गुरुदेव पंकज सुबीर जी के आशीर्वाद से सजी ....
धीरे धीरे बर्फ पिघलना ठीक नही
दरिया का सैलाब में ढलना ठीक नही
पत्ते भी रो उठते है छू जाने से
पतझड़ के मौसम में चलना ठीक नही
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
ख़ौफ़ यहाँ बेखौफ़ दिखाई देता है
रातों को यूँ घर से निकलना ठीक नही
अपने ही अब घात लगाए बैठे हैं
सपनों का आँखों में पलना ठीक नही
जब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
दिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
यादों का लावा फिर से बह निकलेगा
दिल के इस तंदूर का जलना ठीक नही
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
ऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
ऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
bahut hi achha laga bahut hi jyada
क्या शेर कहे है नासवा जी कोई शब्द नहीं है मेरे पास तारीफ के:
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
फिर
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
ऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
और अंत में एक सलाह...
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही
बस इतना ही कह सकती हूँ वाह! वाह!
गजब चमत्कृत गज़ल है।
जवाब देंहटाएंचिंतन को उद्देलित करती……… प्रभावशाली रचना!!
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
ख़ौफ़ यहाँ बेखौफ़ दिखाई देता है
रातों को यूँ घर से निकलना ठीक नही
अपने ही अब घात लगाए बैठे हैं
सपनों का आँखों में पलना ठीक नही
बहरा ना हो जब तक की सुनने वाला
दिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
एक एक शेर सार्थक!! गागर में सागर!!
किस शेर की तारीफ़ करूँ और किसे छोडूँ …………गज़ल का हर शेर दर्द की ताबीर है…………बेहतरीन्।
जवाब देंहटाएंबहरा ना हो जब तक की सुनने वाला
जवाब देंहटाएंदिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
यादों का लावा फिर से बह निकलेगा
दिल के इस तंदूर का जलना ठीक नही
गज़ल से खूबसूरत सन्देश दिया है ...बहुत सुन्दर गज़ल
"इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नहीं "
................कोमल भावों का सुन्दर शेर , हर शेर बेहतरीन
..............उम्दा ग़ज़ल
har sher ....behtreen hai is gazal kaa ...
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
waah
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
जवाब देंहटाएंऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही
बहुत ही प्रभावशाली रचना है एक एक पंक्ति दिल की तह तक जाती है.
वाह,
जवाब देंहटाएंऐसा बहुत कम होता है कि किसी ग़ज़ल के सारे शेर अच्छे हों ! इस ग़ज़ल के सभी शेर एक से बढ़कर एक हैं !
मुक्कमल ग़ज़ल !
खैाफ का बेकौफ होना आलंकारिक , अन्तिम शेर से मिलता शीर्षक, सब कहां ऐसा सोचते है कि चिडिया भाग जायेगी रौशनदान न बदलवायें। सुन्दर रचना । 'अक्ल से ज्यादा टिप्पणी देना ठीक नहीं ' इसलिये आज टिप्पणी शार्ट में
जवाब देंहटाएंपंकज सुबीर जी के निर्देशन में बुनी गई उत्तम ग़ज़ल| बधाई दिगंबर भाई| इस ग़ज़ल के कई मिसरे चौंका देते हैं| आख़िरी मिसरा तो जैसे आप को यथावत अभिव्यक्त कर रहा है|
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
बहुत ही प्रभावपूर्ण रचना...हर पंक्ति ही सोचने को मजबूर करती है.
ख़ौफ़ यहाँ बेखौफ़ दिखाई देता है
जवाब देंहटाएंरातों को यूँ घर से निकलना ठीक नही
अपने ही अब घात लगाए बैठे हैं
सपनों का आँखों में पलना ठीक नही
बहुत ही सही की बात कह दी आपने अपनी इस ग़ज़ल में...
अजब और गजब ! आखिरी जूमला लाजबाब ! बहुत कुछ कह गई
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
क्या बात है, लाजवाब ग़ज़ल !
