ठीक उसी वक्त
जब अंधेरा घर वापसी की तैयारी करता है
उजाला बादलों के पीछे से अपने आने की खबर देने लगता है
भूलने लगते हैं सब अंधेरे का अस्तित्व
हालांकि सच तो ये है
दिन का उजाला मन के अंधेरे को ढांप नहीं पाता
उस दिन मझे भी ऐसा महसूस हुवा था
तुम चली गई हमेशा हमेशा के लिए उस रौशनी के साथ
बिना सोचे समझे की रौशनी का अस्तित्व केवल अंधेरे से है
एक ही सिक्के के दो पहलू
मैं तो उसी लम्हे से शैतान बन गया था
अंधेरे के साथ आता रहा, जाता रहा
और अब तो कभी कभी
रौशनी के आने पे भी पसरा रहता हूँ
कभी पेड़ की छाया में
या कभी गुनाह की आड़ में ...
सच बताना क्या तुम मुझे अभी भी प्यार नहीं करतीं ...?
अंधेरे से तो तुम्हे भी प्यार था बचपन से ...?
रौशनी का होना ही तो अँधेरा है..........
जवाब देंहटाएंप्यार करती होगी ...बस रूठी है अभी.....
:-)
सादर
ओह..चकित सी कविता..रौशनी और अँधेरा एक दुसरे के पूरक ही तो हैं.
जवाब देंहटाएंएक के बिना दुसरे का अस्तित्व कहाँ
जवाब देंहटाएंफिर से चर्चा मंच पर, रविकर का उत्साह |
जवाब देंहटाएंसाजे सुन्दर लिंक सब, बैठ ताकता राह ||
--
बुधवारीय चर्चा मंच ।
waah
जवाब देंहटाएं...अगर अँधेरे में समा गई तो...अधेरें से बाहर भी निकल आएगी!...बस थोडासा इंतज़ार और...
जवाब देंहटाएंमैं तो उसी लम्हे से शैतान बन गया था
जवाब देंहटाएंअंधेरे के साथ आता रहा, जाता रहा
और अब तो कभी कभी
रौशनी के आने पे भी पसरा रहता हूँ
कभी पेड़ की छाया में
या कभी गुनाह की आड़ में ...
बहुत खूबसूरत नज़्म...अंतर्मन को उद्देलित करने वाली...
अन्धेरा और उजाला एक दूसरे के पूरक होते है,
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन मनोभाव की सुंदर प्रस्तुति ,,,,,
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
मन के गहन भावों की अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत.. कुछ हट के।
जवाब देंहटाएं...अँधेरा बन जाओगे तो रोशनी ज़रूर आएगी मिलने |
जवाब देंहटाएंकवि की कल्पना शक्ति का अच्छा प्रदर्शन .
जवाब देंहटाएंमैं तो उसी लम्हे से शैतान बन गया था
जवाब देंहटाएंअंधेरे के साथ आता रहा, जाता रहा
और अब तो कभी कभी
रौशनी के आने पे भी पसरा रहता हूँ
कभी पेड़ की छाया में
या कभी गुनाह की आड़ में ...
बहुत ही सुन्दर ।
होती है आराधना
जवाब देंहटाएंप्रकाश की भी
अंधेरे में ही!
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
एक बेहद गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंअंधेरे के साथ आता रहा, जाता रहा
जवाब देंहटाएंऔर अब तो कभी कभी
रौशनी के आने पे भी पसरा रहता हूँ
कभी पेड़ की छाया में
या कभी गुनाह की आड़ में ...
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति .. आभार
सुंदर रचना बेहतरीन अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंहालांकि सच तो ये है
जवाब देंहटाएंदिन का उजाला मन के अंधेरे को ढांप नहीं पाता
kyunki
yahan ka andhera dikhayi nahin deta....
अंधेरे से तो तुम्हे भी प्यार था बचपन से ...?
sahi kaha....
बिना सोचे समझे की रौशनी का अस्तित्व केवल अंधेरे से है
जवाब देंहटाएंएक ही सिक्के के दो पहलू.
बुराई है तो अच्छाई है. आपका नजरिया बहुत महत्वपूर्ण है. सुंदर रचना.
दिगम्बर जी बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंlovely - thanks :)
जवाब देंहटाएंअँधेरा और रोशनी...एक के बिना दूसरा नहीं...
जवाब देंहटाएंa poem of high quality !!!
अंधेरे के साथ आता रहा, जाता रहा
जवाब देंहटाएंऔर अब तो कभी कभी
रौशनी के आने पे भी पसरा रहता हूँ
कभी पेड़ की छाया में
या कभी गुनाह की आड़ में ...
