छोटी बहर की गज़लों के क्रम में छोटी से
छोटी बहर में कुछ कहने का प्रयोग किया है ... आशा है आपको पसंद आएगा ...
शाम
श्याम
जप लो
नाम
बोल
राम
तू ही
धाम
सुर को
थाम
खोल
जाम
क्या है
काम
(गुरुदेव पंकज जी के आशीर्वाद से)
आपकी लेखनी का जवाब नहीं ... नि:शब्द कर दिया आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंगज़ब...
जवाब देंहटाएंkam shabdon men sundar rachana ...abhaar
जवाब देंहटाएंshaam...raam aur jaam :-)
जवाब देंहटाएंअब कहाँ जाइयेगा |
जवाब देंहटाएंदो वर्णों तक आ गए-
छोटी छोटी और छोटी-
जवाब नहीं आपका |
मैं
वो
तू
ने
बू
ने
थू
ने
खूं
ने
पूरा कीजिये-
:-)
हटाएंअब इससे छोटी बहर क्या होगी ? श्याम राम के साथ जाम ....
जवाब देंहटाएंnamaskaar digambar ji
जवाब देंहटाएंbahut khoob .....yah sikhne walo ke liye bahut accha prayog kiya hai aapne tukanat ka behatarin umda prayoh , badhai aapko , aapko kal anubhuti me dekhkar bhi anandit prateet hua
हम गुमनाम
जवाब देंहटाएंजग बदनाम !
वाह ...!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
क्या बात है! गागर में सागर...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...श्याम राम के साथ जाम ....
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया..श्याम राम के साथ जाम ....
जवाब देंहटाएंनर
जवाब देंहटाएंमन
कर
रच
सब
जग
कर
छल
बल
उड़
नभ
तक
हर
तम
bahut khub ...........
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रयोग,गागर में सागर
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रयोग,गागर में सागर
जवाब देंहटाएंअनोखा प्रयोग.......
जवाब देंहटाएंराम
श्याम
और
जाम?
शदों के बीच निहित भाव इस रचना को अद्भुत बना रहे हैं।
जवाब देंहटाएंबचपन में कक्षा पहली में पढ़ा करते थे जिसका उल्लेख श्री राहुल कुमार सिंह सिहावलोकन के सृजन करता ने अपने प्रारंभिक ब्लॉग
जवाब देंहटाएंबाल-भारती में लिखित पाठ की याद दिला दी , नल ,पर ,जल ,भर,जल ,भर , कर , रख, और इधर , बदक, मगर ,इधर .
वाह वाह|||
जवाब देंहटाएंसचमुच कम शब्दों में बेहतरीन रचना..
शानदार....
:-)
बचपन में कक्षा पहली में पढ़ा करते थे जिसका उल्लेख श्री राहुल कुमार सिंह सिहावलोकन के सृजन करता ने अपने प्रारंभिक ब्लॉग
जवाब देंहटाएंबाल-भारती में लिखित पाठ की याद दिला दी , नल ,पर ,जल ,भर,जल ,भर , कर , रख, और इधर , बदक, मगर ,इधर .
उम्दा गजल फिर आपके नाम..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्रभावी..
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में...गहरी बात...सुन्दर शैली...
जवाब देंहटाएंbahut alag dilchasp andaaj
जवाब देंहटाएंएक और अद्भुत प्रयोग।
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया है सर....
पाठकों की रचनात्मकता को हिलोर देते हैं आप....
बहुत खूब!!!
सादर
अनु
भाई दिगंबर नासवा जी! इससे छोटी बहर मेरे खयाल में कोई सार्थक ग़ज़ल नहीं हो सकती. इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज किया जाना चाहिए.
जवाब देंहटाएंअति उत्तम , छोटा पर धारदार
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयोग है !
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंvaah
जवाब देंहटाएंराम जाम
जवाब देंहटाएंहे राम !
शाम
जवाब देंहटाएंश्याम
जप लो
नाम
बोल
राम
तू ही
धाम
सुर को
थाम
खोल
जाम
क्या है
काम
सुबहो शाम ,
कर सलाम
दिल को थाम,
बन गुलाम .
