स्वप्न मेरे: यादें ...

गुरुवार, 28 मार्च 2013

यादें ...


सब कहते हैं 
भूलने की कोशिश करो 
पर किसे … ? 

यादों से बाहर निकलो, 
पर किसकी ...? 

खुश रहो 
खुश तो हूं ... अब भी 

तू तब भी साथ थी   
अब भी साथ है   

यादों में थी हमेशा   
यादों में है    

तब बातें करता था तुझसे 
बातें अब भी करता हूं 

हां ... अब ये नहीं मालुम   
क्यों कम्बख्त आंसू 
अपने आप निकल आते हैं 

पर वो तो आँखों का कसूर है न माँ ... 
   

72 टिप्‍पणियां:

  1. उफ्फ कितना खरा सच कह दिया आपने आदरणीय
    हां ... अब ये नहीं मालुम
    क्यों कम्बख्त आंसू
    अपने आप निकल आते हैं

    पर वो तो आँखों का कसूर है न माँ ...

    आँखें नम कर दी आपने, बेहद सुन्दर आदरणीय

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  2. गहरे भाव लिए ,उत्तम रचना बधाई आप को

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  3. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 30/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  4. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 30/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  5. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 30/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  6. आपकी कलम हर बार दिल के जख्म कुरेद जाती है। बहुत सुन्दर लिखा आपने!

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  7. कुसूर तो दिल दिमाग का भी है...आँखें तो सिर्फ इज़हार करतीं हैं...

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  8. कुसूर तो दिल दिमाग का भी है...आँखें तो सिर्फ इज़हार करतीं हैं...

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  9. कुसूर तो दिल दिमाग का भी है...आँखें तो सिर्फ इज़हार करतीं हैं...

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर!
    --
    होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं।
    इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  11. आदरणीय नासवा जी
    नमस्कार !

    हां ... अब ये नहीं मालुम
    क्यों कम्बख्त आंसू
    अपने आप निकल आते हैं

    पर वो तो आँखों का कसूर है न माँ ...

    .........खासकर इन पंक्तियों ने रचना को एक अलग ही ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास...बहुत सुन्दर

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  12. बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति,कुछ यादें को चाह कर भी भूल नहीं पातें है,वो भी माँ की यादें.

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  13. भावनात्मक प्रस्तुति मोदी संस्कृति:न भारतीय न भाजपाई . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  14. aankhon aur aansu ka ivn bhar ka sath hai apnon ki yaaden pichha kahan chhodti hai .....marmik prastuti....

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  15. मां का विछोह तेरह साल पहले झेला था जब भी उसकी याद आती है आंसू निकल आते हैं.

    दुनिया दारी चल रही है, सब कुछ है पर पता नही, जीवन में एक अजीब सा सूनापन खालीपन है जो अभी तक भर नही पाया है, शायद सभी के साथ ऐसा ही होता होगा.

    रामराम.

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  16. हां ... अब ये नहीं मालुम
    क्यों कम्बख्त आंसू
    अपने आप निकल आते हैं

    पर वो तो आँखों का कसूर है न माँ ...

    इन्हें भुलाया कैसे और क्यों ?
    जबकि यही यादें सहारा हैं जीने का

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  17. आँखें कह ही देती हैं मन की उन्हें कौन रोक सका है भला ...

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  18. हर बार आपकी कविता पढ़कर माँ से अनुराग और बढ़ जाता है। मैं अपनी छोटी सी बेटी से कहता हूँ कि तेरी मम्मी से मेरी मम्मी ज्यादा अच्छी है। मजाक से

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  19. मन की तड़प को आँखे बयां कर ही देती है
    माँ की याद में कोमल भावपूर्ण रचना..

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  20. सुख हो या दुख हो या फिर समय का लम्बा अन्तराल हो एक माँ ही तो है जिसकी याद कभी भूला पाना संभव ही नहीं होता.

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  21. निकल जाने दो इन आंसुओं को।
    मां के आँचल सी राहत मिलती है।

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  22. हां ... अब ये नहीं मालुम
    क्यों कम्बख्त आंसू
    अपने आप निकल आते हैं-----
    वाह भावुक रचना
    बहुत बहुत बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग jyoti-khare.blogspot.in
    में सम्मलित हों ख़ुशी होगी

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  23. दर्द स्वयं ही बरस गया
    आँखों का दोष नहीं था !

    गीत स्वयं ही भीग गया
    शब्दों का दोष नहीं था !
    मार्मिक ....

