स्वप्न मेरे: अब गुज़री तो तब गुज़री ...

बुधवार, 29 अगस्त 2012

अब गुज़री तो तब गुज़री ...


अब गुज़री तो तब गुज़री 
धीरे धीरे सब गुज़री 

तन्हाई में फिर कैसे 
पूछो ना साहब गुज़री 

मुद्दत तक रस्ता देखा 
इस रस्ते तू अब गुज़री   

दिन बीता तेरी खातिर 
तेरी खातिर शब् गुज़री 

महफ़िल महफ़िल घूम लिए 
तन्हाई पर कब गुज़री 

मोती तब ही चुन पाया   
गहरे सागर जब गुज़री 

68 टिप्‍पणियां:

  1. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री

    मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री

    वाह , बहुत सुंदर गज़ल

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  2. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री
    लाजवाब शे’र है। कितबी सारी बातें कह जाते हैं ये छोटे बहर के शे’र।

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  3. किसी न किसी तरह गुजर ही गयी..जिंदगी जो आज थी कल घर गयी, सुंदर गजल !

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  4. मुद्दत तक रस्ता देखा
    इस रस्ते तू अब गुज़री
    वाह! क्या कहने.
    ग़ज़ल सरल और सरस है.

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  5. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री

    ...वाह! बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...

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  6. ये ग़ज़ल आपकी गज़ब गुजरी, क्या बात है सर, बहुत खूब बधाई स्वीकारें.

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  7. दुनिया देखे खड़े-२
    हम पे गुजरी, उस पे गुज़री...

    सुन्दर रचना...

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  8. मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री
    Bahut sundar.....lekin anubhav kahta hai ki,gahre sagar me doob ke bhee zarooree nahee ki moti mile!

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  9. मुद्दत तक रस्ता देखा
    इस रस्ते तू अब गुज़री

    क्या बात है...

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  10. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री

    मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री

    लाजवाब गजल ।

    सादर

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  11. महफिल,मोती,फिर तनहाई
    हर आशिक की ऐसी गुज़री

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  12. वाह बहुत खूब .....


    सागर की हर लहर
    तेरी याद देकर गुज़री

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  13. वाह बहुत खूब .....


    सागर की हर लहर
    तेरी याद देकर गुज़री

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  14. यह सादा सी गज़ल थोडे शब्दों में बडी बात समेटे है ।

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  15. एक बार फिर मन मोह लिया आपके छोटी बहर के अशार ने,, मुकम्मल गज़ल!!

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  16. सुंदर प्रस्तुति !:-)

    तेरी रहगुज़र पा जाऊँ... इसकर हर रस्ते से मैं गुज़री...,
    तुझ तक पहुँच सकी मैं जब तक.....
    हर मोड़ से तू निकल गुज़री...
    ~सादर !!!

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  17. क्या बतलायें सच में तुमको,
    गुजर गुजर कैसे गुजरी।

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  18. थोड़े से शब्दों में भी
    बात बड़ी ये कह गुजरी
    बहुत सुन्दर गज़ल...

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  19. MUDDAT TAK RASTAA DEKHA
    IS RASTE TOO AB NIKLEE

    14 MAATRIK CHHAND MEIN KAHEE UMDA
    GAZAL KE LIYE AAPKO BADHAAEE .

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  20. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री


    वाह बहुत खूब

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  21. अब गुज़री तो तब गुज़री
    धीरे धीरे सब गुज़री
    सही कहा,आपने .धीरे धीरे सब गुज़र ही जाता है .

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  22. आज सभी कह डालेंगे ,
    अब तक जो हम पर गुज़री !

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  23. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री

    मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री

    छोटी बहर के बोलते हुए शेर....मन तो ताजगी देती ग़ज़ल... बधाई हो..!

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  24. मुद्दत तक रस्ता देखा
    इस रस्ते तू अब गुज़री
    waah

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  25. मुद्दत तक रस्ता देखा
    इस रस्ते तू अब गुज़री
    ........वाह क्या बात है नासवा जी ...बहुत खूब

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  26. दिगाम्जर जी, अति सुन्दर. आज तो आप छा गए....!!!

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  27. बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई

    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/


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  28. तन्हाई में फिर कैसे
    पूछो ना साहब गुज़री ...अलग बात है रवानी भी और अन्दाजेबयाँ भी !

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  29. छोटी बहर.....खुबसूरत ।

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  30. दिन बीता तेरी खातिर
    तेरी खातिर शब् गुज़री

    yaad rah jaayega ye :)

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  31. दिन बीता तेरी खातिर
    तेरी खातिर शब् गुज़री

    महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री..... वाह बहुत ही बढ़िया भावपूर्ण लाजवाब रचना...

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  32. वाह|||
    क्या कहने सर..
    बेहतरीन गजल...
    :-)

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  33. मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री

    बेहतरीन ।

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  34. अब गुज़री तो तब गुज़री
    धीरे धीरे सब गुज़री

    सच है जिंदगी गुजर ही जाती है... अच्छी... बुरी... हंसती.. रोती...कुछ भी ठहरता नहीं सदा के लिए . सुन्दर प्रस्तुति...
    मंजु मिश्रा
    manukavya.wordpress.com

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  35. मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री

    हर शेर लाज़वाब...बेहतरीन ग़ज़ल !!

