गिरे है आसमां से धूप पीली
पसीने से हुयी हर चीज़ गीली
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
हवा के हाथ में माचिस की तीली
जलेगी देर तक तन्हाइयों में
अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली
कोई जैसे इबादत कर रहा है
कहीं गाती है फिर कोयल सुरीली
दिवारों में उतर आई है सीलन
है तेरी याद भी कितनी हठीली
तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
चली आती हो तुम जैसे हवा में
दुपट्टा आसमानी शाल नीली
बहुत सुन्दर ग़ज़ल... उनकी यादें वाकई हठीली होती हैं...
जवाब देंहटाएंतुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
चली आती हो तुम जैसे हवा में
दुपट्टा आसमानी शाल नीली
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
बिम्बों को बहुत ही सहज रूप से भावों में उतार दिया।
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब अन्दाज़ है ……………शानदार गज़ल दिल मे उतर गयी।
जवाब देंहटाएंकितनी स्मूथ सी रचना मक्खन सी बेहद मुलायम
जवाब देंहटाएंतुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
bahut khoob....
उम्दा और बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंदिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंमाँ की कृपा बनी रहे ||
http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/09/blog-post_26.html
हरेक बिम्ब प्रतिबिंबित हो रहा है.शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी गजल रची है सर!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत ही सुन्दर गजल है ..बेहद खुबसूरत है हर शेर
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंदिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
Wah! Behad sundar!
बढिया।
जवाब देंहटाएंजलेगी देर तक तन्हाइयों में
जवाब देंहटाएंअगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली ... kambakht yaaden jo hain
नासवा जी ,
जवाब देंहटाएंआह और वाह का खूबसूरत मेल ...
दिवारों में उतर आई है सीलन
है तेरी याद भी कितनी हठीली....
शुभकामनाएं!
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
जवाब देंहटाएंहवा के हाथ में माचिस की तीली
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
हवा के हाथ में माचिस की तीली
ग़ज़ल का हरेक शैर खूबसूरत बार बार पढने को उकसाता ललचाता बेहद काव्यात्मक अभिनव बिम्बों की सहज अभिव्यक्ति सा .
कोई जैसे इबादत कर रहा है
जवाब देंहटाएंकहीं गाती है फिर कोयल सुरीली
कहीं दूर कोई गा रहा है....!!
नवरात्रि की शुभकामनायें....!!!
माँ दुर्गा,लक्ष्मी,सरस्वती आपकी मनोकामना पूरी करें....!!
बहुत बढ़िया....आपकी यादो का ये सफ़र ....कुछ उसकी यादे तो ....कुछ शाल भी है नीली नीली
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ...
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की मंगलकामनाएँ!
दिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
वाह नासवा जी । कितनी गहरी सोच है ।
शानदार ग़ज़ल ।
बहुत ही सुन्दर भाव भर दिए हैं पोस्ट में........शानदार| नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंकोई जैसे इबादत कर रहा है
जवाब देंहटाएंकहीं गाती है फिर कोयल सुरीली
...वाह! क्या शेर निकाला है!!
तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
चली आती हो तुम जैसे हवा में
दुपट्टा आसमानी शाल नीली.
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
वाह वाह बस वाह वाह
शानदार ग़ज़ल ।
बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
bahut khoobsurat rachna...
जवाब देंहटाएंदिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली...
गज़ब ...बेहद खूबसूरत.
जलेगी देर तक तन्हाइयों में
जवाब देंहटाएंअगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली
क्या बात है....बड़ी ख़ूबसूरत ग़ज़ल है..
सीली लकड़ियों को बुझने ना दीजियेगा...अगरबत्ती की महक आती है इनमें...
जवाब देंहटाएंकोई जैसे इबादत कर रहा है
जवाब देंहटाएंकहीं गाती है फिर कोयल सुरीली
दिवारों में उतर आई है सीलन
है तेरी याद भी कितनी हठीली
करूँ जितनी भी मैं तारीफ,कम है
गज़ल देखी नहीं इतनी रसीली.
नजाकत,नाज-नखरे,शोखियाँ यूँ
लहकते चल रही कोई छबीली.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 29 -09 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में ...उगते सूरज ..उगते ख़्वाबों से दोस्ती
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
जवाब देंहटाएंहवा के हाथ में माचिस की तीली
जलेगी देर तक तन्हाइयों में
अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली
दिल को छूती गजल।
Extremely Beautiful..subah subah dil khush ho gaya :)
जवाब देंहटाएंदिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली ..खूबसूरत ,कोमल एहसास
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने! हर एक शब्द लाजवाब है! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
चर्चा-मंच पर हैं आप
जवाब देंहटाएंपाठक-गण ही पञ्च हैं, शोभित चर्चा मंच |
आँख-मूँद के क्यूँ गए, कर भंगुर मन-कंच |
कर भंगुर मन-कंच, टिप्पणी करते जाओ |
प्रस्तोता का करम, नरम नुस्खा अपनाओ |
रविकर न्योता देत, द्वार पर सुनिए ठक-ठक |
चलिए रचनाकार, लेखकालोचक-पाठक ||
शुक्रवार
चर्चा - मंच : 653
http://charchamanch.blogspot.com/
चली आती हो तुम जैसे हवा में
जवाब देंहटाएंदुपट्टा आसमानी शाल नीली
वाह,बहुत खूब.
हवा के हाथ में माचिस की तीली
जवाब देंहटाएंअद्भुत!
हर शे’र लाजवाब। पूरी ग़ज़ल बेहतरीन।
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
जवाब देंहटाएंहवा के हाथ में माचिस की तीली
Bahut sundar!
Navratreekee anek shubh kamnayen!
