स्वप्न मेरे: दुपट्टा आसमानी शाल नीली ...

बुधवार, 28 सितंबर 2011

दुपट्टा आसमानी शाल नीली ...

गिरे है आसमां से धूप पीली
पसीने से हुयी हर चीज़ गीली

खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
हवा के हाथ में माचिस की तीली

जलेगी देर तक तन्हाइयों में
अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली

कोई जैसे इबादत कर रहा है
कहीं गाती है फिर कोयल सुरीली

दिवारों में उतर आई है सीलन
है तेरी याद भी कितनी हठीली

तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

चली आती हो तुम जैसे हवा में
दुपट्टा आसमानी शाल नीली

88 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ग़ज़ल... उनकी यादें वाकई हठीली होती हैं...

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  2. तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

    चली आती हो तुम जैसे हवा में
    दुपट्टा आसमानी शाल नीली

    बहुत खूबसूरत गज़ल ...

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  3. बिम्बों को बहुत ही सहज रूप से भावों में उतार दिया।

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  4. वाह क्या खूब अन्दाज़ है ……………शानदार गज़ल दिल मे उतर गयी।

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  5. कितनी स्मूथ सी रचना मक्खन सी बेहद मुलायम

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  6. तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
    bahut khoob....

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  7. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली

    तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

    वाह ...बहुत ही बढि़या ।

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  8. सुन्दर प्रस्तुति ||
    माँ की कृपा बनी रहे ||

    http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/09/blog-post_26.html

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  9. हरेक बिम्ब प्रतिबिंबित हो रहा है.शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.

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  10. बहुत ही प्यारी गजल रची है सर!

    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  11. बहुत ही सुन्दर गजल है ..बेहद खुबसूरत है हर शेर

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  12. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली
    Wah! Behad sundar!

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  13. जलेगी देर तक तन्हाइयों में
    अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली ... kambakht yaaden jo hain

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  14. नासवा जी ,
    आह और वाह का खूबसूरत मेल ...

    दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली....

    शुभकामनाएं!

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  15. खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली
    खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली
    ग़ज़ल का हरेक शैर खूबसूरत बार बार पढने को उकसाता ललचाता बेहद काव्यात्मक अभिनव बिम्बों की सहज अभिव्यक्ति सा .

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  16. कोई जैसे इबादत कर रहा है
    कहीं गाती है फिर कोयल सुरीली

    कहीं दूर कोई गा रहा है....!!
    नवरात्रि की शुभकामनायें....!!!

    माँ दुर्गा,लक्ष्मी,सरस्वती आपकी मनोकामना पूरी करें....!!

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  17. बहुत बढ़िया....आपकी यादो का ये सफ़र ....कुछ उसकी यादे तो ....कुछ शाल भी है नीली नीली

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  18. बहुत खुबसूरत प्रस्तुति.
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  19. बहुत बढ़िया!
    आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की मंगलकामनाएँ!

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  20. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली

    वाह नासवा जी । कितनी गहरी सोच है ।
    शानदार ग़ज़ल ।

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  21. बहुत ही सुन्दर भाव भर दिए हैं पोस्ट में........शानदार| नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं.

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  22. कोई जैसे इबादत कर रहा है
    कहीं गाती है फिर कोयल सुरीली
    ...वाह! क्या शेर निकाला है!!

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  23. तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

    चली आती हो तुम जैसे हवा में
    दुपट्टा आसमानी शाल नीली.

    बहुत खूबसूरत गज़ल ...

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  24. तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

    वाह वाह बस वाह वाह
    शानदार ग़ज़ल ।

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  25. बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम

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  26. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली...
    गज़ब ...बेहद खूबसूरत.

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  27. जलेगी देर तक तन्हाइयों में
    अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली

    क्या बात है....बड़ी ख़ूबसूरत ग़ज़ल है..

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  28. सीली लकड़ियों को बुझने ना दीजियेगा...अगरबत्ती की महक आती है इनमें...

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  29. कोई जैसे इबादत कर रहा है
    कहीं गाती है फिर कोयल सुरीली

    दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली

    करूँ जितनी भी मैं तारीफ,कम है
    गज़ल देखी नहीं इतनी रसीली.

    नजाकत,नाज-नखरे,शोखियाँ यूँ
    लहकते चल रही कोई छबीली.

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  30. खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली

    जलेगी देर तक तन्हाइयों में
    अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली

    दिल को छूती गजल।

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  31. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली

    तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली ..खूबसूरत ,कोमल एहसास

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  32. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने! हर एक शब्द लाजवाब है! शानदार प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

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  33. चर्चा-मंच पर हैं आप

    पाठक-गण ही पञ्च हैं, शोभित चर्चा मंच |

    आँख-मूँद के क्यूँ गए, कर भंगुर मन-कंच |


    कर भंगुर मन-कंच, टिप्पणी करते जाओ |

    प्रस्तोता का करम, नरम नुस्खा अपनाओ |


    रविकर न्योता देत, द्वार पर सुनिए ठक-ठक |

    चलिए रचनाकार, लेखकालोचक-पाठक ||

    शुक्रवार

    चर्चा - मंच : 653

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  34. चली आती हो तुम जैसे हवा में
    दुपट्टा आसमानी शाल नीली

    वाह,बहुत खूब.