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  24. बहुत ही सुन्दर रचना सीधे दिल तक पहुची बधाई

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  25. रहिमन अँसुआ नयन ढरि जिय दुख प्रकट करेइ,
    जाहि निकारो गेह से कस न भेद कहि देइ!

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  26. मनव्वर राना का एक शे'र है ..कुछ इस तरह !
    किसी के हिस्से में मकान,किसी के हिस्से में दूकान आई ,मैं घर में सबसे छोटा था .मेरे हिस्से में माँ आई ... यादें हमेशा साथ होती हैं !
    स्वस्थ रहें !

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  27. इधर आपकी जितनी कवितायेँ पढ़ीं.....सब में वह दुःख समाहित था ...जिससे हम सब डरते हैं...अपनों को खोने का दुःख....और माँ....वह तो जैसे ही भगवन ही रूठ गया हो .....आपका दुख कम तो नहीं कर सकती ...पर उस दर्द को महसूस ज़रूर कर सकती हूँ...माँ को गए १२ साल हो गए .....लेकिन अभी भी दर्द में ....माँ को ही पुकारती हूँ....

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  28. भावपूर्ण नज़्म...दिल से दिल तक का सफर करती हुयी

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  29. भावपूर्ण.
    उसे भूलना कहाँ संभव होता है जो खून के हर कतरे में बसा हो.

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  30. शब्द इतने दूर तक गए की आँखें मेरी भी नम हो गयीं.

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  31. तू तब भी साथ थी
    अब भी साथ है ....
    ---------------
    मार्मिक ...

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  32. माँ की स्मृति मन नम करे, वह नमी भी सहारा देती है।

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  33. बिल्कुल सही कहा आपने....भूलने की कोशिश तो तब करें जब वो यादों में न हो.....और आंसूओं का क्या है..उन्हें तो आंखें देश निकाला दे देती हैं...

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  34. होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...बहुत सुन्दर।।
    पधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...

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  35. Koi bas kahne ko hi bahut dur chala jata h pr rahta humare behad karib hai..
    Gahre bhao...

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  36. ममता के आंचल में ढला, मैं तेरी यादों में चला हो मां ओ मेरी मां मैं तेरा नासवा।

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  37. कहां भूल पाते हैं ... ये जो लम्‍हे जिंदगी के साथ चलते हैं
    ... मन को छूती पोस्‍ट
    सादर

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  38. तसव्वुरात को शब्द देना आसान नहीं है .कभी उस दिवंगत आत्मा के लिए दीपक जलाये,शिव बाबा का ध्यान करें ,माँ के आत्म स्वरूप को शिव बाबा से आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर अनुप्राणित ,ऊर्जित करें .

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  39. तसव्वुरात को शब्द देना आसान नहीं है .कभी उस दिवंगत आत्मा के लिए दीपक जलाये,शिव बाबा का ध्यान करें ,माँ के आत्म स्वरूप को शिव बाबा से आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर अनुप्राणित ,ऊर्जित करें .

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  40. क्या कहूँ नि:शब्द हूँ जीवन की कितनी बड़ी सच्चाई को कितनी खूबसूरती से शब्दों का जामा पहना कर प्रस्तुत किया माँ की यादों से बाहर आना पर क्यूँ?? वो तब भी दिल में थी वो आज भी है लगता है मेरे ही शब्द हैं बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति हेतु.|

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  41. बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति । माँ के लिये आपके भाव द्रवित करते हैं । इन्हें हमेशा पास रखिये ।

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  42. सब कहते हैं, क्योंकि कहना आसान है और पराई पीर जानना बहुत कठिन! जो बहते हैं बहने दीजिये ...

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  43. आपकी रचना पढ़कर हृदय द्रवित हो गया माँ की यादें इतनी सुहानी हैं की भुलाये नहीं भूलती ... अब यादें ही तो हैं जिनमे माँ का साथ मिल जाता है ...

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  44. बेहद मार्मिक.....इतना आसान कहाँ होता है भूल जाना ।

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  45. very very touchy.....
    apki shakhsiyat aur kalam mein,
    mujhe MUNNAWAR RANA dikhayi dete hein...

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  46. माँ पर आपकी सभी रचनाएँ भावुक कर देती हैं मैं तो
    एक के बाद एक पढता ही जा रहा हूँ ..वाकई शानदार

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  47. नमस्ते.....
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की ये रचना लिंक की गयी है......
    दिनांक 24/04/2022 को.......
    पांच लिंकों का आनंद पर....
    आप भी अवश्य पधारें....

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है