नाज़ुक सा था नाक
हमेशा बहती थी
पल्लू थामें रीं
रीं रीं रीं करता था
धुँधला सा है याद
मुझे अब भी अम्मा
तेरे आगे पीछे
फिरता रहता था
हलकी सी जब चोट
कहीं लग जाती थी
घंटों गोदी में ले
कर बहलाती थी
तेरी आँखें भी
गीली हो जाती थीं
मेरी आँखों से जब
आंसू गिरता था
धुंधला सा है याद .....
हिंदी, इंग्लिश, गणित पढाती
थी मुझको
पीटी, गाना, खेल सिखाती थी
मुझको
रोज़ नए पकवान खिलाती थी
मुझको
मन ही मन मैं तेरी पूजा
करता था
धुंधला स है याद .....
बिन मांगे ही सब कुछ तू दे
देती थी
पता नहीं कैसे सब कुछ सुन
लेती थी
ज्ञानी है तू या फिर अंतर्यामी
है
मेरे दिल को अक्सर ऐसा लगता
था
धुंधला सा है याद .....
मेरी बातों को तू
सुनती रहती थी
जाने कौन से सपने
बुनती रहती थी
साथ सदा तू मेरे
जागा करती थी
पढ़ने को जब चार
बजे में उठता था
धुंधला सा है याद .....
श्रृद्ध शब्द चित्र अम्मा के दुलार का ,परवरिश और प्यार का .
जवाब देंहटाएंमाँ की भीनी यादों में डूबी चिंतन भरी प्रस्तुति मन की गहराई को छु गयी ...
जवाब देंहटाएंममतामयी माँ अंतर्यामी होती है वो सब जान जाती है दिल को छूने वाली रचना...... आभार.
जवाब देंहटाएंइसलिए तो माँ माँ होती है... अनमोल हैं ये यादें... ह्रदयस्पर्शी रचना...
जवाब देंहटाएंमां के प्रति सर्मपन भाव और बचपन में मां ने अपने लिए क्या किया है याद रखना यह दर्शाता है कि आप मां के प्रति विशेष प्यार रखते हैं
जवाब देंहटाएंमाँ बस माँ ही होती है , वह कहीं नहीं जाती हमें छोड़ कर ...बहुत सुन्दर रचना माँ को समर्पित
जवाब देंहटाएंमन ही मन मैं तेरी पूजा करता था........प्यारी अच्छी मां, तू कहां?
जवाब देंहटाएंमां की यादें बहुत गहराई में समायी होती हैं, बहुत ही सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंरामराम.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव...
जवाब देंहटाएंमाँ ...तो हर पल साथ रहती है
जवाब देंहटाएंभावमय करती प्रस्तुति
सादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंआपकी द्रुत टिपण्णी और इस अम्मा वंदना के लिए आभार .अम्मा थी ही वन्देय .उसकी यादों के पिटारे ,आज भी आसपास हैं .
बेहद भावप्रवण रचना
जवाब देंहटाएंये यादें ही तो हैं जो बस साथ रह जाती हैं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
सच में माँ अन्तर्यामी होती हैं,बहुत ही सुन्दर भाव.
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार ७/५ १३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
माँ को जितना भी याद करें .....बहुत कुछ फिर भी अनकहा ही रह जायेगा
जवाब देंहटाएंमाँ से जुड़ा हर लम्हा ....अंत:स में यह खुशबू बिखेर जायेगा
बहुत भावभीनी यादें।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार ७/५ १३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंma aur ma ki yaaden kabhi taumra yad rahengi ......bahut badhiya prastuti ...
जवाब देंहटाएंमाँ को सब पता है...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना .
जवाब देंहटाएंयादें साथ रहती हैं.
आज जो हैं उन्हीं के कारण तो- और यह बातें कभी पूरी नहीं हो सकतीं!
जवाब देंहटाएंमातृदेवो भवः ...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण ....माँ का साथ हर पड़ाव पर संबल ही बनता है
जवाब देंहटाएंइस विषय पर आपने जितना लिखा है, उन सारी रचनाओं ने दिल को छुआ है.. और यह कविता भी दिल तक पहुँचती है!! वो एक लफ्ज़ जिसमें दुनिया का सारा प्यार समाया है, आपने इन पंक्तियों में समा दिया है!!
जवाब देंहटाएंअब कुछ कहने को बचा ही नहीं. ऊपर इतनी सुन्दर टिप्पणियां हैं.
जवाब देंहटाएंबचपन को अच्छी तरह याद किया आपने शब्दों के साथ |आभार
जवाब देंहटाएंबचपन में माँ से प्राप्त प्यार दुलार जिंदगी भर का पाथेय है ,उसका सुन्दर हुबहू शाब्दिक चित्रण ,बहुत सुन्दर है
जवाब देंहटाएंlatest post'वनफूल'
एक कविता पढ़ते थे स्कूल में बड़ी भली है अम्मा मेरी ताजा दूध पिलाती है मीठे-मीठे फल ले लेकर मुझको रोज खिलाती है। ऐसा लगता था कि मेरे जैसे बच्चे ने कभी यह कविता लिख दी होगी। कुछ-कुछ महीनों में यह कविता जेहन में आती है आज फिर इसकी याद ताजा हो गई।
जवाब देंहटाएंभींगा मन..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना माँ को समर्पित
जवाब देंहटाएंये धुंधली सी याद हमेशा साथ रहती है !
