अविश्वास का बस एक पल
और तुम्हारे आँसुओं का सैलाब
हर दहलीज़ लाँघ कर बहा ले गया
विश्वास के मज़बूत लम्हे
रिश्तों का आधार
कच्चे धागों की गरिमा
साथ फेरों का बंधन
वक़्त की खुरदरी सतह पर बिखर गये
कुछ तुम्हारे
कुछ मेरे
कुछ मिल कर देखे ख्वाब
न जाने क्यों
दम तोड़ते ख्वाबों से
भविष्य की आशा चुरा ली मैने
सहेज ली उम्मीद की वो किरण
जो साँस लेती थी हमारी आँखों में
अब जब कभी
तुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
जला दूँगा वो सब लम्हे
जो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
विश्वास कायम रह सके तो फ़िर सब बच जायेगा।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अल्फ़ाज़, आभार स्वीकार करें।
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
waah, isse pyaari baat aur kya hogi !
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
जला दूँगा वो सब लम्हे
जो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
isse pyaari aur kya hogi baat ,vishwaas ka bana rahe aadhaar .har baar ki tarah shaandaar rachna .
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
प्यार में कभी कभी ऐसा भी होता है सुंदर अभिव्यक्ति बधाई
शानदार.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
बहुत ही सुन्दर रचना, विश्वास पर ही तो दुनिया कायम है! बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति!
सात फेरों और विश्वास की कमज़ोर डोर बहुत मज़बूत होती है.. और हाँ इस डोर में गाँठ की कोई गुंजाईश नहीं.. अच्छी कविता, ख़ूबसूरत शब्द.. हमेशा की तरह!!
जवाब देंहटाएंविश्वास और अविश्वास
जवाब देंहटाएंके बीच के द्वन्द को
बड़ी खूबी से लफ़्ज़ों में पिरोया है अपने
बहुत अच्छी और सार्थक कृति ... !!
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
bahut sundar...
बहुत सुन्दर रचना!!
जवाब देंहटाएंसपने सूखने नहीं चहिये , सुखद भविष्य की आशा और धनात्मक सोच वाली कविता अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंन जाने क्यों
जवाब देंहटाएंदम तोड़ते ख्वाबों से
भविष्य की आशा चुरा ली मैने
सहेज ली उम्मीद की वो किरण
जो साँस लेती थी हमारी आँखों में
बहुत सुंदर ...
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
विश्वास बहुत ज़रूरी है ...इसकी फसल लहलहाए यही कामना है ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
विश्वास ही तो जीवन को गति दे रहा है वर्ना हम तो कब थक गए होते
जवाब देंहटाएंआपने मेरे जीवन की एक बड़ी महत्वपूर्ण घटना अपने शब्दों में उकेर दी..
जवाब देंहटाएंजब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी...
बहुत खूब नासवा जी, बधाई.
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
आज आशाओं की रोशनी की सभी को जरूरत है।
कविता के भाव सम्प्रेषण में नवीनता साफ झलक रही है।...बधाई।
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
खूबसूरत !
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
------
आशा और विश्वास की नींव को मजबूत करने में सहायक एक उम्दा अभिव्यक्ति!
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
सच,आशावादी दृष्टिकोण ही जीवन का सही दृष्टिकोण है. सुन्दर कविता.
हर रिश्ते की आत्मा है विश्वास
जवाब देंहटाएंन जाने क्यों
जवाब देंहटाएंदम तोड़ते ख्वाबों से
भविष्य की आशा चुरा ली मैने
सहेज ली उम्मीद की वो किरण
जो साँस लेती थी हमारी आँखों में
क्या बात है ., इस पंक्ति ने तो दिल को छू लिया , हमेशा की तरह लाजवाब लगी रचना .
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास..
आपसी विश्वास ही ज़िंदगी में खुश रहने का सूत्र है..
नए रूप में भी कमाल वाह वाह .
जवाब देंहटाएंशानदार जी,बहुत ही बेहतरीन.....
