चौंका, बर्तन, पूजा, मंदिर,
पत्ते, आँगन, तुलसी माँ,
सब्जी, रोटी, मिर्च, मसाला,
मीठे में फिर बरफी माँ,
बिस्तर, दातुन, खाना, पीना,
एक टांग पे खड़ी हुई,
वर्दी, टाई, बस्ता, जूते, रिब्बन,
चोटी, कसती माँ,
दादा दादी, बापू, चाचा,
भईया, दीदी, पिंकी, मैं,
बहु सुनो तो, अजी सुनो तो,
उसकी मेरी सुनती माँ,
धूप, हवा, बरसात, अंधेरा, सुख,
दुख, छाया, जीवन में,
नीव, दिवारें, सोफा, कुर्सी,
छत, दरवाजे, खिड़की माँ,
मन की आशा, मीठे सपने, हवन
समिग्री जीवन की,
चिंतन, मंथन, लक्ष्य निरंतर,
दीप-शिखा सी जलती माँ,
कितना कुछ देखा जीवन में,
घर की देहरी के भीतर,
इन सब से अंजान कहीं फिर,
बैठी स्वैटर बुनती माँ,
माँ की समग्र परिभाषा.उत्कृष्ट सृजन. बहुत बहुत बधाई.एक शब्द का नाम है पर पूरा संसार होती है माँ.
जवाब देंहटाएंओह! क्या बात
जवाब देंहटाएंतरह तरह के रंग आपकी कविता
अम्मा का हर रंग आपकी कविता में।
बहुत सुंदर
माँ जीवन के हर पल में खुद का अहसास कराती .. मुस्कान लिये हर पल चेहरे पर जीना सिखलाती है ...
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन लिये उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
aaha;
जवाब देंहटाएंkitna sukhad hota hai yaha aana!bahut dino baad aaj yaha aana hua...
kunwar ji,
सच ही लिखा आपने माँ तो गिन्दगी की सबकुछ होती है..... कहा जाय तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही होती है आभार ....
जवाब देंहटाएंसच ही लिखा आपने माँ तो गिन्दगी की सबकुछ होती है..... कहा जाय तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही होती है आभार ....
जवाब देंहटाएंbahut badhiya hridaysparshi
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना..सच मां के बारे में जितना कहा जाय उतना कम है...
जवाब देंहटाएंजिंदगी की डोर है माँ |
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजीवन के हर दिन हर पल हर चीज में माँ का अहसास दिलाती सुन्दर रचना .
latest postअनुभूति : विविधा
latest post वटवृक्ष
जवाब देंहटाएंजीवन के हर दिन हर पल हर चीज में माँ का अहसास दिलाती सुन्दर रचना .
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और ये तमाम कष्ट सहकर, इन्ही में रमे रहकर, वह अपना जीवन गुजार लेती है। अच्छी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह जानदार धारदार जोरदार दिल से लिखी रचना सीधे दिल में बैठ गई कई दफा पढ़ा आनंद हर बार दोगुना हो जाता है. अरसों बाद ऐसी रचना पढ़ने को मिली जिससे शुकून मिला, यह रचना बहुत ही खास है आदरणीय निःशब्द करती केवल सोंचने पर विवश करती. माँ के प्रति आपका अथाह प्रेम इस रचना का प्रमाण है. मेरी ओर से भूरि भूरि बधाई स्वीकारें. जय हो
जवाब देंहटाएंवाह......
जवाब देंहटाएंआज ही माँ को पढवाउंगी ये रचना.....
इससे प्यारा क्या लिखा जा सकता है भला...
<3
सादर
अनु
आदरणीय मैं आपकी रचना कुछ अन्य स्थानों पर आपके नाम के साथ साझा करना चाहता हूँ कृपया इजाजत दें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.आभार . मेरी किस्मत ही ऐसी है .
