गुरुदेव पंकज जी के आशीर्वाद से खिली ग़ज़ल आपकी नज़र है .......... आशा है आपको पसंद आएगी .....
नेह के संबंध जब बंधन हुए
मन के उपवन झूम के मधुबन हुए
लक्ष्य ही रहता है दृष्टि में जहाँ
वक्त के हाथों वही कुंदन हुए
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
तब समझना आज तुम दर्पण हुए
किसके हाथों देश की पतवार है
गूंगे बहरे न्याय के आसन हुए
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
असल के नेता मगर खुरचन हुए
किसके हाथों देश की पतवार है
जवाब देंहटाएंबधिर गूंगे न्याय के आसन हुवे ...
बहत सुंदर पंक्तियाँ....
सही और सटीक कविता...
bahut hi gahan abhvyakti.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर व सच्चाई को समेटे लाजवाब रचना ।
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachana kash aap asal ke neta ? kee jagah naam ke nete likh dete to ye poora aaina dikhane walee rachana ho jatee .
जवाब देंहटाएंbahut hee sunder abhivykti hai aapakee. badhai aur nav varsh kee shubhkamnae sweekare.
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंसमझना उस रोज़ तुम दर्पण हुवे
bilkul sahi kaha aapne...na jane sach se itna kyu darte ha hum...
bohot lajawab kaita...
प्रणय के संबंध जब बंधन हुवे
जवाब देंहटाएंह्रदय के उपवन सभी मधुबन हुवे
वाह, क्या खूब पंक्तियाँ हैं।
अति सुन्दर।
बहुत ही सुंदर. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सादर वन्दे
जवाब देंहटाएंसरलता से गूढ़ बाते कह देना आपके कविता कि खासियत है.
सुन्दर
रत्नेश त्रिपाठी
बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना, सत्य वचन
जवाब देंहटाएंसत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंसमझना उस रोज़ तुम दर्पण हुवे
--जय हो स्वामी दिगम्बर नाथ की...ज्ञानचक्षु खुल गये.
उम्दा गज़ल!!
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुवे
sabhi sher lajawaab.badhaai.
नासवा जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत सच्ची बात बहुत सहजता से कही है..अच्छा कटाक्ष है...जो वाकई कुछ करना चाहते हैं नेता वो सच में खुरचन ही रह जाते हैं..
बधाई....
नव वर्ष की शुभकामनायें
are waah ji, aapne bhi kuchh netaa aour nyaay sambandhit baat kah di../ par aapka javaab nahi, hindi me chhand aour gazal ab kaafi kam dekhane me aate he, khaaskar blog jagat me magar aapne is vidhaa ko thaame rakhaa he..yan sammanyogya baat he.
जवाब देंहटाएंक्या खूब लिखा है.
जवाब देंहटाएंवाह !
एकदम सत्य वचन
किसके हाथों देश की पतवार है
जवाब देंहटाएंबधिर गूंगे न्याय के आसन हुए
रचना सामयिक है मगर सोचने को मजबूर करती है!
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंसमझना उस रोज़ तुम दर्पण हुवे
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ लिखीं हैं आपने . ..
किसके हाथों देश की पतवार है
जवाब देंहटाएंबधिर गूंगे न्याय के आसन हुवे
ek dam sateek kataaksh; lekin in baato ko sun aur padh kar ek prashn baar baar mere ander uthta hai ki aakhir chunte bhi to ham hi hai inhe.
पहन कर खादी मलाई खा रहे
असल के नेता मगर खुरचन हुवे
bahut sahi baat kahi bichare acchhe aur imandar neta khurchan ki tareh khurach diye jate hai.
mano mere sawal ka hi jawab ho.
badhayi aur shukriya aapka jo aap mere blog per itne acchhe rev.dete hai.
nav varh mangalmay ho.
जो शहीदों के ताबूत खा जाएं
जवाब देंहटाएंबेज़ुबानों का चारा खा जाएं,
वही नेता इस देश की किस्मत हुए...