वाह ! क्या खूब लिखा है आपने ! आपको सपरिवार नवरात्रि की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंbehad khoobsoorat
जवाब देंहटाएंतुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली...
लाजवाब पंक्तियाँ... खूबसूरत प्रस्तुती...
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
जवाब देंहटाएंहवा के हाथ में माचिस की तीली
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ है !
दिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
ये शेर बहुत गहरा है.....जितना बूझो उतना सुख...
और
तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
ये शेर बहुत सहज और बहुत भावुक......
kya kammal kiya hai....wah.
जवाब देंहटाएंतुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
चली आती हो तुम जैसे हवा में
दुपट्टा आसमानी शाल नीली
बहुत सुंदर भाव लिए बहुत ही सुंदर प्रस्तुति /बधाई आपको /आपको और आपके परिवार को नवरात्री की बहुत शुभकामनाएं / बधाई आपको /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /आभार /
rachna mein bahut sundar anuthe bimb dekhna bahut bhaya..
जवाब देंहटाएंSundar prastuti ke saath hi NAVRATRI kee haardik shubhkamnayen..
वाह...बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...हर शेर मनमोहक....
जवाब देंहटाएंदिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
...वाह ! बेहतरीन गज़ल...नवरात्रि की हार्दिक मंगल कामनाएं !
दिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
चली आती हो तुम जैसे हवा में
दुपट्टा आसमानी शाल नीली
bahut khoobsurat gazal
अब तो आपकी गज़लें हमेशा आनंद की नयी ऊंचाइयों पर ले जाती हैं!!
जवाब देंहटाएंuncle ji namskar.. aapka 300th follower hua mein. .
जवाब देंहटाएंaur kya maja aaya padha kar. . muskurahat failti hi chali ja rahi hai aage padhte padhte. . :)
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
जवाब देंहटाएंहवा के हाथ में माचिस की तीली
बहुत सुन्दर .....
नवरात्रि पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
जवाब देंहटाएंहवा के हाथ में माचिस की तीली
जलेगी देर तक तन्हाइयों में
अगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली
बेहतरीन !!
दिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
........बेहतरीन !
सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा से सबकी खुशहाली की प्रार्थना करते हुए इस पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें। बहुत ही खूबसूरत गज़ल!!!
जवाब देंहटाएंचली आती हो तुम जैसे हवा में
जवाब देंहटाएंदुपट्टा आसमानी शाल नीली
वो माजी मानो साक्षात हो गया हो :) बहुत भीने भीने का अहसास! ग्रेट गुरु आफ ग़ज़ल
बहुत सुन्दर ग़ज़ल... दुर्गा-पूजा की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंतुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
चली आती हो तुम जैसे हवा में
दुपट्टा आसमानी शाल नीली
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
हार्दिक शुभकामनायें.
sabhi sher behad umda, ek khas pasand aaya...
जवाब देंहटाएंखबर सहरा को दे दो फिर मिली है
हवा के हाथ में माचिस की तीली
shubhkaamnaayen.
बाऊ जी,
जवाब देंहटाएं:-)
आशीष
--
लाईफ़?!?
ye rumaniyat gazab ki hai!
जवाब देंहटाएंप्रिय श्री दिगंबर जी बहुत सुन्दर रचना सुन्दर मूल भाव बधाई हो ...ये आँखें नम
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
दिवारों में उतर आई है सीलन
है तेरी याद भी कितनी हठीली
सुंदर चित्रण ,सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंजलेगी देर तक तन्हाइयों में
जवाब देंहटाएंअगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली
वाह !! गज़ब का शेर
पूरी गज़ल उम्दा
बहुत खूबसूरत गज़ल| हार्दिक शुभकामनायें|
जवाब देंहटाएंखबर सहरा को दे दो फिर मिली है
जवाब देंहटाएंहवा के हाथ में माचिस की तीली
ग़ज़ल के कथ्य का नयापन उसे महत्वपूर्ण बना रहा है।
बधाई, नासवा जी।
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें.
सुन्दर ग़ज़ल...वाह!!!
जवाब देंहटाएंशानदार
जवाब देंहटाएंदुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
यादों के ये हठी साये शाम के रंग में घुल मिल गये ...
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह खूबसूरत ग़ज़ल!
सुन्दर रचना के लिए बहुत- बहुत बधाई .
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
सुन्दर ग़ज़ल है
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई
deri k liye maafi chaahti hun.
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhaavo ko uker ek umda gazel bani hai.
bahut sunder gajal ....
जवाब देंहटाएंजलेगी देर तक तन्हाइयों में
जवाब देंहटाएंअगरबत्ती की ये लकड़ी है सीली
Wah Behtreen Panktiyan...
दिवारों में उतर आई है सीलन
जवाब देंहटाएंहै तेरी याद भी कितनी हठीली
तुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
मुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
सुन्दर ग़ज़ल है
हार्दिक बधाई
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
जवाब देंहटाएंतुझे जब एकटक मैं देखता हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे मिलती हैं दो आँखें पनीली
चली आती हो तुम जैसे हवा में
दुपट्टा आसमानी शाल नीली
बेहद खूबसूरत गज़ल ...
खबर सहरा को दे दो फिर मिली है
जवाब देंहटाएंहवा के हाथ में माचिस की तीली
ग़ज़ल मा बड़ी आग है !
आपकी सोच के समुन्दर में बड़े अनमोल मोती है...सबके रंग अलग, चमक अलग...और सभी बेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना....आज ही आपका ब्लॉग ज्वाइन किया....जितना पढ़ा अब तक,हर रचना लाजवाब..i'm so happy to join ur blog sir.
जवाब देंहटाएं