दुश्मन जब जब घर के अंदर आए हैं
बन कर मेरे दोस्त ही अक्सर आए हैं
तेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
रस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
गहरे सागर में कितने गोते मारे
अपने हाथों में तो पत्थर आए हैं
भेजे थे कुछ फूल उन्हे गुलदस्ते में
बदले में कुछ प्यासे खंज़र आए हैं
तेरे पहलू में जो हर दम रहते हैं
जाने क्या तकदीर लिखा कर आए हैं
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
मुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
खामोशी में उनके उत्तर आए हैं
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
तेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
गहरे सागर में कितने गोते मारे
अपने हाथों में तो पत्थर आए हैं
बहुत ही बढि़या भावमय करते शब्द ।
achchhe bhaaw , sundar prastuti .
जवाब देंहटाएंumdaa gajal , badhayi.
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
जवाब देंहटाएंतुम क्या जानो ,आज पैगम्बर आए है ||
खुश रहिये !
शुभकामनयें !
रचना चर्चा-मंच पर, शोभित सब उत्कृष्ट |
जवाब देंहटाएंसंग में परिचय-श्रृंखला, करती हैं आकृष्ट |
शुक्रवारीय चर्चा मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
तेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
गहरे सागर में कितने गोते मारे
अपने हाथों में तो पत्थर आए हैं
क्या खूब गज़ल कही है दिगम्बर जी…………हर शेर जैसे खुद एक सवाल बन कर खडा हो गया है।
हमेशा की तरह लाजवाब रचना !
जवाब देंहटाएंआँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
ख़ामोशी में उनके उत्तर आये है !
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....
तेरे पहलू में जो हर दम रहते हैं
जवाब देंहटाएंजाने क्या तकदीर लिखा कर आए हैं
बहुत सुंदर गजल... बधाई!
हा हा हा हा अच्छी याद दिला दी कि सब दिगम्बर आए थे। इसीलिए कपडों की इतनी ललक रहती है।
जवाब देंहटाएंबेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
जवाब देंहटाएंमुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
बहुतों का दर्द कहती हैं ये पंक्तियाँ.
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में, मुश्किल से इक कमरा लेकर आए हैं। आज की व्यावहारिक समस्या को उजागर करता शेर। बहुत बढि़या।
जवाब देंहटाएंभेजे थे कुछ फूल उन्हे गुलदस्ते में
जवाब देंहटाएंबदले में कुछ प्यासे खंज़र आए हैं
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
मुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
kyaa bat hai !!
bahut umdaa !!
khoobsoorat matle se shurooaat kar ke ek murassa ghazal kahne ke liye mubarakbad qubool keejiye !!
गहरी अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंतेरे पहलू में जो हर दम रहते हैं
जवाब देंहटाएंजाने क्या तकदीर लिखा कर आए हैं
वाह वाह , कभी कभी ऐसा भी लगता है ।
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
मुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
सब अपने हैं जो कहने को पराये हैं
हम भी गावों से ही शहर को आये हैं ।
waha bahut khub.......umdaa sher
जवाब देंहटाएंबेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
जवाब देंहटाएंमुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
वाह वाह बहुत खूब .....हर शेर कुछ कहता है ..बहुत बढ़िया बेहतरीन गजल
गहरे सागर में कितने गोते मारे
जवाब देंहटाएंअपने हाथों में तो पत्थर आए हैं
waah
kitni sachhi ...har pankti ,jisne jiyaa ho wahi likh saktaa hai
जवाब देंहटाएंआपको भले ही पत्थर हाथ लगे हों, इस गज़ल के सागर में डूबकर तो हमें रतन हाथ लगे!! और मकता तो कमाल का दर्शन पेश कर रहा है!! शाबाश नासवा जी!!
जवाब देंहटाएंतेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
वाह वाह!
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
शास्वत सत्य का बहुत ही उम्दा बयान...
सादर बधाई...
एक से बढ़कर एक ..मगर ये तो बस कुछ मत पूछिए -समकालिक प्रवृत्तियों और मानवीय नियति पर गहरा कटाक्ष है -
जवाब देंहटाएंबेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
मुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
बहुत बढ़िया बेहतरीन गजल
जवाब देंहटाएंबेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
जवाब देंहटाएंमुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
खामोशी में उनके उत्तर आए हैं
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
ATI UTTAM , ANTIM TO KAMAAL HAI JI. BADHAAI.
दिगंबर भाई क्या शेर निकाले हैं आपने...सुभान अल्लाह...
जवाब देंहटाएंतेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
रस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
वाह..वाह..लाजवाब कर दिया...
भेजे थे कुछ फूल उन्हे गुलदस्ते में
बदले में कुछ प्यासे खंज़र आए हैं
आपके इस शेर से मुझे कृष्ण बिहारी 'नूर' साहब का शेर याद दिला दिया:
मैं जिस के हाथ में इक फूल देके आया था
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
मुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
आज के दौर की तल्ख़ सच्चाई को किस ख़ूबसूरती से बयां किया है आपने...वाह...
