मौन स्वर है सुप्त हर अंतःकरण
सत्य का होता रहा प्रतिदिन हरण
रक्त के संबंध झूठे हो गए
काल का बदला हुवा है व्याकरण
खेल सत्ता का है उनके बीच में
कुर्सियां तो हैं महज़ हस्तांतरण
घर तेरे अब खुल गए हैं हर गली
हे प्रभू डालो कभी अपने चरण
आपके बच्चे वही अपनाएंगे
आप का जैसा रहेगा आचरण
प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण
आदरणीय दिगम्बर जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
बहुत खूबसूरती से रचना के माध्यम से प्रेरणा दी है
सुन्दर प्रवाहमान रचना ! आपकी लेखनी भी निरंतर चलती रहे यही कामना है !
प्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण
........समाज को सन्देश देती एक सार्थक प्रस्तुति!
आपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण
प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण
....aadmi ke badalti fidrat ka bhavpurn chitran.. ek samajik sandesh deti rachna..aabhar
बहुत खूब. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल. गंभीरता लिए हुए.
जवाब देंहटाएं"प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण"
प्याज का बिम्ब बहुत सुन्दर !
रक्त के संबंध झूठे हो गए
जवाब देंहटाएंकाल का बदला हुवा है व्याकरण
खेल सत्ता का है उनके बीच में
कुर्सियां तो हैं महज़ हस्तांतरण
और सच है बस आवरण ही आवरण रह गया है ..बहुत अच्छी प्रस्तुति
वाह क्या बात है! सचमुच प्याज बनकर ही रह गए हैं हम!
जवाब देंहटाएं"खेल सत्ता का है उनके बीच में
जवाब देंहटाएंकुर्सियां तो हैं महज़ हस्तांतरण"
वाह
अच्छी चल रही है आपकी क़लम .
बढ़िया ग़ज़ल है,नासवा जी
बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !!
जीवनी को कुछ नया सा रंग दो,
जवाब देंहटाएंहर तरफ उत्साह का हो संचरण।
बहुत गजबिया पोस्ट।
मज़ा आ गया पढकर .... एकदम लाजवाब !
जवाब देंहटाएंबाल दिवस की शुभकामनायें !
bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएं... bahut sundar ... behatreen !
जवाब देंहटाएंabhibhut ho yahi kahungi ki ise vatvriksh ke liye bhejen ... taki main isse sambandhit vichaaron ko likh sakun
जवाब देंहटाएंekdam sahi keha sir..!
जवाब देंहटाएंये है इस पहेली का सही जवाब
जवाब देंहटाएंपंडित जवाहर लाल नेहरु
जवाब की जाँच के लिए इस लिंक का प्रयोग करे
http://thebollywoodactress।com/pandit-jawaharlal-nehru-biography/
आप अपना जवाब यहाँ पर दे सकते है
http://i555.blogspot.com/2010/11/4_14.html
अच्छी रचना के लिए बधाई। प्याज बनकर रह गया बस आदमी। दूसरों की आँखों में आँसू भी लाता है।
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी, प्याज में तो बहुत कम आवरण होते हैं...इंसान तो पत्ता गोबी बन गया है.. हा हा हा...बहुत ही खुबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार करें...
बेहतरीन रचना दिल को छू गयी।
जवाब देंहटाएंबाल दिवस की शुभकामनायें.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (15/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
खेल सत्ता का है उनके बीच में
जवाब देंहटाएंकुर्सियां तो हैं महज़ हस्तांतरण
सच मे आज की राजनीति मे पार्टी या व्यक्ति कोई हों सब अन्दर से एक हैं। चोर चोर मौसेरे भाई जैसे
घर तेरे अब खुल गए हैं हर गली
हे प्रभू डालो कभी अपने चरण
हर कोई प्रभु के नाम पर अपनी हाट सजाये बैठा है।
प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण
बिलकुल सही बात है। आपने खूब अच्छी तरह उधेडे हैं इस प्याज के आवरण। बधाई।
प्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण
बेहतरीन रचना दिल को छू गयी।
भाव तो सर्वदा आपके अद्वितीय बंधू ,
जवाब देंहटाएंजो चिंतन भी सकारात्मक करे भ्रमण
लिखते रहिये ....
प्याज वाला बिम्ब पसंद आया !
जवाब देंहटाएंआपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण
प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण
वाह, क्या बात है, बहुत खूब। अंतिम शेर बहुत अच्छा लगा।
जोरदार प्रस्तुति. मैं तो चली अपने प्याज़ के छिलकों में दुबकने
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!
जवाब देंहटाएं--
बाल दिवस की शुभकामनाएँ!
