जो छाई है
तन्हाई है
घर की तुलसी
मुरझाई है
जो है टूटा
अस्थाई है
कल था पर्वत
अब राई है
अब शर्म नहीं
चिकनाई है
महका मौसम
तू आई है
दुल्हन देखो
शरमाई है
(गुरुदेव पंकज जी के सुझाव पे कुछ कमियों को दूर करने के बाद)
(गुरुदेव पंकज जी के सुझाव पे कुछ कमियों को दूर करने के बाद)
जो छाई है वह तन्हाई है ..हम्म सही ,,खूबसूरत
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तु्ति
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत खूब सर सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
लो जी और छोटी हो गयी....अब क्या अगली बार एक ही शब्द मिलेगा :-)
जवाब देंहटाएंक्या बात है ..अनोखा अंदाज .पसंद आया.
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंkya rachna hai
जवाब देंहटाएंWAH nikal aayi hai.
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 22/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंटूट गया जो
जवाब देंहटाएंअस्थाई है
...बहुत खूब!
बालों से टपकें बूँदें,
जवाब देंहटाएंलगता अभी नहाई है ।
हटाएंउसने आँखें बन्द करी
हमने ली अँगड़ाई है ।
बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंऔर अंत में ....
नेताजी का
लोभ तों देखो,
यमराज
खड़ा दर पर,
फिर भी जोड़ता
पाई-पाई है !
shuru ki char panktiyan bahut sundar ban padi hain...
जवाब देंहटाएंकविता छोटी सी
जवाब देंहटाएंभाई है
बहुत खूब..छोटी पर प्रभावी..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तु्ति
जवाब देंहटाएंअजब गजब आपकी बातें सुन्दर ढंग से आपने लिख समझाई . बहुत खुबसूरत तरीका बुझाया आपने .
जवाब देंहटाएंगजब यह तो
जवाब देंहटाएंभाई है ||
सुन्दर प्रस्तुती भाई जी |
बढ़िया भाव ||
महका मौसम
जवाब देंहटाएंतू आई है
सुन्दर ..भावपूर्ण रचना.
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंदाज़.
जवाब देंहटाएंअति सूक्षम बह्र
जवाब देंहटाएंमन भायी है .
बेहतरीन प्रयोग .
महका मौसम
जवाब देंहटाएंतू आई है
रात सुबह से
शरमाई है ...सुन्दर अभिव्यक्ति.
महका मौसम
जवाब देंहटाएंतू आई है
रात सुबह से
शरमाई है
vaah kya baat hai
sundar .....
कम शब्दों में दिल के भावों को उजागर करती सार्थक एवं सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंवाह...वाह...वाह.....
जवाब देंहटाएंएक दम नया नवेला प्रयोग.....
बहुत बढ़िया रचना...
सादर
अनु
शर्म नहीं अब
जवाब देंहटाएंचिकनाई है
महका मौसम
तू आई है
yah rachna aap ga ke dekhen achchha lagega.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसभी शब्दचित्र बहुत उम्दा हैं!
गणेशचतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कैक्टस पे निखार आई है ,
जवाब देंहटाएंकल रहा हाथ
अब काही है .
फंगस सबपे
उग आई है .
ये भारत देश
मेरे भाई है .
महंगाई ही ,
महंगाई है .
सेहरा में घटा ,
कब आई है .
कविता हमसे ,
लिखवाई है ,
ये अपने दिगंबर ,
भाई हैं .
कानों में होने वाले रोग संक्रमण का समाधान भी है काइरोप्रेक्टिक में
कानों में होने वाले रोग संक्रमण का समाधान भी है काइरोप्रेक्टिक में http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2012/09/blog-post_17.html
..खुद में ही लिप्त...प्यारी सी कविता है
जवाब देंहटाएंकौन गुनाह कर डाला रात ने शायर साहब! ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...छोटे छोटे भाव...!:)
जवाब देंहटाएं~बरखा ने ये कैसी
झड़ी लगाई है..
चाँद ने भी देखो...
छेड़ी लड़ाई है....~
~सादर!
समूची ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंमन भायी है
महका मौसम
जवाब देंहटाएंतू आई है
रात सुबह से
शरमाई है
bahut hi sunder
kavita man par chhaii hai ...
chhoti bahr... chutele sher...aanand aa gaya.
जवाब देंहटाएंkum shabd,kintu prabhawshaali abhiwyakti! Sadhuwaad!
जवाब देंहटाएंघर की तुलसी
जवाब देंहटाएंमुरझाई है
टूट गया जो
अस्थाई है
सच कहा आपने
हर कथन में सच्चाई है
जवाब देंहटाएंजो छाई है
जवाब देंहटाएंतन्हाई है
घर की तुलसी
मुरझाई है
..सच यह आलम बड़ा दुःखदाई है ..
