सब कह रहे हैं
आज मातृ दिवस है
तुझे याद करने का दिन
पर याद तो तब किया जाता है
न माँ
जब किसी को भूला जाए
तो क्या जो आज का दिन मनाते हैं
भूल चुके हैं माँ को ...?
या आज के दिन याद करके
फिर से भुलाने की तैयारी
में हैं माँ को ...?
शायद ये कोशिश हैं मनाने की
उस परपरा को
जहां माँ तो फिर भी माँ ही
रहती है
पर भूल जाते हैं बच्चे
अपने बेटे होने का फ़र्ज़
और किसी एक दिन के सहारे ही
सही
उस एहसास को याद कराना भी
तो जरूरी है
हालांकि ये अपनी परंपरा
नहीं
पर तू तो जानती है समय के
चक्र को
परिवर्तन के नियम को
जिसने घेर लिया है
हम सबको भी अपने चक्र में
वैसे भी जब हर दिन तू रहती
है साथ
याद आती है किसी न किसी
बहाने
तो आज एक और बहाने से भी तुझे
याद करूं
कोई बुराई तो नहीं इस बात
में ...
मुझे मालुम है तू हंस रही है आज ...
'माँ' जिसकी कोई परिभाषा नहीं,जिसकी कोई सीमा नहीं,जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है.बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंआज ही क्यों रोज याद बसी है उसकी
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.
बस ! अब बक-बक ना कर मां...
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129
kya bat hai waaaaa waaaah
जवाब देंहटाएंbhot umda bat khi sr waaaaah
bhot khub bhot khub
बहुत ही मर्म स्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंमाँ और माँ की बातें-यादें हमेशा ही साथ होती हैं।
सादर
माँ की याद में मात्र दिवस कुछ अजीब ही है. होना तो इसका उल्टा चाहिये था की कमसे कम एक दिन तो ऐसा ढूंढों जब माँ की याद न आये.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना.
मर्म स्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंhttp://swadesprem-mahesh.blogspot.in/2011/06/blog-post_15.html
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना. जिसे भुला ही नहीं, उसे याद कैसे करें..
जवाब देंहटाएंसादर
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा): माँ वही गीत सुना दो
मां तो रूह में बसती है कोई याद करने की फ़ार्मिलिटी नही है.
जवाब देंहटाएंरामराम
हर दिन भूल पाऊँ तो किसी एक दिन याद करूँ। भावभरी रचना।
जवाब देंहटाएंकुछ तो गुनाह होगा ,
जवाब देंहटाएंजो हिस्से में आई हमारे बेवफाई
मुबारक हो उनको ,
जिनके हिस्से में माँ की ममता आई
ati sundar waaaaaaah waaaaaaaaaaaaah
जवाब देंहटाएंkya bat hai bhot khub bhot khub
पर याद तो तब किया जाता है न माँ
जवाब देंहटाएंजब किसी को भूला जाए
तो क्या जो आज का दिन मनाते हैं
भूल चुके हैं माँ को ...?
मुझे भी आज तक ये बात समझ में नहीं आई....
कि ये एक दिन ही क्यूँ मुक़र्रर है जिंदगी में...!
विश्व की समस्त माताओं को नमन.
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने!
जवाब देंहटाएंआपको शायद याद हो या नहीं..... आपकी पिछली पोस्ट पर हमने यही लिखा था...कि माँ को भूले ही कब जो उसे याद किया जाए.....
~सादर!!!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!माँ तो हमसब में समायी हुई है भूलने की बात कहाँ .
जवाब देंहटाएंजितना प्यार आज तुझ पे आया माँ,
जवाब देंहटाएंआशीष दे कि सबको हर रोज़ आये ।
जितना प्यार आज तुझ पे आया माँ,
जवाब देंहटाएंआशीष दे कि सबको हर रोज़ आये ।
bhavmayi prastuti .
जवाब देंहटाएंबहुत भाव-पूर्ण !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंहालांकि ये अपनी परंपरा नहीं
पर तू तो जानती है समय के चक्र को
परिवर्तन के नियम को
जिसने घेर लिया है
हम सबको भी अपने चक्र में
bahut sahi v bhavuk prastuti .
पर याद तो तब किया जाता है न माँ
जवाब देंहटाएंजब किसी को भूला जाए
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ.