दिगम्बरजी,
जवाब देंहटाएंबेमिसाल। हिन्दी की ताल में बही रचना का यह रूप और इसका अर्थ सचमुच मन को छूता है। हर शब्द का गहरा प्रभाव है..
"प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण.."
कितना सच है यह..अब न उसकी आत्मा रही है न ही आदमीयत..।
वैसे इधर भारत में प्याज बहुत महंगा है..इस दृष्टि से आदमी प्याज की तरह हो जाये तो भी ठीक है, मगर आज आदमी की कीमत बहुत सस्ती हो चुकी है और प्याज उससे महंगा है..
सामयिक बात है।
जवाब देंहटाएंसही मे आवरण ही आवरण ....... बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण ...
---
How true !
We are indeed role models for our children .
.
बहुत ही सामयिक और प्रभावशाली रचना है यह---हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब दिगंबर जी , प्याज के छिलके की तरह कितने सतह पर मुखौटे लगा रखा है इन्सान ने . प्रशंशनीय अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंसबसे सत्य ये रहा कि बच्चे हम को ही अपनाएंगे और हम खुद को नहीं सभाल पाएंगे तो खाक उनसे नेक होने की आशा कर पाएंगे. प्याज की उपमा देकर एक और उपमा इंसान के लिए तैयार कर दी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..........
जवाब देंहटाएंप्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण
वाह .. लाजवाब रचना
बिम्बों से लैस
आपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण
प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण
पूरी ग़ज़ल बहुत पसंद आई ... ख़ास तौर पर ये दो शेर ... बहुत गहराई है रचना में...
बहुत ही बढ़िया और आदमी की सच्चाई को उजागर करती पोस्ट लिखी हैं आपने.
जवाब देंहटाएंफर्क मात्र यही हैं कि -- "प्याज के आवरण और कडवाहट में गुण होते हैं और आदमी की कडवाहट और आवरण में अवगुण ही अवगुण छुपे होते हैं."
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
खेल सत्ता का है उनके बीच में
जवाब देंहटाएंकुर्सियां तो हैं महज़ हस्तांतरण
वाह.... कविता एक मात्र ऐसी विधा है, जो चंद शब्दों में कितनी बड़ी बात कह जाती है. बहुत सुन्दर.
आपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण
प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण
बहुत उम्दा और ख़ूबसूरत मतले से शुरू हो कर इन बा मानी अश’आर पर ख़त्म होने वाली इस मुकम्मल ग़ज़ल के लिये मुबारकबाद क़ुबूल करें
आपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण
सीधा सच्चा शेर...बच्चों से अच्छे संस्कार की उम्मीद करने से पहले खुद ये पथ अपनाना होगा.
प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण
ये तो हासिले-ग़ज़ल है आपका शेर.
बहुत अच्छी ग़ज़ल है....मुबारकबाद.
प्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण
...एकदम सटीक बात कही आपने
आपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण
सटीक कहा है भाई....
जीवनी को कुछ नया सा रंग दो,
जवाब देंहटाएंहर तरफ उत्साह का हो संचरण।
बहुत अर्थपूर्ण ..... बहुत सुंदर .....बेहतरीन रचना
are sahab ghazab ka kamaal kiya hai aapne kya sahdi hui zabaan me har sher utra hai.... :) ek dum dharashai kar diya ghazal ne .....hats off
जवाब देंहटाएंप्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण
वाह सही बहुत खूब ...खूब सही कहा आपने इस शेर के जरिये ..
नासवा जी निश्चित तौर पर
जवाब देंहटाएंसच कहा पर प्याज के आवरण गिने जा सकते
है पर आदमी के नहीं
इस बेहतरीन गजल के लिए बधाई..........
प्याज और आदमी में सिर्फ़ एक समानता है कि वह समय के साथ पर्त दर पर्त उधडता जाता है... और कुछ नहीं..
जवाब देंहटाएंवैसे प्याज आजकल ३० रुपये किलो है और बहुत रुला रहा है.
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 16 -11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंbahut khub...
जवाब देंहटाएंप्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण
कितनी सच्ची बात कह दी आपने .और कितने सटीक तरीके से..
प्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण ....
satya vachan.
गहन अनुभूति एवं प्रभावी चिंतन।
जवाब देंहटाएं---------
जानिए गायब होने का सूत्र।
बाल दिवस त्यौहार हमारा हम तो इसे मनाएंगे।
आपका लेखन तो सदैव ही ह्रदय तक पहुँचने वाला अद्वितीय हुआ करता है,पर इसबार जो आपने हिंदी शब्दों का प्रयोग किया है...
जवाब देंहटाएंमनोरम , अतिसुन्दर , वाह !!!!
sachmuch ...aadmee pyaaz ho gayaa hai ....vahee to main bheee kahoon ki samaaz men itnee badboo kahaan se aa rahee hai !
