कितनी लंबी है खामोशी की जंग
इंच भर दूरी तय करने को
मीलों लंबा सफर
आँखों से कुछ ना कहने का अनवरत प्रयास
जबरन होठ बंद रखने की जद्दोजहद
और कितनी छोटी है जिंदगी की कशमकश
वक्त के साथ उतर जाता है
चुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
खामोशी को ज़ुबान देने में
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
सही बात है भाई जी |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
उनसे आया न गया
जवाब देंहटाएंहमसे बुलाया न गया ....
ख़ामोशी का लम्बा सफ़र
हम दोनों से मिटाया न गया |
वाकई.....
जवाब देंहटाएंएक उम्र बीत जाती है...और लब बस फडफडा कर रह जाते हैं....
बहुत सुन्दर सर...
अनु
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
जवाब देंहटाएंखामोशी को ज़ुबान देने में
बहुत सही कहा है .... एक उम्र बीत जाती है .... गहन प्रस्तुति
सचमुच कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता खामोशी को ज़ुबान देने में फिर भी ख़त्म नहीं होती ख़ामोशी की जंग... गहन भाव...
जवाब देंहटाएंऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
जवाब देंहटाएंखामोशी को ज़ुबान देने में .....सही कहा बहुत गहन सोच..
आज का मूड अलग है....सोचने से भी कई बार हम सीखते हैं !
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच कहा है आपने ...
जवाब देंहटाएंकल 04/07/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' जुलाई का महीना ''
वक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा बहुत खूब ..और यह सन्नाटा दिल में बस जाता है ...
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
जवाब देंहटाएंखामोशी को ज़ुबान देने में.....वाकई बहुत सुन्दर ! आभार
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
जवाब देंहटाएंखामोशी को ज़ुबान देने में.....वाकई बहुत सुन्दर ! आभार
वक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा
....लाज़वाब! बहुत गहन अभिव्यक्ति....
वाकई उम्र कहाँ पूरी पड़ती है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
वक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा
यक़ीनन यही सत्य है .....!
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
जवाब देंहटाएंखामोशी को ज़ुबान देने में ………………खामोशी को कब जुबाँ मिली है …………वो तो हमेशा अश्कों मे ढली है………
इंच भर दूरी तय करने को
जवाब देंहटाएंमीलों लंबा सफर
आँखों से कुछ ना कहने का अनवरत प्रयास
जबरन होठ बंद रखने की जद्दोजहद
और कितनी छोटी है जिंदगी की कशमकश
Heart felt emotions. touching to heart. very nice!
उत्कृष्ट प्रस्तुति ।।
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी !
सूचनार्थ!
बात तो सही है,,,
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,
MY RECENT POST...:चाय....
khaamoshee???????// सब से पहले तो बहुत दिनो के बाद आने के लिये क्षमा चाहती हूँ। आप हमेशा इतना अद्भुत कैसे लिख लेते हैं? सच मे खामोशी अपने आप मे अथाह सागर सी होती है। अगर किनारे टूट जायें तो सुनामी ही आती है।
जवाब देंहटाएंऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
खामोशी को ज़ुबान देने में
सही बात है। शुभकामनायें।
wahh sir..
जवाब देंहटाएंPRASHNSHNEEY
जिंदगी तो वैसे भी छोटी ही लगती है . इसमें मन मुटाव के लिए जगह ही कहाँ है .
जवाब देंहटाएंबढ़िया चिंतन .
aahh! kya kahun ye hi nikla padhkar ..dil se, touching write.
जवाब देंहटाएंbest wishes
SUNDAR BHAVABHIVYAKTI HAI . BADHAAEE.
जवाब देंहटाएंवाह .....बहुत सुन्दर .....
जवाब देंहटाएंछोड़ जाता है अपने निशाँ जो वक्त के साथ भी जस के तस रहतें हैं .बढ़िया प्रस्तुति है .
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
कितना सच...
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति....सही बात
जवाब देंहटाएंगुरुपूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाए !
खामोशी भी बहुत कुछ कहती है।
जवाब देंहटाएंक्या कहने...
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए..
ह्रदय द्रवित करती रचना...
कितना दुखद अनुभव है...
जब कुछ चाहकर भी ना कह पाए ये मन..
खामोश रह जाये लब...
:-)
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
जवाब देंहटाएंखामोशी को ज़ुबान देने में
sahi kaha hai sundar rachna ....
पर ख़ामोशी की आवाज़ बहुत दूर तक जाती है और देर तक गूंजती है।
जवाब देंहटाएंvery nice..
जवाब देंहटाएंसच है...ऐसा ही होता है....
जवाब देंहटाएंख़ामोशी बहुत गहन होती है -जिसे सहन करना कठिन लगता है .
जवाब देंहटाएंकई बार पूरी उम्र कम होती है ख़ामोशी को जुबां देने में ....
