होता तो मुझे था
कुछ कुछ, हर बार
कभी नाक बहती थी, कभी बुखार
कभी भूत का डर तो कभी स्कूल
की मार
कभी नौकरी में समस्या
कभी मासिक खर्च का भार
मेरे किसी भी दुःख दर्द में
तू तो हर वक़्त बस साथ होती
थी
सहलाती हुई
दूर से मुस्कुराती हुई
मन कहाँ मानता था
तुझे कुछ हो भी सकता है
गहरी खामोशी देख कर विश्वास न हुआ
की तू इस दुनिया में नहीं है माँ
हालांकि तेरे पास बैठे सब
रो रहे थे
आंसू तो शायद मेरे भी
निकलने लगे थे
पर एक मज़े की बात बताऊं
इस बार भी दुःख मुझे ही हुवा
और इस बार भी तू मेरे साथ
ही थी
दूर से मुस्कुराती हुई
simply superb.
जवाब देंहटाएंकुछ दुःख कभी कम नहीं होते.
जवाब देंहटाएंकुछ दर्द लाइलाज होते हैं....
आपकी भावनाओं को समझ सकती हूँ..
सादर
अनु
bhavuk kar dene vaali rachna
जवाब देंहटाएंduniya me Maa ke pyar se badhkar kuchh nhi ...sundar Rachna ke liye ..Badhai ..
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post.html
ह्रदय छू गए आपके शब्द.
जवाब देंहटाएंये यादों के दरख्त अपनी छाया देते रहतें हैं ता - उम्र ,ये यादें माँ की होती हैं .और दरख़्त दरख़्त मेरे अन्दर .
जवाब देंहटाएंसत्य को स्वीकार कीजिये, माँ हमेशा आपके साथ ही रहेगी, लेकिन वो आपको दुखी देखके कैसे मुस्कुराएगी भला, उनकी मुस्कराहट आपकी मुस्कान में है...
जवाब देंहटाएंऐसा ही यह साथ है, माँ का होता हाथ |
जवाब देंहटाएंदुःख में जो सहला गई, ले गोदी में माथ |
ले गोदी में माथ, *आथ-आथी यह मेरी |
दिखा रही सद-पाथ, दिवस या रात्रि घनेरी |
तेरा ही देहांश, लगे दर्पण यह कैसा |
हाड़-मांस एकांश, मातु मैं बिलकुल ऐसा ||
*पूँजी होना
भावपूर्ण भावुक प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंदुःख तो शायद औरो को भी हुआ होगा
मगर तू मेरा दुःख रोज की तरह
उसी अंदाज में भांप गई
जभी तो दूर से ही मुस्कुराती दिखी !
आपके इन शब्दों पर क्या कहूँ ..बस मौन है.
जवाब देंहटाएंमाँ की कमी केवल उसका बच्चा जान सकता है। उसके न होने का एहसास कितना भयावह हो सकता है केवल वही जान सकता है।
जवाब देंहटाएंगहन दर्द से भरी भावनाओं की अभिव्यक्ति है ये पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंवक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आयें ।
bahut sundar rachanaa
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली ,
जवाब देंहटाएंजारी रहें।
शुभकामना !!!
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तेरी यादों से सज़ाया है ये दिल का मेला
जवाब देंहटाएंभले ही समझे मुझे कोई, हूँ मैं अब "अकेला"
माँ जी को नमन ...
बहुत खूब ..कुछ दुःख वाकई भुलाए नहीं भूलते ...वक़्त की मरहम भी काम नहीं करती उस पर ....सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे भाव लिए रचना है |
जवाब देंहटाएंआशा
मृत्यु ही शाश्वत सत्य है .... इस सच को स्वीकारना पड़ता है ।
जवाब देंहटाएंमाँ का साया मेरे साथ-साथ चलता रहा ... हर बार की तरह मन को छूती पोस्ट
जवाब देंहटाएंसादर
माँ तो जहान होती है.. सब कुछ उसमें समां जाता है.. दुःख दर्द ख़ुशी हंसी.. अच्छी रचना..