जवाब देंहटाएंpyaaz ke saare taamsik gun aadmee men aa gaye hain ...
ek shaaleen bhadaas .
बहुत सच्चाई बयां करती हुई रचना.... सचमुच आदमी के लिए प्याज का उदहारण सही बैठता है.
जवाब देंहटाएंप्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण
रक्त के संबंध झूठे हो गए
काल का बदला हुवा है व्याकरण
बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने......
भाव हैं बिलकुल अनूठे आपके
जवाब देंहटाएंभूल ना पाएंगे इनको आमरण..
दिगंबर जी इस ग़ज़ल के किस शेर की तारीफ़ करूँ.. सारे एक से एक.. साधुवाद!!
आदमी की प्याज से तुलना बहुत सटीक है|
जवाब देंहटाएंबधाई
आशा
बहुत ही शानदार रचना ,और आदमी की प्याज से तुलना तो कमाल है ।
जवाब देंहटाएंइस के शीर्षक से ही हम खींचे चले आये :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने..एकदम सटीक बात.
इस के शीर्षक से ही हम खींचे चले आये :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने..एकदम सटीक बात.
brilliant.. kya shandar gazal kahi hai ..mazaa aa gaya
जवाब देंहटाएंआपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण
प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण ।
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां ।
सुन्दर बहुत सुन्दर अंदाज.. प्याज और आवरण ही आवरण ..
जवाब देंहटाएंdigambar ji namaskaar, bahut umda/behatareen rachna hai, badhaai sweekaren.
जवाब देंहटाएंjaanti hoon bahut der ho gai hai is rachna par tipanni dene ke liye par rok nahi paa rahi hoon khud ko..... saral vimbon se zindagi ki sachhai baya kar di aapne
जवाब देंहटाएंjaanti hoon bahut der ho gai hai is rachna par tipanni dene ke liye par rok nahi paa rahi hoon khud ko..... saral vimbon se zindagi ki sachhai baya kar di aapne
जवाब देंहटाएंjaanti hoon bahut der ho gai hai is rachna par tipanni dene ke liye par rok nahi paa rahi hoon khud ko..... saral vimbon se zindagi ki sachhai baya kar di aapne
जवाब देंहटाएंरक्त के संबंध झूठे हो गए
जवाब देंहटाएंकाल का बदला हुवा है व्याकरण
waah!!!sundar panktiyan!
saarthak rachna!
बेहद सटीक बात कह दी आपने कविता के माध्यम से!
जवाब देंहटाएंखेल सत्ता का है उनके बीच में
जवाब देंहटाएंकुर्सियां तो हैं महज़ हस्तांतरण.....
परते खोलती अापकी सभी पंक्तियां
प्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण ।
बहुत ही सुन्दर......
रक्त के संबंध झूठे हो गए
जवाब देंहटाएंकाल का बदला हुवा है व्याकरण
खेल सत्ता का है उनके बीच में
कुर्सियां तो हैं महज़ हस्तांतरण ------------------------दिगम्बर जी,बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां हैं ये----आज की राजनीति का असली चेहरा दिखाया है आपने।
7.5/10
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा और यादगार रचना
इतनी सटीक हिंदी ग़ज़ल यहाँ पहली बार पढने को मिली. हर एक शेर असरदार है, जो सीधे जहन से टकराता है.
सटीक बात!
जवाब देंहटाएंअन्तिम पंक्तियों में सबकुछ है..
जवाब देंहटाएंआपके बच्चे वही अपनाएंगे
जवाब देंहटाएंआप का जैसा रहेगा आचरण
आज कुछ ऐसा ही है और हम आने वाली पीढ़ी को दोष देते रहते है बल्कि यह भी सोचना चाहिए की हमने उन्हे क्या सिखाया
दिगंबर जी....ऐसी भावपूर्ण और सशक्त ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई....अंतिम शेर तो लाज़वाब बन पड़ा है....ऐसी खूबसूरत शेर के लिए जितनी प्रशंसा करें कम है.....
माँ सरस्वती की कृपा सदा आप पर बनी रहे और आप ऐसे ही साहित्य जगत में लोकप्रियता पाते रहे..नमस्कार
!....प्याज के साथ मनुष्य की तुलना...सही में वास्तविकता जता रही है!...धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंउम्दा गज़ल। यह शेर तो याद हो गया...
जवाब देंहटाएंप्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण
..बधाई।
प्याज बन कर रह गया है आदमी
जवाब देंहटाएंआवरण ही आवरण बस आवरण
लाजवाब...बेमिसाल...कमाल...
नीरज