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
शाश्वत सत्य को परिभाषित करता शेर...बेजोड़
पूरी ग़ज़ल कमाल की है...ढेरों दाद कबूल करें
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
जवाब देंहटाएंभूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
लाज़वाब..बहुत ही भावपूर्ण गज़ल...हर शेर दिल को छू जाता है..आभार
bahut umda gazal.
जवाब देंहटाएंaur sunder prateeko ka prayog kiya hai.
बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंजब भी आपका ब्लॉग पढ़ती हूँ मन प्रसन्न हो जाता है...:)
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बेहतरीन. आभार.
जवाब देंहटाएंदुश्मन जब जब घर के अंदर आए हैं
जवाब देंहटाएंबन कर मेरे दोस्त ही अक्सर आए हैं
सच्चाई कह दी है .. दुश्मन कभी दोस्त ही होते हैं ..
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
मुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
शहरों में रहने की ललक को कहता शेर ..कडवी सच्चाई को कह रहा है .
आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
खामोशी में उनके उत्तर आए हैं .
अब इस पर तो शिकवा न करें ... आपने भी तो आँखों आँखों में ही पूछा था तो उत्तर तो ख़ामोशी से ही मिलता .
:)
बहुत अच्छी लगी आपकी गज़ल ..
Very deeply written Sir...
जवाब देंहटाएंVery nice...
Incredible..
Regards..!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
यहाँ पर ब्रॉडबैंड की कोई केबिल खराब हो गई है इसलिए नेट की स्पीड बहत स्लो है।
बैंगलौर से केबिल लेकर तकनीनिशियन आयेंगे तभी नेट सही चलेगा।
तब तक जितने ब्लॉग खुलेंगे उन पर तो धीरे-धीरे जाऊँगा ही!
तेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरस्ते में तो सात समुंदर आए हैं...
सात समंदर से बच आये मगर दो बूँद आंसुओं ने भिगो दिया !
बहुत खूब!
हर बार की तरह एक बार फिर से चौका गए दिगंबर भाई.
जवाब देंहटाएंदिल्ली वाला शेर जोरदार रहा
बधाई
तेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरस्ते में तो सात समुंदर आए हैं ....बहुत सुन्दर
भेजे थे कुछ फूल उन्हे गुलदस्ते में
जवाब देंहटाएंबदले में कुछ प्यासे खंज़र आए हैं
लेकिन इन्हें भी स्वीकार करना होगा ...आखिर मामला ही कुछ ऐसा है ....बहुत लाजबाब ...!
रचनात्मकता के शिखर को छूती प्रस्तुति .दिवाली मुबारक .
जवाब देंहटाएंतेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
हर एक पंक्ति लाजवाब है, बहुत ही गहन भाव लिए और कोई कैसे भूल सकता है, कि दिगंबर आए हैं... शुभकामनायें
हकीकत सिर्फ़ हकीकत ब्यान की है आपने .
जवाब देंहटाएंतेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
.......यही सच है !
तेरे दो आंसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरास्ते में तो सात समुंदर आये हैं
भेजे थे कुछ फूल उन्हेम गुलदस्ते में
बदले में कुछ प्यासे खंजर आये हैं
एक-एक छंद,भावों के सागर में समाया हुआ है,आपसे बहुत कुछ सीखना है.
दिगम्बर भाई!
जवाब देंहटाएंक्या दिल छलनी करने वाली बात कह डाली ...
तेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
रस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
भेजे थे कुछ फूल उन्हे गुलदस्ते में
बदले में कुछ प्यासे खंज़र आए
काश मैं भी ऐसा लिख पाता!!
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल जिसके हर शेर दिल पर असर करते हैं।
आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
जवाब देंहटाएंखामोशी में उनके उत्तर आए हैं
bahut khoob....aabhar
आपके नाम की सार्थकता यही है कि सत्य को भूलने नहीं देता है..
जवाब देंहटाएंगज़ब की रचना है ....दिल को छू गयी दिगंबर भाई ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
भेजे थे कुछ फूल उन्हे गुलदस्ते में
जवाब देंहटाएंबदले में कुछ प्यासे खंज़र आए हैं
wah wah kamal ek ek shbd bhavon ka sagar hai
saader
rachana
गहरे सागर में कितने गोते मारे
जवाब देंहटाएंअपने हाथों में तो पत्थर आए हैं
पीड़ा सहजता से व्यक्त हुई है!
♥
जवाब देंहटाएंप्रियवर दिगंबर जी
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई !
मैं जो कुछ कहना चाहता था , बड़े भाई साहब नीरज गोस्वामी जी कह चुके … उनकी पूरी टिप्पणी मेरे द्वारा कोट समझें :)
आपके ग़ज़लकार के दर्शन की तलब पूरी हुई है…
इस पोस्ट सहित पिछली चार अन्य ग़ज़ल की पोस्ट्स के लिए आभार !
