जांना ..
सुन मेरी जांना ..
अक्सर तेरे स्पर्श के बाद
में जाग नही पाता
और सच पूछो
तो सो भी नही पाता
सोया होता हूँ
तो चेतन रहता हूँ
चेतन में सम्मोहित रहता हूँ
तेरि मोहिनी
मुझे पाश में लिए रहती है
साँसों के साथ तेरी खुश्बू
मेरे जिस्म में समा जाती है
जब कभी मैं स्वयं से
स्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है...
sir aapke is andaaz se to pahli baar ru-b-ru hui hoon...preet ki ye kashish asar karti hai!
जवाब देंहटाएंसोया होता हूँ
जवाब देंहटाएंतो चेतन रहता हूँ
चेतन में सम्मोहित रहता हूँ
विरोधाभासी स्वर बहुत खूबसूरती से पिरोया है
चेतन का सम्मोहित होना लाज़िमी है
बहुत सुन्दर
अक्सर तेरे स्पर्श के बाद
जवाब देंहटाएंमें जाग नही पाता
और सच पूछो
तो सो भी नही पाता
वाह...ऐसा शब्द कौशल और कहाँ मिलेगा....अद्भुत रचना...बधाई...
नीरज
वाह्……………बहुत ही भावभीनी दिल मे उतर जाने वाली प्रस्तुति।गज़ब के भाव संजोये हैं और संबोधन भी गज़ब का दिया है…………अत्यंत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंजब कभी मैं स्वयं से
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है...
वाह , बहुत भावपूर्ण प्रेम प्रदर्शन ।
अति सुन्दर ।
..अद्भुत रचना बधाई.
जवाब देंहटाएंकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
जवाब देंहटाएंसोया होता हूँ
जवाब देंहटाएंतो चेतन रहता हूँ
चेतन में सम्मोहित रहता हूँ
तुम्हारी मोहिनी
मुझे पाश में लिए रहती है
सुन्दर रचना |
सुन्दर मोहक प्रेम कविता .
जवाब देंहटाएंअक्सर तेरे स्पर्श के बाद
जवाब देंहटाएंमें जाग नही पाता
और सच पूछो
तो सो भी नही पाता ....
क्या खूब लिखा है... वैसे बहुत करीब से सच ही लिखा है.... अनुभव है हमे भी.
सोया होता हूँ
जवाब देंहटाएंतो चेतन रहता हूँ
चेतन में सम्मोहित रहता हूँ
बहुत सुन्दर !
अक्सर तेरे स्पर्श के बाद
जवाब देंहटाएंमें जाग नही पाता
और सच पूछो
तो सो भी नही पाता .
--
द्वि विधा का बढ़िया छन्द रचा है आपने!
आज दिल्ली की बारिश की फुहार के बीच आपका ये अंदाज़... शोला सा लपक जाए है, अंदाज़ तो देखो!! बाकी तो आज आपके समझने के लिए छोड़ दिया...कम लिखे को ज़्यादा समझिए और कार्ड को तार... नासवा जी, अच्छी है आपकी ये फुहार!!
जवाब देंहटाएंक्या बात है ,कलेजा निकाल कर रख दिया।
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
जवाब देंहटाएंतू चुपके से मेरे सामने आ जाती है.
जबर्दस्त्त भाव ....
अक्सर तेरे स्पर्श के बाद
जवाब देंहटाएंमें जाग नही पाता ...
Beautiful expression !
माधुर्य से ओतप्रोत।
जवाब देंहटाएं"जब कभी मैं स्वयं से
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है"
आज के दिल्ली के मौसम के अनुरूप, बहुत अच्छी लगी आपकी ये प्रस्तुति, प्रेम से ओत प्रोत.
जब कभी मैं स्वयं से
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है...
sundar prastuti .
नासवा जी,
जवाब देंहटाएंआपका ई पंक्ति कि
“जब कभी मैं स्वयं से
स्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है”
पढने के बाद हमको खलील जिब्रान का याद आ गया...क्या मिलाप है... आपके मूड से एकदम अलग कबिता है आज...बहुत सुंदर!!
