मैने तो जब देखा अम्मा आँखें खोले होती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
बँटवारे की खट्टी मीठी कड़वी सी कुछ यादें हैं
छूटा था जो घर आँगन उस पर बस अटकी साँसें हैं
आँखों में मोती है उतरा पर चुपके से रोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
मंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
घर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है
बच्चों के मन में आशा के दीप नये संजोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
चेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
श्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
इन सब से अंजान वो अब तक ऊन पुरानी धोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
bahut sunder bhav liye bahut sunder rachana.
जवाब देंहटाएंvishv kee her ma ko naman.
माँ पर आज ढेर सारी रचनाएं पढि.. किन्तु उनमे बेहतरीन कविता है यह... शुभकामना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना. मात् दिवस कि शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंजाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है?
जवाब देंहटाएंइस प्रश्न का उत्तर नहीं है ,सार्थक पोस्ट के लिए आपका आभार मदर्स डे पर सभी माताओं को मेरी बधाई.....
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
क्या कहें दिगम्बर!!! रचना तो किन ऊँचाईयों पर है, इसका आंकलन करना ही संभव नहीं..
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस की शुभकामनाएँ...
माँ की ममता अकथ है। बहुत सुन्दर! मदर्स डे की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंजाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
जवाब देंहटाएंआपने तो हमें अपनी दादी की याद दिला दी । दादी हो या मां , सभी ऐसी होती हैं ।
अति सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत भावमयी रचना ... मातृ दिवस की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंमाता के चरणों में यह शानदार श्रद्धा सुमन से शब्द है।
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस की शुभकामनाएँ, मित्र!!
बँटवारे की खट्टी मीठी कड़वी सी कुछ यादें हैं
जवाब देंहटाएंछूटा था जो घर आँगन उस पर बस अटकी साँसें हैं
आँखों में मोती है उतरा पर चुपके से रोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
bahut hi badhiyaa
बहुत सुंदर गीत.
जवाब देंहटाएंaaj ke shubh awsar par aapne char chnad laga diye!
जवाब देंहटाएंमातृदिवस की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने!
एक व्यक्तित्व की छाँह में छिपा सारा जीवन। सुन्दर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंए माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी... आपके इस गीत में उस भगवान की छाया सिमट आई है!! माँ तुझे प्रणाम!!
जवाब देंहटाएंकितना सुंदर ....सभी प्यारी प्यारी ममाओं को हैप्पी मदर्स डे
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत अछि रचना है, माँ के लिए तो सारा शब्द कोष ही खली पद जाता है, परन्तु आपके भावों ने इस रचना के साथ न्याय किया है!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
maaf kijiyega * शब्द कोष ही खाली पड़ जाता है
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी,माँ.. शक्तिमयी ,शीतल ,ममता का बल ,निश्छल .....सबकुछ होती है...सारगर्भित कविता के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना| मात् दिवस कि शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत...सच ऐसी ही होती हैं मां.
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंसही बात तो यह नासवा जी कि मैं इस ब्लॉग में आया तो देर तक आपकी पिछली गजल गुनगुनाता रह गया।
बँटवारे की खट्टी मीठी कड़वी सी कुछ यादें हैं
जवाब देंहटाएंछूटा था जो घर आँगन उस पर बस अटकी साँसें हैं
आँखों में मोती है उतरा पर चुपके से रोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
Behad khoobsoorat ehsaas!
चेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
जवाब देंहटाएंश्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
बहुत खूब !
माँ के लिये जितना भी कहा जाए कम है
सुंदर रचना. मात् दिवस कि शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा सा गीत भाई दिगम्बर जी बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा सा गीत भाई दिगम्बर जी बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंमंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
जवाब देंहटाएंघर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है
बच्चों के मन में आशा के दीप नये संजोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
हृदयस्पर्शी..... बहुत सुंदर भाव संजोये आपने..... हर पंक्ति मन छूने वाली....
माँ को प्रणाम!
