कहते हैं गंगा मिलन
मुक्ति का मार्ग है
कनखल पे अस्थियां प्रवाहित
करते समय
इक पल को ऐसा लगा
सचमुच तुम हमसे दूर जा रही
हो ...
इस नश्वर संसार से मुक्त
होना चाहती हो
सत्य की खोज में
श्रृष्टि से एकाकार होना
चाहती हो
पर गंगा के तेज प्रवाह के
साथ
तुम तो केवल सागर से मिलना
चाहती थीं
उसमें समा जाना चाहती थीं
जानतीं थीं
गंगा सागर से अरब सागर का
सफर
चुटकियों में तय हो जाएगा
उसके बाद तुम दुबई के सागर
में
फिर से मेरे के करीब होंगी
...
किसी ने सच कहा है
अपनी माँ के दिल को जानना
मुश्किल नहीं ...
(१३ वर्षों से दुबई रहते
हुवे मन में ऐसे भाव उठाना स्वाभाविक है)
किसी ने सच ही कहा है वाकई माँ का दिल दरिया है जिसका कोई पार नहीं ....बेहतरीन शब्द दिए आपने अपनी भावना को ...
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम नमस्कार ,सच कहा इतने लम्बे समय परदेश में गुजारने के बाद ऐसा मन में भाव आएगा ही। अपने सुंदर भाव को पप्रस्तुति का सार्थक अंदाज। मैं अबू धाबी में 10 से हूँ।
जवाब देंहटाएंrajendra651@gmail.com
जानतीं थीं
जवाब देंहटाएंगंगा सागर से अरब सागर का सफर
चुटकियों में तय हो जाएगा
उसके बाद तुम दुबई के सागर में
फिर से मेरे के करीब होंगी ...
भावुक , भावना -पूर्ण !
सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंमाँ के प्रति आदर और प्रेम जतातीं सुंदर पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंसंस्मरण में रण दिखा, सुमिरन सा भावार्थ |
जवाब देंहटाएंखड़े खड़े कुरुक्षेत्र में, होते विचलित पार्थ ?
होते विचलित पार्थ, नहीं परमारथ भूलो |
एक बार फिर आज, चरण माता के छू लो |
माता रही विराज, युगों से ईश चरण में ||
निहित मरण सा शब्द, नासवा संस्मरण में || |
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
जवाब देंहटाएंमाँ के जाने के बाद उसे करीब पाने की लालसा व्यक्त करती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंशब्द नहीं मिलते आपकी ऐसी कविता पर कुछ कहने को,
जवाब देंहटाएंमन भावुक हो जाता है
माँ के पास रहने कीआश चिरस्थायी है -भाव पूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंNew post कुछ पता नहीं !!! ( तृतीय और अंतिम भाग )
New post : शहीद की मज़ार से
भावुक मन से भी सो स्वीट कहने को मन किया.
जवाब देंहटाएंमाँ के प्रति आपके मनोभावों को सादर सलाम
जवाब देंहटाएंनिशब्द...
जवाब देंहटाएंmaa ki yaad me samayi hridaysprshi..
जवाब देंहटाएंman ko bhavuk karati rachanaa...
अत्यधिक मर्मस्पर्शी रचना ... माँ और माँ का प्यार अविस्मरणीय होता है.
जवाब देंहटाएंओह रे ताल मिले नदी के जल में ,
जवाब देंहटाएंनदी मिले सागर में ,
सागर मिले कौन से जल में ,
कोई जाने न .
कुछ ऐसा ही अन्वेषण है कवि का इस रचना में .आत्मा एक ऊर्जामय चेतना ही है जो रूपांतरित होती है .शरीर तत्व पञ्च तत्व में विलीन हो जाता है आत्मा आत्मिक चक्र में चली आती है .आभार
आपकी महत्वपूर्ण टिप्पणियों का .
आपके ह्रदय में उठते सहज भाव का हम ह्रदय से सम्मान करते हैं..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमाँ की यादें बहुत प्यारी होती हैं !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बिलकुल ठीक कहा आपने ऐसा लगना स्वाभाविक सी बात है मार्मिक रचना...
