ठिठुरती रात में बैठे जला कर आग अक्सर
सुनाते हैं ग़मों में वो खुशी का राग अक्सर
हवा के बुलबुले नेताओं के वादे, इरादे
बहुत जल्दी उतर जाती है इनकी झाग अक्सर
प्रजा का तंत्र है या राजनीति की व्यवस्था
तिजोरी पर मिले हैं फन उठाए नाग अक्सर
जड़ों पर खून की छींटे हमेशा डालते हैं
उजड जाते हैं अपनी फसल से वो बाग अक्सर
व्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
वही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
नज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
सच है, तर्क से अधिक निष्कर्षों की बात है..
जवाब देंहटाएंव्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
जवाब देंहटाएंवही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
sach hai .
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
बेहतरीन गज़ल है नासवा जी ! हर शेर सार्थक और वज़नदार है ! शुभकामनाएँ !
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
बहुत सटीक बात कही है सर!
सादर
आज के भारत के हालातों पर एकदम सही उतरती है आपकी ये गजल.
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंKya kamalka likhte hain aap!
जवाब देंहटाएंव्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
जवाब देंहटाएंवही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
आज तो नेताओं पर निशाना साधा है ॥बहुत खूब
प्रजा का तंत्र है या राजनीति की व्यवस्था
जवाब देंहटाएंतिजोरी पर मिले हैं फन उठाए नाग अक्सर
इससे बढ़िया और
सटीक ग़ज़ल और क्या होगी .
हमारे वक्त से संवाद करती है यह ग़ज़ल .
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
सुन्दर सटीक प्रस्तुति.
संवादों की प्रस्तुति अनूठी है.
मेरे ब्लॉग पर आईएगा,
'मेरी बात....' पर अपनी कुछ कहियेगा.
कुतर्कों का तो कोई इलाज ही नहीं.बढ़िया रचना.
जवाब देंहटाएंव्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
जवाब देंहटाएंवही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
नज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
बहुत बढ़िया ; एक शेर कृपया मेरा भी बर्दाश्त करे:)
पांच साल तो खूब कार-बंगलों में ऐश करते है,
चुनाव के दरमियाँ ही नजर आते है ये काग अक्सर !
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... आभार
जवाब देंहटाएंव्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
जवाब देंहटाएंवही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
.......यकीनन सच
तीखा कटाक्ष है
जड़ों पर खून की छींटे हमेशा डालते हैं
जवाब देंहटाएंउजड जाते हैं अपनी फसल से वो बाग अक्सर
वाह!!
दमदार शेरों से सजी ..
सार्थक रचना..
सादर.
बहुत बढ़िया सही लिखा है आपने .रचना पसंद आई ..
जवाब देंहटाएंमनुष्य की दोहरी मानसिकता को उजागर करती शानदार ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन नासवा जी ।
लगता है पिछली टिप्पणी गई स्पैम में ।
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
सटीक ..
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर बहुत बढ़िया प्रसंसनीय प्रस्तुति,सुंदर रचना के लिए बधाई .
NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
ग़ज़ल जीवन की अभिव्यक्ति है।
जवाब देंहटाएंव्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
वही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
bahot sahi bole.....
जवाब देंहटाएंजो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
बहुत खूब... सटीक बात
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर... और ज़िन्दगी खामियां निकलती गुजर जाती है
सटीक , प्रभावी भाव.....
जवाब देंहटाएंजो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
बहुत अच्छी गज़ल..
प्रजा का तंत्र है या राजनीति की व्यवस्था
जवाब देंहटाएंतिजोरी पर मिले हैं फन उठाए नाग अक्सर
बहुत खूब. शानदार गज़ल.
सादर.
वो कभी भी खुश नहीं रहते,
जवाब देंहटाएंरोते रहते हैं जिंदगी से अक्सर !
बहुत सुन्दर और प्रैक्टिकल बात!
जवाब देंहटाएंबातों-बातों में बड़ी बात कहना कोई आपसे सीखे।
जवाब देंहटाएं------
..की-बोर्ड वाली औरतें।
हवा के बुलबुले नेताओं के वादे, इरादे
जवाब देंहटाएंबहुत जल्दी उतर जाती है इनकी झाग अक्सर.....
