कविता के दौर से निकल कर पेश है एक गज़ल ... आशा है आपको पसंद आएगी ...
अंधेरों की हिफाज़त कर रहा है
वो सूरज से बगावत कर रहा है
अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
परिंदों से शराफत कर रहा है
खड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
कोई दीपक हिमाकत कर रहा है
गली के मोड पर रखता है मटके
वो कुछ ऐसे इबादत कर रहा है
वो कहता है किताबों में सजा कर
के तितली पर इनायत कर रहा है
अभी सीखा नहीं बंदे ने उड़ना
परिंदों की शिकायत कर रहा है
बुजुर्गों को सरों पे है बिठाता
शुरू से वो ज़ियारत कर रहा है
गली के मोड पर रखता है मटके
जवाब देंहटाएंवो कुछ ऐसे इबादत कर रहा है
बहुत सुन्दर !
वो कहता है किताबों में सजा कर
जवाब देंहटाएंके तितली पर इनायत कर रहा है
बहुत खूब कहा है दिगंबर जी. बहुत सुंदर गजल है.
वाह!
जवाब देंहटाएंकमाल की प्रस्तुति है.
निराला अंदाज,बहुत अच्छा लगा.
आभार.
उफ़ …………आज तो निशब्द हूँ हर शेर कमाल कर रहा है।
जवाब देंहटाएंपूरी गजल ही बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंखड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
कोई दीपक हिमाकत कर रहा है
गली के मोड पर रखता है मटके
वो कुछ ऐसे इबादत कर रहा है
बहुत खूब
सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
जवाब देंहटाएंखड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
जवाब देंहटाएंकोई दीपक हिमाकत कर रहा है.
बहुत सुंदर गज़ल. और भी शेर काबिले गौर हैं.
हर एक शेर शानदार है, वाह वाह ...
जवाब देंहटाएंवाह - क्या बात है !
जवाब देंहटाएंआज आप मेरे नए ब्लॉग ( रेत के महल ) पर पहली बार आये हैं नासवा जी - आभार और स्वागत | आशा है आपको पसंद आया होगा और आगे भी आते रहेंगे |
अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
जवाब देंहटाएंपरिंदों से शराफत कर रहा है ||
चुके होंगे तरकश के तीर
अपनी उकताहट हर रहा है ||
वाह,..बेहतरीन प्रस्तुति,...लाजबाब गजल,...
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...काव्यान्जलि...सम्बोधन...
खड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
जवाब देंहटाएंकोई दीपक हिमाकत कर रहा है
वाह ! बहादुरी की मिसाल ।
सुन्दर ग़ज़ल ।
http://dineshkidillagi.blogspot.in/2012/02/links.html
जवाब देंहटाएंदिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
अभी सीखा नहीं बंदे ने उड़ना
जवाब देंहटाएंपरिंदों की शिकायत कर रहा है
बेहतरीन.....लाजबाब
वो कहता है किताबों में सजा कर
जवाब देंहटाएंके तितली पर इनायत कर रहा है
बेहद खूबसूरत गज़ल
अभी सीखा नहीं बंदे ने उड़ना
जवाब देंहटाएंपरिंदों की शिकायत कर रहा है
बहुत खूब! हरेक शेर एक कहानी कहता हुआ...बेहतरीन गज़ल..
अंधेरों की हिफाज़त कर रहा है
जवाब देंहटाएंवो सूरज से बगावत कर रहा है
अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
परिंदों से शराफत कर रहा है
Wah! Pooree gazal,gazab kee hai!
अभी सीखा नहीं बंदे ने उड़ना
जवाब देंहटाएंपरिंदों की शिकायत कर रहा है ... उड़ने से पहले अतिरेक
समाज की विडम्बनाओं को इस ग़ज़ल में आपने बहुत ही सुंदर तरीक़े से अभिव्यक्ति दी है।
जवाब देंहटाएंअभी सीखा नहीं बंदे ने उड़ना
जवाब देंहटाएंपरिंदों की शिकायत कर रहा है
जुर्रत तो देखिये बंदे की ..लाजबाब ग़ज़ल बेहतरीन शेयर!!
बहुत खूब दिगंबर जी...बधाई
गली के मोड पर रखता है मटके
जवाब देंहटाएंवो कुछ ऐसे इबादत कर रहा है
वाह बहुट खूब लिखा है आपने यही तो साची इबादत है जनाब आपका यह अंदाज़ भी पसंद आया...शुभकामनायें
खूबसूरत अश'आरों से सजी पूरी एक खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंमुबारक कबूल कर्रें !
छोटन। गंभीर।
जवाब देंहटाएंलाजवाब!!!
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद आप ग़ज़ल की दुनिया में वापस आए "ख़ुश आमदीद"
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत मतले के साथ ये शेर
गली के मोड़ पर रखता है मटके
वो कुछ ऐसे इबादत कर रहा है
तो बेहद ख़ूबसूरत है
मुबारक हो !!
गली के मोड पर रखता है मटके
जवाब देंहटाएंवो कुछ ऐसे इबादत कर रहा है
बेहद सुंदर...... वाह
बेहतरीन अर्थभरी गजल...
जवाब देंहटाएंवाह वाह...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल सर...
अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
परिंदों से शराफत कर रहा है
लाजवाब शेर...
सादर.
बेहतरीन ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंअंधेरों की हिफाज़त कर रहा है
जवाब देंहटाएंवो सूरज से बगावत कर रहा है
अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
परिंदों से शराफत कर रहा है
behtrin gazal ,bahut din baad padhna hua ,mujhe bhi behad khushi hui aapke aane par
खड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
जवाब देंहटाएंकोई दीपक हिमाकत कर रहा है ....