जवाब देंहटाएंbeautiful emotins with great feelings
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावुक और मर्मस्पर्षि रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह, बहुत खूब!!! बस और कुछ नहीं है कहने को।।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावुक और मार्मिक रचना . आभार
जवाब देंहटाएंमुझे निर्मल वर्मा की वो पंक्तियाँ याद आती हैं जब कोई हिंदू अपने परिजनों की अस्थियाँ हरिद्वार में गंगा में बहाता है तो उसे वैसे ही संपूर्ति की प्राप्ति होती होगी जैसा कि ग्रीक लेखकों को कैथार्सिस की संपूर्ति में प्राप्त होती थी।
जवाब देंहटाएंमार्मिक है माँ के लिये आपकी वेदना । इसे वही महसूस कर सकता है जिसे यह वेदना सहनी पडी हो ।
जवाब देंहटाएंइन भावों को महसूस करना उनको अपने पास पाना ही है ..यादों में जो हर वक्त साथ रहे वो न हो कर भी पास ही है...उनका आशीर्वाद और कृपा दृष्टि आप पर बनी रहे ..यह भावपूर्ण रचना उन्हें श्रद्धा सुमन हैं.
जवाब देंहटाएंह्रदय में उतरते मन के भाव निशब्द करते हुए
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजी सचमुच, माँ है, आप हैं, हम हैं तो इस जगत में भावनाओं की प्रधानता है। भाव निशब्द करते हैं।
भावमय करते शब्द ... नि:शब्द करती अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंवरिष्ठ गणतन्त्रदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और नेता जी सुभाष को नमन!
आदरणीय सर आपके ह्रदय के हाल का मैं अनुभव कर सकता हूँ. माँ के लिए यह समर्पण और प्रेम भाव मुझे भावुक कर गया. हार्दिक बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएं---
अग्नि मिसाइल: बढ़ती पोस्ट चोरियाँ और घटती संवेदनशीलता, आपकी राय?
विश्व हमारा एक रहेगा, जल के माध्यम से, तटों के माध्यम से, मार्मिक रचना।
जवाब देंहटाएंMA KO HARDIK SHRDHANJALI .....
जवाब देंहटाएंMAMSPARSHI RACHANA KE LIYE HARDIK BADHAI NASWA JI .......ESKE SATH HI SATH AK KHAS BADHAI BHI SWEEKAREN KI AP NE BLOG PR APNI TASHVIR LGA DI HAI .
भीगी-भीगी सी रचना....
जवाब देंहटाएंआप कहीं भी हों... माँ को आपके पास आने के लिए किसी ज़रिए की ज़रूरत नहीं... वो तो हमेशा ही आपके पास, आपके साथ हैं.....
~सादर!!!
भीगी-भीगी सी रचना....
जवाब देंहटाएंआप कहीं भी हों... माँ को आपके पास आने के लिए किसी ज़रिए की ज़रूरत नहीं... वो तो हमेशा ही आपके पास, आपके साथ हैं.....
~सादर!!!
भावनात्मक अभिव्यक्ति,,,,सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: गुलामी का असर,,,
सबसे पहले माँ को नमन. दिल छू गए आपके शब्द. दूर हो के भी माँ दूर कैसी जा सकती है.
जवाब देंहटाएंमाँ के दिल को जानना कठिन नहीं..दुःख है आज लोग उसको जानने की कोशिश नहीं करते..बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंमाँ की यादें आसानी से भुलाई नहीं जा सकती हैं. भावनात्मक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएं६४ वें गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ और शुभकामनायें.
man ko kareeb pane ke liye hamara man kya kya soch leta hai.bahut sunder .
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता बच्चो को ढूढ़ लेती है |
जवाब देंहटाएंmaa se kabhi koi juda nhi ho sakta.
जवाब देंहटाएंsunder abhiwaykti..
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जवाब देंहटाएंhereby nominate you to LIEBSTER BLOGERS AWARD.
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जवाब देंहटाएंmaarmik rachna. sadhuwaad !
जवाब देंहटाएंमां का प्यार असीम और अनंत है
जवाब देंहटाएंमाँ की स्मृति को गंगा नदी, सागर और अरब सागर से जोड़ कर जीवन को समझने की कोशिश और दुःख में सुख की तलाश... बहुत अच्छी और भावुक रचना. शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंमन को झंकृत करती एक अच्छी कविता |आभार
जवाब देंहटाएंसागर की लहरों में मां की लोरियों की धुन !
जवाब देंहटाएंहृदय को स्पर्श करने वाले शब्द।
मां महान, संसारवान। सुन्दर अनुभूति।
जवाब देंहटाएंमाँ कितनी भी दूर हो ....रहती हमेशा आस पास ही है ......तभी तो हमेशा हर विपदा में उसी का नाम ज़बान पर आता है .......और सुकून भी मिल जाता है ....
जवाब देंहटाएंवे हमेशा आपके पास होंगी ...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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