जवाब देंहटाएंसाथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
man ke bhavon ko ukerti rachna .aabhar
जवाब देंहटाएंमन की आशा, मीठे सपने, हवन समिग्री जीवन की,
जवाब देंहटाएंचिंतन, मंथन, लक्ष्य निरंतर, दीप-शिखा सी जलती माँ, बहुत खूब ..माँ की हर बार निराली है
बहुत ही प्यारी बिलकुल मां जैसी कविता। इस हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी आप की रचना में जादू है ... माँ पर लिखी आपकी हर रचना को कितनी बार भी पढो मन ही नहीं भरता है .... आभार
जवाब देंहटाएंजीवन की हर शय में माँ ही माँ ...सुन्दर संवेदना से परिपूर्ण ग़ज़ल........
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट सृजन किया आपकी लेखनी ने, नमन.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कितनी सारी बातें समेट लीं हैं इस गज़ल में ...बहुत सुंदर ... माँ के सारे क्रिया कलाप याद कर लिए ।
जवाब देंहटाएंकितने सारे काम समेटे,
जवाब देंहटाएंकितने सारे नाम समेटे,
संबंधों के मान समेटे,
हर पल दिखती मेरी माँ।
स्मृतियों का गाढ़ापन हर रचना में उतरता है आपकी, माँ अभी भी पूरी है आपमें।
Mother is mother.No one can take her place.
जवाब देंहटाएंमाँ, औरत का एक ऐसा किरदार है, जिसमें संपूर्णता, पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार सब कुछ निहित होता है। शायद ही दुनिया का कोई अन्य रिश्ता ऐसा हो, जिसमें इतनी सारी खूबियाँ एक साथ होती हों।
जवाब देंहटाएं.
digmbar ji ...maa ko samarpit is adbhut rachna ke liye ek baar phir se badhai aur shubhkamnayen...jari rakhiye :)
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २ १ / ५ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
जवाब देंहटाएं.ॐ शान्ति .बढ़िया प्रस्तुति अपने ही भाव बोध राग को को तौलती सी ....
जवाब देंहटाएंस्मृतिओं की पावन घाटी में
खुशबू नकली नहीं उड़ेगी
बेहतरीन भाव राग बिम्ब माँ का मूर्तीकरण करती रचना ...........गेंहू की सौंधी रोटी की खुश्बू जैसी मेरी माँ ,सावन की पहली बारिश सी तपन मिटाती मेरी माँ ....
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन भारत के इस निर्माण मे हक़ है किसका - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंwah re maaa...:)
जवाब देंहटाएंbahut khub....
प्यारी सी ममतामयी मां सी सुन्दर रचना...आभार
जवाब देंहटाएंma hai to ham hain ...bahut hi acchhi abhiwayakti ...
जवाब देंहटाएंछलका है वात्सल्य सूर के छन्दों में इसका ,
जवाब देंहटाएंगिरधर की कुण्डलियाँ ,तुलसी की चौपाई माँ
पौष माघ की ठिठुरन में है गरम रजाई माँ
तपती जेठ दुपहरी में शीतल अमराई माँ ...।
माँ के लिये आपकी अभिव्यक्तियाँ लाजबाब हैं ।
आपकी यह खूबसूरत ह्रदय स्पर्शी रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंसब में वही तो समाई है-तब भी और अब भी.
जवाब देंहटाएंwaaaaah waaaaah bhot khub bhot khub aapke nirale aandaz ne aam bolchal ke shabd se char chand lga diye hai bhot khub behtrin...lazvab,uttam rachna....or sherpyat to best hai...slam aapko
जवाब देंहटाएंHEAD OFF TO U SIRJI...
जवाब देंहटाएंBEST EVER.
अपनी , इनकी , उनकी, सबकी माँ झाँक गयी इस कविता से !