स्वयं का परिचय पूछता हूँ
जवाब देंहटाएंतू चुपके से मेरे सामने आ जाती है.
Gazab kee gahraayii !
बहुत खुब सुरत रचना जी
जवाब देंहटाएंये जो प्रेम पाश होता है न, वाकई हवा की तरह होता है, जो न दिखे, न सुनाई दे न उसे पकडा जा सके..बस अनुभव किया जा सकता है..और जीवन जिया जा सकता है। पारुलजी के लिये आपका यह अन्दाज़ बिल्कुल नया है, किंतु हम जानते हैं आपके इस अन्दाज़ को, कई बार लुत्फ उठाया है।
जवाब देंहटाएंउसका स्पर्श न जगाये न सुलाये..और स्पर्श यदि ऐसा है तो ही वह असल है..मैं थोडा आध्यात्मिक दृष्टि से सोचूं तो ईश्वर का साथ रहना कुछ इसी तरह का होता है। फिर आपका परिचय क्या होता है, सब होता है वो ही एकमात्र परमपिता...प्रेम आखिरकार ईश्वर ही तो है। खैर बहुत नाजुक सी रचना है..हो भी क्यों न, प्रेम कभी कठोर हुआ है
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंखुद को खोने के बाद ही प्रिय को पाया जाता है ।
जवाब देंहटाएंप्रेमभाव में सराबोर रचना....खुद को खो कर ही पाने का भाव मिलता है ..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंare!!!
जवाब देंहटाएंapka yah ras achhota tha
sundar kavita
दिगंबर जी ये भी आपकी रचनाओं के एक अनोखे रंग है....सुंदर अभिव्यक्ति..बधाई
जवाब देंहटाएंअक्सर तेरे स्पर्श के बाद
जवाब देंहटाएंमें जाग नही पाता
और सच पूछो
तो सो भी नही पाता
सोया होता हूँ
तो चेतन रहता हूँ
चेतन में सम्मोहित रहता हूँ
bahut hi gahre bhaw
Bahut badhiya
जवाब देंहटाएंkafi samay baad aapke blog par aaya aur ek achchhi rachna padhkar ja raha hun !!
जवाब देंहटाएंजब कभी मैं स्वयं से
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है... सुंदर अभिव्यक्ति..बधाई
ऐसा मीठा सपना मैं भी देखना चाहता हूं.
जवाब देंहटाएंमुझे क्या करना होगा
अच्छी पोस्ट है
ईश्वर करें आप सपनों का हकीकत में बदल डालें
bahut pyare aur roomani ehsaas hain ...
जवाब देंहटाएंआपकी ये रचना मन को भा गई....अत्योत्तम!
जवाब देंहटाएंआभार्!
जब कभी मैं स्वयं से
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है...
......gahri bhavpurn rachna
lajabab rachna ke liye badhai
जवाब देंहटाएंतुम्हारी मोहिनी
जवाब देंहटाएंमुझे पाश में लिए रहती है
सारा खेल तो यहीं से शुरू होता है. इतनी बढ़िया नब्ज़ पकड़ी कि सारी समस्या का की जड़ हाथ आ गयी. बन्धु, आप जिस विषय पर भी लिखते हैं, डूब कर लिखते हैं. लगता ही नहीं कि कविता रची जा रही है बल्कि ऐसा महसूस होता है जैसे कोई आत्मकथा हो.
अपना यह हुनर मुझे ट्रांसफर करेंगे क्या?
सोया होता हूँ
जवाब देंहटाएंतो चेतन रहता हूँ
चेतन में सम्मोहित रहता हूँ,
हमेशा की तरह बहुत ही सुन्दर शब्दों को समेटा है आपने इस अभिव्यक्ति में, बधाई।
जब कभी मैं स्वयं से
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है...
वाह प्रेम की पराकाष्ठा की बेमिसाल अभिव्यक्ति। इस कदर बेखुदी ? दिल छू लिया आपकी रचना ने। बधाई
शायद इसे ही प्यार की पराकाष्ठा कहते हैं दिगम्भर भाई।
जवाब देंहटाएं………….
