स्वप्न मेरे: सजीव कविता ...

सोमवार, 7 मई 2012

सजीव कविता ...


गज़लों के दौर से निकल कर प्रस्तुत है एक कविता ... आशा है आपको पसंद आएगी

तुम कहती हो लिखो कोई कविता
मेरे पे ...
बस मेरे पे ...
 
और मैं सोचने लगता हूँ
क्या लिखूं
तुम पेबस तुम पे ...   

क्योंकि तुमको अपने से अलग तो कभी सोच ही नहीं पाया मैं
तो अपने आप पर लिखूं ...
पर कैसे ...

वैसे भी कुछ लिखने के लिए 
अतीत या भविष्य में उतरना होगा
कुछ पल के लिए ही सही
तुमसे दूर तो होना होगा

बताओ ...
क्या सह पाओगी ये दूरी ...

अपने आप पे कविता या कुछ पल की दूरी
कहो ... क्या है जरूरी ...

क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
वर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ... 

76 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया ||

    अपने पर कविता लिखे, जाँय तनिक सा दूर |
    इससे अच्छा है जियें, वर्तमान भरपूर ||

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  2. वैसे भी कुछ लिखने के लिए
    अतीत या भविष्य में उतरना होगा
    कुछ पल के लिए ही सही
    तुमसे दूर तो होना होगा....

    बहुत अच्छी भाव पुर्ण प्रस्तुति,....

    RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

    जवाब देंहटाएं
  3. ग़ज़ल हो या कविता.. संवेदना को छूती है आपकी रचना.. यह कविता भी प्रभावित कर रही है...

    जवाब देंहटाएं
  4. अपने आप पे कविता या कुछ पल की दूरी
    कहो ... क्या है जरूरी ...

    जवाब देंहटाएं
  5. अपने आप पे कविता या कुछ पल की दूरी
    कहो ... क्या है जरूरी ... वर्तमान की चिरौरी ?बढ़िया कृति खुद से संवाद करती स्वगत कथन सी .कृपया यहाँ भी पधारें -
    सोमवार, 7 मई 2012
    भारत में ऐसा क्यों होता है ?
    भारत में ऐसा क्यों होता है ?
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह वाह...वर्तमान को कहती हुई यह सजीव कविता सचमुच बहुत अच्छी है...

    जवाब देंहटाएं
  7. लिखने की दृष्टि के लिये तदानुसार सृष्टि भी हो जाये..

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद खूबसूरत रचना... वर्तमान को संजोना ज्यादा अच्छा होता है क्योंकि ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी सजीव कविता ...

    जवाब देंहटाएं
  9. कवि को कविता कहने के लिए कहना कहाँ पड़ता है !
    वैसे पल भर की दूरी और करीब ले आती है . :)

    जवाब देंहटाएं
  10. वर्तमान की सजीव कविता ज्यादा जरुरी , सुँदर कल्पनाशीलता.

    जवाब देंहटाएं
  11. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता


    वाह,बहुत खूब !

    जवाब देंहटाएं
  12. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ...

    वाह ..बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत अच्छी भाव पुर्ण प्रस्तुति,....

    जवाब देंहटाएं
  14. जो दिल कहे
    वही कविता है,
    खालिश दर्द बहे
    वही कविता है !

    जवाब देंहटाएं
  15. सजीव कविता प्राण भर रही है...

    जवाब देंहटाएं
  16. ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ...
    सच कहा है यह भी तो एक कविता है
    समय के पंखों पर लिखी हुई ......
    बहुत सुंदर !

    जवाब देंहटाएं
  17. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ... इससे बेहतर कोई किताब नहीं कविता की

    जवाब देंहटाएं
  18. वाह वाह वाह बहुत खूबसूरत और सार्थक जवाब देती रचना सवाल करने वाला जवाब ही न पाए बहुत खूब |

    जवाब देंहटाएं
  19. अपने आप पे कविता
    या कुछ पल की दूरी...
    कहो.....क्या है जरूरी......!!

    कुछ भी नहीं.....
    बस....
    सामीप्य.....
    अपनापन है ज़रूरी.....!!
    कविता कोई और लिख देगा...!!

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  20. बेहतरीन कविता है सर!