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  35. हवा के हाथ में माचिस की तीली

    अद्भुत!
    हर शे’र लाजवाब। पूरी ग़ज़ल बेहतरीन।

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  36. खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली
    Bahut sundar!
    Navratreekee anek shubh kamnayen!

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  37. वाह ! क्या खूब लिखा है आपने ! आपको सपरिवार नवरात्रि की शुभकामनाएँ!

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  38. तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली...

    लाजवाब पंक्तियाँ... खूबसूरत प्रस्तुती...

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  39. खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली

    बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ है !

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  40. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली


    ये शेर बहुत गहरा है.....जितना बूझो उतना सुख...

    और

    तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली


    ये शेर बहुत सहज और बहुत भावुक......

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  41. तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

    चली आती हो तुम जैसे हवा में
    दुपट्टा आसमानी शाल नीली
    बहुत सुंदर भाव लिए बहुत ही सुंदर प्रस्तुति /बधाई आपको /आपको और आपके परिवार को नवरात्री की बहुत शुभकामनाएं / बधाई आपको /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /आभार /

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  42. rachna mein bahut sundar anuthe bimb dekhna bahut bhaya..
    Sundar prastuti ke saath hi NAVRATRI kee haardik shubhkamnayen..

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  43. वाह...बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...हर शेर मनमोहक....

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  44. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली

    ...वाह ! बेहतरीन गज़ल...नवरात्रि की हार्दिक मंगल कामनाएं !

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  45. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली

    तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

    चली आती हो तुम जैसे हवा में
    दुपट्टा आसमानी शाल नीली

    bahut khoobsurat gazal

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  46. अब तो आपकी गज़लें हमेशा आनंद की नयी ऊंचाइयों पर ले जाती हैं!!

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  47. uncle ji namskar.. aapka 300th follower hua mein. .
    aur kya maja aaya padha kar. . muskurahat failti hi chali ja rahi hai aage padhte padhte. . :)

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  48. खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली

    बहुत सुन्दर .....

    नवरात्रि पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें.

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  49. खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली

    जलेगी देर तक तन्हाइयों में
    अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली

    बेहतरीन !!

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  50. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली
    ........बेहतरीन !

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  51. सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा से सबकी खुशहाली की प्रार्थना करते हुए इस पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें। बहुत ही खूबसूरत गज़ल!!!

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  52. चली आती हो तुम जैसे हवा में
    दुपट्टा आसमानी शाल नीली
    वो माजी मानो साक्षात हो गया हो :) बहुत भीने भीने का अहसास! ग्रेट गुरु आफ ग़ज़ल

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  53. बहुत सुन्दर ग़ज़ल... दुर्गा-पूजा की शुभकामनाएँ.

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  54. तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

    चली आती हो तुम जैसे हवा में
    दुपट्टा आसमानी शाल नीली

    बहुत खूबसूरत गज़ल ..
    हार्दिक शुभकामनायें.

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  55. sabhi sher behad umda, ek khas pasand aaya...
    खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली
    shubhkaamnaayen.

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  56. प्रिय श्री दिगंबर जी बहुत सुन्दर रचना सुन्दर मूल भाव बधाई हो ...ये आँखें नम

    भ्रमर ५


    दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली

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  57. जलेगी देर तक तन्हाइयों में
    अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली
    वाह !! गज़ब का शेर

    पूरी गज़ल उम्दा

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  58. बहुत खूबसूरत गज़ल| हार्दिक शुभकामनायें|

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  59. खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली

    ग़ज़ल के कथ्य का नयापन उसे महत्वपूर्ण बना रहा है।
    बधाई, नासवा जी।

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  60. बहुत खूबसूरत गज़ल ..
    हार्दिक शुभकामनायें.

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  61. दुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  62. यादों के ये हठी साये शाम के रंग में घुल मिल गये ...
    हमेशा की तरह खूबसूरत ग़ज़ल!

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  63. सुन्दर रचना के लिए बहुत- बहुत बधाई .

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.

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  64. जलेगी देर तक तन्हाइयों में
    अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली

    Wah Behtreen Panktiyan...

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  65. दिवारों में उतर आई है सीलन
    है तेरी याद भी कितनी हठीली

    तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
    सुन्दर ग़ज़ल है
    हार्दिक बधाई

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  66. तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
    मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली

    चली आती हो तुम जैसे हवा में
    दुपट्टा आसमानी शाल नीली


    बेहद खूबसूरत गज़ल ...

    जवाब देंहटाएं
  67. खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
    हवा के हाथ में माचिस की तीली


    ग़ज़ल मा बड़ी आग है !

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  68. आपकी सोच के समुन्दर में बड़े अनमोल मोती है...सबके रंग अलग, चमक अलग...और सभी बेहद खूबसूरत

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  69. बहुत सुन्दर रचना....आज ही आपका ब्लॉग ज्वाइन किया....जितना पढ़ा अब तक,हर रचना लाजवाब..i'm so happy to join ur blog sir.

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है