जवाब देंहटाएंमातृदिवस पर बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
--
बहुत चाव से दूध पिलाती,
बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
सीधी सच्ची मेरी माता,
सबसे अच्छी मेरी माता,
ममता से वो मुझे बुलाती,
करती सबसे न्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
--
http://nicenice-nice.blogspot.com/2011/05/blog-post_08.html
चेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
जवाब देंहटाएंश्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
माँ के जीवन के हर पहलु और हर भूमिका को आपने इन शब्दों में बांध दिया ...हर शब्द में गहरे अर्थ भर दिए हैं आपने ..आपका आभार
सुन्दर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंचेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
जवाब देंहटाएंश्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
इन सब से अंजान वो अब तक ऊन पुरानी धोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
चेहरे की इन झुरिओं मेउसके जीवन के अनुभव छुपे होते हैं जो सोते जागते बच्चों को बाँटती है चेहरे पर मुस्कान लिये दुख दर्द दिल मे दबाये रखती है। जीवन की लू से ये झुरियाँ बच्चे के सिर पर आस्मान की तरह साया सा बन जाती हैं। मातृ दिवस पर सुन्दर रचना के लिये आभार और बधाई।
इन सब से अंजान वो अब तक ऊन पुरानी धोती है
जवाब देंहटाएंजाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है...
Great expression !
.
चेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
जवाब देंहटाएंश्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
इन सब से अंजान वो अब तक ऊन पुरानी धोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
माँ के ऊपर तो जितना लिखा जाये वो कम ही है......
हर रिश्ते से ऊपर है माँ.
अच्छी प्रस्तुति.
अम्मा सचमुच अक्सर अपने महत्व से अंजान होती है...अंतिम दो पंक्तियाँ बड़ी ही प्यारी हैं....
जवाब देंहटाएंआपकी माँ के प्रति सुन्दर भावनाओं को सादर नमन
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता और प्यार को भुलाया नहीं जा सकता.
अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.
आह सुकून सा आया पढकर.एक उत्कृष्ट रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही मन से लिखा है आपने.
मंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह, एक दम सही बात कह दी है आपने ... बहुत अच्छी रचना !
निशब्द हूँ आपकी इस श्रेष्ठ अभिव्यक्ति पर |
जवाब देंहटाएंतू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है प्यारी -प्यारी है ओ माँ ..
जवाब देंहटाएंमाँ तो है ही समर्पण की मूर्त
ये नज़्म तो संवेदनाओं के तार झंकृत कर दे रही है.
जवाब देंहटाएं---देवेंद्र गौतम
मां के लिये कहा गया हर शब्द ... भावमय ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा है ।
जवाब देंहटाएंजाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है..
जवाब देंहटाएंप्यारी -प्यारी भोली सी माँ तो बस माँ होती है...
मातृ दिवस पर सुन्दर रचना के लिये आभार.......
सिर्फ़ आखिरी पैरा वाली मां मैने अपनी नही देखी . बाकि मेरी मां ऎसी ही थी
जवाब देंहटाएंमाँ तो किसी भी शब्द से परे है . सुँदर भावभीनी रचना के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंमां आखिर मां है।
जवाब देंहटाएंआँखों में मोती है उतरा पर चुपके से रोती है
जवाब देंहटाएंजाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
बहुत ही बढ़िया लिखा है.....बिलकुल आँखों के आगे साकार हो गयी....माँ की तस्वीर
भावुक कर दिया आपने...
जवाब देंहटाएंसार्थक अतिसुन्दर रचना....
वाह...वाह...वाह...
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी के लिए आभार !
माँ से बड़ा कोई नहीं...शुभकामनायें नासवा जी !
बेहतरीन भाव .....
जवाब देंहटाएंपहली दोनो पंक्तियां ही बार-बार पढ़ती गयी ....जब आगे पढ़ा तो हर पंक्ति के साथ ऐसा ही हुआ ....लगा आप ने मेरी मां पर ही लिखा है..शायद ये मां होने की ख़ासियत है ....आभार !
घर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है ।
जवाब देंहटाएंयही है माँ ।
मातृदिवस पर इतनी भावभीनी रचना प्रस्तुति का आभार ।
आदरणीय नासवा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
माँ के प्रति सुन्दर भावनाओं को सादर नमन
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
.....बहुत ही बढ़िया लिखा है
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
झुर्रियों में अनुभव और सुफेदी मे युग संदेश सत्य है। कब सोती है कब जागती है पता नहीं हमने तो जब भी देखा उसे जागते हुये ही पाया ।और विशेष बात यह कि उसकी आंखें मोती उसी वक्त भिगोते है जब वह तनहा होती है।
जवाब देंहटाएंचेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
जवाब देंहटाएंश्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
इन सब से अंजान वो अब तक ऊन पुरानी धोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
...maa aisee hi hoti hai...usko apne liye sochne ka samay hi kahan milta..
bahut hi dil ko chhu jaane wali rachna...aabhar
माँ के प्रति भाव बहुत ही गहराई से उतर आये हैं..बहुत ही मर्मस्पर्शी और भावमयी प्रस्तुति..आँखों को नाम कर दिया आपकी रचना ने..