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
आपकी इन पंक्तियों ने तो नि:शब्द कर दिया ....
aadarniy sir
जवाब देंहटाएंvilamb se tippni daalne ke liye dil se xhma chahti hun .
apke is umda gazal ki jitni bhi tarrif karun shabd kam pad jayenge .
har shabd itni gahn abhivykti v yatharth ko prakat karte hain ki bas lagta hai ki yahi kahun ki
WAH!wah ----
bahut bahut hi shandar prastuti ke liye hardik badhai
poonam
बाकी सब कुछ तो ठीक नहीं, पर गजल बिल्कुल ठीक है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावशाली रचना है| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंभाई दिगम्बर जी बहुत ही उम्दा गज़ल पढ़ने को मिली बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंजब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
जवाब देंहटाएंदिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
-हाय!! क्या गुढ़ बात कही...छा गये महाराज!!!!वाह वाह!!!
जब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
जवाब देंहटाएंदिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
वाकई उम्दा प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ज़नाब!
जवाब देंहटाएंग़ज़ल के सभी मिसरे दिल को छैने वाते पेश किये हैं आपने!
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 17 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत खूब दिगंबर भाई!!एक एक शेर लाजवाब है..
जवाब देंहटाएंसारे शेर हैं एक से बढ़कर एक "सलिल"
किसी एक को बेहतर कहना ठीक नहीं!!
एक एक शेर में गहराई है भाई ।
जवाब देंहटाएंअत्यंत आनंददायक ग़ज़ल ।
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
बहुत सुंदर ग़ज़ल......
न हो ठीक, जमाना रहे यूँ ही,
जवाब देंहटाएंहमें अब आप में यूँ डूबना आने लगा।
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
जवाब देंहटाएंबर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही
kya khub hai baat
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
bahut sunder lajavab
puri gazal behtarin hai
saader
rachana
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
यह एक ऐसी संवेद्य ग़ज़ल है जिसमें हमारे यथार्थ का मूक पक्ष भी बिना शोर-शराबे के कुछ कह कर पाठक को स्पंदित कर जाता है।
har nazm behatarin bhav liye huye.......sunder prastuti.
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
बहुत सुंदर
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
दिगंबर भाई कुछ कहने लायक छोड़ा ही नहीं आपने सिवा वाह के...मतले से मकते तक सरापा ग़ज़ल इतनी खूबसूरत है के बस...पढ़ते जाओ पढ़ते जाओ पढ़ते ही जाओ....कमाल किया है आपने...गुरुदेव के चमत्कारी प्रभाव से अविस्मरनीय ग़ज़ल हो गयी है ये...मेरी दिली दाद कबूल करो भाई...और लिखते रहो...बहुत सुकून मिलता है आपका कलाम पढ़ कर...
जवाब देंहटाएंनीरज
जब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
जवाब देंहटाएंदिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
वाह जी बहुत खुब लगी आप की पुरी गजल, धन्यवाद
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
वाह क्या बात है, बहुत खूब
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही
हर पंक्ति गहन चिंतन की उपज है ! बहुत ही लाजवाब रचना ! बधाई स्वीकार करें !
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही ...
Very appealing lines .
.
पत्ते भी रो उठते है छू जाने से
जवाब देंहटाएंपतझड़ के मौसम में चलना ठीक नही
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
aapke sher seedhe dil me utar gaye.adbhut ghazal prastut ki hai aapne.uparukt sher aapke hardya ki samvedan sheelta ko mahsoos karate hain.aapka aabhaar.
Behad khoobsurat aur behad sashakt gazal... Bahut dino baad aisi gazal padhne ko mili...
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
क्या बात है इस शेर में,वाह नासवा जी वाह.
सभी शेर प्यारे है.
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने ! बधाई!
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
हमेशा जैसे, बहुत सुन्दर!
प्रभावशाली रचना के लिए आभार आपका ! शुभकामनायें नासवा जी !
जवाब देंहटाएंबहरा ना हो जब तक की सुनने वाला
जवाब देंहटाएंदिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
यादों का लावा फिर से बह निकलेगा
दिल के इस तंदूर का जलना ठीक नही
दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आभार!
theek baat hai.
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही....
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...हरेक शेर दिल को छू जाता है..
