्थ लिए
अर्थ हीन शब्द
दीमक की तरह चाट गया
मेरे होने का अर्थ ......
२)
"मौन"
शब्द होते हुवे निःशब्द
अर्थ को अभिव्यक्त करता
निःशब्द
शब्द ......
३)
"शब्द"
होठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
होठ से निकले
जवाब देंहटाएंतो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ
"मन को गहरे तक स्पर्श करती पंक्तियाँ....सुन्दर अभिव्यक्ति.."
regards
वाकई निशब्द कर गए यह शब्द ..बहुत सुन्दर लिखी गयी है तीनों ..
जवाब देंहटाएंमौन"
जवाब देंहटाएंशब्द होते हुवे निःशब्द
अर्थ को अभिव्यक्त करता
निःशब्द
शब्द ......
सुन्दर वर्णन
मेरी मान्यता- "कवि वही जो अकथनीय कह दे...', को साकार करती रचना।
जवाब देंहटाएंएक विनम्र अनुरोध
भाग 1 की पंक्तियों में "मेरे' के बदले अगर "हम' होता, तो मेरे जैसे पाठक भी कविता में अपनी तस्वीर ढ़ूंढ लेते। कवि से आत्मअनुभूति को परानाभूति बना देने की आशा रखता हूं। इसलिए...
"प्यार"
जवाब देंहटाएंगहरा अर्थ लिए
अर्थ हीन शब्द
दीमक की तरह चाट गया
मेरे होने का अर्थ ......
behtreen abhivyakti.
"शब्द"
होठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
waah..........ati sundar.
behad gahanbahv...........badhayi.
अगर आपके तीनो रचना को एक वाक्य का रूप दे रहा हूँ इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ...
जवाब देंहटाएं'प्यार मौन शब्द है' ... यही कहना चाहता था ... तीनो रचनाएँ मुकम्मल हैं...
अर्श
शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ .
-आह!! वाह!
अरे, कब लौट गये भाई?
"प्यार"
जवाब देंहटाएंगहरा अर्थ लिए
अर्थ हीन शब्द
दीमक की तरह चाट गया
मेरे होने का अर्थ ......
एक दो बार नहीं चार बार पढा कितने गहरे और बहुत से अर्थ समेटे है ये अभिव्यक्ति
"शब्द"
होठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
कमाल है इस तरह से तो शब्द को कभी समझा ही नहीं। और अब *मौन * रहना ही बेहतर है निशब्द कर दिया आपने । शुभकामनायें
मान गए नास्वाजी आपने गागर में सागर भर दिया .....
जवाब देंहटाएंमाफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
जवाब देंहटाएंक्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?
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जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
जवाब देंहटाएंतो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
सही है .. बहुत बढिया
वाह...नासवा जी वाह...कम शब्दों में बहुत गहरी बात...
जवाब देंहटाएंलता
"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
वाह...दिगंबर जी वाह...ये वो रचना है जिसे लिखने के बाद लेखक अपनी कलम तोड़ कर फैंक देता है...इसके बाद लिखने को बचा ही क्या...अल्टीमेट .
नीरज
अरे कब अमेरिका गये कब लोटे ? भाई युरोप मे तो आप की फ़लाईट जरुर रुकती है, बता देते तो शायद मिलन के आसारा बना लेते...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता,
धन्यवाद
वाह क्या गहरी बातें कर रहे हैं ये शब्द !!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशब्द होते हुवे निःशब्द
जवाब देंहटाएंअर्थ को अभिव्यक्त करता
निःशब्द
शब्द ......
सुन्दर वर्णन
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .
गागर में सागर वाली बात रही इस कविता में |
बधाई
बहूत खूब....सुंदर क्षणिकाऍ
जवाब देंहटाएंआँख से निकले तो अर्थ
जवाब देंहटाएंक्या बात है लाजबाब . गागर में सागर भर दिया आपने .शायद इसे ही हायकू कविता कहते है
pyaar moun shabad hai..fir bhi bina kuch kahe sab kah gya..kabhi honto se or kabhi ankho se bah gya....
जवाब देंहटाएंगजब की रचना !!! शब्दों के अर्थ नहीं………………
जवाब देंहटाएंbehad sunder bhav,nishabd.