जवाब देंहटाएंकुछ साल पहले एक लघु कथा लिखी थी कुछ मिलती जुलती... पढ़ें.. http://bitspratik.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html
अच्छी भावों से युक्त रचना।
जवाब देंहटाएंहम क्या कहें.......
जवाब देंहटाएंवो रहेंगीं सदा आपके संग....
~सादर!!!
"भावपूर्ण" "भावुक" अब हम कहे कुछ कहते नही बन रहा खुद रोने का मन करने लगा हैँ जबकि मेरी माँ जिवित हैँ ।
जवाब देंहटाएंअति गहन और मार्मिक, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
माँ होती ही है ऐसी । भावुक कर गई कविता ।
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी
जवाब देंहटाएंgahan abhivaykti....
जवाब देंहटाएंBahut sundar abhivaykti :)
जवाब देंहटाएंमाँ के प्यार के आगे सब कुछ फीका है...
जवाब देंहटाएंगहरी भावनाएं लिए हृदयस्पर्शी रचना...
मेरे किसी भी दुःख दर्द में
जवाब देंहटाएंतू तो हर वक़्त बस साथ होती थी
सहलाती हुई
दूर से मुस्कुराती हुई
भीग गया मन, मार्मिक रचना !
संध्या जी ने ठीक कहा है,,,
जवाब देंहटाएंसत्य को स्वीकार कीजिये,,,
recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
बहुत मर्मस्पर्शी लिखे हैं सर!
जवाब देंहटाएंसादर
पर एक मज़े की बात बताऊं
जवाब देंहटाएंइस बार भी दुःख मुझे ही हुवा
और इस बार भी तू मेरे साथ ही थी
दूर से मुस्कुराती हुई ......... साथ का सुकून तो है न
सार्थक अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .कृपया "विश्वास" कर लें .vishvas लिख कर शिफ्ट दबाएँ .डिक्शनरी खोलें कई ऑप्शन आयेंगें .विश्वास दबा दें .शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंमेरे किसी भी दुःख दर्द में
जवाब देंहटाएंतू तो हर वक़्त बस साथ होती थी
सहलाती हुई
दूर से मुस्कुराती हुई
wah kya bat hai gahare bhavon se paripoorn rachana ...badhai .
बहुत ही मार्मिक रचना.
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना.
जवाब देंहटाएं......
सत्य को स्वीकारने में वक्त लगेगा .
हृदय तह छूती हुयी कविता..
जवाब देंहटाएंबस...एक रिक्ति...
जवाब देंहटाएंमां..मां तो होती हैं ऐसी है....सदा साथ देने वाली
जवाब देंहटाएंबहुत गहन भाव लिए हृदयस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंNew post : दो शहीद
माँ...शब्द-भाव और सोच सब में हर वक्त साथ है
जवाब देंहटाएंपर एक मज़े की बात बताऊं
जवाब देंहटाएंइस बार भी दुःख मुझे ही हुवा
और इस बार भी तू मेरे साथ ही थी
दूर से मुस्कुराती हुई
...कभी दु:खी नहीं देखना चाहती माँ अपने बच्चों को तभी तो मुस्कुरा कर अपने साथ होने का अहसास कराती है हरपल
..... :(
जवाब देंहटाएंshandaar marmik rachna...
जवाब देंहटाएंMan ko chhuti, prbavi rachana.
जवाब देंहटाएंमाँ का विछोह सचमुच मन को अंदर तक हिला जाता है. सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंलोहड़ी, मकर संक्रांति और माघ बिहू की शुभकामनायें.
पर एक मज़े की बात बताऊं
जवाब देंहटाएंइस बार भी दुःख मुझे ही हुवा
और इस बार भी तू मेरे साथ ही थी
दूर से मुस्कुराती हुई
....अंतस को छूती बहुत मर्मस्पर्शी भावपूर्ण रचना...