जय हिंद...
जनाब दिगम्बर नासवा साहब
जवाब देंहटाएंराजनीतिक पंक्तियों पर टिप्पणी करते हुए
ज़रा सावधानी ही बरतते हैं हम,
हां,
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जिंदगी में वो सदा निर्धन हुवे
और
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
समझना उस रोज़ तुम दर्पण हुवे
इन सदाबहार शेरों पर
दाद ही दाद, खूब मुबारकबाद
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
bahut hi achchhi rachana..
जवाब देंहटाएंप्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुवे।
--बहुत अच्छा शेर है ।
एक बात मेरी समझ में नही आ रही नासवा जी यह आपने हुए की जगह हुवे-हुवे क्यों लिखा है।
हुवे तो मैने नहीं पढ़ा। हुये होता या हुए होता।
किसके हाथों देश की पतवार है
जवाब देंहटाएंबधिर गूंगे न्याय के आसन हुवे
पहन कर खादी मलाई खा रहे
असल के नेता मगर खुरचन हुवे
........सटीक बात.
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जिंदगी में वो सदा निर्धन हुवे।
........सुंदर शेर हैं.
देवेन्द्र जी ......... आपका बहुत बहुत धन्यवाद ग़लती की तरफ आपने मेरा ध्यान बटाया ......... सुधार कर लिया है .......
जवाब देंहटाएंप्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
सत्य है , सार्थक संदेश है
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंसमझना उस रोज़ तुम दर्पण हुवे
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ लिखीं हैं आपने .
रहते आप वहां है पर ग़ज़लें प्रासंगिक यहाँ के लिए होता है... या यह चीजें हर जगह कॉमन है ?
जवाब देंहटाएंsatya aur sundar...
जवाब देंहटाएंसहज शब्दों मे एक संप्रेषणीय गजल लिख जाना..एक उपलब्धि समझिए....!
जवाब देंहटाएंसुंदर..!
किसके हाथों देश की पतवार है
जवाब देंहटाएंगूंगे बहरे न्याय के आसन हुए
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
असल के नेता मगर खुरचन हुए
बहुत ही सुंदर नासवा जी !
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
bilkul sach kaha hai
behd sundar man ko chooti abhivykti.
...सुन्दर रचना !!!
जवाब देंहटाएंवाह वाह सटीक गज़ल
जवाब देंहटाएं"सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंसमझना उस रोज़ तुम दर्पण हुए"
गजल के इस शेर नें तो मानों मन ही मोह लिया...
बिल्कुल दिल से दी गई बधाई स्वीकार करें !!
नूतन वर्ष में आपकी लेखन,काव्य प्रतिभा नित नूतन प्रतिमान स्थापित करे..इस मंगलकामना के साथ ही आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...सच और सुंदर भाव से निहित आपकी यह शानदार ग़ज़ल दिल जीत ली..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच कहा है आपने की प्रेम की भाषा को जो ना समझ पाए जग में उससे ज़्यादा निर्धन कौन है..
ग़ज़ल तो बढ़िया ही है साथ ही साथ इसमें निहित भाव भी बहुत बेहतरीन है...बहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर जी बस भगवान से यहीं प्रार्थना है आपकी लेखनी दिन प्रतिदिन इसी तरह लोकप्रियता पाती रहे..बहुत बहुत बधाई!!!
बहुत ही सुन्दर शब्दों से बंधी यह रचना, बहुत कुछ कहती हुई ।
जवाब देंहटाएंलक्ष्य ही रहता है दृष्टि में जहाँ
जवाब देंहटाएंवक्त के हाथों वही कुंदन हुए
bahut sundar laine. Jinhe apne sapne pure karne hai unhe in laino par jarur dhyan dena chahiye.
Sundar rachna . BADHAI
किसके हाथों देश की पतवार है
जवाब देंहटाएंगूंगे बहरे न्याय के आसन हुए
सटीक प्रश्न उठाया आपने। बधाई।
दिगंबर जी
जवाब देंहटाएंबेमिसाल ग़ज़ल का बेहतरीन शेर....