जवाब देंहटाएंanoothi paribhashayen , wah digambar ji,
जवाब देंहटाएंteenon hi kshanikaayen adbhut/lajawaab,
"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
वाह क्या बात कही -- शब्द होठो से कम और आँखो से ज्यादा व्यक्त होते है.
अजी, क्या खूब लिख गये आप।
जवाब देंहटाएंप्यार"
गहरा अर्थ लिए
अर्थ हीन शब्द
दीमक की तरह चाट गया
मेरे होने का अर्थ ......
प्रेम में 'होने' का अर्थ खत्म ही तो है। और निशब्द होने का अर्थ शब्दों से कहीं ज्यादा होता है। शब्द होठों से टपके और आंखों से निकले तो अर्थ बदल जाते हैं। दिगम्बर जी, जलन हो रही है आपसे..एसी रचनायें कर रहें हैं कि बस पूछो नहीं। बे मिसाल।
शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
अद्भुत!
सभी बहुत अच्छी क्षणिकाएं हैं.
दिगम्बर जी,
जवाब देंहटाएंआपको पढ़ने के बाद हम तो निशब्द हैं...
जय हिंद...
बहुत दिनों से इंतज़ार कर रहा था आपकी ऐसी ही चार चार लाइनों की सुंदर भावनाओं से सजी बेजोड़ पंक्तियों का जो हम सब को आनंदित करती है..कविता आकर में छोटी है परंतु भाव में असीम सागर समाहित है..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद दिगम्बर जी.....
बिलकुल सही कहा आपने.........प्रवास के बाद अपनों के अपनत्व के मध्य भाव और शब्द दोनों ही अत्यंत प्रखर हो गए हैं.....
जवाब देंहटाएंबस प्रत्येक क्षणिका ने मन बाँध लिया....वाह वाह की जहदी अपने आप मन से निकल बह चली.
"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ..... DARD.........
bahut hi achchi kavita
aapne to nishabd kar diya........
"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
वाह्! आज तो आपकी ये कविता अपने आपमे बहुत गहरा चिन्तन समेटे हुए हैं......
टिप्पणी
जवाब देंहटाएंजैसे मूल से भी
ब्याज प्यारा
बूंद में भी
सागर की गहराई
आपकी पंक्तियां
बधाई।
"pyar" to pyar hi de gya ,maoun mukhrit kar gya aur shabd nishbd kar gye .behtreen abhivykti.
जवाब देंहटाएंabhar
"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
24 carret right....
होठ से निकले
जवाब देंहटाएंतो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ
नि:शब्द हूँ दिगम्बर जी आपकी रचनाशीलता की गहराई को देख...
shabd arth heen ho sakte hain lekin aankho se arth pata chal jaata hai
जवाब देंहटाएंशब्दों की सटीक व्याख्या
जवाब देंहटाएंलेखनी तो आपकी दिगम्बर जी वैसे तो चमत्कार करती ही रहती है, लेकिन जब आप कहीं भ्रमण से वापस आते हैं तो ये कयामत बरसाती है..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब१
मौन पर बहुत सी कवितायेँ लिखी परन्तु मौन को आपके द्वारा परिभाषित किया जाना अच्छा लगा ...मौन और शब्द दोनों एक दुसरे के विपरीत ...पर प्यार को दोनों के द्वारा व्यक्त किया जा सकता है मौन से भी और शब्दों में भी
जवाब देंहटाएं"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
वाह दिगम्बर जी,
आपने शब्दों की बहुत गहराई से पड़ताल की है----इन लघु कविताओं में।
हेमन्त कुमार
वाह..वाह...!
जवाब देंहटाएंदिगम्बर नासवा जी।
आपने तो का शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी।
सचमुच लोटे में समन्दर समा दिया आपने तो।
बधाई।
मैने तीनों के शीर्षक को मिला कर पढ़ा-
जवाब देंहटाएंएक और क्षणिका नज़र आई--
प्यार
मौन
शब्द!
--शब्दों पर आपकी कलम चलती रहे
हमें कुछ नया पढ़ने को मिलता रहे।
होठ से निकले
जवाब देंहटाएंतो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
zabardast ,gazab ki rachna
bahut khubsurat hai ye kavita.....