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  21. आप की कलम से निकले शब्द सजीव हो कर बोलने लगते हैं ,,,हमेशा की तरह !
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  22. वैसे भी कुछ लिखने के लिए
    अतीत या भविष्य में उतरना होगा
    कुछ पल के लिए ही सही
    तुमसे दूर तो होना होगा
    स्पैम बोक्स चेक किया है .खाली है .
    बढ़िया प्रस्तुति हर माने में अव्वल .


    सोमवार, 7 मई 2012
    भारत में ऐसा क्यों होता है ?
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    तथा यहाँ भीं सर जी -
    चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
    गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html

    जवाब देंहटाएं
  23. वैसे भी कुछ लिखने के लिए
    अतीत या भविष्य में उतरना होगा
    कुछ पल के लिए ही सही
    तुमसे दूर तो होना होगा
    स्पैम बोक्स चेक किया है .खाली है .
    बढ़िया प्रस्तुति हर माने में अव्वल .


    सोमवार, 7 मई 2012
    भारत में ऐसा क्यों होता है ?
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    तथा यहाँ भीं सर जी -
    चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
    गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html

    जवाब देंहटाएं
  24. स्पैम बोक्स चेक किया है .खाली है तिप्पक्नी आपकी प्रकाशित है देखें -. दिगम्बर नासवा ने कहा…

    कडुवा सच है ये ... चाहे किसी भी रूप में ...
    राम राम जी ...

    7 मई 2012 2:12 pm
    हटाएं
    बढ़िया प्रस्तुति हर माने में अव्वल .


    सोमवार, 7 मई 2012
    भारत में ऐसा क्यों होता है ?
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    तथा यहाँ भीं सर जी -
    चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
    गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html

    जवाब देंहटाएं
  25. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता .

    बहुत खूब....बेहद संवेदनशील...सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  26. अपनों का साथ - सबसे खूबसूरत कविता ..जिसे लिखने की नहीं बस जीने की जरुरत होती है.
    बहुत सुन्दर भाव.

    जवाब देंहटाएं
  27. क्या बात है.. ऎसी कविता जिसके लिए उससे ज़रा भी दूर होना पड़े असुंदर ही होगी.. सुंदरता तो बस एक होने में है..!!
    आपकी ग़ज़लों की तरह यह कविता भी मन मोह लेती है!!

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत सुंदर......................

    अकसर लिखा करें कवितायें..................

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  29. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ...
    दरअसल भाई साहब वैकल्पिक चिकित्सा आलेख दो बार प्रकाशित हो गया था गलती से .एज पर सिर्फ एक ही टिपण्णी है और वह आपकी है इस प्रकार और बाकायदा मौजूद है -

    ब्लॉगर दिगम्बर नासवा ने कहा…

    सरकार कों चाहिए की वो और्वेदिक दवाओं पे शोध कों प्रोत्साहन दे .. उन्हें फिर से मान्यता प्रदान करे ... कोई संस्थान बनाके ऐसी दवाइयों कों लाइसेंस देने की प्रक्रिया बनाए ... चाहे उसके लिए पुन्ह: नुस्कों और दवाओं की टेस्टिंग करनी पड़े ...
    कम से कम कुछ कदम तो उठाये सरकार इस देसी पद्धति कों बढ़ावा देने के लिए ...
    सजीव कविता के लिए बधाई जीवन वर्तमान में ही ही बस इसी पल में .बाकी सब नखलिस्तान हैं .ओएसिस है .

    जवाब देंहटाएं
  30. सचाई को कविता में समा देने का प्रयास बड़ा ही सजीव और रोचक है।

    जवाब देंहटाएं
  31. सचाई को कविता में समा देने का प्रयास बड़ा ही सजीव और रोचक है।

    जवाब देंहटाएं
  32. बहुत सुन्दर और भाव पूर्ण रचना है आपकी सोच कुछ अलग हट कर |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  33. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ...

    अतीत व्यतीत हो चुका, भविष्य अदृश्य है. जीवन का एकमात्र सत्य वर्तमान है. आज और इस पल में जीना ही जीना है. बहुत ही सही और व्यावहारिक संदेश देती नज़्म...मुबारक हो.....

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  34. Behtareen Kavita hai... Shabdon se tippani kar ke iske mahatv ko kam nahi karna chahta...

    जवाब देंहटाएं
  35. क्योंकि तुमको अपने से अलग तो कभी सोच ही नहीं पाया मैं
    तो अपने आप पर लिखूं ...
    पर कैसे ...