जवाब देंहटाएंमाँ को भुलाया भी कैसे जा सकता है !
बहुत सुन्दरता से व्यक्त किये हैं आपने उन प्यार भरी यादों को.
जवाब देंहटाएंधुंधली सी यादें जो शब्द चित्र बन उतर आई हैं .... भावभीनी रचना
जवाब देंहटाएंमाँ के प्यार का सुंदर शब्द चित्र खीचा है आपने। बहुत ही मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव!
जवाब देंहटाएंमाँ को आप इतना याद करते हैं... बहुत अच्छा लगता है! वैसे देखा जाए तो.. माँ को भूले ही कब...जो याद किया जाए.. :-)
~सादर!!!
वात्सल्यमयी माँ की पावन स्मृति को नमन..सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंमासूम संवेदनाओं से भरी नज्म़....बेमिसाल
जवाब देंहटाएंहलकी सी जब चोट कहीं लग जाती थी
जवाब देंहटाएंघंटों गोदी में ले कर बहलाती थी
तेरी आँखें भी गीली हो जाती थीं
मेरी आँखों से जब आंसू गिरता था
धुंधला सा है याद ..... माँ माँ ही होती है,जो गीले में सो कर औलाद को रातभर सूखे में सुलाती है,खुद ठण्ड सह कर बच्चे को सरे गर्म वस्त्र पहनाती है,ओढाती है.उस माँ की याद कैसे न आये किसी को.यदि वह इन्सान है.
मां...हर पल की साक्षी होती है मां...बहुत प्यारी यादें है
जवाब देंहटाएंअनेक रूप मां के,बयां किये आपने
एक ऐसे प्यार की धारा जो कभी
सूखती नहीं.
ॐ शान्ति .
जवाब देंहटाएंबचपन की औत से माँ को निहारना याद दिलाता है गीत -भला था कितना अपना बचपन ,भला था कितना ...यह निश्चिंतता माँ के चलते ही रहती है .जिनकी माँ नहीं होती वह इस एहसास को उतना करीब होकर नहीं देख पाते हैं .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .ॐ शान्ति
बहुत बढ़िया ..माँ तो वो सब कुछ समझ लेती है जिसे कोई दूसरा नहीं समझ पाता |
जवाब देंहटाएंma ki smiritio ko dil me basayee huyee sundar parstuti
जवाब देंहटाएंमाँ की भीनी यादों...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंखूबसूरत यादें ।।
जवाब देंहटाएंऔर ऐसी यादे जो सबके पास होंगी
dhundhali si yaadon ki bheeni bheeni khushboo bhigo gayee...
जवाब देंहटाएंउबरना होगा भाई....हम सब गुजरते हैं इस दौर से...बस उनके सपने पूरे करो...मुस्कराओ...उसे अच्छा लगेगा...अगली रचना मुस्कराती लाओ...ऐसा मुझ्से कहा है अम्मा ने...जान लो!!
जवाब देंहटाएंमाँ की याद की माला की सुन्दर मनके के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंमाँ के लिये आपकी सजल भावनाओं का अभिनन्दन । सभी कविताएं हृदय को छूने वालीं हैं । यह भी । आपने जो खोया है उसका दर्द इन कविताओं में बखूबी छलक रहा है ।
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए लिखी आपकी रचना दिल को छू गयी...बहुत उत्कृष्ट रचना...
जवाब देंहटाएंमेरे यादों के शहर में तेरी भीनी यादें अब भी साथ है अम्मा.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
यादें / नन्हीं यादें / बिलकुल उसी रूप में व्यक्त है जिस रूप में माँ -बेटे के लिए चाहिए/ बहुत खूब/
जवाब देंहटाएंthe immortal memories..
जवाब देंहटाएंalways with us and always will be !!
बहुत ही प्यारी भावपूर्ण रचना ! माँ की हर याद एकाकी पलों का सशक्त संबल होती है ! बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhavpurn rachana.
जवाब देंहटाएंहम सब इसी शब्द की डोर से बंधे हुए हैं ....
जवाब देंहटाएंमाँ की यादों से सुशोभित लेखनी
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंहलकी सी जब चोट कहीं लग जाती थी
घंटों गोदी में ले कर बहलाती थी
तेरी आँखें भी गीली हो जाती थीं
मेरी आँखों से जब आंसू गिरता था
धुंधला सा है याद ....------
माँ को समर्पित बहुत भावुक और सच्ची अनुभूति
बहुत सुंदर रचना माँ पर
बधाई भाई जी
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Maa Se Judi Yaaden Ek Puri Zindagi Samet Laati Hai Jo Hum Kabhi Bhula Hi Nhi Sakte...
जवाब देंहटाएंSadar
इतना कष्ट माँ ही कर सकती है
जवाब देंहटाएं"भाव निबन्ध हैं ये कवितायेँ माँ के प्रति ."कोमल भाव उदगार तो हैं ही ."
जवाब देंहटाएंमाँ माँ होती है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंbahat bahat unda.....
जवाब देंहटाएंshabdo mein bayan nhi kar sakta kitna dil ko chhu gyi ye rachana...
excellent...
बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंमाँ पर लिखी तो हर कविता ही प्यारी होती है..ये भी बहुत ही प्यारी सी कोमल सी कविता है!!
जवाब देंहटाएंAll such writings leave the soul touched!
जवाब देंहटाएंBlessed to read them!!!