काम के सिलसिले में आने वाला सप्ताह ब्लॉग-जगत से दूर रहूँगा ...... जाते जाते ये कविता आपके सुपुर्द है ...
सुनो
क्या याद है तुम्हे
पहली मुलाकात
पलकें झुकाए
दबी दबी हँसी
छलकने को बेताब
वो अल्हड़ लम्हे
भीगा एहसास
हाथों में हाथ लिए
घंटों ठहरा वक़्त
उनिंदी रातें
कहने को
अनगिनत बातें
दिल की बंज़र ज़मीन पर
नाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म
आज भी ताज़ा है नमी
खून से रिसती लकीरों में
जिंदा है तेरे हाथों की खुश्बू
धमनियों में दौड़ते खून में
तेरी यादें मकसद हैं
मेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
तेरी यादें मकसद हैं
जवाब देंहटाएंमेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
Aah! Aap aisa likh jate hain,ki,mai har baar khamosh ho jati hun..
...sundar rachanaa!!!!
जवाब देंहटाएंपहली मुलाक़ात का हर लम्हा यूँ ही यादों में छलकता है और लफ़्ज़ों में ढलता है ...बहुत बढ़िया लगी आपकी यह रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंकिसी से बिछोह की कसक उभर कर सामने आ रही है कविता में. यात्रा के लिये शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंतेरा एहसास उर्जा है
जवाब देंहटाएंमेरी साँसों के प्रवाह का
ऊर्जा नष्ट तो होती नहीं रूपांतरण ही होता है
यह ऊर्जा बरकरार रहे
बेहतरीन रचना
बहुत बढ़िया,
जवाब देंहटाएंबड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
यात्रा के लिये शुभकामनायें.
तेरी यादें मकसद हैं
जवाब देंहटाएंमेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का ...
सुंदर भाव... स्मृतिया जीने को प्रेरित करती हैं... बेहतरीन कविता... जिस कार्य के लिए ब्रेक ले रहे हैं वो सफल हो... कामना है
पहली मुलाकात को अविस्मरणीय बना दिया आपने,
जवाब देंहटाएंछेड़ दिया है साहब पुराने जख्मों को।
आपकी वापसी का इंतज़ार रहेगा।
आभार।
सुनो
जवाब देंहटाएंक्या याद है तुम्हे
पहली मुलाकात
पलकें झुकाए
दबी दबी हँसी
छलकने को बेताब
अरे वाह क्या बात है जी बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता.
धन्यवाद
वाह दिगंबर जी... क्या बढ़िया रुमानियत भरी रचना है ... दिल खुश हो गया ...
जवाब देंहटाएंवो अल्हड़ लम्हे
भीगा एहसास
हाथों में हाथ लिए
घंटों ठहरा वक़्त
क्या एहसास है ... क्या मादक लम्हे हैं ...!
वाह !
दिल की बंज़र ज़मीन पर
जवाब देंहटाएंनाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म
तेरी यादें मकसद हैं
मेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति....किसी का एहसास कितनी उर्जा प्रदान कर सकता है..ये आपकी इस कविता से पता चलता है...बहुत खूब
किसकी याद आ गयी साहब.
जवाब देंहटाएंअंतिम पंक्तियां गजब ढ़ा रही हैं...
"दिल की बंज़र ज़मीन पर
जवाब देंहटाएंनाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म"
अति सुन्दर अभिवयक्ति नासवा जी,
कुंवर जी,
काम के सिलसिले में आने वाला सप्ताह ब्लॉग-जगत से दूर रहूँगा
जवाब देंहटाएं-हाय!! कैसी काटेंगे यह एक सप्ताह!! इन्तजार की घड़ियाँ बहुत धीरे खसकती हैं..जल्दी आना!! :)
अरे हाँ, कविता बेहतरीन है.
जवाब देंहटाएंतेरी यादें मकसद हैं
जवाब देंहटाएंमेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
रचना पढ़कर पुरानी यादें ताजा हो गईँ!
bahut sundar kavita..
जवाब देंहटाएंaabhaar..
सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है। चूंकि कविता अनुभव पर आधारित है, इसलिए इसमें अद्भुत ताजगी है।
जवाब देंहटाएंaaj pehli baar meri mulakat aapke blog se hui,
जवाब देंहटाएंor aapke blog post 'pehli mulakat' ne to mujhe aake lekhni ka murid bana dala.
bahut accha likha hai..is pehli mulakat ki khusbu dil tak utar gayi.
regards-
#ROHIT
तेरी यादें मकसद हैं
जवाब देंहटाएंमेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
pyar ka sach yahi hai .Badhai!!
हर किसी ने किसी न किसी क्षण में इन एह्सासात को रूह से मह्सूस किया होगा... आपने फिर से ताज़ा कर दिया... जल्दी लौट कर आइए..हम आपकी राह देख रहे हैं..
