सब से परदा करे हुए हो
तन्हाई में घिरे हुए हो
पत्तों से ये हवा ने बोला
पतझड़ से क्यों डरे हुए हो
भाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
संगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
बदकिस्मत हो तभी तो अपनी
डाली से यूं झरे हुए हो
जीवन उस दिन समझ सकोगे
सुख दुःख से जब परे हुए हो
पत्तों से ये हवा ने बोला
जवाब देंहटाएंपतझड़ से क्यों डरे हुए हो
भाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
गहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति ... आभार
गजब गजल गाई गुरुदेव !
जवाब देंहटाएंजीवन उस दिन समझ सकोगे
जवाब देंहटाएंसुख दुःख से जब परे हुए हो
सच कहा ....सुंदर गजल है !
पत्तों से ये हवा ने बोला
जवाब देंहटाएंपतझड़ से क्यों डरे हुए हो ....बेहतरीन है यह इस रचना में ..यही डर मन में छिपे भावों को खोल के रख देता है ..सुन्दर ...बहुत बढ़िया ..
वाह...
जवाब देंहटाएंपत्तों से ये हवा ने बोला
पतझड़ से क्यों डरे हुए हो ...
बेहतरीन....बेहद खूबसूरत गज़ल.
सादर
अनु
Bahut hi badi baat kah dee aapne.
जवाब देंहटाएंBadhayi.
............
कितनी बदल रही है हिन्दी!
बहुत सुंदर,बेहतरीन !
जवाब देंहटाएंवाह आदरणीय दिगम्बर जी कितनी खुबसूरत रचना रच डाली , बधाई स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंभाव नहीं है दया का दिल में
जवाब देंहटाएंअंदर से क्या मरे हुए हो ...बहुत गहन अभिव्यक्ति..
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १४/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका स्वागत है|
जवाब देंहटाएंजीवन उस दिन समझ सकोगे
जवाब देंहटाएंसुख दुःख से जब परे हुए हो
मानव जीवन एक इस सूत्र से ही जुड़ा है महाप्रयाण ka वह सफ़र .
बहुत सुन्दर ग़ज़ल दिगंबर भाई . हर पंक्ति कुछ सन्देश देती हुई .
जवाब देंहटाएंक्या बात है भाई जी --
जवाब देंहटाएंपीले पत्ते नीचे गिरते -
घाव आज भी हरे भरे हैं |
परदे में क्या शक्ल धरे वे-
बदकिस्मत हम मरे मरे हैं |
हरियाली जो तनिक दिखी तो
रविकर पशुता चरे धरे है |
सुन्दर ग़ज़ल .
जवाब देंहटाएंआइना दिखाती हुई .
पत्तों से ये हवा ने बोला
जवाब देंहटाएंपतझड़ से क्यों डरे हुए हो
खुबसूरत रचना ........
जीवन के गहन सत्यों को उजागर करती रचना...
जवाब देंहटाएंकमाल की गज़ल है.. रूमानियत से परे भी इतनी खूबसूरत गज़ल.. कम्माल!!
जवाब देंहटाएंभावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंजीवन उस दिन समझ सकोगे
जवाब देंहटाएंसुख दुःख से जब परे हुए हो
खुबसूरत रचना .............आभार
जीवन उस दिन समझ सकोगे
जवाब देंहटाएंसुख दुःख से जब परे हुए हो
बहुत खूब, नासवा जी,
फलसफाई रंग में डूबी हुई बेमिसाल ग़ज़ल।
गूढ़ भाव लिए सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंसुख और दुख से ऊपर उठना होगा...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजीवन उस दिन समझ सकोगे
सुख दुःख से जब परे हुए हो
सत्य है
बदकिस्मत हो तभी तो अपनी
जवाब देंहटाएंडाली से यूं झरे हुए हो,,,,,
खूबसूरत गज़ल.बेहतरीन रचना,,,, दिगम्बर जी,,बधाई,,
स्वतंत्रता दिवस बहुत२ बधाई,एवं शुभकामनाए,,,,,
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भाव नहीं है दया का दिल में
जवाब देंहटाएंअंदर से क्या मरे हुए हो
संगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
खूबसूरत सन्देश और सटीक
बधाई
भ्रमर ५
जीवन उस दिन समझ सकोगे
जवाब देंहटाएंसुख दुःख से जब परे हुए हो
वाह.. सच कहा...