जवाब देंहटाएंकुंवर जी
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (21-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सरल बयानी में बढ़िया अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्द रचना.
सलाम.
बहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंविश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है।
बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास..
बहुत सुंदर ...बस यही विश्वास बना रहे ....
न जाने क्यों
जवाब देंहटाएंदम तोड़ते ख्वाबों से
भविष्य की आशा चुरा ली मैने
सहेज ली उम्मीद की वो किरण
जो साँस लेती थी हमारी आँखों में
behatarin
---- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
विश्वास ही जिंदगी है....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना...
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
Kitni badhiya shruaat hogi tab dobara!
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
लाजवाब रचना .....बढ़िया अभिव्यक्ति.
बस दिगंबर जी और कुछ मत बोलिए...!
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी चूमने को दिल करता है. यह विश्वास कभी डिगेगा नहीं.
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
जला दूँगा वो सब लम्हे
जो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
बहुत सुंदर और भावपूर्ण पंक्तियां हैं नासवा जी
विश्वास के दम पर इंसान कुछ भी कर लेता है लेकिन अविश्वास रिश्तों की जड़ें खोखली कर देता है
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
वे आँखें सूनी क्यूँ रहें...अगर कोई भरने को तैयार हो उनमे सपने...
ख़ूबसूरत नज़्म
digambar ji , aapki kaaavya rachnao ka kya jawaab , seedhe dil me jaakar utarti hai .. bahut hi sundar panktiyaan..
जवाब देंहटाएंbadhayi .
-----------
मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
मर्म छू गयी रचना...बहा गयी...अभी कुछ भी कहने की मनोवस्था में नहीं...
जवाब देंहटाएंआपमें भावों को शब्द देने की जो क्षमता है न...ओह...
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
वाह ....बहुत खूब सुन्दर शब्द रचना ।
पाँजीटिव सोच को शानदार ढंग से रेखाँकित करती लाजबाव कविता है । नासवा जी इससे अच्छा लेखन और क्या हो सकता है ?
जवाब देंहटाएंविश्वास बनाये रखने के लिए आभार जी !
full of optimism...
जवाब देंहटाएं'अविश्वास का बस एक पल
जवाब देंहटाएंऔर तुम्हारे आंसुओं का सैलाब '
इन्हीं दो पंक्तियों में तो संबंधों का पुराण परिभाषित हो रहा है |
बहुत सुन्दर !
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
....sach aasha jeene ka aadhar hai... bahut badiya bhavabhivykti.
बहुत सुंदर प्रस्तुति...लाजवाब।
जवाब देंहटाएं*गद्य-सर्जना*:-“तुम्हारे वो गीत याद है मुझे”
अत्यंत गहन अभिव्यक्ति. विश्वास बना रहे फ़िर हर तूफ़ान निकल जाते हैं. जिंदगी है इसमे हर पल झंझावात आते जाते रहते हैं. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
Wishwas pae saree qaaynaat shamil hai
जवाब देंहटाएंbahut sunar abhivyakti.
जला दूंगा वो लम्हे जो उड़ा ले गए विश्वास ..
जवाब देंहटाएंइससे बेहतर और क्या होगा ...प्रेम के लिए विश्वास बहुत जरुरी है , इसे लौटाना ही होगा !
विश्वास तो कायम रहना चाहिये
जवाब देंहटाएंजला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
बहुत सुंदर वाह ....बहुत खूब सुन्दर शब्द रचना । नासवा जी
सहेजने, सँवारने और जोड़ने के इस जज्बे को सलाम ! आपके विश्वास की जीत हो यही दुआ है ! बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना है ! बधाई एवं शुभकामनायें स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंजला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
-बहुत बेहतरीन!!!
pyar me kabhi ka ehsas karati sunder kawita
जवाब देंहटाएंshandaar
कभी कभी अविश्वास मन को घेरता ज़रूर है पर
जवाब देंहटाएंमन में है विश्वास -पूरा है विश्वास -
तो सब समेट लेते है हम -
आत्मविश्वास से भरी सुंदर रचना -
कभी कभी अविश्वास मन को घेरता ज़रूर है पर
जवाब देंहटाएंमन में है विश्वास -पूरा है विश्वास -
तो सब समेट लेते है हम -
आत्मविश्वास से भरी सुंदर रचना -
विश्वास का मजबूत संबल.