ऐसे ही दीपकों की जरूरत है आज दुनिया को।
अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
जवाब देंहटाएंपरिंदों से शराफत कर रहा है
khoobsoorat hain sare hi sher....umda prastuti...
अभी सीखा नहीं बंदे ने उड़ना
जवाब देंहटाएंपरिंदों की शिकायत कर रहा है
बहुत खूब...सभी शेर अर्थपूर्ण,लाजवाब!
बहुत उम्दा और सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल, बिना बगावत कुछ नहीं है
जवाब देंहटाएंसंपूर्ण गजल ही अर्थपूर्ण है किसे छोड़े किसे पकडे वाली बात है !
जवाब देंहटाएंकिन्तु सबसे बेहतरीन पंक्तियाँ यह लगी .,,
अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
परिंदों से शराफत कर रहा है
शिकारी शराफत कर ही नहीं सकता
बहुत सुंदर हर पंक्ति बधाई !
बहुत सुन्दर गजल... हर एक शेर कुछ कह रहा है....
जवाब देंहटाएंगजल कहा जाय या सच्ची बानगी..बेहद खुबसूरत..
जवाब देंहटाएंअभी सीखा नहीं बंदे ने उड़ना
जवाब देंहटाएंपरिंदों की शिकायत कर रहा है
वाह ...बहुत खूब ।
आज तो एक से एक बेहतरीन शेर कहें हैं आपने। बहुत ही श्रेष्ठ, मन तृप्त हो गया।
जवाब देंहटाएंबधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 23-02-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं..भावनाओं के पंख लगा ... तोड़ लाना चाँद नयी पुरानी हलचल में .
खूबसूरत गज़ल |
जवाब देंहटाएंखड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
जवाब देंहटाएंकोई दीपक हिमाकत कर रहा है
वो कहता है किताबों में सजा कर
के तितली पर इनायत कर रहा है
बुजुर्गों को सरों पे है बिठाता
शुरू से वो ज़ियारत कर रहा है
सुभान अल्लाह दिगंबर भाई...जिंदाबाद...क्या खूबसूरत शेर कहें हैं आपने...जिंदाबाद...जिंदाबाद ...ढेरो दाद कबूल करें
नीरज
बहुत उम्दा गजल...हर शेर गहरा असर छोड़ जाता , अंतिम बहुत बेहतर है.
जवाब देंहटाएंखड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
जवाब देंहटाएंकोई दीपक हिमाकत कर रहा है... वाह! बहुत उम्दा...
गली के मोड पर रखता है मटके
वो कुछ ऐसे इबादत कर रहा है... कितना सुन्दर शेर... कबीर याद आगये 'राम' के लिए दुसाला बनाते...
"जो डोलौं सो करौं परिक्रमा, जो कछु करौं सो सेवा.
जो सोवौं सो करौं दंडवत पूजौं और ना देवा"
बहुत सुन्दर ग़ज़ल सर....
सादर.
बेहतरीन गज़ल। सभी शेर लाज़वाब हों ऐसा कम ही हो पाता है। वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...दरअसल अच्छाई की कद्र होनी चाहिए !
जवाब देंहटाएंसुभाल्लाह.....खुबसूरत ग़ज़ल....दाद कबूल करें।
जवाब देंहटाएंएक ही शब्द.. गजब।
जवाब देंहटाएंअभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
जवाब देंहटाएंपरिंदों से शराफत कर रहा है ....
behtarin gazal.....
खूबसूरत...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,बेहतरीन खुबशुरत अच्छी गजल....
जवाब देंहटाएंMY NEW POST...आज के नेता...
बेहद खूबसूरत गज़ल । एक एक शेर मोती है ।
जवाब देंहटाएं@वो कहता है किताबों में सजा कर
जवाब देंहटाएंके तितली पर इनायत कर रहा है
लाजवाब!
wah...bahut khoob
जवाब देंहटाएंUMDA GAZAL KE LIYE BADHAAEE AUR
जवाब देंहटाएंSHUBH KAMNA DIGAMBAR JI .
इस बहुत अच्छी ग़ज़ल का सबसे उम्दा शेर।
जवाब देंहटाएंसभी शेर काबिले-गौर हैं।
अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
जवाब देंहटाएंपरिंदों से शराफत कर रहा है
खड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
कोई दीपक हिमाकत कर रहा है
Naswa ji bilkul lajabab panktiyan ....saddar badhai.
सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंLmbi bimari ke baad aap sabko padhne ka avsar mila...Bahut khub likha hai...
जवाब देंहटाएंअभी देखा हैं मैंने इक शिकारी
परिंदों से शराफत कर रहा है
"अभी सीखा नहीं बंदे ने उड़ना
जवाब देंहटाएंपरिंदों की शिकायत कर रहा है"
काबिले तारीफ़....वाह..!!!.
खड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
जवाब देंहटाएंकोई दीपक हिमाकत कर रहा है
गली के मोड पर रखता है मटके
वो कुछ ऐसे इबादत कर रहा है,सबसे अलग हैयह शैर .आधुनिक चलन पर मिसायलदागतें हैं तमाम शैर .
खड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
जवाब देंहटाएंकोई दीपक हिमाकत कर रहा है
Awesome!!
बेहतरीन गजल...
जवाब देंहटाएंइस गज़ल को फिर पढ़कर मस्त होने का मन हुआ।
जवाब देंहटाएंखड़ा है आँधियों में टिमटिमाता
जवाब देंहटाएंकोई दीपक हिमाकत कर रहा
हर शेर काबिल-ऐ-तारीफ है .
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
जवाब देंहटाएंइस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद कबूल करें, हर शेर बब्बर शेर है...वाह...
नीरज