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  36. छोटी बहर और मुश्किल काफियों से आपने जो ग़ज़ल में समाँ बांधा है उसकी तारीफ़ के लिए मुकम्मल लफ्ज़ नहीं हैं मेरे पास...कमाल करते हैं आप दिगंबर जी...मैं तो आपकी शायरी का दीवाना हूँ...

    नीरज

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  37. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री
    sundr bhav
    rachana

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  38. दिन बीता तेरी खातिर
    तेरी खातिर शब् गुज़री

    महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री

    बहुत खूब साहब.......

    लुटे लुटे से दिखते हो
    कब वो बेमतलब गुजरी

    ज्योंहि हमने गज़ल पढ़ी
    दिल पे यार गजब गुजरी

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  39. मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री
    bahut sundar ghazal...

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  40. खूब गुज़री औ बखूबी गुजरी...

    बधाई दिगम्बर भाई !

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  41. अब गुज़री तो तब गुज़री
    धीरे धीरे सब गुज़री

    तन्हाई में फिर कैसे
    पूछो ना साहब गुज़री

    मुद्दत तक रस्ता देखा
    इस रस्ते तू अब गुज़री

    दिन बीता तेरी खातिर
    तेरी खातिर शब् गुज़री

    महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री

    मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री

    काहे गुज़रिया मिली यहाँ ,
    थमी खड़ी है रह -गुजरी .
    अब गुजरी के तब गुजरी .

    हाल न पूछो अब कुछ भी,
    मौसम पे क्या क्या गुजरी .

    रिमोट देखा है जब से ,
    मोहन सिंह(मौन सींघों ) पे क्या गुजरी .
    बहुत बढ़िया रचना नासवा साहब , आशु कुछ लिख गए ,हम भी
    देख औरों पे क्या गुजरी ....

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  42. न कोई वक्त ,न कोई वायदा ,
    न कोई ,उम्मीद ,
    खड़े थे रह गुज़र पर ,
    करना था तेरा इंतज़ार ,
    मत पूछ गुज़रिया ,
    रह गुज़र पे क्या गुजरी ,
    कैसी गुजरी .

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  43. अब गुज़री तो तब गुज़री
    धीरे धीरे सब गुज़री

    बारहा पढने लायक छोटी बहर की बड़ी उपज .
    ram ram bhai
    सोमवार, 3 सितम्बर 2012
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना

    What both women and men need to know about hypertension

    सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अनुमान के अनुसार छ :करोड़ अस्सी लाख अमरीकी उच्च रक्त चाप या हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में हैं और २० फीसद को इसका इल्म भी नहीं है .

    क्योंकि इलाज़ न मिलने पर (शिनाख्त या रोग निदान ही नहीं हुआ है तब इलाज़ कहाँ से हो )हाइपरटेंशन अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं खड़ी कर सकता है ,दिल और दिमाग के दौरे के खतरे के वजन को बढा सकता है .दबे पाँव आतीं हैं ये आफत बारास्ता हाइपरटेंशन इसीलिए इस मारक अवस्था (खुद में रोग नहीं है जो उस हाइपरटेंशन )को "सायलेंट किलर "कहा जाता है .

    माहिरों के अनुसार बिना लक्षणों के प्रगटीकरण के आप इस मारक रोग के साथ सालों साल बने रह सकतें हैं .इसीलिए इसकी(रक्त चाप की ) नियमित जांच करवाते रहना चाहिए

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  44. अब गुज़री तो तब गुज़री
    धीरे धीरे सब गुज़री
    तुझको कुछ मालूम नहीं ,
    हम पे क्या क्या है गुजरी .
    नैट आर्कुट ढूंढ लिया, बदरी बिन बरसे गुजरी

    बारहा पढने लायक छोटी बहर की बड़ी उपज .
    ram ram bhai
    सोमवार, 3 सितम्बर 2012
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना

    जवाब देंहटाएं
  45. छोटे बहर की एक और शानदार गज़ल।..वाह!

    मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री
    ..लाज़वाब!

    जवाब देंहटाएं
  46. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री

    मोती तब ही चुन पाया
    गहरे सागर जब गुज़री

    सुंदर गजल ।

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  47. क्या कहूँ ? गुजर जाने की तमन्ना उठी..

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  48. दिन बीता तेरी खातिर
    तेरी खातिर शब् गुज़री
    sundar.....

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  49. महफ़िल महफ़िल घूम लिए
    तन्हाई पर कब गुज़री
    छोटी बहर में लिखी इन दो पंक्तियों में तन्हाई का पूरा ज़िक्र है. बहुत सुंदर.

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  50. मुद्दत तक रस्ता देखा
    इस रस्ते तू अब गुज़री!

    .....लाज़वाब!

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है