....कितनी बारीकी से देखा गया, बताया गया सच.....आपका आभार इस रचना के लिए!
वाह क्या बात है ...बहुत बढ़िया ....अँधेरा और रौशनी ...एक अलग अर्थ दे गयी यह रचना ..बहुत पसदं आई
जवाब देंहटाएंएक दूजे से जुड़े गहरे भाव...... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंअँधेरों के साये में सब सम हो जाता है..
जवाब देंहटाएंबचपन बहुत पीछे छुट गया ....अब तो सत्य के धरातल पर लौट आईये ....
जवाब देंहटाएंबड़ा दुविधाजनक प्रश्न है। पर हां अंधेरा उजाला के आने की पूर्व सूचना भी हो सकता है।
जवाब देंहटाएंसच बताना क्या तुम मुझे अभी भी प्यार नहीं करतीं ...?
जवाब देंहटाएंयह जवाब मिल जाये तो कितनो का भला न हो जाय ?
जिसे हम अंधेरा समझते हैं ...वो अंधेरा है ही नहीं ....सूरज तब भी साथ होता है हमारे ....चांद की शीतल किरणों के रूप मे .......जीवन की अति से हमें निजात दिलाने ...सूरज और चांद दोनो चाहिये ...समरूप जीवन के लिये ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ...एक सोच दे गयी ...
Andhere ke bina ujale ka moolya hi kya.
जवाब देंहटाएंBhavpoorn Prastuti.
सच बताना क्या तुम मुझे अभी भी प्यार नहीं करतीं ...?
जवाब देंहटाएंअंधेरे से तो तुम्हे भी प्यार था बचपन से ...? बेजोड़ पंक्तियाँ
और अब तो कभी कभी
जवाब देंहटाएंरौशनी के आने पे भी पसरा रहता हूँ
कभी पेड़ की छाया में
या कभी गुनाह की आड़ में .
बहुत बढ़िया
क्या बात है नासवा साहब छा गए हैं हर अश आर ,उम्दा ग़ज़ल उम्दा भाव अर्थ उम्दा . अच्छी प्रस्तुति .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंबुधवार, 20 जून 2012
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
http://veerubhai1947.blogspot.in/
अँधेरा और उजाला एक दूसरे के पूरक हैं..एक जाता है तो दूसरा आता है.. ..सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंअँधेरे के बिना उजाले का अस्तित्व कहाँ...बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना .....अँधेरे उजाले दोनों कही अपना वजूद है ....हर अँधेरे में रौशनी कीआहट होती है
जवाब देंहटाएंअँधेरा और रौशनी एक दुसरे के पूरक भी तो है, शायद वो आपसे भी यही प्रश्न पूछना कहती हो . एक कदम तुम भी चलो .
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ...
जवाब देंहटाएंउजाला बादलों के पीछे से अपने आने की खबर देने लगता है सच मे ये तो हर कोई महसूस करता है ... बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव ....
जवाब देंहटाएंदिन का उजाला मन के अंधेरे को ढांप नहीं पाता ....
जवाब देंहटाएंसच है
हालांकि सच तो ये है
जवाब देंहटाएंदिन का उजाला मन के अंधेरे को ढांप नहीं पाता
Kitna sahee kaha aapne!
नासवा साहब पहली मर्तबा जब अमरीका गए २००६ में तब पहली मर्तबा जाना चीनी हमारे खाद्य से पोषक तत्व नष्ट कर देती है .यकीन मानिए हमने दो बरसों तक चीनी को हाथ नहीं लगाया .बाद इसके गुड की शरण ली .गुड से तमाम खनिज मिल जाते हैं .छोटी सी डली लो फीकी चाय की चुस्की के साथ ,अलग मजा आयेगा .इस फार्मूले पे चले ६८-६९किलोग्राम भार तौल बना रहा .सलाद भी तब सतरंगी खाते थे बेल पेपर (लाल ,पीली शिमला मिर्च ),चुकंदर ,नारंगी गाज़र ,मूली ,टमाटर ,सलाद पत्ता लेटस आदि आदि .बाद इसके केज्युअल हो गए फिर हो गए ब्लोगिया ,मोडरेट ड्रिंक्स भी जीवन शैली में है .अब जब परसों चौथियो मर्तबा अमरीका प्रवास पर जा रहें हैं हमारी तौल ८० के पार है .काम की बात है गुड .ड्रिंक्स में एक लाईट पेग से ज्यादा नहीं (३० ml ) . .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
बुधवार, 20 जून 2012
ये है मेरा इंडिया
ये है मेरा इंडिया
http://veerubhai1947.blogspot.in/
ठीक उसी वक्त
जवाब देंहटाएंजब अंधेरा घर वापसी की तैयारी करता है
उजाला बादलों के पीछे से अपने आने की खबर देने लगता है
भूलने लगते हैं सब अंधेरे का अस्तित्व
दुःख लिए होता है सुख की परछाईं ,नासवा साहब गुड एक सुपाच्य कोम्प्लेक्स कार्बो -हाई -ड्रेट है सहज पचता है और आहिस्ता आहिस्ता ज़ज्ब होता है .ऊर्जा धीरे धीरे रिसती है गुड खाने के बाद .चीनी खाने के बाद एक दम से सैलाब आजाता है केलोरीज़ का , सीधे दाखिल होती है खून, में वहां से चर्बी में .गुड में खनिज लवण रहतें हैं .
