गज़लों के दौर से निकल कर प्रस्तुत है एक कविता ... आशा है
आपको पसंद आएगी
तुम कहती हो लिखो कोई कविता
मेरे पे ...
बस मेरे पे ...
और मैं सोचने लगता हूँ
क्या लिखूं
तुम पे … बस तुम पे ...
क्योंकि तुमको अपने से अलग तो कभी सोच ही नहीं पाया मैं
तो अपने आप पर लिखूं ...
पर कैसे ...
वैसे भी कुछ लिखने के लिए
अतीत या भविष्य में उतरना होगा
कुछ पल के लिए ही सही
तुमसे दूर तो होना होगा
बताओ ...
क्या सह पाओगी ये दूरी ...
अपने आप पे कविता या कुछ पल की दूरी
कहो ... क्या है जरूरी ...
क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
वर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ...
बहुत बढ़िया ||
जवाब देंहटाएंअपने पर कविता लिखे, जाँय तनिक सा दूर |
इससे अच्छा है जियें, वर्तमान भरपूर ||
वैसे भी कुछ लिखने के लिए
जवाब देंहटाएंअतीत या भविष्य में उतरना होगा
कुछ पल के लिए ही सही
तुमसे दूर तो होना होगा....
बहुत अच्छी भाव पुर्ण प्रस्तुति,....
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
ग़ज़ल हो या कविता.. संवेदना को छूती है आपकी रचना.. यह कविता भी प्रभावित कर रही है...
जवाब देंहटाएंsajeev kavitaa...kitni pyaari kalpana
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंअपने आप पे कविता या कुछ पल की दूरी
जवाब देंहटाएंकहो ... क्या है जरूरी ...
अपने आप पे कविता या कुछ पल की दूरी
जवाब देंहटाएंकहो ... क्या है जरूरी ... वर्तमान की चिरौरी ?बढ़िया कृति खुद से संवाद करती स्वगत कथन सी .कृपया यहाँ भी पधारें -
सोमवार, 7 मई 2012
भारत में ऐसा क्यों होता है ?
भारत में ऐसा क्यों होता है ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
वाह वाह...वर्तमान को कहती हुई यह सजीव कविता सचमुच बहुत अच्छी है...
जवाब देंहटाएंलिखने की दृष्टि के लिये तदानुसार सृष्टि भी हो जाये..
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना... वर्तमान को संजोना ज्यादा अच्छा होता है क्योंकि ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी सजीव कविता ...
जवाब देंहटाएंकवि को कविता कहने के लिए कहना कहाँ पड़ता है !
जवाब देंहटाएंवैसे पल भर की दूरी और करीब ले आती है . :)
वर्तमान की सजीव कविता ज्यादा जरुरी , सुँदर कल्पनाशीलता.
जवाब देंहटाएंक्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता
वाह,बहुत खूब !
क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ...
वाह ..बहुत सुन्दर
बहुत अच्छी भाव पुर्ण प्रस्तुति,....
जवाब देंहटाएंजो दिल कहे
जवाब देंहटाएंवही कविता है,
खालिश दर्द बहे
वही कविता है !
सजीव कविता प्राण भर रही है...
जवाब देंहटाएंये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
जवाब देंहटाएंहम दोनों की सजीव कविता ...
सच कहा है यह भी तो एक कविता है
समय के पंखों पर लिखी हुई ......
बहुत सुंदर !
bahut khub........
जवाब देंहटाएंक्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ... इससे बेहतर कोई किताब नहीं कविता की
वाह वाह वाह बहुत खूबसूरत और सार्थक जवाब देती रचना सवाल करने वाला जवाब ही न पाए बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंअपने आप पे कविता
जवाब देंहटाएंया कुछ पल की दूरी...
कहो.....क्या है जरूरी......!!
कुछ भी नहीं.....
बस....
सामीप्य.....
अपनापन है ज़रूरी.....!!
कविता कोई और लिख देगा...!!
बेहतरीन कविता है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
आप की कलम से निकले शब्द सजीव हो कर बोलने लगते हैं ,,,हमेशा की तरह !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
वैसे भी कुछ लिखने के लिए
जवाब देंहटाएंअतीत या भविष्य में उतरना होगा
कुछ पल के लिए ही सही
तुमसे दूर तो होना होगा
स्पैम बोक्स चेक किया है .खाली है .