लक्ष्य ही रहता है दृष्टि में जहाँ
वक्त के हाथों वही कुंदन हुए
बहुत -२ बधाई
aap to satykti ke sadhan huye
जवाब देंहटाएंbahut khoob. karara kuthaghat hai
bahut sunder rachna .
satya
आप की ग़ज़लें हिन्दी के सुंदर शब्द लिए होती हैं यह उनकी ख़ासीयत है.
जवाब देंहटाएंहिन्दी में ग़ज़ल को शायद हज़ल कहते हैं?
किसके हाथों देश की पतवार है
गूंगे बहरे न्याय के आसन हुए
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
असल के नेता मगर खुरचन हुए
बहुत उम्दा!
आपकी ग़ज़ल में जहाँ in sheron mein एक और समाज पर कटाक्ष है
वहीं
'सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
तब समझना आज तुम दर्पण हुए aur baqi
sheron में-
जीवन के रहस्य का अनावरण है
-----------------------------
देर से पहुँची ..इसके लिए माफी चाहती हूँ...reason...थोड़ा मशरूफियत रही.
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंतब समझना आज तुम दर्पण हुए
Waise to saaree rachnahee sundar hai..mere paas alfaaz nahee..lekin in panktiyon ne manme jhaank lene ko majboor kiya!
Naye saalki dheron shubhkamnayen!
लक्ष्य ही रहता है दृष्टि में जहाँ
जवाब देंहटाएंवक्त के हाथों वही कुंदन हुए
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
तब समझना आज तुम दर्पण हुए
वाह दिगम्बर जी ग़ज़ल क्या आपने तो ज़िन्दगी का फलसफा बता दिया ......!!
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंतब समझना आज तुम दर्पण हुए
इस सच के दर्पण के नये अर्थ सामने खुले
आपकी रचनाएं सामाजिक सरोकारों को उनके यथार्थ के साथ तो प्रस्तुत करती ही है..एक सकारात्मकता भी लिये होती हैं..जो आज के वक्त के लिये जरूरी डोज है..
बेहतरीन ग़ज़ल!!!
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
जवाब देंहटाएंअसल के नेता मगर खुरचन हुए
लक्ष्य ही रहता है दृष्टि में जहाँ
वक्त के हाथों वही कुंदन हुए
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
तब समझना आज तुम दर्पण हुए
mast aur zabardast ,bahut hi badhiyaan ,sabhi baate bhadhkar
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंतब समझना आज तुम दर्पण हुए
इस सच के दर्पण के नये अर्थ सामने खुले
ये लाइन अपने साथ लिए जा रहा हूँ,
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
लगता है की Lottery खुलते खुलते रह गयी मेरी. १ अंक का हेर फेर था बस.
लक्ष्य ही रहता है दृष्टि में जहाँ
वक्त के हाथों वही कुंदन हुए
लक्ष्य तभी पाया जा सकता है जब लक्ष्य पता हो और फिर...
या तो जीत है या जीत तीसरा आप्शन कोई नहीं दिखता, क्यूंकि हर हार एक 'Mile stone' ही तो है बस, और वो हार भी आपकी mile stone हो जाती है.
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
असल के नेता मगर खुरचन हुए
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
वाह बहुत देर से आने के लिये क्षमा चाहती हूँ। बहुत ही लाजवाब गज़ल है। सामाजिक सरोकारों पर इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति शायद आपके बस मे ही है एक एक शब्द दोल को छूता है बधाई और शुभकामनायें
खूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंव्यंग पूर्ण गजल.
जवाब देंहटाएंप्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
तब समझना आज तुम दर्पण हुए
बहुत सही कहा है.
