पिघलती धूप का सूरज कोई पागल निकाले
लगेगी आग कह दो आसमां बादल निकाले
पहाड़ों को बचा ले कम करे मिट्टी की गर्मी
कहो की आदमी से फिर नए जंगल निकाले
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
कहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
चुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
किसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले
पड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
कहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले
किसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
वो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले
चुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
जवाब देंहटाएंकिसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले
......वाह नासवा जी वाह क्या बात कही है…………लाज़वाब ग़ज़ल...आभार !
वाह:जी वाह :
जवाब देंहटाएंसारी ग़ज़ल पे भारी है ये शे'र ...
किसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
वो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले...
क्षमा : हर एक के अपने अहसास ..अपनी पसंद!
आभार !
उम्दा ग़ज़ल,बहुत अच्छे अशार !
जवाब देंहटाएंएक शेर लिख रहा हूँ-
टेड़े मेड़े रास्तों पर भी नदी रखती है पावन जल
रेगिस्तान से भी गुज़रे तो भी छलछल निकाले
अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता
हंसी यहीं कहीं आसपास ही थी हमारे। कभी पैसों ने तो कभी आंसुओं ने वह भी छीन लिया हमसे।
जवाब देंहटाएंएकबारगी वही पागल बन जाने का दिल हो आया.
जवाब देंहटाएंसुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
चुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
किसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले
Wah! Kya gazab ke ashaar hain!
बहुत अच्छी ग़ज़ल सर...
जवाब देंहटाएंपहाड़ों को बचा ले कम करे मिट्टी की गर्मी
कहो की आदमी से फिर नए जंगल निकाले
वाह! सभी अशार शानदार...
सादर बधाई...
बेहद अच्छी गज़ल .
जवाब देंहटाएंपहाड़ों को बचा ले कम करे मिट्टी की गर्मी
कहो की आदमी से फिर नए जंगल निकाले.
क्या बात कही है.
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
कहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
धूप का कम्बल...गज़ब का बिम्ब.
पड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
कहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले.
वाह यह सबसे अच्छा लगा.
किसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
जवाब देंहटाएंवो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले
अब तो यह पागलपन भी नहीं रहा .. हर जगह कटौती का दौर है ..बहुत खूबसूरत गज़ल
हर नज्म अपने आप में अतिउत्तम ! प्रेरणादायी सोम्चने को बाध्य करती ! बधाई !
जवाब देंहटाएंसुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले बहुत ही शानदार गज़ल्…………हर शेर कुछ कहता है।
किसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
जवाब देंहटाएंवो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले...
वाह... बहुत कुछ कह गयी आपकी रचना... सुन्दर रचना
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
is achhe se pagal ko bheed se koi bahar nikale
sunder yekse yek ....
जवाब देंहटाएंकिसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
जवाब देंहटाएंवो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकले
बहुत सुंदर गजल लिखी आपने बधाई...
नई पोस्ट में स्वागत है..
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
Kya gazab kee gazal kahee hai! Wah!
जवाब देंहटाएंHi...
जवाब देंहटाएंTippani bheji thi maine..
wo kahan hai gum hui..
aankh se aansu bahe na..
aankh kaise nam hui..
Digambar bhai...wah kya ashar hain...seedhe dil main utar gaye...
aapka bahut bahut dhanyawad ki aapne hamen etni behtareen gazal padhne ka avsar diya...
Deepak Shukla...
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
कहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
वाह ....शानदार गजल
कोई प्यारे शब्दों का बादल निकाले।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ग़ज़ल.. हर शेर प्रभाव छोड़ रहा है.... बहुत उम्दा...