बढ़िया प्रस्तुति हर माने में अव्वल .
सोमवार, 7 मई 2012
भारत में ऐसा क्यों होता है ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भीं सर जी -
चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html
वैसे भी कुछ लिखने के लिए
जवाब देंहटाएंअतीत या भविष्य में उतरना होगा
कुछ पल के लिए ही सही
तुमसे दूर तो होना होगा
स्पैम बोक्स चेक किया है .खाली है .
बढ़िया प्रस्तुति हर माने में अव्वल .
सोमवार, 7 मई 2012
भारत में ऐसा क्यों होता है ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भीं सर जी -
चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html
स्पैम बोक्स चेक किया है .खाली है तिप्पक्नी आपकी प्रकाशित है देखें -. दिगम्बर नासवा ने कहा…
जवाब देंहटाएंकडुवा सच है ये ... चाहे किसी भी रूप में ...
राम राम जी ...
7 मई 2012 2:12 pm
हटाएं
बढ़िया प्रस्तुति हर माने में अव्वल .
सोमवार, 7 मई 2012
भारत में ऐसा क्यों होता है ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भीं सर जी -
चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html
क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता .
बहुत खूब....बेहद संवेदनशील...सुन्दर रचना
अपनों का साथ - सबसे खूबसूरत कविता ..जिसे लिखने की नहीं बस जीने की जरुरत होती है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव.
samay ke pankhon par------bahut achhi rachna aur sundar bhav
जवाब देंहटाएंक्या बात है.. ऎसी कविता जिसके लिए उससे ज़रा भी दूर होना पड़े असुंदर ही होगी.. सुंदरता तो बस एक होने में है..!!
जवाब देंहटाएंआपकी ग़ज़लों की तरह यह कविता भी मन मोह लेती है!!
बहुत सुंदर......................
जवाब देंहटाएंअकसर लिखा करें कवितायें..................
सादर.
क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ...
दरअसल भाई साहब वैकल्पिक चिकित्सा आलेख दो बार प्रकाशित हो गया था गलती से .एज पर सिर्फ एक ही टिपण्णी है और वह आपकी है इस प्रकार और बाकायदा मौजूद है -
ब्लॉगर दिगम्बर नासवा ने कहा…
सरकार कों चाहिए की वो और्वेदिक दवाओं पे शोध कों प्रोत्साहन दे .. उन्हें फिर से मान्यता प्रदान करे ... कोई संस्थान बनाके ऐसी दवाइयों कों लाइसेंस देने की प्रक्रिया बनाए ... चाहे उसके लिए पुन्ह: नुस्कों और दवाओं की टेस्टिंग करनी पड़े ...
कम से कम कुछ कदम तो उठाये सरकार इस देसी पद्धति कों बढ़ावा देने के लिए ...
सजीव कविता के लिए बधाई जीवन वर्तमान में ही ही बस इसी पल में .बाकी सब नखलिस्तान हैं .ओएसिस है .
सचाई को कविता में समा देने का प्रयास बड़ा ही सजीव और रोचक है।
जवाब देंहटाएंसचाई को कविता में समा देने का प्रयास बड़ा ही सजीव और रोचक है।
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...हृदयस्पर्शी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भाव पूर्ण रचना है आपकी सोच कुछ अलग हट कर |
जवाब देंहटाएंआशा
क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ...
अतीत व्यतीत हो चुका, भविष्य अदृश्य है. जीवन का एकमात्र सत्य वर्तमान है. आज और इस पल में जीना ही जीना है. बहुत ही सही और व्यावहारिक संदेश देती नज़्म...मुबारक हो.....
Behtareen Kavita hai... Shabdon se tippani kar ke iske mahatv ko kam nahi karna chahta...
जवाब देंहटाएंक्योंकि तुमको अपने से अलग तो कभी सोच ही नहीं पाया मैं
जवाब देंहटाएंतो अपने आप पर लिखूं ...
पर कैसे ...
बहुत सुन्दर...बहुत कोमल भाव...
बहुत सीधे-सादे रूप में जीवन का सार—बस ’इस पल का मोती मेरा है—ना भूत ना भविष्य,यही पल जीवन की सच्ची कविता है.
