स्वप्न मेरे: कुछ बेवजह की बातें ...

बुधवार, 3 अप्रैल 2013

कुछ बेवजह की बातें ...


लगा तो लेता तेरी तस्वीर दीवार पर 
जो दिल के कोने वाले हिस्से से 
कर पाता तुझे बाहर 

कैद कर देता लकड़ी के फ्रेम में 
न महसूस होती अगर    
तेरे क़दमों की सुगबुगाहट   
घर के उस कोने से 
जहां मंदिर की घंटियाँ सी बजती रहती हैं    

भूल जाता माँ तुझे 
न देखता छोटी बेटी में तेरी झलक 
या सुबह से शाम तेरे होने का एहसास कराता   
अपने अक्स से झांकता तेरा चेहरा 
  
की भूल तो सकता था रौशनी का एहसास भी   
जो होती न कभी सुबह 
या भूल जाता सूरज अपने आने की वजह   

ऐसी ही कितनी बेवजह बातों का जवाब 
किसी के पास नहीं होता 
   

80 टिप्‍पणियां:

  1. भूल जाता माँ तुझे
    न देखता छोटी बेटी में तेरी झलक .....
    ...........................
    कुछ बेवजह सी बातों का सच में कोई जवाब नहीं होता .....अंतर्मन से उमड़ता निश्चल शब्द ..

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  2. माँ की यादों को एहसास करती बेहतरीन रचना,आभार.

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  3. माँ की तस्वीर तो दिल में लगी है
    जिसमे मेरी यादों के फूल खिले हैं

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  4. जो हर दम हर पल आपके आसपास ही नहीं वरन आप में स्वयं समाई हो उसे आप भला कैसे भूल सकते हैं...यह किसी भी इंसान के लिए संभव नहीं क्यूंकि हर बच्चे के मन के एक कोने में ही सही स्वयं अपनी माँ का अंश छुपा होता ही है।

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  5. एहसास कहाँ पीछा छोड़ते हैं.

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  6. कई बातें ऐसी होती हैं जिनका कोई जवाब नहीं होता...मन उन्हीं बातों का जवाब ढूँढता रहता है|

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  7. की भूल तो सकता था रौशनी का एहसास भी
    जो होती न कभी सुबह
    या भूल जाता सूरज अपने आने की वजह

    ऐसी ही कितनी बेवजह बातों का जवाब
    किसी के पास नहीं होता
    koi nahi bhula sakta maa ko .bahut sundar bhavnatmak abhivyakti .badhai

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  8. नमन! उस ममतामय माँ को .....
    शुभकामनाये!

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  9. आँखों में तो एक वही मूरत जो होती है हर बात सार्थक लगती है .

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  10. माँ के प्रति मन के एहसास खूबसूरती से लिखे हैं ...

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  11. bahut bahut sundar rachna hai,
    Maa ko samarpit saa lagta hai ye blog aapka. apka lekhan har us maa ke liye hai, jo apni santano ke seene me yaad banke basti hain....!

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  12. यादों और अहसासों का कभी न ख़त्म होने वाला सफ़र !

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  13. हर रोज़ सुबह होगी भला सूरज उगना कैसे भूल सकता है और उसके साथ माँ भी आएगी यादों में रौशनी की तरह... भावपूर्ण रचना... आभार

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  14. कल दिनांक 04/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  15. माँ का चित्र लगाओ बाकी चित्रों के संग रखो .माला मत पहराओ .माँ के होने का एहसास बना रहता है .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .ये भाव जगत का मसला बड़ा नाज़ुक रहता है और माँ सचमुच अपना अनुवांशिक तत्व भी तो छोड़ जाती है छोटी बेटी में माँ दिखे तो सुकून है .

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  16. कभी कभी कुछ कहने के लिए शब्द नहीं मिलते..अहसास ही अहसास को समझ सकता है

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  17. शुभकामनायें-
    सुन्दर प्रस्तुति -

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  18. ab shabd hi bnhi bche hein digamber ji...
    aap ne apni kalam ma ke hi naam kr di..well done.

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  19. we keep meddling our head with all these "bevajah ki baatein" through out our lives..
    lovely expressions !!

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  20. भूल जाता माँ तुझे
    न देखता छोटी बेटी में तेरी झलक
    या सुबह से शाम तेरे होने का एहसास कराता
    अपने अक्स से झांकता तेरा चेहरा

    इन दिनों बहुत मर्मस्पर्शी नज़्में कह रहे हैं भाई दिगंबर नासवा जी! पढ़ने के बाद सामान्य होने में जरा समय लग जाता है.

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  21. भावनायें और शब्द जब घुलमिल जाते हैं तब ऐसी ही रचना बनती है। मेरी बधाई स्वीकारें।

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  22. आपका माँ को यूँ याद करना मुझे एक असीम शान्ति देता है .... एक बड़े बच्चे की नन्हीं परछाईं माँ माँ कहते दौड़ती नज़र आती है

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  23. बहुत खूबसूरती से आपने कहा है. सच में जवाब नहीं मिलता.