जवाब देंहटाएंखूबसुरत प्रस्तुति...
अब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
सुंदर रचना!
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास ......
सुन्दर और भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।
बहुत ही खुबसुरत प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएं@ दिगंबर जी,
जवाब देंहटाएंअविश्वास और विश्वास के नाज़ुक से संतुलन पर टिके रिश्तों,फिर उनकी टूटन और पुनः सहेज की उम्मीदों पर बेहतरीन लिखा है आपने !
बस एक बात जो कहना ज़रुरी लग रही है वो यह कि सारा बनाव बिगाड़ तब तक ही है जब तक कि 'मेरा' और 'तुम्हारा' शेष है जिस दिन यह केवल 'हम दोनों' का हो जायेगा उस दिन कोई मसला बाकी ना रह पायेगा !
आपकी कवितायेँ सदैव ही मन को भिगो देती हैं... एक नया एहसास जगाती हैं.. बहुत सुन्दर कविता खास तौर पर ये पंक्तियाँ ...
जवाब देंहटाएं""अब जब कभी
तुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी ""...
इस रिश्ते की नीव विश्वास पर ही टिकी है
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
शुभकामनाये
बहुत ही ह्रदय को छूती सार्थक रचना |
जवाब देंहटाएंबधाई
आशा
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंअब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
.........
बहुत ही आशावान अभिव्यक्ति. सुब्दर उपहार. आभार
माचिस दूँ .....?
जवाब देंहटाएं): ):
भाई दिगम्बर नासवा जी बेहतरीन कविता के लिए आपको बधाई |
जवाब देंहटाएंvishwas par hi to prem ka rishta tika hai....
जवाब देंहटाएंsundar rachna...
जवाब देंहटाएंअब जब कभी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
बहुत सुन्दर पँक्तियाँ आपसी विश्वास की डोर को मजबूत करने की आशा हेतु
जब कभ
छोटी छोटी बातों पर्
हो जाते हैं
हम से
मैं और तुम
रह जाते हैं
कई बडे बडे पल
जीने से।
सुना है आप भारत आये थे? क्या वापिस लौट गये? बहुत बहुत शुभकामनायें।
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास ......
भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।
सम्बन्धों को स्थापित करती कविता।
जवाब देंहटाएंन जाने क्यों
जवाब देंहटाएंदम तोड़ते ख्वाबों से
भविष्य की आशा चुरा ली मैने
सहेज ली उम्मीद की वो किरण
जो साँस लेती थी हमारी आँखों में
एकदम नए विम्बों में संजोई हुई भावमय अभिव्यक्ति !
दिगंबर जी ! आभार, इतनी सुन्दर रचना के लिए !
कोशिश के बावजूद इलजाम रह गया/हर काम में जैसे कुछ काम रह गया। विश्वास और (अ)विश्वास के बीच की रेखा बहुत पतली होती है। आपकी कविता विश्वास का संस्कार कर रही है और अविश्वास का शमन। विश्वास जरूर जीतेगा।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंThere is always a silver lining between the dark clouds.
Hope and dreams are the essence of life .
.
प्रिय बंधुवर दिगम्बर नासवा जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
जब कभी
तुम्हारी सूखी आंखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूंगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
बहुत सुंदर आशावादी स्वर उभरे हैं आपकी कविता में …
इस बार मुलाकातों में कुछ अवरोध - सा आ गया , है न ? आपकी भी प्रतीक्षा है …
♥ ♥ बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वक़्त की आंधी में तूफान बदल जातें हैं |
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी की राहों में इन्सान बदल जाते हैं |
बदलता नहीं कभी भी प्यार मगर ,
प्यार करने वाले इन्सान बदल जाते हैं |
बहुत खुबसूरत रचना विश्वास अगर है तो फिर डर किस बात का है दोस्त |
बाऊ जी,
जवाब देंहटाएंनमस्ते!