ग़ज़ल का व्याकरण
जवाब देंहटाएंऔर
हिन्दी के शब्दों का संयोजन
साथ ही श्रेष्ठ भावो की सटीक अभिव्यक्ति
नास्वा जी
शुभकामनायें
संरक्छित रहे आपकी यह शब्द शक्ति
vvvvvvvaaबहुत सुंदर शब्दों से गुत्थी रचना ,आने वाला नया वर्ष मंगल मय हो ।
जवाब देंहटाएंकिसके हाथों देश की पतवार है
जवाब देंहटाएंगूंगे बहरे न्याय के आसन हुए
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
असल के नेता मगर खुरचन हुए
Bilkul satik.
Nav varsh ki dheron shubkamnayen.
ऐसा कैसे हो सकता है , नासवा जी।
जवाब देंहटाएंआपका नाम वरिष्ठ ब्लोगर्स की सूची में है, श्री सी ऍम प्रशाद जी के साथ ।
शुभकामनायें स्वीकारें।
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंतब समझना आज तुम दर्पण हुए
बिलकुल सत्य वचन
नया वर्ष मंगलमय हो
प्रेम की भाषा से जो अनजान हैं
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी में वो सदा निर्धन हुए
किसके हाथों देश की पतवार है
गूंगे-बहरे न्याय के आसन्न हुए
ऐसे नायब अश`आर कहने वाले शाईर को
मुफलिस का सलाम ...
पूरी ग़ज़ल बार-बार पढने को दिल करता है
मुबारकबाद
नव-वर्ष २०१० की शुभकामनाएं .
किसके हाथों देश की पतवार है
जवाब देंहटाएंगूंगे बहरे न्याय के आसन हुए
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
असल के नेता मगर खुरचन हुए
बिकुल सत्य वचन ....
जिसने सहिदों को दुत्कारा और धोखेबाजों को बचाया दुर्भाग्य से उसी के हाथ मैं देश की पतवार है ...
नव वर्ष २०१० की हार्दिक मंगलकामनाएं. ईश्वर २०१० में आपको और आपके परिवार को सुख समृद्धि , धन वैभव ,शांति, भक्ति, और ढेर सारी खुशियाँ प्रदान करें . योगेश वर्मा "स्वप्न"
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं .........
नासवा साहब , मेरी तरफ से भी आपको और सभी पारिवारिक जनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये, इस नये साल पर आपके लिए इन 12 इच्छाओ के साथ;
जवाब देंहटाएं१. दिलों में गहरे अंदर तक खुशी.
२.हर सूर्योदय पर स्थिरता.
३.आपके जीवन के हर मोड़ पर सफलता.
४.आपके पास आपका परिवार.
५.शुभचिंतक मित्र आपके चारों ओर.
६.प्यार जो कभी ख़त्म न हो .
७.आपके पास अच्छा स्वास्थ्य.
८. बीते दिनों की खूबसूरत यादें.
९.आभारी बनने के लिए एक उज्जवल आज.
१०. बेहतर कल के लिए एक अग्रणी मार्ग.
११.सपने जो सच साबित हो .
१२.आप जो भी करे उसके लिए ढेरों सराहनाये मिले .
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये और बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना गंभीर भाव लिए हुए इसके आगे कुछ कह नहीं सकती क्योंकि मैं निशब्द हूँ
जवाब देंहटाएंएक बहुत सुंदर प्रस्तुति और
नववर्ष पर हार्दिक बधाई आप व आपके परिवार की सुख और समृद्धि की कमाना के साथ
सादर रचना दिक्षित
ये लीजये एक डिजाइनर बधाई.
जवाब देंहटाएं/""/_/""/
/_/""/_/appy
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/_ /ear 2010
ऊपर से एक हिंगलिश कविताई -
एक साहित्यकार दूजा ब्लोगर
बनी है जिंदगानी ट्राई-ब्रेकर
- सुलभ
Wish u a very Happy New Year
जवाब देंहटाएंUmda Gajal...