बिलकुल नई approach इस शेर में है,वाह.
व्यंग्य को अपने में समेटती गज़ल...बधाई !!
जवाब देंहटाएंतर्क के लिए ही तर्क करने वालों को चाँद में दाग नजर आता है ...
जवाब देंहटाएंसार्थक तार्किक कविता !
हवा के बुलबुले नेताओं के वादे, इरादे
जवाब देंहटाएंबहुत जल्दी उतर जाती है इनकी झाग अक्सर.. कड़वा सच
ठिठुरती रात में बैठे जला कर आग अक्सर
जवाब देंहटाएंसुनाते हैं ग़मों में वो खुशी का राग अक्सर
यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी !
अच्छी रचना ....
आज कि राजनीति पर शानदार और सच के व्यंग से भरी सुंदर गज़ल ....
जवाब देंहटाएंमुबारक हो !
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
बहुत उम्दा गजल...आभार!
ठिठुरती रात में बैठे जला कर आग अक्सर
जवाब देंहटाएंसुनाते हैं ग़मों में वो खुशी का राग अक्सर
सारे शेर बहुत ही बढ़िया हैं...
उम्दा ग़ज़ल
खूबसूरत भावप्रवण रचना!
जवाब देंहटाएंजो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
सभी शेर बहुत सार्थक...तर्क तर्क तक तो ठीक है किन्तु कुतर्क बने तो कोई उत्तर नहीं होता...लाजवाब!
व्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
जवाब देंहटाएंवही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
नज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
एक-एक शेर सीधे दिल से निकला और दिल तक पहुंचा...बधाइयाँ...
आपकी गज़ल हमेशा इस उलझन में दाल देती है कि किस शेर की तारीफ़ की जाए.. मतला उठाया तो मक्ते तक वाह नहीं थमी!! एक मुकम्मल गज़ल!!
जवाब देंहटाएंtark karne wale hi mil rahe hei ajkal...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंदाज़ की ग़ज़ल .हर अशआर ek alag aanch liye hue vyngy की dhaar lie hue .क्या kahne hain naasvaa saahab .raho umr daraaz ,shaayri ke saath .
जवाब देंहटाएंजो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
....... बहुत खूब !
लेकिन उन्हें ही अपना चाँद तो हमेशा साफ़ और सुन्दर लगता है किसी भी तर्क से परे..उम्दा..
जवाब देंहटाएंलेकिन उन्हें ही अपना चाँद तो हमेशा साफ़ और सुन्दर लगता है किसी भी तर्क से परे..उम्दा..
जवाब देंहटाएंलेकिन उन्हें ही अपना चाँद तो हमेशा साफ़ और सुन्दर लगता है किसी भी तर्क से परे..उम्दा..
जवाब देंहटाएंव्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
जवाब देंहटाएंवही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
.....सब तिजोरी का ही खेल है.....
..बहुत बढ़िया सामयिक रचना...
बहुत अच्छा बन पड़ा है. सटीक और मारक.
जवाब देंहटाएंजो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
lajavab bahut hi sunder
badhai
rachana
आग लगा दे और चला जा राज़ की बात बताती हूँ
जवाब देंहटाएंइतनी बार बुझी हूँ कि मैं आग बुझाना भूल गई हूँ|.....अनु
सार्थक और वज़नदार गज़ल है|सादर|
जवाब देंहटाएंजड़ों पर खून की छींटे हमेशा डालते हैं
जवाब देंहटाएंउजड जाते हैं अपनी फसल से वो बाग अक्सर
शानदार ग़ज़ल कही है नासवा साहब।
बहुत खूब !
वाह ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंजो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
बहुत सही और सच कहा है ..दिगंबर जी!
सच और सारथिकता से भरी इस रचना के लिए बहुत बधाई !!
वाह!! हम तो आपसे इसीलिए तर्क वितर्क करते ही नहीं...कितना उम्दा ख्याल लाते हो भाई!!
जवाब देंहटाएंवाह...हर एक शेर लाजवाब..
जवाब देंहटाएंये भी -
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
नज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
और ये भी -
व्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
वही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
और पहला वाला भी..
किस किस को कोट करूँ..बेहतरीन है सभी!!
bahut umda
जवाब देंहटाएंतर्कों में उलझाये रहते है . ताकि असली समस्या पर नजर ना जाए . सांप भी मारे और लाठी भी ना टूट पाए
जवाब देंहटाएंहवा के बुलबुले नेताओं के वादे, इरादे
जवाब देंहटाएंबहुत जल्दी उतर जाती है इनकी झाग अक्सर...
दिगम्बर जी झन्नाटेदार बात कही है।
हर शेर लाजवाब..
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ...
आभार
बहुत सुन्दर गजल है |होली के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंआशा
भाई दिगम्बर नासवा जी होली की शुभकामनायें |लाजवाब गजल बधाई |
जवाब देंहटाएंजड़ों पर खून की छींटे हमेशा डालते हैं
जवाब देंहटाएंउजड जाते हैं अपनी फसल से वो बाग अक्सर
कुछ वास्तविक तथ्यों पर चोट करते, बेहतरीन शेरों से सजी उम्दा ग़ज़ल.
Regards
Fani Raj
बस चले तो गाँधी की एकलौती धोती भी ले भागेंगे ये सफ़ेद कुरते वाले..!
जवाब देंहटाएंबहुत बुरा हाल है लोकतंत्र का !
सुन्दर प्रस्तुति !
बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना, शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंजो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
bahut hi badhiya
प्रजा को भी जागना होगा
जवाब देंहटाएंप्रजा को भी कुछ करना होगा
जाति के बंधन तोड़ते-तोड़ते
वोट से भी धर्म के बेसुरे राग
हटना होंगे...तभी तो
नया सवेरा आएगा..
हर शेर असर दार है
जवाब देंहटाएंवाह
हवा के बुलबुले नेताओं के वादे, इरादे
जवाब देंहटाएंबहुत जल्दी उतर जाती है इनकी झाग अक्सर bahut badhiya.
इस व्यवस्था में गहरी पैठ रखने वालों की ही चाँदी है. कटु सत्य कहती सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएं.
क्या सिलेंडर भी एक्सपायर होते है ?
जड़ों पर खून की छींटे हमेशा डालते हैं
जवाब देंहटाएंउजड जाते हैं अपनी फसल से वो बाग अक्सर...
wah kya khoob likha hai...aabhar
आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.....भाव पूर्ण सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat, sateek gazal...kabhi kabhi kalam ka ye rang bhi acchha lagta hai.
जवाब देंहटाएंजड़ों पर खून की छींटे हमेशा डालते हैं
जवाब देंहटाएंउजड जाते हैं अपनी फसल से वो बाग अक्सर
.....बहुत खूब! बेहतरीन गज़ल...हरेक शेर बहुत उम्दा और सटीक...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
जो करते तर्क हैं बस तर्क की खातिर हमेशा
जवाब देंहटाएंनज़र आते हैं उनको चाँद में भी दाग अक्सर
सही कहा है आप ने..कसी भरोसे करे कोई ऐसे नेताओं का..?
बिलकुल ठीक नक्शा खींचा है आप ने आज के नेता का..
हवा के बुलबुले नेताओं के वादे, इरादे
जवाब देंहटाएंबहुत जल्दी उतर जाती है इनकी झाग अक्सर
प्रजा का तंत्र है या राजनीति की व्यवस्था
तिजोरी पर मिले हैं फन उठाए नाग अक्सर
जड़ों पर खून की छींटे हमेशा डालते हैं
उजड जाते हैं अपनी फसल से वो बाग अक्सर
व्यवस्था की तिजोरी हाथ में रहती है जिनके
वही रहते हैं दौरे वक्त में बेदाग़ अक्सर
किसे चुन लें किसे छोड़ें! ग़ज़ल के अशआर में आपने इस दौर की तल्ख़ हकीकतों की सुंदर तस्वीर उतारी है. मुबारक हो.
प्रजा का तंत्र है या राजनीति की व्यवस्था
जवाब देंहटाएंतिजोरी पर मिले हैं फन उठाए नाग अक्सर..
thoughtful it is..