जवाब देंहटाएंजाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
जवाब देंहटाएंअन्तर्मन को झकझोरती मां की ममतामयी व्यथा...
behatreen kriti.....bahut sundar..
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna...maa aakhir maa hoti hai..sabse badhkar vahi hai..
जवाब देंहटाएंMan ko chhu gaye bhaav.
जवाब देंहटाएं............
तीन भूत और चार चुड़ैलें।!
14 सप्ताह का हो गया ब्लॉग समीक्षा कॉलम।
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
चेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
जवाब देंहटाएंश्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
इन सब से अंजान वो अब तक ऊन पुरानी धोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
bahut khoobsurat panktiyaan likhi hai man ko chhoo gayi
श्वेत धवल केशों में युग संदेश.............वाह दिगंबर नासवा भाई वाह| क्या कहन है आपकी| बहुत खूब|
जवाब देंहटाएंमंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
जवाब देंहटाएंघर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है
मां है तो घर मंदिर ही है।
मां की महिमा का वर्णन करती यह रचना बहुत प्रियकर है।
आभार, नासवा जी।
मंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
जवाब देंहटाएंघर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है
बच्चों के मन में आशा के दीप नये संजोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
माँ को समर्पित एक सुंदर कविता...त्याग की प्रतिमूर्ति माँ का स्थान ईश्वर से भी उँचा है..माँ को प्रणाम करता हूँ दिगंबर ही इस सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
bahut sunder rachna......
जवाब देंहटाएंभाई दिगंबर नासवा जी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन !
नेट से लगभग दूरी-सी रही पिछले दिनों… ( अभी भी ज़्यादा समय नहीं दे पा रहा )
आपकी ताज़ा पोस्ट भी पढ़ ली है … लेकिन यह रचना इतनी भावविभोर कर गई कि इसके लिए आभार कहे बिना लौटना संभव नहीं मेरे लिए …
मां मेरे लिए ऐसा विषय है कि मैं सम्मोहित हो जाता हूं …
मंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
घर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है
नमन है बंधु !
मेरी भी ग़ज़ल का मत्ला और एक शे'र मुलाहिजा फ़रमाएं …
तेरे दम से है रौनक़ घर मेरा आबाद है अम्मा !
दुआओं से मुअत्तर है ये गुलशन शाद है अम्मा !
तेरे क़दमों तले जन्नत , दफ़ीने बरकतों के हैं
ख़ुदा का नाम भी दरअस्ल तेरे बाद है अम्मा !
एक बार फिर से सुंदर रचना के लिए आपको
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है ,
जवाब देंहटाएंलोरी सा गीत ,बहुत सुन्दर है माँ की ही तरह .
मंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
जवाब देंहटाएंघर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है
बच्चों के मन में आशा के दीप नये संजोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
WAAH BAHUT BAHUT SUNDAR LIKHA HAI ..BAHUT HI MITHI SI RACHNA HAI YAH
http://shayari10000.blogspot.com
जवाब देंहटाएंमां का आशीवाद और आपकी कवितायेँ....यूं ही दिन रात आगे बढती रहें...:)
जवाब देंहटाएंचर्चा में आज नई पुरानी हलचल
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी ! आपकी यह रचना मन को प्रभावित करती है और एक भारतीय मां का रूप सामने लाती है। ‘प्यारी मां‘ ब्लॉग पर आपकी यह रचना आज लगाई गई है।
जवाब देंहटाएंआपका सादर स्वागत है और आपके सभी पाठकों का भी !
इस सुंदर रचना तक हमें पहुंचाया सुनीता शानू की प्रस्तुति ने जिसका लिंक उन्होंने ऊपर दिया हुआ है। हम आपके और सुनीता जी के दोनों के आभारी हैं।
वो जाने किस पल सोती है ? No Sleep