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  24. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  25. गहन अनुभूति
    जीवंत रचना
    मन को छूती अनुभूति सुंदर अहसास
    बहुत बहुत बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
    मुझे ख़ुशी होगी

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  26. आपका माँ के प्रति इतना गहरा लगाव,धन्य है वो माँ जिसने आप जैसा बेटा पाया,,,आपकी लेखनी को नमन,,,

    Recent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग

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  27. हमेशा की तरह..... एक हृदयस्पर्शी रचना

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  28. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  29. दिल पर असर करती है यह रचना भी..माँ की यादें आने की वजह ढूँढ लेती हैं ....
    और..कोई सवाल बेवजह कहाँ होता है?

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  30. किसी-न-कसी रूप में आस-पास हमेशा बनी रहती है माँ !

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  31. भूल जाता माँ तुझे
    न देखता छोटी बेटी में तेरी झलक
    या सुबह से शाम तेरे होने का एहसास कराता
    अपने अक्स से झांकता तेरा चेहरा
    हृदयस्पर्शी ...

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  32. किसी को देखकर किसी की याद आना

    जिसका साया हमेशां साथ चलता हो उससे दूर होना ..बेतुकी बातें है

    सच्च में .........



    मेरे ब्लॉग पर भी आइये ..अच्छा लगे तो ज्वाइन भी कीजिये
    पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)

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  33. ..और ये बेवजह सी बातें ही हैं जिन्होंने खोल दिया है भीतर सागर का द्वार...जिसमें से उठती हैं लहरें प्यार की...

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  34. बेवजह कहाँ हैं ये बातें...माँ कू हर जगह ढूंढ लेती हैं आँखें

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  35. किसी अपने के न होने का एहसास ही बड़ा बेवजह सा एहसास है.......
    :-(

    सादर
    अनु

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  36. खुबसूरत अहसास.. उस ममतामय माँ को नमन!

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  37. मां के पास तो जवाब है और आपको मिलते भी हैं, यह कम बड़ी बात नहीं है।

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  38. कैद कर देता लकड़ी के फ्रेम में
    न महसूस होती अगर
    तेरे क़दमों की सुगबुगाहट
    घर के उस कोने से
    जहां मंदिर की घंटियाँ सी बजती रहती हैं
    bahut hi khoobsoorat rachana ...abhar sir ji

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  39. ऐसी ही कितनी बेवजह बातों का जवाब
    किसी के पास नहीं होता …………क्योंकि ये बातें बेवजह नहीं।

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  40. बेटी में माँ का अक्स देखना... भावुक रचना, बधाई.

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  41. भूल जाता माँ तुझे
    न देखता छोटी बेटी में तेरी झलक
    या सुबह से शाम तेरे होने का एहसास कराता
    अपने अक्स से झांकता तेरा चेहरा
    ....सच माँ जाने कितने हो रूपों में हमारे सामने आ खड़ी होती हैं ...
    ..बहुत गहरे भाव,,,

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  42. भावभीनी रचना जो अन्तेर्मन को छू गयी ....

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  43. हर बेवजह बात की भी कोई वजह होती है
    बेशक़ हम उस बेवजह बात की वजह समझ न पाएं ..
    माँ के साथ गुजरे हर पल भरपूर जीवन जीने की वजह दे जाते हैं

    आपकी कवियायें बेवजह नहीं होतीं, हमें सोचने की वजह दे ही देतीं हैं :)

    आपकी पोस्ट पर एक सन्देश छोड़ कर जा रही हूँ आशा है आप बुरा नहीं मानेंगे ...

    वैसे तो काफी देर हो ही चुकी है फिर भी, पानी की समस्या पर सरकार ने अगर अब भी ध्यान नहीं दिया तो 2025 से भारत में पानी के लिए लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जायेंगे। पानी के मामले में भारत की स्थिति सबसे ख़राब है। अन्य देशो में भी पानी की किल्लत होने वाली है, लेकिन भारत अपनी जनसँख्या की वजह से, भयावह स्थिति में आने वाला है।
    हर हाल में पानी बचाने की कोशिश कीजिये, पानी का दुरूपयोग अपराध है।

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  44. भूल जाता माँ तुझे
    न देखता छोटी बेटी में तेरी झलक
    या सुबह से शाम तेरे होने का एहसास कराता
    अपने अक्स से झांकता तेरा चेहरा

    निश्छल प्रेम की अमर कथा

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  45. दिल के आईने में है तस्वीर तेरी,
    जब जरा गरदन झुकाई देख ली.

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  46. माँ के प्रेम-भाव... उनके अस्तित्व को चाहे कितने भी शब्द... दे हम , पर सृजन की आधार माँ के लिए शब्द हमेशा कम पड़ते से लगते हैं... भावभीनी रचना और, दो शब्द अपने भी कहना चाहूंगी...
    तुम सा कोई पूज्य नहीं माँ
    तुम सब देवों से बढ़कर हो माँ

    सादर...