जवाब देंहटाएंआपकी रचना शुक्रवारीय चर्चा मंच पर है ||
जवाब देंहटाएंcharchamanch.blogspot.com
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
किसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
वो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले
दिगंबर जी कहाँ है वो कलम जिस से ऐसे खूबसूरत अशआर निकलते हैं...दिल करता है उसे चुरा लाऊं...भाई एक एक शेर पर कुर्बान...नए काफिये और रदीफ़ मिल कर गज़ब ढा रहे हैं...भाई जितनी भी दाद मेरे पास हैं सारी की सारी आपके हवाले.
नीरज
बहुत सुन्दर ग़ज़ल रची है आपने!
जवाब देंहटाएंकिसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
जवाब देंहटाएंवो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले
जनाब.
बस कुछ बातें दिलों में होती है ....
वहीँ कुछ पढ़ने को मिल ज़ाती हैं..
बेहतरीन नज़्म साहेब.
यहाँ भी मेरी टीप नहीं आयी...
जवाब देंहटाएंचुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
जवाब देंहटाएंकिसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले
क्या बात है...बहुत ही अर्थपूर्ण ग़ज़ल...
रेखा जी की तरह हम भी गुम हो गए आपकी गज़ल में.. फर्क है कि उन्हें होश न रहा कि इंटर दबाकर डूब गयी हैं वो गज़ल में... और हमने खाली जगह देखकर सोचा कि टिप्पणी का ओप्शन ही खत्म हो गया!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल.. एक-एक शेर लाजवाब!!!
सभी पंक्तियाँ इतनी खूबसूरत हैं कि किसी एक को चुन ना मुश्किल हो रहा है मगर फिर भी मुझे जो पसंद आई
जवाब देंहटाएंपहाड़ों को बचा ले कम करे मिट्टी की गर्मी
कहो की आदमी से फिर नए जंगल निकाले
बहुत खूब आज इस चीज़ कि इस कोशिश कि बहुत आवश्यकता है .... बहुत सुंदुर सार गर्भित प्रस्तुति समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
वाह नासवा जी वाह
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह शानदार गज़ल
बधाई
किसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
जवाब देंहटाएंवो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले
Bhaut Badhiya...
बहुत उज्जवल भावना और खूबसूरत अभिव्यक्ति....बधाई!!
जवाब देंहटाएंपड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
जवाब देंहटाएंकहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले
शरशैया पर पितामह की छवि से जुड़ी चमत्कृत करती पंक्तियाँ!
सुंदर गज़ल!
पड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
जवाब देंहटाएंकहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले
शरशैया पर पड़े पितामह की छवि से जुड़ी चमत्कृत करती पंक्तियाँ!
सुंदर गज़ल!
दिगंबर जी,
जवाब देंहटाएंआप की रचना ने वाकया कायल कर दिया ...
"सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
कहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले "
"चुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
किसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले "
बहुत चुनिदा शेयर है..मुबारक
आशु
सुंदर गज़ल!
जवाब देंहटाएंदिल से गोया इक समुंदर निकाले
जवाब देंहटाएंगज़ल हर बार कोई बंपर निकाले।
..कमाल की गज़ल है। पढ़ते-पढ़ते मैं भी शायर न बन जाऊँ!
शानदार ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंकिसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
जवाब देंहटाएंवो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले
आज तो दुनिया का हाल ये है कि
"ज़िंदगी जीने की फ़िक्रें नहीं जीने देतीं "
ऐसे में उस पागल की बहुत ज़रूरत है जो क़हक़हे बाँटता है
बहुत ख़ूब !!
चुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
जवाब देंहटाएंकिसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले
एक एक शेर सराहनीय ...बहुत बहुत बधाई
अतिउत्तम
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा गजल, हर शेर में कुछ नई बात है, शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंउम्दा अशआर से सुशोभित उत्कृष्ट ग़ज़ल .
जवाब देंहटाएंमैं गुजरे वक़्त का सूखा हुआ गुलशन हूँ माना
जवाब देंहटाएंमेरे भी वास्ते कोई तो पल दो पल निकाले.
दिगम्बर जी,क्या गज़ल लिखी है.खास कर यह शेर:
पड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
कहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल का सबसे प्यारा शेर.
@चुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
जवाब देंहटाएंकिसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले
बहुत पसन्द आया!
धूप पिघलेगी और बादल आग बरसाएगा.... कैसी बरसात है!!!
जवाब देंहटाएंसुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो कि धूप से अपना नया कम्बल निकाले
क्या बात है,
बिल्कुल नई बात कही है आपने इस शेर में।
बधाई, नासवा जी।
बहुत ही खूबसूरत गज़ल है । ऐसे पागल दुर्लभ ही होते हैं ।
जवाब देंहटाएंकहकहे निकालने वाले पागल को ही तो देशनिकाला या कहें की जीवन से निकाला दिया हुआ है हमने.....
जवाब देंहटाएंपड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
जवाब देंहटाएंकहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले
वाह! क्या बात है...हमेशा की तरह अच्छी ग़ज़ल हुई है....बधाई
har sher behad arthpurn, shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंकिसी कारण से पता नहीं क्यों मेरा कमेन्ट बॉक्स खुलने में दिक्कत आ रहीहै इस बार ... समीर जी का भेजा हुवा कमेन्ट ...
जवाब देंहटाएंसुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
कहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
-जबरदस्त है हर शेर....बहुत गज़ब!!
पड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
जवाब देंहटाएंकहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले
एक एक शेर को खूबसूरती से तराशा है आपने, पढ़ कर मज़ा आ गया!
सुना है वादियों में सर्द होने को है मौसम
जवाब देंहटाएंकहो की धूप से अपना नया कम्बल निकाले
चुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
किसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले...
वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! लाजवाब ग़ज़ल!
पड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
जवाब देंहटाएंकहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले
वाह ..क्या लिखा है आपने ...
आपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट शिवपूजन सहाय पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनासवा भाई आज फिर से तबीयत झकास कर दी आपने। अब टिप्पणी करने में भी मज़ा आयेगा।
जवाब देंहटाएंआज पढ़ी हुई तमाम पोस्ट्स में ये दी बेस्ट है। ऐसी पोस्ट्स का मुझे इंतज़ार रहता है। इस के हर शेर को बार-बार पढ़ने का मन होता है। ग़ज़ल के केनवास को कहीं आगे तक ले जाती इस बेहद असरदार ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद। पारम्परिक काफियों को नया कलेवर, नयी अभिव्यक्ति देने लिए आप की brown-brown प्रशंसा करनी होगी, नहीं समझे? अरे यार भूरि-भूरि प्रशंसा करनी होगी। दिल गार्डेन गार्डेन हो गया सर जी।
वाह बाह पढकर बहुत अच्छा लगा तबियत खुश हो गई ,,सुंदर पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट में स्वागत है ....
पड़े हैं गाँव में मुद्दत से घायल राह तकते
जवाब देंहटाएंकहाँ अर्जुन पितामह के लिए जो जल निकाले
umda sher...behtareen gazal
bahut acchhi gazel.
जवाब देंहटाएंpichhli gazlo se kuchh hat kar.
वाह !कैसा अद्भुत पागल है !सीधी राह पर चलने वालों को लोग पागल कहते हैं ! वो तो आपने शिनाख्त कर दिया वरना ...बहुत सुंदर कविता है !
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna.
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 24-- 11 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज ..बिहारी समझ बैठा है क्या ?
चुरा लेता है जो संगीन के साए में अक्सर
जवाब देंहटाएंकिसी की आँख से भीगा हुवा काजल निकाले
बहुत सुन्दर गज़ल... अद्भुद
किसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
जवाब देंहटाएंवो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले
वाह! बहुत खूबसूरत जज्बात उकेरे हैं आपने.
आभार.
किसी के पास है पैसा किसी के पास आंसू
जवाब देंहटाएंवो पागल जेब से कुछ कहकहे हरपल निकाले
wonderful :)
Naaz