बाऊ जी नमस्ते!
जवाब देंहटाएंमेरी माँ, आपकी माँ सहेली बन गयीं होंगी अब तक!
ढ़
--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस
स्वाभिमान बड़ा है वोट से .सरकार अपमान के साथ जी सकती है (भौंदू बच्चा है )लेकिन देश गुस्से में है .उसका स्वाभिमान बकाया है .हमारे मनीष तिवारी कहतें हैं -बड़ा अमानवीय व्यवहार है हरामी
जवाब देंहटाएंबच्चे का भौंदू को कभी भी मार जाता है .हम इसकी निंदा करते है .विदेश मंत्री कहतें हैं -हम बात ही तो कर सकते हैं और क्या कर सकतें हैं .हरामी बच्चा है ही हरामी .जारज संतान है हिन्दुस्तान की
.इसके बाप का अता पता नहीं है।बेहतरीन तंज है वैसे भौंदू अब कह रहा है आगे से मेरे गाल पे मारेगा ,मैं झट दूसरा गाल भी आगे कर दूंगा . बापू ने हमें यही सिखाया है .मेघालय और त्रिपुरा त्रिपुरा
के चुनाव नज़दीक है हरामी बच्चे के गाल पे लगा दिया तो मुसलमान नाराज़ हो जायेंगे .
हैं तो ये असली मिसायल और बम लेकिन मुसलमान नाराज हो जायेंगे त्रिपुरा -मेघालय के .वोट बड़ा होता है देश के स्वाभिमान से .भारत धर्मी समाज के दो अदद सिरों से .
आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .
कुछ दुःख कभी कम नहीं होते.
जवाब देंहटाएंकुछ दर्द लाइलाज होते हैं....
मार्मिक चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
गहरी खामोशी देख कर विश्वास न हुआ
जवाब देंहटाएंकी तू इस दुनिया में नहीं है माँ
हालांकि तेरे पास बैठे सब रो रहे थे |
बहुत ही सुन्दर भाव | पढ़ते ही गला रुध गया |मकर संक्रांति की शुभ कामनाएं |
मकर संक्रांति पर्व की बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअर्थ और विचार की सशक्त अभिव्यक्ति .सुन्दर भाव और संकल्पों की कविता .
जवाब देंहटाएंभाव को बाँध लेते हैं वे क्षण जब हम भावना में भी उनके करीब होते हैं .वो पल छिन फिर से प्रसवित होने लगते हैं .मकर संक्रांत (सकट ,)संक्रांति की मुबारकबाद .आपकी सद्य टिप्पणियों के लिए
आभार .
मुबारक मकर संक्रांति पर्व .
माँ हर पीड़ा में साथ होती है ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक भाव ...
मंगल पर्व मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !
सादर !
bahut hi bhawpurn...abhiwyakti
जवाब देंहटाएंरेड राइस भी सरजी ,ब्राउन भी .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंसाथ तेरा—तू इस दुनिया में नही है मां----दूर से मुस्कुराती हुई---
जवाब देंहटाएंजिंदगी कैसी है पहेली----वजूदों के बुलबुले गुम हो जाते हैं आसमानों
में---हम जो पीछे रह जाते हैं,फ़कत दो आंसुओं के काबिल.
बस,जो मुट्ठी में है,कस कर बांधे रहिये,जी भर कर निहार लीजिये.
साथ तेरा—तू इस दुनिया में नही है मां----दूर से मुस्कुराती हुई---
जवाब देंहटाएंजिंदगी कैसी है पहेली----वजूदों के बुलबुले गुम हो जाते हैं आसमानों
में---हम जो पीछे रह जाते हैं,फ़कत दो आंसुओं के काबिल.
बस,जो मुट्ठी में है,कस कर बांधे रहिये,जी भर कर निहार लीजिये.
माँ साथ ही होती है,हमेशा हर दुःख दर्द ओढ़ कर मुस्कुराती हुई
जवाब देंहटाएंमार्मिक कविता