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  47. बेवजह कुछ कहां होता है , अदृश्य डोर जिससे बंधन जुड़े होते हैं , वह तो होती है है!

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  48. ऐसी कितनी बेवजह बातों का जवाब
    किसी के पास होता नहीं---
    सत्य है,यही बेवजह की बातों से ही
    जीवन-दर्शन निकलता है---आप अपनी
    संवेदनाओं को,अपने भावों से सींचते रहें
    जो नहीं हैं वे पुनः जीवित हो उठते हैं,
    इन्ही संवेदनाओं में,और आपके करीब ही रहते हैं.

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  49. कैद कर देता लकड़ी के फ्रेम में
    न महसूस होती अगर
    तेरे क़दमों की सुगबुगाहट
    घर के उस कोने से
    जहां मंदिर की घंटियाँ सी बजती रहती हैं

    भूल जाता माँ तुझे
    न देखता छोटी बेटी में तेरी झलक
    या सुबह से शाम तेरे होने का एहसास कराता
    अपने अक्स से झांकता तेरा चेहरा ........bahut sundar .waah . yah eahsaas sada paas rahate hai par koi jabab nahi milta

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  50. ये एहसास हर वक्‍त साथ होता है,

    दूर कितना भी कोई जाये

    पर मन के पास होता है
    ... भावमय करते शब्‍द
    सादर

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  51. aapki maa ki smrityan bahut anokhi aur dil ko chhu leniwali hoti hai .

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  52. सुन्दर तथा भावनाओं से ओतप्रोत ....

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  53. बहुत ही भाव प्रवण रचना, सीधे दिल को छूती हुई.

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  54. कुछ एहसास हमारे अन्दर रच - बस से जाते है, सुंदर कविता.

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  55. In bewajah si baaton ka jawab hona bhi nhi chahiye,kuch chijhen bas yaad me rah jaati hai..

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  56. माँ की स्मृति कैसे बिसारी जा सकती है , जहाँ भी स्नेह होगा, उसकी छवि दिख जायेगी।

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  57. कैद कर देता लकड़ी के फ्रेम में
    न महसूस होती अगर
    तेरे क़दमों की सुगबुगाहट
    घर के उस कोने से
    जहां मंदिर की घंटियाँ सी बजती रहती हैं.... सुंदर कविता...

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  58. कुछ बेवजह सी बातों का सच में कोई जवाब नहीं होता सिर्फ एक अहसास होता है.

    सुंदर कविता.

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  59. हाँ तकलीफ होती है माँ की तस्वीर दीवार पर टांगने में .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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  60. हाँ तकलीफ होती है माँ की तस्वीर दीवार पर टांगने में .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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  61. लगा तो लेता तेरी तस्वीर दीवार पर
    जो दिल के कोने वाले हिस्से से
    कर पाता तुझे बाहर

    कैद कर देता लकड़ी के फ्रेम में
    न महसूस होती अगर
    तेरे क़दमों की सुगबुगाहट
    घर के उस कोने से
    जहां मंदिर की घंटियाँ सी बजती रहती हैं
    आदरणीय भाई नसवा जी बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण कविता |आभार

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  62. sab kuchh bhulaaya ja skta to bhi janani to avismrneey hai.

    han kuchh cheeje anayaas prashn chhod jati hain.

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  63. शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया .आपके पधारने का टिपियाने का हमारे ब्लॉग पे .

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  64. मन की छटपटाहट को सुंदर शब्दों में पिरोया है.

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  65. माँ की याद भले बसे मन में -अब शिव को याद कर माँ ने नया जन्म ले लिया नए संस्कार पड़ने दे .प्रसन्न रहने की कामना कर उदास मत हो ,याद कर शिव बाबा को ,निराकार शिव को .
    खूब सूरत विचारसुन -मन मना भव ,देही अभिमानी बन .श्री मत पर चल .श्री मत बोले तो शिव (निर्गुण परमात्मा द्वारा दिखाया रास्ता ,एहंकार आत्मा की ताकत को खा जाता है बुद्धि को नष्ट करता है रावण हमारे अन्दर है बाहर नहीं ,बड़ा हो रहा है अन्दर अन्दर ,इसीलिए मन मना भव ).मुझे ही याद कर मन मत पर नहीं श्री मत पर चल .ॐ शान्ति .

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  66. बस कुछ बातें बेवजह होती हैं.....लेकिन मन ..उसे कौन समझाए ....कुछ कमियाँ ...हमेशा सालती हैं....

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  67. अपनों की तस्वीर दिल में ही सजाई जाती न दीवार पर न प्रेम में और कॅनव्हास पर। बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति।
    drvtshinde.blogspot.com

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  68. wah wah...this presentation really steal the show on yr blog...

    कैद कर देता लकड़ी के फ्रेम में
    न महसूस होती अगर
    तेरे क़दमों की सुगबुगाहट

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है