भाव नहीं है दया का दिल में
जवाब देंहटाएंअंदर से क्या मरे हुए हो
संगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
बहुत सुंदर और सार्थक सीख देती गज़ल
सुख-दुख से परे होकर देखने से तो जीवन का रहस्य और सच सामने आ जात है।
जवाब देंहटाएंभाव नहीं है दया का दिल में
जवाब देंहटाएंअंदर से क्या मरे हुए हो
संगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
बहुत खूबसूरत गज़ल
आपकी ग़ज़ल तो चुप कर देती है बस!!
जवाब देंहटाएंआदरणीय नासवा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
भाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
.....गहन भाव
पत्तों से ये हवा ने बोला
पतझड़ से क्यों डरे हुए हो ...
बेहतरीन....बेहद खूबसूरत गज़ल.... आभार
जीवन उस दिन समझ सकोगे , सुख दुःख से जब परे हुए हो !
जवाब देंहटाएंसत्य है मगर यह इतना सरल कहाँ !
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
पत्तों से ये हवा ने बोला
जवाब देंहटाएंपतझड़ से क्यों डरे हुए हो
waah!bahut hi Umda khyal hai!
dukh-sukh mei ek samaan rahne ka sandesh deti hai.
Badhiya lagi ghzal.
श्री दिगम्बर नासवा जी की ज़ुबानी ...
जवाब देंहटाएंतन्हाई की सच्ची और सटीक कहानी !!!
और बिना गिरे खड़े हुए हो...बहुत ही बढ़िया..
जवाब देंहटाएंजीवन उस दिन समझ सकोगे
जवाब देंहटाएंसुख दुःख से जब परे हुए हो
दो पंक्तियों में जीवन का सार भर दिया है आपने ... सुन्दर भाव ... आभार
बहुत कुछ कह दिया -
जवाब देंहटाएंभाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
संगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
Beautifull...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंपत्तों से ये हवा ने बोला
पतझड़ से क्यों डरे हुए हो
तेज़ हवा ने हमसे पूछा ,रेत पे क्या लिखते रहते हो ,
राजनीति बदजात है भैया ,किस किस का पानी भरते हो .
छोटी बहर की ला -ज़वाब रचना .
जवाब देंहटाएंपत्तों से ये हवा ने बोला
पतझड़ से क्यों डरे हुए हो
तेज़ हवा ने हमसे पूछा ,रेत पे क्या लिखते रहते हो ,
राजनीति बदजात है भैया ,किस किस का पानी भरते हो .
छोटी बहर की ला -ज़वाब रचना .
बदकिस्मत हो तभी तो अपनी
जवाब देंहटाएंडाली से यूं झरे हुए हो
बहुत खूब! क्या बात है!
पत्तों से ये हवा ने बोला
जवाब देंहटाएंपतझड़ से क्यों डरे हुए हो
भाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
बहुत खूब ग़ज़ल कही है भाई दिगंबर नासवा जी! अलग लबो-लहजा....अनुभूतियों की गहराई...गज़ब...मुबारक हो!.
भाव नहीं है दया का दिल में
जवाब देंहटाएंअंदर से क्या मरे हुए हो
संगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
गज़ब की अभिव्यक्ति !!
पूरी ही ग़ज़ल बहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंभाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
भाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
भाव देश का मरा हुआ है ,इटली का पानी भरते हो ..पूँजी सारी उठा देश की, स्विस में जाकर के रखते हो..यौमे आज़ादी मुबारक ,पीजा पास्ता मुबारक ,, .अच्छी प्रस्तुति . यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बुधवार, 15 अगस्त 2012
TMJ Syndrome
TMJ Syndrome
जवाब देंहटाएंसंगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
सही कहा ।
बहुत बढिया गज़ल ।
जीवन समझा वही कहेगा
जवाब देंहटाएंसुख दुःख से जो परे हुए हो।
...वाह!
भाव नहीं है दया का दिल में
जवाब देंहटाएंअंदर से क्या मरे हुए हो
संगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
बहुत ही धीर अभिव्यक्ति……
जवाब देंहटाएंभाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
पत्तों से ये हवा ने बोला
जवाब देंहटाएंपतझड़ से क्यों डरे हुए हो ...
बेहतरीन. खूबसूरत .
पत्तों से ये हवा ने बोला
जवाब देंहटाएंपतझड़ से क्यों डरे हुए हो
........यही सच है जीवन का ... हर कदम पर डर ही जीवन बन गया है .....
khubsurat gazal
जवाब देंहटाएंरचना पढ़कर लगा हमें यूँ
जवाब देंहटाएंभावों से ज्यों भरे हुए हों...