सुर को साध ,
कर प्रणाम .
बढ़िया बंदिश है भाई साहब .बधाई .एकाक्षरी पर कब आओगे .
,
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
,
आज ही देख रहा हूँ आपके ये नए प्रयोग वाली गज़लें....बहुत ज्यादा पसंद आई मुझे...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्रभावी..
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंराम
राम
ताम
झाम
वाह
वाह
बहुत खूब दिगंबर नासवा जी !
हुज़ूर आपसे प्रेरणा पा'कर हम भी अपनी एक ग़ज़ल अर्ज़ कर रहे हैं -
समाद फ़रमाएं-
आ !
जा !
नाऽऽ
गा !
क्या ?
साऽऽ
धाऽऽ
पा…
मा…!
वाऽऽ !
ताऽ…
था …
धा !
छाऽऽ… !
ला !
खा !
य्याऽऽ… !
हाऽऽ…
हाऽऽऽ…!
टा
टाऽऽऽ…
:)
मंगलकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
:)
जवाब देंहटाएंवाह सर वाह आपका कोई जवाब नहीं हर बार कुछ नया पेश करते हैं.
जवाब देंहटाएंदेख लीजिए कई कवियों ने और भी छोटी बहरें दे दी हैं. प्रताप आपका. छोटी बहर का अपना कमाल होता है.
जवाब देंहटाएंसच जब कोई काम ही नहीं तो राम श्याम नाम का जप से कहाँ काम चलने वाला फिर तो जाम ही दिखता है ..
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बहुत कुछ छुपाया है आपने ...बहुत खूब!
वाह
जवाब देंहटाएंवाह
वाह
कम्माआआआआआआआल!!
जवाब देंहटाएंदेखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर वाली बात | सुंदर |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
पिछली वाली ज्यादा बेहतर थी।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में लिखी बहुत सारी बात... आभार
जवाब देंहटाएंapki ye post gagar me sagar jaise hai
जवाब देंहटाएंMeri next post in HINDI
KYUN???
please read it
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंयहाँ शब्दों और विचारों का भंडार मिला ....
जवाब देंहटाएंमूल पोस्ट और टिप्पणी के रूप में ...आभार
अभिनव..अनूपम...असरदार!!!
जवाब देंहटाएंvery very nice :)
जवाब देंहटाएं----
अपनी रचनाओं का कॉपीराइट मुफ़्त पाइए
बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंकविता के किसी नए वाद का प्रारम्भ है शायद जिसमें शब्द और फिर वर्ण उत्तरोत्तर अदृश्य ही होने वाले हैं ।
जवाब देंहटाएंगज़ब भाई...बहुते नन्हीं बहर है.. :)
जवाब देंहटाएंokkkkkk
जवाब देंहटाएंवाह वाह सर जी कमाल कर दिया ।
जवाब देंहटाएंHello, its good paragraph concerning media print, we all know media is a fantastic source of data.
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वाह बहुत सुंदर ;;;;;
जवाब देंहटाएंराम नाम के नाम का जाम भर लिया |
जीने का मज़ा अपना दुगना कर लिया |
कमाल है , बढ़िया जा रहे हैं हुज़ूर !
जवाब देंहटाएंवाह कम शब्दों मे बडी बडी बातें । हमारे एक परिचित थे जो जाम चठाने के बाद गीता पर प्रवचन देने लगते थे । वही याद आ गया राम शाम जाम पछ कर ।
जवाब देंहटाएंkam sabhabdon me badi bat.... sunder prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंख़ास आप!
जवाब देंहटाएंमैं आम!
बाऊ जी, नमस्ते!
ढ़
--
ए फीलिंग कॉल्ड.....
saaree rachnaayen padhi sabhi bahut hi acche hain...
जवाब देंहटाएंZabardast hai sir!
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट का इंतजार है ।
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
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जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...:)शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंsuch beautiful composition in few words... amazing talent..
जवाब देंहटाएं