अथातो सर्प जिज्ञासा।
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
नासबा साहब
जवाब देंहटाएंअक्सर तेरे स्पर्श के बाद
में जाग नही पाता
और सच पूछो
तो सो भी नही पाता
क्या
बात है नासबा साहब......आनंद आ गया. कोमल भावनाओं में रची बसी कविता को पढने का शुक्रिया
ek sundar bhavon valee rachna....
जवाब देंहटाएंbahut sundar...
जवाब देंहटाएंlazwaab prastuti....
आपकी जानां के प्रति आपके विचारों को हमने बखूबी जाना।
जवाब देंहटाएं--------
ये साहस के पुतले ब्लॉगर।
व्यायाम द्वारा बढ़ाएँ शारीरिक क्षमता।
वाह ,अति सुन्दर!!!!
जवाब देंहटाएंवाह दिंगबर वाह। ये अहसास टूटने के बाद भी जीवंत रहता है। न सोया न खोया। क्या लिखा है भाई मेरे......वाह वाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंदिगम्बर भाई बाकी सब तो ठीक है । पर तेरे और तू के बीच यह तुम्हारी कहां से आ गई। इसे विदा कीजिए। तेरी मोहिनी ही बेहतर है।
जवाब देंहटाएंयह पंक्तियां बहुत कुछ कहती हैं-
जब कभी मैं स्वयं से स्वयं का परिचय पूछता हूं
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है।
अति सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंमन को भा गई आपकी ये रचना ..
इस बार के ( २७-०७-२०१० मंगलवार) साप्ताहिक चर्चा मंच पर आप विशेष रूप से आमंत्रित हैं ....आपकी उपस्थिति नयी उर्जा प्रदान करती है .....मुझे आपका इंतज़ार रहेगा....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा कल के चर्चा मंच पर है
aadarniy sir ,
जवाब देंहटाएंbahut hi bhav purn avam aapni baat ko puri tarah ,khoobsurati kesaathbikherti lagi aapki yah post shyad pahli baar.
poonam
प्रेम की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति!.... सुंदर पक्तियों ने मन मोह लिया है!
जवाब देंहटाएंनया अंदाज लाजवाब !!!!!!!!! प्रेम का लाजवाब होना ही यह तय कर पाता है......
जवाब देंहटाएंगंभीर रोग लगा बैठे हैं जनाब ......
जवाब देंहटाएंबस राम नाम का जप कर गंगा जल पी लेना
फिर भी न मिले आराम तो रक्षा kare teri siya ran ....सिया राम......
हा....हा....हा.....
बहुत अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंबेहतर...
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह...
वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंजब कभी मैं स्वयं से
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है...
क्या बात है...बहुत ही subtle भाव हैं...कविता के..
मोहक प्रेमरचना...
जवाब देंहटाएंएक अच्छी और मीठी से प्रेमकविता अच्छी लगी..मगर सच कहूँ तो आपकी चिरपरिचित भाव-पीड़ा का अभाव कुछ खला यहाँ...
जवाब देंहटाएं'जब कभी मैं स्वयं से
जवाब देंहटाएंस्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है.'
-सुन्दर.
वाह ....वाह...वाह...
जवाब देंहटाएंमादक मोहक मन को छूती.... बेजोड़ रचना....
सोया होता हूँ
जवाब देंहटाएंतो चेतन रहता हूँ
चेतन में सम्मोहित रहता हूँ
वाह क्या बात है, आज तो मूड रोमांटिक है ।
beautiful poem
जवाब देंहटाएंबाऊ जी,
जवाब देंहटाएं...........
...........
...........
...........
...........
...........
समझ गए ना!
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंnice post!