हाँ भाई साहब हमारी फ्लाईट लुफ्तान्षा फ्रेंकफर्ट होकर देत्रोइत के लिए है .आपकी सदाशयता अच्छी लगी .हेव ग्रेट टाइम्स .
जवाब देंहटाएंरौशनी के आने पे भी पसरा रहता हूँ
जवाब देंहटाएंकभी पेड़ की छाया में
या कभी गुनाह की आड़ में ...
गहरी अभिव्यक्ति ..
andhera nahi hoga to raushni ka mehatv kahan rah jayega ?
जवाब देंहटाएंsunder bimbo se apne ehsaaso ko shabd diye hain.
samvedansheel rachna.
ऐसा लगा मानो अँधेरा ही शाश्वत है...उत्तम रचना.....
जवाब देंहटाएंati sundar...
जवाब देंहटाएंअंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
अंधेरे के साथ उजाला भी साथ आता है,संसार,विरोधाभासों से बना है,
जवाब देंहटाएंभाअवपूर्ण रचना.
जैसे दुःख की अनुभूति के बिना सुख को भरपूर जिया नहीं जा सकता , शायद ऐसा ही अँधेरे और प्रकाश का मेल हो ...
जवाब देंहटाएंतुम्हे भी तो प्यार था अँधेरे से बचपन से ....प्रश्न सिहरा देता है !!
andhera bahut logo ko pasand hota hai. mujhe bhi. aapki yah rachna bahut achchi lagi
जवाब देंहटाएंHRIDAYSPARSHEE KAVITA KE LIYE AAPKO BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .
जवाब देंहटाएंएक सिक्के दो पहलू हैं, बहुत ही नायाब एवम प्रभावी रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
रोशनी की अहमियत तो अँधेरे के परिप्रेक्ष्य में ही है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
उस दिन मझे भी ऐसा महसूस हुवा था
जवाब देंहटाएंतुम चली गई हमेशा हमेशा के लिए उस रौशनी के साथ
बिना सोचे समझे की रौशनी का अस्तित्व केवल अंधेरे से है
एक ही सिक्के के दो पहलू----बढ़िया बिम्ब समेटे है यह प्रस्तुति ...कृपया 'उस दिन मुझे एहसास हुआ था 'कर लें 'मझे 'और 'हुवा ' था ,स्गुद्ध कर लें .अँधेरे उजाले का खेल ही ज़िन्दगी है कभी बाज़ी इधर तो कभी उधर हैं दोनों एक दूसरे के पूरक और एक दूसरे के आवेग को बढाने वाले ... वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन -४८ १८८ ,यू एस ए .
तो उसी लम्हे से शैतान बन गया था
जवाब देंहटाएंअंधेरे के साथ आता रहा, जाता रहा
............
कई बार नहीं समझ आता की क्या कहूँ ...मौन हो कर सोचता हु ... अंधरे उजाले मन के अक्सर मौका मिलते ही गहरे लेते हैं...है न... ?
उस दिन मझे भी ऐसा महसूस हुवा था
जवाब देंहटाएंतुम चली गई हमेशा हमेशा के लिए उस रौशनी के साथ
बिना सोचे समझे की रौशनी का अस्तित्व केवल अंधेरे से है
एक ही सिक्के के दो पहलू
Bahut sahi kaha hai.
zindagi me andhera bahut hai ...kuch ujaala hi jiwan darshan hai....
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना...
जवाब देंहटाएंसादर.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंसच बताना क्या तुम मुझे अभी भी प्यार नहीं करतीं ...?
जवाब देंहटाएंअंधेरे से तो तुम्हे भी प्यार था बचपन से ...?
देवदास की याद दिलाती कविता.
सच बताना क्या तुम मुझे अभी भी प्यार नहीं करतीं ...?
जवाब देंहटाएंअंधेरे से तो तुम्हे भी प्यार था बचपन से ...?
bahut hi sunder dil ko chhooti rachna
shubhkamnayen