सुन्दर भाव...
जीवन उस दिन समझ सकोगे
जवाब देंहटाएंसुख दुःख से जब परे हुए हो
....बहुत खूब! प्रेरक भावों से ओतप्रोत बेहतरीन गज़ल..
बहुत सुन्दर ग़ज़ल सार्थक सन्देश देती हुयी.
जवाब देंहटाएंआभार
संगी साथी नहीं रहेंगे
जवाब देंहटाएंगुस्से से जो भरे हुए हो
bilkul sahi baat... saral, sunder rachna
shubhkamnayen
वाकई लाजबाब प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति छूती चली गई !
आभार !
shaanadaar hai , badhayi
जवाब देंहटाएंभाव नहीं है दया का दिल में
जवाब देंहटाएंअंदर से क्या मरे हुए हो
वाह...
संगी साथी नहीं रहेंगे
गुस्से से जो भरे हुए हो
कितनी खूबसूरती से कह गए आप नासवा जी.
ईद की मुबारकबाद.
बाऊ जी,
जवाब देंहटाएंउद्वेलित करती रचना...
आशीष
--
द टूरिस्ट!!!
अत्यंत सुंदर गजल कही है आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएंईद की दिली मुबारकबाद।
............
हर अदा पर निसार हो जाएँ...
उत्कृष्ट रचना ...
जवाब देंहटाएंबधाई दिगंबर भाई !
last 2 lines behad umda hain!!
जवाब देंहटाएं’जीवन उस समय समझ सकोगे
जवाब देंहटाएंसुख दुख से जब परे हुए’
सत्य-कथन
क्यों बनकर रहते रिमोट हो ,इतना किससे डरे हुए हो .....बढ़िया प्रस्तुति है आपकी बारहा पढ़ा है हर बार नया लुत्फ़ लिया है ... .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
भाई दिगम्बर नासवा जी नमस्ते अच्छी कविता |ब्लॉग पर पधारने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंसचमुच ! कभी कभी निरपेक्षता ही एकमात्र सहारा है !
जवाब देंहटाएंअंतिम शेर में जीवन का सार है... सुन्दर.. बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंअर्थ शास्त्र के ग्यानी पंडित ,
शास्त्रार्थ से पिटे हुए हो ..
पत्तों से ये हवा ने बोला
जवाब देंहटाएंपतझड़ से क्यों डरे हुए हो
भाव नहीं है दया का दिल में
अंदर से क्या मरे हुए हो
बेहतरीन प्रस्तुति। धन्यवाद।
बदकिस्मत हो तभी तो अपनी
जवाब देंहटाएंडाली से यूं झरे हुए हो
कम शब्दों में बड़ी और गहरी बात कह देना कोई आपसे सीखे।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहर अश'आर अलहदा अंदाज लिए............
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंतू है या एहसास तेरा
या मेरे मन का वहम है
दूर होते ही ये जाना ,
तेरा ही रहमो -करम है ,
आज यूं ही आँख नम है .
ज़िन्दगी में कुछ तो गम हैं ,
शेष अपनों का सितम हैं .
निगहबानी फिर भी कम है .
अब न बाकी कुछ भरम हैं ,
उनसे मिलना बहुत कम है .
नासवा साहब आप की यह रचना हम जैसों से भी कुछ उलटा सीधा लिखवा देती .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
मंगलवार, 28 अगस्त 2012
आओ पहले बहस करो
http://veerubhai1947.blogspot.com//
Hip ,Sacroiliac Leg Problems
Hip ,Sacroiliac Leg Problems/http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2012/08/hip-sacroiliac-leg-problems_28.html
A very well-written post. I read and liked the post and have also bookmarked you. All the best for future endeavors.
जवाब देंहटाएंIt is a pleasure going through your post. I have bookmarked you to check out new stuff from your side.
जवाब देंहटाएंThe post is handsomely written. I have bookmarked you for keeping abreast with your new posts.
जवाब देंहटाएंThanks for writing in such an encouraging post. I had a glimpse of it and couldn’t stop reading till I finished. I have already bookmarked you.
जवाब देंहटाएंThe post is very informative. It is a pleasure reading it. I have also bookmarked you for checking out new posts.
जवाब देंहटाएंwaah...bahut badhiya ...
जवाब देंहटाएंभाव नहीं है दया का दिल में
जवाब देंहटाएंअंदर से क्या मरे हुए हो
मानव को इससे बेहतर चुनौती नहीं दी जा सकती. बहुत खूब.