    बहुत सुन्दर...बहुत कोमल भाव...

    जवाब देंहटाएं
  36. बहुत सीधे-सादे रूप में जीवन का सार—बस ’इस पल का मोती मेरा है—ना भूत ना भविष्य,यही पल जीवन की सच्ची कविता है.

    जवाब देंहटाएं
  37. ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ...

    बस कविता यूं ही साथ साथ बहे .... सुंदर प्रस्तुति

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  38. बहुत सुन्दर भावमयी रचना...

    जवाब देंहटाएं
  39. होता चर्चा मंच है, हरदम नया अनोखा ।

    पाठक-गन इब खाइए, रविकर चोखा-धोखा ।।

    बुधवारीय चर्चा-मंच

    charchamanch.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  40. अलग अंदाज़ हैं आज आपके ...
    शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  41. वाह बहुत खूब .....



    डबडबाई आँखों से न मुझे बहलाओ,जिंदगी
    टूटते तारे का दर्द मैं भी जानती हूँ ,जिंदगी |...अनु

    जवाब देंहटाएं
  42. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ...

    कविता तो तुम हो ....
    तुम से दूर क्या कविता ....
    सुंदर भाव ...
    शुभकामनायें ....!!

    जवाब देंहटाएं
  43. क्योंकि तुमको अपने से अलग तो कभी सोच ही नहीं पाया मैं
    तो अपने आप पर लिखूं ...
    पर कैसे ...

    waah....Awesome...

    .

    जवाब देंहटाएं
  44. कवि की दुविधा, प्रेम की दुविधा ...

    जवाब देंहटाएं
  45. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    टोहते रहें बादलों के रंग ,डूबता हुआ सूर्या ,

    देखते रहें लहरों का आखेट .
    बढ़िया प्रस्तुति भावों को झंकृत करती कुछ कहती सी .

    जवाब देंहटाएं
  46. समय के पंखो पर लिखी ये कविता बहुत सुन्दर है।

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  47. बहुत सुन्दर ....अच्छी अभिव्यक्ति है...

    जवाब देंहटाएं
  48. हम दोनों की सजीव कविता । बहुत सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं
  49. बताओ ...
    क्या सह पाओगी ये दूरी ...

    अपने आप पे कविता या कुछ पल की दूरी
    कहो ... क्या है जरूरी ...
    हाँ कविता सजीव होती है .उसमे होतीं हैं कलम की अनुभूतियाँ ,अनुकूलन ,यथार्थ के साथ चलने की कोशिश .आपकी दैनंदिन टिप्पणियाँ हमें निरंतर कुछ और अच्छा करने को प्रेरित करतीं हैं .शुक्रिया '.टिप्पणियों की आंच जलाए रहिये ,ये ब्लॉग की दुनिया है कुछ अपनों को बचाए रहिये .'

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  50. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ...

    बेहद खूबसूरत एवं प्रभावशाली ! ईश्वर से प्रार्थना है यह सजीव कविता समय के पंखों पर सवार हो सुख और सफलता के सभी सोपान चढ़ हर शिखर को छुए ! शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  51. क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
    वर्तमान को संजोते रहें ...
    ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
    हम दोनों की सजीव कविता ...
    yahi hai sach kavita.

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  52. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  53. मैं सोचने लगता हूँ
    क्या लिखूं
    तुम पे … बस तुम पे

    .......बहुत ही सही आपकी ये पंक्तियाँ मुझे बहुत भाई

    जवाब देंहटाएं
  54. मुझको तो ये कविता बहुत पसंद आई

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  55. बहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  56. चलिए मियाँ इतनी देर से ही सही अपनी कविता से तो मिलवा दिया ...बड़ी छुई मुईं सी दिखी हैं अभी तो !:)

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  57. अगर कह कर लिखवायी जाये तो शायद वो कविता ही न कहलाये क्यूंकि कविता तो नाम है अहसासों का जज़्बातों का, वैसे जीवन जीने का एहसास भी है कविता रही बात दूरी की तो जिस तरह खाने में नमक ज़रूरी है वैसे ही प्यार में थोड़ी दूरी भी ज़रूरी है।

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  59. नहीं जरुरी , लिखो कविता
    आँखों से ही कहो कविता
    सीने से लग जाओ, आओ
    फिर धड़कन की सुनो कविता.

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है