जवाब देंहटाएंसच में !
बहुत सुन्दर , बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर , बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंमौन की आवृत्तियाँ हमारी समझ से परे हैं।
जवाब देंहटाएंमौन से जंग आसान नहीं
जवाब देंहटाएंक्योंकि ख़ामोशी जो कुछ कह जाती है उसका प्रतिउत्तर कहाँ
sach kaha kabhi to maun ko tootne me umr lag jati hai jisse rishton k roop badal jate hain. aur kayi baar maun hi itna kuchh samjha deta hai ki kuchh kahne ki jaroorat mehsoos nahi hoti.
जवाब देंहटाएंकितनी लंबी है खामोशी की जंग
जवाब देंहटाएंऔर कितनी छोटी है जिंदगी की कशमकश
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
खामोशी को ज़ुबान देने में ... सच है
ख़ामोशी को शब्द मिल जाये तो ऐसी ग़ज़ल बनती है.
जवाब देंहटाएंअंदर तक उतरती कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत ।
जवाब देंहटाएंऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
जवाब देंहटाएंखामोशी को ज़ुबान देने में
सही में काफी लम्बी होती है कभी कभी खामोशी की जंग
सुंदर प्रस्तुति !!
बहुत ही श्रेष्ठ रचना।
जवाब देंहटाएंइंच भर दूरी तय करने को
जवाब देंहटाएंमीलों लंबा सफर. बहुत सुन्दर.
’इंच भर दूरी तय करने का
जवाब देंहटाएंमीलों लंबा सफ़र----’
सबके समक्ष,उक्त पंक्तियां प्रश्न चिन्ह खडा कर देती हैं.
हर ओर,पथरीला सन्नाटा---और चटकती शिलाओं पर,घायल तलुवे—
आखिर जाना कहां है.
खामोशी की जंग जीतना आसान नहीं होता...जुबाँ पे बात न आए तो निदान हो भी कैसे !!!
जवाब देंहटाएंऔर ख़ामोशी के खिलाफ भी जंग लड़ी जानी आवश्यक है।....... मन की गहराइयों तक गए शब्द। आभार !!
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा.
आज मूड काफी ग़मगीन लगता है. दिल की बहुत गहराईयों से निकली है यह रचना.
बढ़िया अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबधाई !
bahut achchi rachna hai, sir! padhkar mann prafullit ho gaya!
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा ,.........waah bahut sundar sach kaha aapne sannata kbhi katm nahi hota apitu bahut kuch lil jata hai
वाह ... बेहतरीन भाव पिरोया है खामोशी में...सैलाब खुद में खींचता हुआ..
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा
.................................
khubsurat rachna......kahne na kahne ki zaddozahad me zindgi beet jati h
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर यह सौन्दर्य मयी ख़ामोशी !
जवाब देंहटाएंबेजोड़ भावाभियक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअद्भुत!! वाह- क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंso nice sir ji
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा
सच कहा आपने ख़ामोशी कभी न कभी टूटती जरुर है .. लेकिन एक सन्नाटा दिल के कोने में पैठ बनाये रखता है ..
बहुत बढ़िया चिंतन मनन कराती रचना ..
वक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा ......बहुत ही गहन अभिव्यक्ति ....
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
जवाब देंहटाएंखामोशी को ज़ुबान देने में
.....लाज़वाब पंक्तियाँ...बहुत सुन्दर
और कितनी छोटी है जिंदगी की कशमकश
जवाब देंहटाएंभावों को जुबां देने के लिए जीवन एक कम होता है
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है ...
जवाब देंहटाएंकभी कभी खामोशी में खामोशी भी अच्छी लगती हैं ...सादर
जवाब देंहटाएंसचमुच ख़ामोशी का ए लंबा सफर होता है!! :)
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ उतर जाता है
जवाब देंहटाएंचुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा .....
सत्य यही है....
बेहतरीन रचना...
सादर.
और कितनी छोटी है जिंदगी की कशमकश
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ उतर जाता है
चुप होठों के पीछे छुपे बेताब शब्दों का सैलाब
छोड़ जाता है अपने पीछे
कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा
ऐसे में कभी कभी उम्र भर का सफर काफी नहीं होता
खामोशी को ज़ुबान देने में.....
sajjan jee
A very well-written post. I read and liked the post and have also bookmarked you. All the best for future endeavors.
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जवाब देंहटाएंबहुत शानदार रचना |
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आपकी अभिव्यक्ति और शब्द विन्याश लाजवाब है.
जवाब देंहटाएंlatest post होली
आपकी हर रचना हमें खामोश कर देती है.... क्या कहें...कुछ सूझता ही नहीं...! बोले तो... निःशब्द... जो खुद में बहुत कुछ समेटे हुए है...
जवाब देंहटाएं~सादर!!!