जवाब देंहटाएंप्यार के रंगों में उम्र १६ वें पडाव को छू आया, जाने कितना कुछ याद आया
जवाब देंहटाएंपहली मुलाकात कभी भूलती नही
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दिल के भाव । याद दिला दिया आपने पहली मुलाकात । हफ़्ता खत्म होने पर लौटने का इन्तेज़ार रहेगा ।
जवाब देंहटाएंकविता बेहतरीन है....
जवाब देंहटाएंआज भी ताज़ा है नमी
जवाब देंहटाएंखून से रिसति लकीरों में
जिंदा है तेरे हाथों की खुश्बू
धमनियों में दौड़ते खून में
---- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
utkrisht rachna....
जवाब देंहटाएं'दिल की बंज़र ज़मीन पर
जवाब देंहटाएंनाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म '
--ये ज़ख़्म कभी भरते ही नहीं!
'पहली मुलाकात ..
बेहतरीन प्रस्तुति .
[ अंतराल के लिए शुभकामनायें ]
BAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंBADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
दिल की बंज़र ज़मीन पर
जवाब देंहटाएंनाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म
तेरी यादें मकसद हैं
मेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
हर बात कहीं न कहीं कुछ न कुछ याद दिलाती है!!!!
बधाई
बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंवाह वा, बहुत उत्तम
जवाब देंहटाएंBehad Khoobsurat Rachna hai !
जवाब देंहटाएंसुनो
जवाब देंहटाएंक्या याद है तुम्हे
पहली मुलाकात
पलकें झुकाए
दबी दबी हँसी
छलकने को बेताब
.........कुछ ऐसे ही एहसासों से भरी एक रचना मैंने कुछ दिन पहले लिखी थी.............आपकी यह अभिव्यक्ति बड़ी खूबसूरत लगी। दिल को छू लिया आपने।
prem ras mein aaplavit ye kriti sach mein bahut hi bhavbhini hai..........sach kuch ahasaas saanson ki tarah baste hain.
जवाब देंहटाएंis kalam ki kayal hoon main :)
जवाब देंहटाएंis kalam ki kayal hoon main :)
जवाब देंहटाएंis kalam ki kayal hoon main :)
जवाब देंहटाएंis kalam ki kayal hoon main :)
जवाब देंहटाएंवो अल्हड़ लम्हे
जवाब देंहटाएंभीगा एहसास
हाथों में हाथ लिए
घंटों ठहरा वक़्त
उनिंदी रातें
कहने को
अनगिनत बातें
Wah !बहुत सुंदर !
पहला प्यार --पहली मुलाकात । वाह आज तो रूमानी हो गए जी ।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह लाजबाब
जवाब देंहटाएंvery nice poem.
जवाब देंहटाएंbeautiful poem
जवाब देंहटाएंghumta ghumta aapke blog par dubaara chala aaya.....
जवाब देंहटाएंitni achhi kavitaayein dene ke liye dhanyawaad.....
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mere blog par is baar
तुम कहाँ हो ? ? ?
jaroor aayein...
tippani ka intzaar rahega...
http://i555.blogspot.com/
दबी हंसी छलकने को बेताब ?दिल की जमीन पर नाखून ?जीने का मकसद और चाह है सिर्फ़ तेरी याद ,सांसों के प्रवाह की उर्जा है तेरा अहसास सुन्दर अभिव्यक्ति ।वियोग का एक सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंदबी हंसी छलकने को बेताब ?दिल की जमीन पर नाखून ?जीने का मकसद और चाह है सिर्फ़ तेरी याद ,सांसों के प्रवाह की उर्जा है तेरा अहसास सुन्दर अभिव्यक्ति ।वियोग का एक सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंवाह्! अच्छी लगी रचना...पढकर मन आनन्दित हुआ...बाकिया तो समीर जी वाली टिप्पणी को हमारी भी टिप्पणी समझ लीजिए :-)
जवाब देंहटाएं-हाय!! कैसी काटेंगे यह एक सप्ताह!! इन्तजार की घड़ियाँ बहुत धीरे खसकती हैं..जल्दी आना!! :)
lajawab .............
जवाब देंहटाएंbahut badiya abhivykti har koi yadon ke galiyare se ghoom aaya.............
यादों के एक बेहद सकारात्मक और सार्थक रूप को कविता मे सामने रखा है..और यह पंक्तियाँ खास लगीं
जवाब देंहटाएंदिल की बंज़र ज़मीन पर
नाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म
रेखाओं के ज़ख्म...एक जुदा अहसास है!
बेहद खुबसूरत रचना है,आपके वापसी का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंWah....
जवाब देंहटाएंbadhai...
दिल की बंज़र ज़मीन पर
जवाब देंहटाएंनाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म
bahut khub
nasva ji..................