आनंद!आनंद! आनंद!
विश्वास विजयी भव:II
आशीष
---
लम्हा!!!
बहुत बार ऐसे पल आते हैं जब विश्वास ढहता सा दिखाई देता है पर ये लौट जरूर आता है कुछ अपने आप और कुछ कोशिश से ।
जवाब देंहटाएंइन्हीं ख्वाबों से
भविष्य की आशा चुरा ली मैने
सहेज ली उम्मीद की वो किरण
जो साँस लेती थी हमारी आँखों में
बहुत सुंदर ।
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
bahut sunder bhawmayee kavita hai.
बहुत प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंरिश्तों का अंत नहीं बल्कि एक नै शुरुआत हमेशा खोजनी चाहिए...
पूरी कविता बहुत सुन्दर... और अंतिम में तो लाजवाब...
बस इसी समझ की जरूरत है...
भरोसा रहे तो दिन लौट लौट कर आते हैं.
जवाब देंहटाएंaadarniy sir .bahut bahut hi uamda prastuti.vishash ko jitne ke liye vishwash ka hona bhi bahut jaruri hai .aapki puri kavita vishwash se paripurn hai.
जवाब देंहटाएंkhas kar ye panktiyan bahut jyada achhi lagin-----
अब जब कभी
तुम्हारी सूखी आँखों में
विश्वास की नमी नज़र आएगी
चुपके से भर दूँगा
भविष्य के कुछ सपने
आशाओं का रोशनी
bahut hi vishvash se bhri pyari si post .koun na diwana ho jaye ise padh kar.
bahut bahut badhai
poonam
कहाँ हो..लिख क्यूं नहीं रहे?
जवाब देंहटाएंटूटे विश्वास को पुनः जोड़ने की आश जगाती प्रेरक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंvishwaas aur aashaaon se paripoorn abhivyakti.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब नासवा जी , शुभकामनायें आपको !!
जवाब देंहटाएंहर अदा न्यारी है, नजाकत प्यारी है
जवाब देंहटाएंशब्दों की बगिया में खिली क्यारी है।
दिगम्बरजी,
जवाब नहीं आपका। बहुत खूब। विश्वास के मज़बूत लम्हें जो दहलीज लांघ ले जाये निश्चित रूप से वो बहुत ज्यादा बलवान होगा।
आंखों में सांस लेना..., क्या बात है..नाजुक सी चीज कह गये जी आप जो अर्थ ही अर्थ समेटे है।
और यह भाव तो आना ही था कि जला दूंगा सब लम्हे......। विश्वास जिस क्षण गुम जाता है, तब भाव समय को खाक कर देना चाहता है।
जला दूँगा वो सब लम्हे
जवाब देंहटाएंजो उड़ा ले गये
तुम्हारा
मेरा
कुछ हम दोनो का ...
विश्वास
behtareen abhivyakti...
aisa hota hai kya...pyar me
विश्वास किसी भी रिश्ते की मजबुत कड़ी होती है। अविश्वास की एक छोटी सी चोट भी विश्वास रूपी शीशे को चकनाचुर कर देती है। मेरे ब्लाग पर मेरी रचना पर टिप्पणी करने के लिए आभार। आशा करता हुॅ कि आपका प्यार इसी तरह मिलता रहेगा और आपकी छत्रछाया में हम इसी तरह आगे बढ़ते रहेगें। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंkalaakaar hai aap , padh bhi lete hai ..shabd bhi de lete hai ...samajhdar hain...ummeed ki kirne pakadna khub jaante hain ...
जवाब देंहटाएंkya baat, kya baat
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