जहां माँ तो फिर भी माँ ही रहती है
पर भूल जाते हैं बच्चे अपने बेटे होने का फ़र्ज़
बिलकुल सच लिखा है. इसीलिए ये दिन मुकर्रर करना होता. साथ ही बाज़ार भी फले फूले.
तो क्या जो आज का दिन मनाते हैं
जवाब देंहटाएंभूल चुके हैं माँ को ...?
या आज के दिन याद करके
फिर से भुलाने की तैयारी में हैं माँ को ...?
सटीक प्रश्न उठती बेहतरीन रचना .... भावमय शब्द ।
बहुत भाव-पूर्ण !मर्म स्पर्शी अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना बहुत सुंदर.हम क्यों बिसरा देते हैं माँ को जब उसे सबसे ज्यादा हमारी ज़रूरत होती है
जवाब देंहटाएंनए युग की नई रीत ....
जवाब देंहटाएंहर दिन माँ का है ......हर माँ को नमन
:-)
जवाब देंहटाएंआशीष
--
थर्टीन एक्सप्रेशंस ऑफ़ लव!!!
या आज के दिन याद करके
जवाब देंहटाएंफिर से भुलाने की तैयारी में हैं माँ को ...?
सटीक ....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज सोमवार (13-05-2013) माँ के लिए गुज़ारिश :चर्चामंच 1243 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सभी को मातृदिवस की बधाई हो...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
पर याद तो तब किया जाता है न माँ
जवाब देंहटाएंजब किसी को भूला जाए
तो क्या जो आज का दिन मनाते हैं
भूल चुके हैं माँ को ...? sahi bat kah di ....
bharat main sare rishton ke liye tyohar bane maa ke liye nahi bana, hamne iski jarurat mahsoos nahi ki. iski sachmuch jarurat nahi thi
जवाब देंहटाएंभुलाने का नहीं , इस बहाने उनको याद दिलाने का जो भूले बैठे हैं !
जवाब देंहटाएंमाँ की खुशबू बसी साँसों में..
जवाब देंहटाएंआप तो महीनों से मातृ दिवस मना रहे हैं..मुझे लगता है...इस विषय पर एक मजमुआ़ भर नज्में तो हो ही गयी होंगी..
जवाब देंहटाएंमाँ तो हमेशा दिल में है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी रचना कोमल भावयुक्त ..
:-)
शायद ये कोशिश हैं मनाने की उस परपरा को
जवाब देंहटाएंजहां माँ तो फिर भी माँ ही रहती है
पर भूल जाते हैं बच्चे अपने बेटे होने का फ़र्ज़
बहुत ही सुन्दर
हर माँ को प्रणाम!
सादर !
माँ तो कण-कण में समाई है ...
जवाब देंहटाएंतभी बन के श्रद्धा लेखनी में उतर आई है
सादर
माँ को याद करने का सवाल ही नहीं वो तो हर वक़्त हमारी यादों में बसी हुयी है ... फिर एक दिन ही क्यों ....
जवाब देंहटाएंबेशक हम और आप ऐसे नहीं हैं नासवा जी ...पर कई जगहें ऐसी भी हैं जहां बेटे माँ की सारी जायदाद बेच उसे एयर पोर्ट पे अकेली छोड़ खुद उड़न छू हो जाते हैं .....
जवाब देंहटाएं(ये घटना कुछ दिन पहले दिल्ली में घटी शायद सुना हो आपने )
शायद ये कोशिश हैं मनाने की उस परपरा को
जवाब देंहटाएंजहां माँ तो फिर भी माँ ही रहती है
पर भूल जाते हैं बच्चे अपने बेटे होने का फ़र्ज़
...सच कहा है..वर्ना माँ किस दिन याद नहीं आती?
बेहद भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंयूँ भी याद करने के लिए भुलाना जरुरी तो नहीं.
जवाब देंहटाएंवैसे भी जब हर दिन तू रहती है साथ
याद आती है किसी न किसी बहाने
तो आज एक और बहाने से भी तुझे याद करूं
कोई बुराई तो नहीं इस बात में ...
सच है...माँ तो वैसे भी याद आ ही जाती है..हर दिन .
maan ko koi bhoolata bhi hai kya? han bhoolate hai kuchh log - isaliye ki kal phir unhen bhi koi bhoole aur ve apane usa gunah ke lie khud tadap kar prayashchit karen.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी प्रासंगिक सद्य टिप्पणियों का .
जवाब देंहटाएंमाँ बेटे का है इस जग में कितना सुंदर नाता ...