एक से बढ़कर एक शेर गढ़े हैं आपने....
जवाब देंहटाएंमन को छू जाने वाली बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...
जब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
जवाब देंहटाएंदिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
wah, wah,...aap kahi hui ek ek baat besh kimtee motee hai!..dhanyawaad!
saare sher prabhaawshaali hain
जवाब देंहटाएंबात तो आपने सही कहा है पर जीतने भी हमारे देश के नेता है सब एक से बढ़कर एक है! चूँकि मैं पांडिचेरी की हूँ इसलिए जयललिता मुख्यमंत्री बनी फिर से इस बात की ख़ुशी हुई!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंअपने ही अब घात लगाए बैठे हैं
जवाब देंहटाएंसपनों का आँखों में पलना ठीक नही
जब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
दिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति
हर शेर बेहद संवेदनशील ....उम्दा अभिव्यक्ति ...सादर !
जवाब देंहटाएंपत्ते भी रो उठते है छू जाने से
जवाब देंहटाएंपतझड़ के मौसम में चलना ठीक नही
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
संवेदनशीलता से भरी लाइनें
और पंक्तियों में भी अनुभवों और सीख का निचोड़ है ।
बहुत सुंदर रचना ।
गुस्से को सड़कों तक तो लाना ही होगा ,
जवाब देंहटाएंबर्तन में ही दूध उबलना ठीक नहीं .
एक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है ,
घर के रोशनदान बदलना ठीक नहीं.
जैसा बोते हो वैसाही काटोगे ,
धरती को यूं बाँझ बनाना ठीक नहीं .बेहतरीन प्रयोग आपके ,अलफ़ाज़ आपके .
बहुत सुंदर गजल ! प्रशंसनीय !
जवाब देंहटाएंbahut lajwaab ....shukriya padhvane ke liye
जवाब देंहटाएंमन के भा्वों की सुन्दर अभिव्यक्ति है ।
जवाब देंहटाएंजिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
जवाब देंहटाएंऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही
बोलचाल की ज़ुबान में मौजूदा दौर की तल्ख़ हकीकत की अक्कासी..बधाई!
---देवेंद्र गौतम
बधाई हो ..हम बहरों ने आपके दिल के राज़ को भली-भांति समझ लिए ..बहुत... बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंअपने ही अब घात लगाए बैठे हैं
जवाब देंहटाएंसपनों का आँखों में पलना ठीक नही
लाजबाब !
Waah, digambar ji, ek ek sher kot karane layak..
जवाब देंहटाएंshilp ki sanrachan ne gazal ko bahut adhik sundar bana diya hai..
sundar bhav se saji sundar gazal..badhai ho
अपने ही अब घात लगाए बैठे हैं
जवाब देंहटाएंसपनों का आँखों में पलना ठीक नही
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
ऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
yun to aapka likha har sher behatriin hai vo bhi pankaj subir ji ke ashirvad ke baad to kuch kahne ki jagah hi nahi bachti fir bhi mujhe ye do sher bahut hi dilkash lage bandhai swikaren
आदरणीय नासवा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
जब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
दिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
......बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति
हरेक शेर दिल को छू जाता है..
जवाब देंहटाएंग़ज़ल उम्दा है.....
जवाब देंहटाएंहर एक शेर तक जाते जाते वाह वाह का स्वर बढ़ता जाता है....
इस नाज़ुक शेर का तो क्या कहना....
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
जिंदाबाद.....!!!
बड़े पते की बात कह डाली मियां......
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
ऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
और ये हासिले ग़ज़ल शेर है
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
ख़ौफ़ यहाँ बेखौफ़ दिखाई देता है
रातों को यूँ घर से निकलना ठीक नही
bahut hi khoobsurat ,badhai sweekaare
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जवाब देंहटाएंहमारीवाणी पर पोस्ट प्रकाशित करने की विधि
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ये पंक्तियाँ छू गईं-
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है.
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
जवाब देंहटाएंऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही
बहुत ही प्रभावशाली रचना है एक एक पंक्ति दिल की तह तक जाती है!!