..बहुत बढ़िया रचना
बहुत बढ़िया सर जी...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...
:-)
वाह.... बहुत खूबसूरत अंदाज़...
जवाब देंहटाएंwaah ek ek pankti dil me utar gayi , bahut khoob badhai
जवाब देंहटाएंआखिर में ....फिर तन्हाई है ???
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
वाह बढ़िया सुन्दर और प्रभावी . कम शब्दों में समझाई .
जवाब देंहटाएंbahut sunder.....
जवाब देंहटाएं’अब शर्म नहीं चिकनाई है---’
जवाब देंहटाएंहर शब्द—अर्थ लिये हुए,बूंद में सागर.
waah gazab ki tanhaai hai .....
जवाब देंहटाएंJAADU BIKHER DIYA HAI AAPNE DIGAMBAR
जवाब देंहटाएंJI . MUBAARAQ .
खूबसूरत एहसास
जवाब देंहटाएंतन्हाई है ...
जवाब देंहटाएंजो छाई है (जो छाई है ,ऍफ़ डी आई है )
तन्हाई है
घर की तुलसी
मुरझाई है (बडकी बेटी, बिन ब्याही है )
जो है टूटा
अस्थाई है (भरोसा टूटा है सरकार का ,स्थाई है )
कल था पर्वत (कल भी आज भी ,सिर्फ मंहगाई है )
अब राई है
अब शर्म नहीं
चिकनाई है (अब शर्म नहीं ,कोयलाई है )
महका मौसम
तू आई है
दुल्हन देखो
शरमाई है
kam shabdon mein achchhee baat , badhayi
जवाब देंहटाएंइतने छोटे छंदों में इतनी गहरी बातें...
जवाब देंहटाएंछोटी बहर का अपना ही जादू है.
जवाब देंहटाएं"जो छाई है
तन्हाई है"
बहुत खूब लिखा है.
वाह!
जवाब देंहटाएंचंद शब्दों में कही बड़ी बातें !
क्या कहूं...
जवाब देंहटाएंटिप्पणियों की पहले ही
बाढ़ लग आई है...
************
प्यार एक सफ़र है, और सफ़र चलता रहता है...
छोटे बाहर की
जवाब देंहटाएंगज़ल खूब सजाई है ... बहुत खूब
काव्य की एक और विधा ...कुछ ख़ास नाम है इसका ?
जवाब देंहटाएंछाई वो तन्हाई
पुरवाई घबराई !
सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंजो छाई है
जवाब देंहटाएंतन्हाई है
घर की तुलसी
मुरझाई है
छोटी छोटी खूबसूरत प्ंक्तियों में बडी बातें ।
आप भी तो
छा गये भाई हैं ।
बहुत ही बढ़िया । मेरे नए पोस्ट समय सरगम पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंघर की तुलसी
मुरझाई है
रात सुबह से
जवाब देंहटाएंशरमाई है ...सुन्दर अभिव्यक्ति
कम शब्दों में सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
मेरा काव्य-पिटारा:पढ़ना था मुझे
नासबा जी
जवाब देंहटाएंछोटी बहार पर बहुत सही ग़ज़ल.... ये शेर खास पसंद आया
महका मौसम
तू आई है
वाह वाह
बेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआप तो छोटी बहर की ग़ज़ल में कमाल करते हैं। अद्भुत!
जवाब देंहटाएंछोटी बहर की जादूगरी.
जवाब देंहटाएंवाह !!!!!!!!!!!!!
ये दौर बड़ा हरजाई है ,
जवाब देंहटाएंबेटियाँ यहाँ कुम्हलाई हैं ,
मुस्टंडों की बन आई है ,
सरकार नहीं परछाईं हैं .
अति सुन्दर रचना। साधारण शब्दों
जवाब देंहटाएंमें असाधारण बात कह देना ही
तो कविता है। कवि-धर्म बखूबी
निभाया है।
साधुवाद।
आनन्द विश्वास।
aapki is sunder rachna ne
har baat hamein gehrayi se samjhayi hai.
बहुत दिनो बाद ब्लोग जगत में आया हू.
जवाब देंहटाएंआपकी छोटी बहर कि ग़जल पढके मजा आ गया
बहुत खुबसुरत !
अच्छी सी..बहुत भाई है..
जवाब देंहटाएंजो है टूटा
जवाब देंहटाएंअस्थाई है.!!
so very true :)
क्या बात है दिगंबर जी दिल खुश हो गया आपकी इस रचना को पढ़ कर !
जवाब देंहटाएं