पूत कपूत सुने हैं लेकिन माता हुईं ,सुमाता .....
शुक्रिया आपकी प्रासंगिक सद्य टिप्पणियों का .
जवाब देंहटाएंमाँ बेटे का है इस जग में कितना सुंदर नाता ...
पूत कपूत सुने हैं लेकिन माता हुईं ,सुमाता .....
माँ और शिव बाबा को जब मर्जी याद कर लो .सिर्फ झुका लो वन्दना में ,आस की उजली किरण वह ....
जवाब देंहटाएंma kbhi bhulti hi nahi
जवाब देंहटाएंस्नेह का साया होती है माँ ...हरदम साथ , बहुत भावपूर्ण लिखा है ....
जवाब देंहटाएंसच कह रहें हैं आप---माँ का एक दिन क्यों
जवाब देंहटाएंमाँ तो हर पल रहती है दिल में,मन में समूचे जीवन में
सार्थक रचना
सादर
कितने बुरे हैं हम लोग हमने माँ के लिए भी दिन निश्चित कर रखा है ....बाकी रिश्तो की कद्र करना क्या ही जानते होंगे...
जवाब देंहटाएंसही लिखा है आपने की माँ तू हंस रही ह आज।।।
बहुत सुन्दर और गहन..........
जवाब देंहटाएंकितने बुरे हैं हम लोग हमने माँ के लिए भी दिन निश्चित कर रखा है ....बाकी रिश्तो की कद्र करना क्या ही जानते होंगे...
जवाब देंहटाएंसही लिखा है आपने की माँ तू हंस रही ह आज।।।
बहुत सुन्दर और गहन..........
जवाब देंहटाएंdigmbar ji aapki adhiktar rachnaayen nari pradhan hoti hai aur unmein bhi "maa' sarvopari rahi hai...vastvikta bhi yahi hai..aapki rachnaon mein..
जवाब देंहटाएंaapki 'maa' ka sashkt bimb dekhne ko milta hai..aur iss liye main aapko bahut badhai deti hoon...aur shubkamnayen bhi :)
बहुत सुन्दर रचना है लेकिन ऐसा नही कि आज याद करने वाले भूल गए हैं ...........आज बहुत याद आ रही है माँ ............
जवाब देंहटाएंमाँ पर जितना भी शब्द लिखें, वो कम है ........
जवाब देंहटाएंमाँ पर जितना भी शब्द लिखें, वो कम है ........
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस तो रोज़ ही होता है। लेकिन यह केवल वह ही समझ सकते हैं जो माँ को भुला नहीं सकते। वरना वास्तविकता तो आपने लिख ही दी, वैसे यह तो केवल एक आधुनिक परंपरा है जिसे लोग एक दूसरे की देखा देखी मनाने लगे हैं और उसमें कोई बुराई भी तो नहीं...:)
जवाब देंहटाएंरचना बहुत सुंदर है !!!!
जवाब देंहटाएंवे हमेशा आपके साथ होंगी ...
जवाब देंहटाएंकई बार, रातों में उठकर
दूध गरम कर लाती होगी
मुझे खिलाने की चिंता में
खुद भूखी रह जाती होगी
मेरी तकलीफों में अम्मा, सारी रात जागती होगी
बरसों मन्नत मांग गरीबों को, भोजन करवाती होंगी
Gahre Bhao...
जवाब देंहटाएंयह पंक्ति अच्छी लगी...
जवाब देंहटाएंमुझे मालुम है तू हंस रही है आज..
नमन!
जवाब देंहटाएंया आज के दिन याद करके
जवाब देंहटाएंफिर से भुलाने की तैयारी में हैं माँ को....
बहुत कुछ सोचने पे मजबूर करने वाली रचना॰
बहुत कोमल अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंsach hai ma mai hi rehti hai, apvadon ko chhod dein to aaj bhi ma bachchon ke liye sab kuchh sahe ja rhi hai.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 12 मई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा, मां के लिए एक दिन नहीं, मां तो हर दिन दिल में है।
जवाब देंहटाएंशायद ये कोशिश हैं मनाने की उस परपरा को
जहां माँ तो फिर भी माँ ही रहती है
पर भूल जाते हैं बच्चे अपने बेटे होने का फ़र्ज़ - अब हमारे देश में भी इस परंपरा ने घर कर लिया है, मां तो वही है पर बच्चे वैसे नहीं रहे।
बहुत सुंदर पंक्तियों से सुसज्जित रचना
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस पर सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएं