स्वप्न मेरे: आज के नेता

सोमवार, 14 मार्च 2011

आज के नेता

सपनों की सौगात उठाई होती है
वादों की बारात सजाई होती हैं

वोटों की खातिर नेताओं ने देखो
दुनिया भर में आग लगाई होती है

इनकी शै पर इनके चॅमचों ने कितनी
गुंडागर्दी आम मचाई होती है

घोटाले पर घौटाले करते जाते
लीपा पोती आग बुझाई होती है

सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
इनके हिस्से ढेर मलाई होती है

कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
कहने को बस टाँग खिचाई होती है

हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है

89 टिप्‍पणियां:

  1. कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है

    शानदार व्यंग्य!!

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  2. नेताओं की नेतागिरी का वास्तविक चित्रण. बढिया प्रस्तुति...

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  3. कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है
    aur khel ka koi ant nahi hai...

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  4. सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है

    कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है.

    नेताओं के खेल का वास्तविक चित्रण ..

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  5. बाँध वोटरों की आँखों पर आश्वासन की पट्टी !
    नेता जी घुस गए बाथरूम में ले साबुन की टिक्की !!
    जहाँ अन्धो में काना सरदार तो काना राज करे !
    हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे ...!!

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  6. बेहतरीन कविता.. आज के समय पर बढ़िया कमेन्ट...

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  7. वाह! बेहतरीन ग़ज़ल... इस ग़ज़ल के माध्यम से एक दम सही बात कही है आपने...

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  8. एकदम सही बात है , अब देखों न सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया की डीएनए करवाओ

    शर्म तो इनके घुस ही नहीं पाती क्योंकि
    इन्होने नथुनों-कानो में रूई लगाईं होती है :)

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  9. बहुत अच्छा व्यंग...
    सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है ..
    बाकि बातों से इन्हें क्या मतलब, बस इनकी कमाई होतो है..

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  10. सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है

    झन्नाट तमाचा, व्यवस्था के मुँह पर।

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  11. ्कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं नेता,कहने कि टांग खिंचाई होती है। ख़ूबसूरत।

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  12. सपनों की सौगात उठाई होती है
    वादों की बारात सजाई होती हैं

    वोटों की खातिर नेताओं ने देखो
    दुनिया भर में आग लगाई होती है

    behtareen vyangya !
    bahut sachchi bat kahi hai ap ne sheron ke madhyam se

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  13. वास्तविकता का शानदार चित्रण्।

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  14. वोट देकर जनता की भी दो - चार होती है !बहुत सुन्दर

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  15. कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है

    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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  16. वर्तमान परिवेश का जीवंत चित्रण।

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  17. एक ससक्त राजनितिक व्यंग्य ग़ज़ल के माध्यम से.. बहुत सुद्नर

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  18. हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
    मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है

    .......

    राजनीति जैसे समाजसेवा के सुलभ मार्ग को नेताओं ने इतना कलुषित किया है कि राजनीति को कोई अच्छा कैरिअर नहीं मानता. शुभकामना .

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  19. बहुत सुंदर ढंग से व्यवस्था पर आपने रंगों की बौछार किया है बधाई |होली की सभी अप्रवासी भाइयों सहित आपको सपरिवार शुभकामनाएं |

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  20. हल्ला गुल्ला शोर कर, कुर्सी पर चढ़ जाये ! सब लोगों पर राज़ करे, सेवक जी कहलाये !!

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  21. वाह दिगंबर नासवा जी,

    कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है

    हर शेर नेताओं की असली तस्वीर है !
    आज के हालात पर खूबसूरतऔर सच्ची ग़ज़ल !
    मुबारकबाद कबूल करें !

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  22. हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
    मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है

    -क्या बात है, गजब!!

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  23. वाह...अच्छी टांग खीची है आपने....
    बहुत खूब...

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  24. आदरणीय नासवा जी
    नमस्कार !
    बहुत अच्छा व्यंग
    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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  25. कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका

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  26. कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है

    नेता टांग खिंचाई के अलावा कर भी क्या सकते हैं? बहुत शानदार व्यंग.

    रामराम

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  27. नेताओं में मच जाये ना खलबली
    आपकी बातों में सच्चाई होती है ।

    बहुत सुन्दर ग़ज़ल ।

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  28. नेताओं की नेतागिरी का वास्तविक चित्रण| धन्यवाद|

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  29. कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है

    बहुत सार्थक और सटीक रचना..

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  30. कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है
    हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
    मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है .....

    वर्तमान परिदृश्य का वास्तविक सटीक चित्रण...

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  31. कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है

    हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
    मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है
    Harek pankti yatarth bayaan kartee hai!

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  32. व्यवस्था की सच्चाई पर कटाक्ष . हम आँखे बंद करके नेता जो चुन लेते है .

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  33. घोटाले पर घौटाले करते जाते
    लीपा पोती आग बुझाई होती है
    सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है

    राजनीतिज्ञों का वास्तविक चित्रण.....
    बढिया प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  34. हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
    मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है
    शानदार व्यंग.....

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  35. क्या बात है भाई .... ये तेवर भी ??!!

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  36. सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है

    badhiya likha hai magar netao ki pahunch se door rakhiyega ise .

    जवाब देंहटाएं
  37. हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
    मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है...

    बहुत खूब नासवा जी...हर शेर शानदार.

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  38. हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
    मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है...
    आज का सत्य हे आप की कविता, धन्यवाद

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  39. नेताओं में मच जाये ना खलबली
    आपकी बातों में सच्चाई होती है ।
    --
    बहुत सटीक गजल पेश की है आपने!

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  40. घोटाले पर घौटाले करते जाते
    लीपा पोती आग बुझाई होती है

    सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है

    ....बस यही है हमारे हिस्से. ग़ज़ल में बात समझा दी आपने.

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  41. आज के हालात का
    बिलकुल सच्चा और सटीक खाका खींचा है
    शब्द खुद ही अर्थ हो कर
    मन में कहीं गहरे बसे जाते हैं
    मुबारकबाद .

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  42. एकदम सटीक चित्रण. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !
    आभार
    होली के पावन पर्व की आपको अग्रिम शुभकामनाएं.

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  43. वोटों की खातिर नेताओं ने देखो
    दुनिया भर में आग लगाई होती है


    बहुत खूब नासवा जी...हर शेर शानदार.
    वास्तविक चित्रण.....

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  44. व्यवस्था और राजनीति पर गहरा व्यंग्य।

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  45. सपनों की सौगात उठाई होती है
    वादों की बारात सजाई होती हैं

    वोटों की खातिर नेताओं ने देखो
    दुनिया भर में आग लगाई होती है

    बहुत ही सुन्दर!!!!

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  46. दिगंबर नासवा जी,
    राजनेताओं और राजनीति पे अपनी कलम को ज़ाया मत कीजिये , इसपे तुकबन्दियां करने / मंच लूटने / चिल्लपों करने वाले बहुत हैं ! शायरी में आपका खास मक़ाम / एक क्लास है उसपे आंच आती है !

    ऐसा नहीं है कि इस मुद्दे पर लिखने का आपको हक़ नहीं , बात इतनी सी है कि आप इससे बेहतर पर बहुत बेहतर लिखते हैं !

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  47. एकदम सटीक और सार्थक बात कही आपने अपनी इस सुन्दर रचना के माध्यम से....

    कभी कभी लगता है राजनीति का अर्थ केवल यही रहेगा क्या ?????

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  48. आपकी टिपण्णी और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  49. घोटाले पर घौटाले करते जाते
    लीपा पोती आग बुझाई होती है

    सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है

    ..बहुत सही कहा है, ऐसा ही हाल है वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था और नेताओं का .

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  50. बहुत सुन्दर और सार्थक व्यंग्य रचना ...
    वास्तविकता को खूबसूरत ढंग से बयां करती है

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  51. ये कुर्सी का ही तो सारा खेल है ...बढ़िया कटाक्ष.

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  52. सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है
    ekdam sachchi baat likhe hain...

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  53. होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
    आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।

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  54. आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  55. बहुत अच्छे सारा खेल तो यही है

    होली की हार्दिक शुभकामनायें।
    http://rimjhim2010.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html

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  56. नासवा जी , आज के नेता पर बिलकुल सही कहा आप ने .... होली की हार्दिक शुभकामनायें .
    लघुकथा --आखिरी मुलाकात

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  57. नेता वेता भूलो आज तो बस,

    तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
    तन रंग लो,
    खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
    प्यार के ले लो...

    खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...

    जय हिंद...

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  58. होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  59. होली पर आपको सपरिवार शुभकामनायें

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  60. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  61. होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना

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  62. उत्‍सव, उल्‍लास, उमंग की उत्‍साही भावना
    हो रंगों का हुड़दंग शुभ,यह फागुनी कामना।

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  63. आपकी ग़ज़ल लाजवाब है.
    होली की ढेर सारी शुभकामनायें.

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  64. होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  65. आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ

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  66. नेह और अपनेपन के
    इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
    उमंग और उल्लास का गुलाल
    हमारे जीवनों मे उंडेल दे.

    आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर
    डोरोथी.

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  67. कुर्सी कुर्सी खेल रहे हैं सब नेता
    कहने को बस टाँग खिचाई होती है

    हिंदू मुस्लिम इनकी सत्ता के मुहरे
    मंदिर मस्जिद रोज़ लड़ाई होती है

    बेहतरीन ग़ज़ल ! एक एक शेर सच्चाई को बयां करता हुआ !
    आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  68. मोहरा तो हम आप ही बनते हैं इन नेताओं के।
    सही चित्रण किया है।

    सरजी, आपकी ’उफ़ तुम भी न’ वाली रचना बहुत हांट करती है अपने को, आज भी एक बार फ़िर से पढ़ कर आया हूँ।

    होली की शुभकामनाओं के लिये आपका धन्यवाद, आप सबके जीवन में भी खुशियों के रंग बिखरें।

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  69. रंग के त्यौहार में
    सभी रंगों की हो भरमार
    ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
    यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।

    आपको और आपके परिवार को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......

    होली की खुब सारी शुभकामनाये........

    सुगना फाऊंडेशन-मेघ्लासिया जोधपुर,"एक्टिवे लाइफ"और"आज का आगरा" बलोग की ओर से होली की खुब सारी हार्दिक शुभकामनाएँ..

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  70. आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  71. परम आदरणीय दिगंबर जी,
    आपको होली की रंगारंग शुभकामनाये!!

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  72. कष्ट में भी हास्य की संभावना बाकी रहे
    प्रेम का बंधन रहे सदभावना बाकी रहे!

    ... बधाई!...बहुत सुंदर भावोक्ति!

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  73. सूखा हो या हाहाकार मचा कितना
    इनके हिस्से ढेर मलाई होती है

    लाजवाब ग़ज़ल...वाह... भाई..ढेरों दाद कबूल करो...
    नीरज

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है