जवाब देंहटाएंकभी कभी अनछुई भावनाएं और अनकहे
जवाब देंहटाएंअहसास दस्तक देते है !!!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है !!!!!!!!!!
आपकी टिप्पणी कविताओं में जान डाल
देती है ! आभारी हूँ !
बहुत सुंदर भावार्थ निकल पड़े हैं...दिगंबर जी. ऐसे ही लिखते रहें....
जवाब देंहटाएंpyaar maun aur shabd teeno hi alag alag nahi lagi...
जवाब देंहटाएंek hi kavita ke teen dimention lage....
"शब्द"
होठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो "मौन"
शब्द होते हुवे निःशब्द
अर्थ को अभिव्यक्त करता
अर्थ हीन शब्द
दीमक की तरह चाट गया
मेरे होने का अर्थ ......
"प्यार"
ek bahut behterin kavitaon ki ladi prastut karne ke liye dhanyavaad !!
diwali main aane ki soochna se man prafullit hua...
...abhi us main ho phir dubai aur shayad kal parson main indai.
Aur kya bum patakhe le aate hain baccha log !!
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशब्द पर तो पूरी पी एच डी सी कर दी आपने पिछली कुछ पोस्टो से..शब्द भी अनावृत हो कर शर्मा कर कहीं जा छिपे होंगे...तो आपने मौन की खबर ले ली
जवाब देंहटाएंनिःशब्द
शब्द ......
क्या बात है..निसार हो गये हम तो!!
"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
क्या बात है.......भाई वाह.... अब तक कहाँ छुपे रहे आप......
"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति, आभार
अति सुन्दर भाई . बधाई!!
जवाब देंहटाएंWah....वाह
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात है! इतना बढ़िया लिखा है आपने की तारीफ के लिए अल्फाज़ कम पर गए! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंपता नहीं यहाँ क्या लागू होगा होट...या आँखें क्योंकी पूरी बात तो आपने कह ही दी, अर्थ भी समझा दिया !
जवाब देंहटाएं"होठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ"
-ये शब्दों की जादूगरी है या अहसासों की?? ...बहुत खूब !
सुन्दर क्षणिकायें हैं यह ।
जवाब देंहटाएं"शब्द"
जवाब देंहटाएंहोठ से निकले
तो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ ......
wah gehri baat keh di aapne.
होठ से निकले
जवाब देंहटाएंतो शब्द
आँख से निकले
तो अर्थ .....
बेहतरीन .. गहरा अर्थ .....
digambar ji dpawali ki dhero badhaiyaan .
जवाब देंहटाएंशब्दों का सार्थक विवेचन।
जवाब देंहटाएंधनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ
एक शब्द
जवाब देंहटाएंशब्द-वेधि बन
मेरे अस्तित्व को काट गया
दीप सी जगमगाती जिन्दगी रहे
सुख सरिता घर-मन्दिर में सतत बहे
श्याम सखा श्याम
एक शब्द
जवाब देंहटाएंशब्द-वेधि बन
मेरे अस्तित्व को काट गया
दीप सी जगमगाती जिन्दगी रहे
सुख सरिता घर-मन्दिर में सतत बहे
श्याम सखा श्याम
बढ़ा दो अपनी लौ
जवाब देंहटाएंकि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,
इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
ओम आर्य
दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं.
जवाब देंहटाएं"आओ मिल कर फूल खिलाएं, रंग सजाएं आँगन में
जवाब देंहटाएंदीवाली के पावन में , एक दीप जलाएं आंगन में "
......दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ |
कभी कभी अनछुई भावनाएं और अनकहे
जवाब देंहटाएंअहसास दस्तक देते है !!!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है !!!!!!!!!!
आपकी टिप्पणी कविताओं में जान डाल
देती है ! आभारी हूँ
कभी कभी अनछुई भावनाएं और अनकहे
जवाब देंहटाएंअहसास दस्तक देते है !!!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है !!!!!!!!!!
आपकी टिप्पणी कविताओं में जान डाल
देती है ! आभारी हूँ
"बावरे-फकीरा टीम एवं गिरीश बिल्लोरे"
जवाब देंहटाएंकी ओर से स्वीकारिये
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें
Deepawali ki dheron shubkamnayen.
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