'तेरी यादें मकसद हैं
जवाब देंहटाएंमेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का'
- यह विश्वास और समर्पण काबिले तारीफ़ है.
'तेरी यादें मकसद हैं
जवाब देंहटाएंमेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का'
bahut hi sundar ahasas kara gai aapki yah behatareen post.
poonam
Behad roomani kawita. pahali mulakat kee bat hee kuch khas hotee hai. Khas kar agar wah mulakt hee rah jaye.
जवाब देंहटाएंतेरी यादें मकसद हैं
मेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
Bahut sunder.
दिल की बंज़र ज़मीन पर
जवाब देंहटाएंनाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म
.....gahare jakhm ko bhavpurn gahari prastuti ...
Bahut bhavpurn rachna.... atarman ko chhuti...
दिगंबर जी मुझे सब कुछ याद है न जाने कितने दिनों से आपकी रचनाओं को पढ़ रहा हूँ..ग़ज़ल,कविता,क्षणिकाएँ हर विधा में महारत हासिल हैं ना की लय और शब्द की दृष्टि से बल्कि भाव की दृष्टि से सब बेहतरीन होती है और उसी कड़ी में एक आज की रचना..बहुत खूबसूरत और बेहतरीन....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता पर बस इतना ही कहना है,
जवाब देंहटाएं"प्रेम गली अति सांकरी जा मे दो न समायें"
अपना ख्याल रखना पूरे हफ्ते!
प्रेम!
खूबसूरत कविता पर बस इतना ही कहना है,
जवाब देंहटाएं"प्रेम गली अति सांकरी जा मे दो न समायें"
अपना ख्याल रखना पूरे हफ्ते!
प्रेम!
क्या याद है तुम्हे
जवाब देंहटाएंपहली मुलाकात
पलकें झुकाए
दबी दबी हँसी
छलकने को बेताब
बहुत सुंदर......!!
आप होकर आइये हम इन्तजार करते हैं ....!!
तेरा एहसास उर्जा है !
जवाब देंहटाएंइस दिगम्बर एहसास और उर्जा से भरी कविता के लिए शत शत आभार !
सुन्दर ;सार्थक काव्य"
जवाब देंहटाएंadbhut premanubhutee. sochta hun kabhee-kabhee ki gar kavita naa hotee to in ehsasoson se ham jaise khurdare aadmee anjaan hee rahte.
जवाब देंहटाएंयादों के समंदर में डुबकी लगाना, जख्म भुला देना मोती बीन लाना, सचमुच कमाल का काम है. जिंदगी संवरती है सुंदर एहसासों से....
जवाब देंहटाएं..बधाई.
नासवा जी,
जवाब देंहटाएंकई बार तो आप बस चुभ जाते हैं नश्तर की तरह!
सच में.... सानू भी एक पल चैन ना आवे....
वाह !!! ऊर्जा का रहस्य दिगम्बर कर दिया ।
जवाब देंहटाएंनासवा जी
जवाब देंहटाएंदिल की बंज़र ज़मीन पर
नाख़ून से बने कुछ निशान
कोरे केनवस पर खिंची
आडी तिरछी रेखाओं के ज़ख़्म
वाह क्या जबरदस्त कविता है
आप दूर रहेंगे.........मगर ज़रा जल्दी लौटियेगा......शिद्दत से इन्तिज़ार रहेगा
उम्मीद है अब आप आ गए होंगे और कुछ नया लिख रहे
जवाब देंहटाएंहोंगे , ठहराव के बाद और भी अनुभव में पगी रचना सामने
आती है , उसका इंतिजार है !
...............
इस कविता में दो जगह टाइपिंग मिस्टेक है जो जाने की
जल्दबाजी में हुआ होगा , ठीक कर दीजिएगा तो और अच्छा
लगेगा ..
कविता अच्छी है .. 'अनगिन हो कहने को' तो कविता में
भाव ही बोलते हैं .. शब्द भी पीछे हो जाते हैं .. सुन्दर कविता
लिखी है आपने .. यह खंड अच्छा है ---
'' तेरी यादें मकसद हैं
मेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का ''
------------ जीने के साथ सांस और चाह के साथ प्रवाह का संयोह
बहुत ही सुन्दर बन गया है !
आभार !
गजब...प्यार कि अद्भुत अभिव्यक्ति....कोई चाहकर भी ना भुला पायेगा ये लम्हे जो दर्ज हैं आपकी कविता में..
जवाब देंहटाएंतेरी यादें मकसद हैं
जवाब देंहटाएंमेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
बहुत ही सुन्दर लिखा है .
तेरी यादें मकसद हैं
जवाब देंहटाएंमेरे जीने की चाह का
तेरा एहसास उर्जा है
मेरी साँसों के प्रवाह का
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति....