न ज़ख्मों को हवा दो
कोई मरहम लगा दो
हवा देती है दस्तक
चरागों को बुझा दो
लदे हैं फूल से जो
शजर नीचे झुका दो
पडोसी अजनबी हैं
दिवारों को उठा दो
मुहब्बत मर्ज़ जिनका
उन्हें तो बस दुआ दो
मेरी नाकामियों को
सिरे से तुम भुला दो
जुनूने इश्क में तो
फकत उनसे मिला दो
छोटे बहर की सुंदर ग़ज़ल..
जवाब देंहटाएंअभिनव भाव अभिव्यंजन सुन्दर मनोहर रचना .छोटी बहर की बड़ी शानदार ग़ज़ल .आधुनिक जीवन स्थितियों को समेटे -
जवाब देंहटाएंपडोसी अजनबी हैं
दिवारों को उठा दो
मुहब्बत मर्ज़ जिनका
उन्हें तो बस दुआ दो
क्या कहने हैं भाईसाहब .आदाब ,सलाम आपकी कलम को आपके कलाम को .
न ज़ख्मों को हवा दो
जवाब देंहटाएंकोई मरहम लगा दो
......क्या कह दिया जनाब आपने.... बहुत ही बेहतरीन पंक्तियाँ बेहतरीन गजल ....नसवा जी
पढ़ कर मज़ा आ गया...नासवा जी
जवाब देंहटाएं...बधाई कुबूल करें !
वाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल.....
वाकई छोटे बहर की गज़ल का अपना सौंदर्य है...
सादर.
हमेशा कि तरह खूबसूरत गज़ल.
जवाब देंहटाएंसादर.
बहुत बढ़िया गजल...
जवाब देंहटाएंअफ़सोस----
जवाब देंहटाएंनहीं सीख पा रहा हूँ ऐसी खूबसूरत
भावों से भरी गजल रचना ।
वैसे खूब मन लगाकर पढता हूँ --
जख्म जिसने थे दिये वो आ रही है ।
बुझ दिये, सुन हवा अस्तुति गा रही है ।
वह फूल लादे डाल जब सजदा करे--
वो मुहब्बत की बड़ी मलिका रही है ।।
दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया .
जवाब देंहटाएंशानदार ग़ज़ल .
मुहब्बत मर्ज़ जिनका
जवाब देंहटाएंउन्हें तो बस दुआ दो
मेरी नाकामियों को
सिरे से तुम भुला दो
Kya gazab kee gazal kahee hai!
जख्मों पे मरहम का काम करती ...गज़ल !
जवाब देंहटाएंखुश रहिये !
ओहो !..बस बेहद खुबसूरत..
जवाब देंहटाएंमेरी नाकामियों को
जवाब देंहटाएंसिरे से तुम भुला दो प्रस्तुति,
बहुत बढ़िया गजब की सुंदर रचना,.....
RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
बहुत खूब... उम्दा गजल !
जवाब देंहटाएंwaah bahut khub likha hai aapne...umda gazal...
जवाब देंहटाएंनाकामियों को भुलाने नहीं याद रखने की जरूरत होती है।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गजल...........
जवाब देंहटाएंलाजवाब ग़ज़ल !, शब्दों , भावो और कल्पनाओ का सुन्दर चित्रण . मैं तो कायल हो गया जनाब .
जवाब देंहटाएंलाजवाब ग़ज़ल !, शब्दों , भावो और कल्पनाओ का सुन्दर चित्रण . मैं तो कायल हो गया जनाब .
जवाब देंहटाएंपडोसी अजनबी हैं
जवाब देंहटाएंदिवारों को उठा दो
यही ठीक रहेगा आज के ज़माने में .
बढ़िया सटीक रचना.
वाह ...बहुत ही बढि़या प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गजल ...
जवाब देंहटाएंजुनूने इश्क में तो
जवाब देंहटाएंफकत उनसे मिला दो
waah
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआभार !
शब्द नहीं प्रसंशा के लिए.... बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमुहब्बत मर्ज़ जिनका
जवाब देंहटाएंउन्हें तो बस दुआ दो
bahut sundar prastuti.badhai.ये वंशवाद नहीं है क्या?
sunder rachna ....
जवाब देंहटाएंhttp://jadibutishop.blogspot.com
लाजवाब लिखे हैं सर!
जवाब देंहटाएंसादर
कल 15/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
bahut khoob...
जवाब देंहटाएंक्या हो गया मान्यवर,कुछ परेशान से लग रहे हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल!...उम्दा अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंवाह ! फुल मूड में लग रहे हो सर जी :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल ...शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंजख्मों को सूखने का समय मिले..बहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंपडोसी अजनबी हैं
जवाब देंहटाएंदिवारों को उठा दो
मुहब्बत मर्ज़ जिनका
उन्हें तो बस दुआ दो
..सच जिनको रोग मोहब्बत का लग जाता है उनका तो ऊपर वाला ही मालिक होता है
..बहुत सार्थक, सटीक प्रस्तुति ..
बहुत उम्दा और भावप्रणव ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अल्फाज, खूबसूरत गजल.
जवाब देंहटाएंइस बहर में लिखी हर गज़ल मुझे बहुत प्यारी लगती हैं..और ये तो लाजवाब है!!
जवाब देंहटाएंइस बहर में लिखी हर गज़ल मुझे बहुत प्यारी लगती हैं..और ये तो लाजवाब है!!
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत ग़ज़ल हर शेर लाजबाब , मुबारक हो
जवाब देंहटाएंजुनूने इश्क में तो
जवाब देंहटाएंफकत उनसे मिला दो .waah....
खूबसूरत ग़ज़ल...देखन में छोटे लगे...पर घाव बहुत गहरे लगे...
जवाब देंहटाएंशानदार...
जवाब देंहटाएंपडोसी अजनबी हैं
जवाब देंहटाएंदिवारों को उठा दो
....बेहतरीन गज़ल...
छोटे बहर गहरी बात ,बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल.....
जवाब देंहटाएंइसे पढ़कर लगता है आप विस्तृत जीवानुभाव के कवि हैं ।
जवाब देंहटाएंहम तो फकत पढ़े जाते है , गूढ़ भाव को गुने जाते है . सुन्दर
जवाब देंहटाएंन ज़ख्मों को हवा दो
जवाब देंहटाएंकोई मरहम लगा दो
बहुत ख़ूबसूरत शेर है और बड़ी मुनासिब ख़्वाहिश का इज़हार भी क्योंकि अक्सर मरहम की जगह नमक का इस्तेमाल होता है ज़ख़्मों पर
शानदार ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंबढिया रचना।
जवाब देंहटाएंमुहब्बत मर्ज़ जिनका
जवाब देंहटाएंउन्हें तो बस दुआ दो
बहुत खूब...सच..बस उन्हें दुआ की ही जरूरत होती है.
बहुत बहुत खुबसूरत लिखी है यह गजल ...हर शेर बधाई के लायक है ....
जवाब देंहटाएंdil ko chhoo gaye..
जवाब देंहटाएंपडोसी अजनबी हैं
जवाब देंहटाएंदिवारों को उठा दो
bahut sundar ghazal har ashshaar ek se badhkar ek.
बेहतरीन ग़ज़ल ..वाह ! !
जवाब देंहटाएंबेहतर पंक्तियां
जवाब देंहटाएंमुहब्बत मर्ज जिनका उन्हें तो बस दुआ दो
जवाब देंहटाएंमेरी नाकामियों को सिरे से तुम भुला दो.
गर हो सके तो तुम मुझे बाँहों में सुला दो
फिर चाहे जिंदगी भर ले लिए मुझको रुला दो.
सुंदर गज़ल........
बहुत सुन्दर गज़ल शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
जवाब देंहटाएं" सवाई सिंह "
मुहब्बत मर्ज़ जिनका , उन्हें बस दुआ दो!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
पडोसी अजनबी हैं
जवाब देंहटाएंदिवारों को उठा दो...
बहुत खूबसूरत गज़ल.
न ज़ख्मों को हवा दो
जवाब देंहटाएंकोई मरहम लगा दो
lazabab.....wah.
मुहब्बत मर्ज़ जिनका
जवाब देंहटाएंउन्हें तो बस दुआ दो
शायद दुआ काम कर जाए....!!
न ज़ख्मों को हवा दो
जवाब देंहटाएंकोई मरहम लगा दो
हवा देती है दस्तक
चरागों को बुझा दो
लदे हैं फूल से जो
शजर नीचे झुका दो
....waah bahut umda behatarin , anand aa gaya digambar ji , aapko hardik badhai
ये शेर बहुत पसन्द आये...
जवाब देंहटाएं"न ज़ख्मों को हवा दो
कोई मरहम लगा दो
मुहब्बत मर्ज़ जिनका
उन्हें तो बस दुआ दो"
वाह...वाह...वाह...
पडोसी अजनबी हैं
जवाब देंहटाएंदिवारों को उठा दो
मुहब्बत मर्ज़ जिनका
उन्हें तो बस दुआ दो
ग़ज़ल की ताजगी कम याब्दों में बहुत-कुछ कह रही है।
मनभावन ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
पडोसी अजनबी हैं
जवाब देंहटाएंदिवारों को उठा दो
बहुत खूबसूरत ग़जल है...सभी पंक्तियाँ लाज़वाब!
मुहब्बत मर्ज़ जिनका
जवाब देंहटाएंउन्हें तो बस दुआ दो
वाह, क्या बात कह दी आपने। मरीजे इश्क को दुआ ही काम आ सकती है। खूबसूरत ग़ज़ल।
बहुत उम्दा शायरी है ....सीधे मर्म तक पहुंचती हुई ....!बहुत सुंदर ....!!
जवाब देंहटाएंउन्हें तो बस दुआ दो । वाह क्या बात है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंMUJHE GAJALON /KAVITAON KI JYADA SAMAJH NAHIN PAR JO DIL DIMAAG PAR ASAR KARE USE PADHATI HO ..AAPKI RACHANA BAHUT ACHHI LAGI.
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti
जवाब देंहटाएंछोटी बहर में यह कमाल तो ब्लॉग जगत में आप ही कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंbeautiful
जवाब देंहटाएं"न ज़ख्मों को हवा दो
जवाब देंहटाएंकोई मरहम लगा दो"
बहुत ही सुन्दर भाव ! बधाई !
वाह बहुत ही खूब....
जवाब देंहटाएंजिंदगी के रंगों से सजी एक छोटी गज़ल
जुनूने इश्क में तो
जवाब देंहटाएंफकत उनसे मिला दो
Beautiful lines sir...