जवाब देंहटाएंनया साल...नया जोश...नई सोच...नई उमंग...नए सपने...आइये इसी सदभावना से नए साल का स्वागत करें !!! नव वर्ष-2010 की ढेरों मुबारकवाद !!!
ਪਨੇਸਰ ਜੀ ਦੇ ਬਲੋਗ ਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿਚ ਟਿੱਪਣੀ ਵੇਖ ਹੈਰਾਨੀ ਹੋਈ ਕੀ ਤੁਹਾਨੂ ਪੰਜਾਬੀ ਆਂਦੀ ਹੈ ......!!
जवाब देंहटाएंनववर्ष की शुभकामनाओं के साथ
जवाब देंहटाएंसदा
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
yeh jabardast he...
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
असल के नेता मगर खुरचन हुए
khurchan bhi ab nahi dikh rahe he...sashakt kataksh he. bahut sundar rachna.., jab guruvar ki nazaro se nikali he to dhaaraa pavan ho hi jaati he/
हैं मलाई खा रहे खादी पहन
जवाब देंहटाएंअसल के नेता मगर खुरचन हुए ।
वैसे तो पूरी गज़ल ही जीवन दर्शन है पर राजनीती पर कटाक्ष बहुत अच्छे हैं ।
अच्छा कटाक्ष है.....सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंनया साल मंगलमय हो ... 2010 हंसी और हंसी-ख़ुशी से भरा रहे !!!!
बहुत खूब, आपको भी नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंसत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
जवाब देंहटाएंतब समझना आज तुम दर्पण हुए,
is khili hui gazal ke kyaa kahne !
nv vrsh ki anant shubh kaamnaon ke saath mai.....
लक्ष्य ही रहता है दृष्टि में जहाँ
जवाब देंहटाएंवक्त के हाथों वही कुंदन हुए
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
तब समझना आज तुम दर्पण हुए
बहुत खूबसूरत आशार
"प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए"
बिलकुल सच कहा आपने ! शुभकामनायें !
इतनी तीखी, व्यंग्य की धार में लिपटी हुई इस शानदार गजल के मुबारकबाद. मैं देर, बल्कि बहुत देर से आया हूँ, क्षमा प्रार्थी हूँ.
जवाब देंहटाएं"लक्ष्य ही रहता है जिनकी दृष्टि में", उस मिसरे की जगह अगर ये हो तो कैसा रहेगा?
माफ़ करना भाई, उस्ताद नहीं हूँ इस लिए डरते-डरते इस संशोधन को पूछ रहा हूँ.
नए वर्ष की शुभकामनाये अर्पित हैं.
विलंब से आने के लिये क्षमा...
जवाब देंहटाएंक्या ग़ज़ल लिखी है सर जी....मजा आ गया। हर शेर पर वाह-वाह!!
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
और किसी तरह की कंगाली तो धकाई भी जा सकती है पर प्रेम की कंगाली से आदमी दो कौड़ी का नहीं रहता।
प्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
और किसी तरह की कंगाली तो धकाई भी जा सकती है पर प्रेम की कंगाली से आदमी दो कौड़ी का नहीं रहता।
हौसला बडाना कोई आपसे सीखे |
जवाब देंहटाएंक्या बात है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल
जवाब देंहटाएंNaswa bhai
जवाब देंहटाएंAapke shahar ne unchaiyon ka jo naya mukaam paya hai ... aap ka likha usse bhi uncha ho.
Aapka Neelesh
नेताओं की खुरचन हो गयी!!! सही है !!!
जवाब देंहटाएंप्रेम की भाषा से जो अंजान हैं
जवाब देंहटाएंजिंदगी में वो सदा निर्धन हुए
सत्य बोलो सत्य की भाषा सुनो
तब समझना आज तुम दर्पण हुए
दिगंबर जी !
बहुत खूबसूरत शेर हैं सारे !
कहीं जीवन का फलसफा है तो कहीं समाज पर प्रश्न और कहीं व्यस्था पर व्यंग !
सचमुच बेहतरीन ग़ज़ल है !
:)