BEHAD KHUBSURAT GAJAL HAI HAR SHER BAHUT HI KHUBSURAT HAI
जवाब देंहटाएंजिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
जवाब देंहटाएंऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
आजकल ऐसे चेहरे आस पास मिल ही जाते हैं।
समय की चलन को शब्द देती बेहतरीन ग़ज़ल।
बेहतरीन गज़ल। हर शेर लाज़वाब। देर से पढ़ने का अफसोस है। ..वाह!
जवाब देंहटाएं"अपने ही अब घात लगाए बैठे हैं
जवाब देंहटाएंसपनों का आँखों में पलना ठीक नही
जब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
दिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही
यादों का लावा फिर से बह निकलेगा
दिल के इस तंदूर का जलना ठीक नही
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
ऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही
गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही"
हर शेर काबिल-ए-तारीफ है...
पूरी नज़्म ही उतारने देने को मन कर रहा है !!
बहुत खूब कहूं..या कि...खूबसूरत..
हर तरह से दाद दी जा सकती है.....!!
beautiful lines !!
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रौशनदान बदलना ठीक नहीं !
वाह बहुत सुंदर ! हर पंक्ति लाजवाब !
इक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
जवाब देंहटाएंघर के रोशनदान बदलना ठीक नही
संवेदनशील... लाजवाब प्रस्तुति.......
क्या बात है...
जवाब देंहटाएंthank you so much..
जवाब देंहटाएंवाह हर शे'र लाजवाब! सब अच्छे लगे.
जवाब देंहटाएंइक चिड़िया मुद्दत से इसमें रहती है
घर के रोशनदान बदलना ठीक नही
आपकी संवेदनशीलता को दर्शाते है एक नेक इंसान जिन्दा है भीतर.उसकी लम्बी उम्र हो.
'जब तक सुनने वाला ही बहरा न मिले
दिल के सारे राज़ उगलना ठीक नही'
बस यहीं हम औरते जबर्दस्त भूल कर बैठती हैं.मैंने अब जा कर सीखा ये सब.
'यादों का लावा फिर से बह निकलेगा
दिल के इस तंदूर का जलना ठीक नही' नन् न् न् दिल के तंदूर में और लकड़ी कोयला डालते रहो भाई,ये यादोँ के उफनते लावे जिंदगी को ठडक देते है यही तो विशेषता है इस दिल के तंदूर की और उसमे से निकलते लावे की.
जिनके चेहरों के पीछे दस चेहरे हैं
ऐसे किरदारों से मिलना ठीक नही' हा हा हा
किस किस को आजमाते जीवन में जिसको असली समझा वो हर चेहरा नकली निकला .
'गुस्से को सड़कों तक तो लाना होगा
बर्तन में ही दूध उबलना ठीक नही" लो जी ये तो अन्ना हजारे और रामदेवजी महाराज पर आज के सन्दर्भ में एकदम सटीक बैठ रहा है.अब तो मानोगे कि मैंने सीरियसली पढा है हर शब्द को? इसलिए मेरी दाद झूठी नही है. बहुत खूब ! जियो.
कितना सच दिगंबरर्जी, । बधाई, इस संवेदना के लिए।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना पढने को मिली ||
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी का बहुत-बहुत आभार ||
baat dil ki hai to phir dil se hi kee jayegi.... euin to bahut si rachnayeom padhne ko roj milti rahti hain,,, acchi bhi hoti hain... per aisi rachnayein shayer bhi samay samay par likhte hain aur pathak bhi samay samay par padhte hain,,, mujhe behad acchi lagi.. hardik badhayiyi
जवाब देंहटाएंHAR SHER DIL KO CHHOO RAHAA HAI .
जवाब देंहटाएंबहुत व्यस्त हूँ इस वक़्त...सोचा एक दो नयी कवितायेँ पढ़ कर चली जाउंगी, पर आपके ब्लॉग ने हाथ थाम कर बैठा लिया...आपका ब्लॉग पढ़कर सोच रही हूँ ज़रा सा आशीर्वाद इस बेटी को भी दे दीजिये...:)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंअद्भुत लेख!
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