आपको सपरिवार
दीपावली की बधाइयां !
शुभकामनाएं !
मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
जवाब देंहटाएंखामोशी में उनके उत्तर आए हैं
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
बहुत खूब !!
दुश्मन जब जब घर के अंदर आए हैं
जवाब देंहटाएंबन कर मेरे दोस्त ही अक्सर आए हैं
jab dost aise hon to dushmanon ki zaroorat kya hai....
दिगम्बर जी हर एक शेर लाजबाब है .वाह !!! क्या खूब, दिल को तृप्त कर गये.
जवाब देंहटाएंप्यासे खंजर,पत्थर लेकर आज दिगम्बर आये हैं.
शेरों की लहरों पे चढ़कर , द्वार समंदर आये हैं.
bahut sundar rachna..
जवाब देंहटाएंkabhi mauka mile to mere blog pe v aye..
आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
जवाब देंहटाएंखामोशी में उनके उत्तर आए हैं .........
......shaandaar.....
aisa to zindagi me hota hai kabhi kabhi........
khamoshi intzaar karti hai ...
aur ham pata nahi bahak jaate hai....
'बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
जवाब देंहटाएंमुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं...'
सब कुछ बयान कर दिया...!
bahut sundar bhav sjaye hain aapne....
जवाब देंहटाएंये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
जवाब देंहटाएंभूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
आपका नाम मक्ते में बहुत गहरा अर्थ दे रहा है।
कमाल का शेर।
बढि़या ग़ज़ल।
तेरे दो आँसू से तन मन भीग गया
जवाब देंहटाएंरस्ते में तो सात समुंदर आए हैं
क्या बात है .....
गहरे सागर में कितने गोते मारे
अपने हाथों में तो पत्थर आए हैं
सुभानाल्लाह .....
आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
खामोशी में उनके उत्तर आए हैं
ओये होए ....
आया तो सही ....
सभी विधाओं में माहिर हैं आप .....
बस गज़ब है ....:))
बहुत ही खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
जवाब देंहटाएंमुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
Khoob kah aapne....Bahut Badhiya
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंhar sher bahut umda...
जवाब देंहटाएंभेजे थे कुछ फूल उन्हे गुलदस्ते में
बदले में कुछ प्यासे खंज़र आए हैं
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
मुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
shubhkaamnaayen.
bahut hi khubsurat abhivyakti ,
जवाब देंहटाएंआँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
खामोशी में उनके उत्तर आए हैं
wah , har shabd , moti ki tarah puri mala me piroye huye hai .
badhai , dipawali ki hardik shubhkamnaye
आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
जवाब देंहटाएंखामोशी में उनके उत्तर आए हैं
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
...waah! apna sa paigam laga..
Apko spariwar Deep prav kee haardik shubhkamnayen!!
बहुत खूब भाई...
जवाब देंहटाएंआपको दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं....
पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
जवाब देंहटाएं***************************************************
"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
जवाब देंहटाएंभूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
...कमाल का शेर! वाह!! बहुत बधाई। दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ।
***शुभ दीपावली ***
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मन को दोलायमान कर गयी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । दीपावली की शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबड़ा ही सुन्दर वृत्तांत प्रस्तुत किया है!
जवाब देंहटाएंआप को दीपावली के इस मुहूर्त पर
बहुत - बहुत शुभ कामनाएं !
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
जवाब देंहटाएंमुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
क्या बात है...वाह
ये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
सही कहा, फिर भी लोगों की आपाधापी देखते ही बनती है...:) :) :)
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
" आँखों आँखों में कुछ उनसे पूछा था
जवाब देंहटाएंखामोशी में उनके उत्तर आए हैं "
कई भावों को स्पर्श करती रचना.
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंभूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं ...
जवाब देंहटाएंदुश्मन जब जब घर के अंदर आए हैं
बन कर मेरे दोस्त ही अक्सर आए हैं
लाज़वाब प्रस्तुति .बधाई .
भूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं ...
जवाब देंहटाएंदुश्मन जब जब घर के अंदर आए हैं
बन कर मेरे दोस्त ही अक्सर आए हैं
लाज़वाब प्रस्तुति .बधाई .
सुंदर।
जवाब देंहटाएंये भी मेरा वो भी मेरा सब मेरा
जवाब देंहटाएंभूल गये सब लोग दिगंबर आए हैं
वाह! दिगंबर जी बहुत खूब ग़ज़ल कही है!
बेच हवेली पुरखों की अब दिल्ली में
जवाब देंहटाएंमुश्किल से इक कमरा ले कर आए हैं
कमाल की अभिव्यक्ति है आपकी.
क्या दिल्ली की हवेली बेच दी है दिगंबर जी?
कमरा कहाँ लिया जी?