जवाब देंहटाएंये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
जवाब देंहटाएंहम दोनों की सजीव कविता ...
बस कविता यूं ही साथ साथ बहे .... सुंदर प्रस्तुति
बहुत सुन्दर भावमयी रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंहोता चर्चा मंच है, हरदम नया अनोखा ।
जवाब देंहटाएंपाठक-गन इब खाइए, रविकर चोखा-धोखा ।।
बुधवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.in
अलग अंदाज़ हैं आज आपके ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
वाह बहुत खूब .....
जवाब देंहटाएंडबडबाई आँखों से न मुझे बहलाओ,जिंदगी
टूटते तारे का दर्द मैं भी जानती हूँ ,जिंदगी |...अनु
क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ...
कविता तो तुम हो ....
तुम से दूर क्या कविता ....
सुंदर भाव ...
शुभकामनायें ....!!
क्योंकि तुमको अपने से अलग तो कभी सोच ही नहीं पाया मैं
जवाब देंहटाएंतो अपने आप पर लिखूं ...
पर कैसे ...
waah....Awesome...
.
एकदम सजीव कविता..
जवाब देंहटाएंकवि की दुविधा, प्रेम की दुविधा ...
जवाब देंहटाएंक्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
टोहते रहें बादलों के रंग ,डूबता हुआ सूर्या ,
देखते रहें लहरों का आखेट .
बढ़िया प्रस्तुति भावों को झंकृत करती कुछ कहती सी .
समय के पंखो पर लिखी ये कविता बहुत सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....अच्छी अभिव्यक्ति है...
जवाब देंहटाएंहम दोनों की सजीव कविता । बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबताओ ...
जवाब देंहटाएंक्या सह पाओगी ये दूरी ...
अपने आप पे कविता या कुछ पल की दूरी
कहो ... क्या है जरूरी ...
हाँ कविता सजीव होती है .उसमे होतीं हैं कलम की अनुभूतियाँ ,अनुकूलन ,यथार्थ के साथ चलने की कोशिश .आपकी दैनंदिन टिप्पणियाँ हमें निरंतर कुछ और अच्छा करने को प्रेरित करतीं हैं .शुक्रिया '.टिप्पणियों की आंच जलाए रहिये ,ये ब्लॉग की दुनिया है कुछ अपनों को बचाए रहिये .'
क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ...
बेहद खूबसूरत एवं प्रभावशाली ! ईश्वर से प्रार्थना है यह सजीव कविता समय के पंखों पर सवार हो सुख और सफलता के सभी सोपान चढ़ हर शिखर को छुए ! शुभकामनायें !
क्या अच्छा नहीं हम यूं ही जीते रहें ...
जवाब देंहटाएंवर्तमान को संजोते रहें ...
ये भी तो इक कविता है समय के पंखों पे लिखी ...
हम दोनों की सजीव कविता ...
yahi hai sach kavita.
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
waah ati sundar....
जवाब देंहटाएंमैं सोचने लगता हूँ
जवाब देंहटाएंक्या लिखूं
तुम पे … बस तुम पे
.......बहुत ही सही आपकी ये पंक्तियाँ मुझे बहुत भाई
मुझको तो ये कविता बहुत पसंद आई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंचलिए मियाँ इतनी देर से ही सही अपनी कविता से तो मिलवा दिया ...बड़ी छुई मुईं सी दिखी हैं अभी तो !:)
जवाब देंहटाएंअगर कह कर लिखवायी जाये तो शायद वो कविता ही न कहलाये क्यूंकि कविता तो नाम है अहसासों का जज़्बातों का, वैसे जीवन जीने का एहसास भी है कविता रही बात दूरी की तो जिस तरह खाने में नमक ज़रूरी है वैसे ही प्यार में थोड़ी दूरी भी ज़रूरी है।
जवाब देंहटाएंused cycles london uk
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नहीं जरुरी , लिखो कविता
जवाब देंहटाएंआँखों से ही कहो कविता
सीने से लग जाओ, आओ
फिर धड़कन की सुनो कविता.
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जवाब देंहटाएंGood efforts. All the best for future posts. I have bookmarked you. Well done. I read and like this post. Thanks.
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