जवाब देंहटाएंnasba sahab
जवाब देंहटाएंye jagne sone ka andaj bhi khub raha
dil chu liya rachna ne
ab ek gajal bhi hojaye
nasba sahab
जवाब देंहटाएंye jagne sone ka andaj bhi khub raha
dil chu liya rachna ne
ab ek gajal bhi hojaye
nasba sahab
जवाब देंहटाएंye jagne sone ka andaj bhi khub raha
dil chu liya rachna ne
ab ek gajal bhi hojaye
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंरुमानी कविता. दूसरी दुनिया की ओर ले जाती हुई। सत्य
जवाब देंहटाएंरुमानी कविता. दूसरी दुनिया की ओर ले जाती हुई। सत्य
जवाब देंहटाएंयह बेहद दुखद जानकारी सलिल भाई की पोस्ट से पता चली .............हम सब आपके साथ है !
जवाब देंहटाएंईश्वर से यही विनती है कि आपको और पूरे परिवार को इस सदमे से उबरने की शक्ति और मृतात्मा को शांति प्रदान करें |
ॐ शांति शांति शांति !
aapke mansthitee ko samajh saktee hoo mai aise palo me majbooree see mahsoos hotee hai lagta hai insaan ke hath me kuch nahee .Sare plan bane ke bane rah jate hai...... sab parivar jan ko ise ghadee se ubarne me ishvar takat de .......aapka blog jagat ka parivar aapke sath hai............
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsurat..
जवाब देंहटाएंMeri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..
Banned Area News : Brit woman exposed as benefit cheat while working as stripper
jai ho......
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये और ढेरों बधाई.
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
आजादी की शुभकामनाएं....याद रखें उनको जो मुल्क के लिए..हमारे चैन के लिए जान न्यौछावर कर गए....
जवाब देंहटाएंसाँसों के साथ तेरी खुश्बू
जवाब देंहटाएंमेरे जिस्म में समा जाती है
जब कभी मैं स्वयं से
स्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है.
safar me vyast rahee der ho gayee ,bahut bahut badhaaee aazaadee kee is sundar rachanaa ke saath .jai hind .
दिगंबर जी, आशा है सब खैरियत होंगे.
जवाब देंहटाएंजश्ने-आजादी की मुबारकबाद !!
इस प्रेम का तो एक अपना अलग ही दर्शन है.
जवाब देंहटाएंवाह!
दिगम्बर नासवा जी!
जवाब देंहटाएंपुनरागमन पर स्वागत...!!
पुनरागमन पर स्वागत...
जवाब देंहटाएंसलिल
जब कभी मैं
जवाब देंहटाएंस्वयं से स्वयं का परिचय पूछता हूँ
तू चुपके से मेरे सामने आ जाती है ...
प्रेम-रस से सराबोर करती हुई सच्ची भावनाएं
एक एक शब्द भावविभोर कर रहा है
अंतर मन से उपजी मन मोहक रचना पर बधाई स्वीकारें
शुभकामनाएं आपको
जवाब देंहटाएंदिगम्बर नासवा जी!
जवाब देंहटाएंपुनरागमन पर स्वागत...!!
अच्छा लगा आप शीघ्र ही शोक से उबर पाएं
आप मेरे ब्लोग सुज्ञ पर पधारे यह भी अच्छा लगा।
बहुत बहुत आभार।
isi ko pyaar kahte hain ......................
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी यही खास बात है आपकी हर तरह के रंग सिमते है आपकी रचनाओं में..प्रेम की भावनाओं से सजी एक सुंदर रचना...हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी यही खास बात है आपकी हर तरह के रंग सिमते है आपकी रचनाओं में..प्रेम की भावनाओं से सजी एक सुंदर रचना...हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंहर प्रियत्तम ने अपनी प्रियतमा को यही सब कहा है .आज नही युगों से कहते रहे हैं दोनों....एक बात बताऊँ?
जवाब देंहटाएंमैं 'इन्हें' 'जानां जी' कह कर बुलाती हूं.हा हा हा हा किसी को बताना मत अंदर की बात है.
पूरा ब्लोग पढ़ना चाहती हूं आपका.बुक-मार्क कर लेती हूँ.अच्छा लिखते हो न इसलिए.