जवाब देंहटाएंक्या बात है,अनुपम भाव
जवाब देंहटाएंमाँ के विभिन्न रूप आपकी रचनाओं में दिल को छू जाते हैं...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिभा को नमन है आप तो पूरा माँ नामा लिख रहे हैं और उसमें ना जाने कौन कौन से भाव समेट दिये हैं ………एक जीवन की पूरी जमापूँजी
जवाब देंहटाएंमन की आशा, मीठे सपने, हवन समिग्री जीवन की,
जवाब देंहटाएंचिंतन, मंथन, लक्ष्य निरंतर, दीप-शिखा सी जलती माँ,
अद्भुत ! माँ को नमन ! नमन माँ की पावन स्मृतियों को !
कितनी सादगी से मातप्रेम को आपने शब्दों से ढाल दिया...
जवाब देंहटाएंअद्भुत
दिगम्बर जी , बहुत भावपूर्ण गीत लिखा है ....ऐसी रचनाएँ जरुर लाइम लाईट में आती हैं ..क्योंकि ये तो कलम में कोई आशीर्वाद पा कर ही जन्म लेती हैं ...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल नये मिजाज और नये अंदाज की शानदार गजल... बिल्कुल सहज और स्वाभाविक गति में बढ़ती हुई...कहीं कोई बनावट नहीं..दिल से दिल तक का सफर करते हुए शेर..मुबारक हो..
जवाब देंहटाएंदीप-शिखा सी रोशनी दिखलाती माँ..अति सुन्दर..
जवाब देंहटाएंनिःशब्द हूँ...माँ पर कविता या कविता में माँ...दोनों रूपों में सार्थक !!
जवाब देंहटाएंSach Me,Puri Duniya Maa Ke Ird-Gird Aa Jaati Hai...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदादा दादी, बापू, चाचा, भईया, दीदी, पिंकी, मैं,
बहु सुनो तो, अजी सुनो तो, उसकी मेरी सुनती माँ,
Maa ka bilkul sahi roop bayan kiya hai....bade arse ke baad blog jagat me aayi hun....rachana padhke aanand aa gaya!
माँ की संपूर्ण परिभाषा देती हुई रचना.. अपने आप में परिपूर्ण.....
जवाब देंहटाएंमां....
जवाब देंहटाएंकहना ही काफी है...
सुन्दर अभिव्यक्ति...
माँ बस केवल माँ है आपकी कविता में .....बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकितना कुछ देखा जीवन में, घर की देहरी के भीतर,
जवाब देंहटाएंइन सब से अंजान कहीं फिर, बैठी स्वैटर बुनती माँ,
बहुत सुन्दर रचना ... कितने सारे रूप है माँ के इसमे !
Good and light read it is
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंचौंका, बर्तन, पूजा, मंदिर, पत्ते, आँगन, तुलसी माँ,
सब्जी, रोटी, मिर्च, मसाला, मीठे में फिर बरफी माँ,
आती जाती साँसों की सरगम में बसती सबकी माँ .....
भाई इसे अतिशयोक्ति न समझिये, यह ग़ज़ल 'खट्टी चटनी जैसी माँ" से कहीं बढ़ कर लगी। दिल से बधाइयाँ और वो भी होलसेल में :) जियो भाई, ख़ुश रहो, ऐसी ही सुंदर-सुंदर पोस्ट्स पढ़वाते रहो...
जवाब देंहटाएंvaah..... arse baad aapki koi rachna padhi
जवाब देंहटाएंमाँ को सार्थक करती रचना
जवाब देंहटाएंमन की आशा, मीठे सपने, हवन समिग्री जीवन की,
जवाब देंहटाएंचिंतन, मंथन, लक्ष्य निरंतर, दीप-शिखा सी जलती माँ,
बहुत ही सुन्दर
मन को भाती,,,, रचना
माँ तो हर जगह मौजूद होती है
सादर आभार!
बहुत खूब जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर.......भीतर तक जाती रचना।
जवाब देंहटाएंमाँ से जीवन, जीवन का हर रंग माँ... बहुत उम्दा, बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर ....माँ की इससे बेहतर स्तुति क्या हो सकती है ....माँ पढ़ेगीं ...उस समय उनके चेहरे पर संतुष्टि का भाव कितना प्यारा लगेगा .............वाह
जवाब देंहटाएंवाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
सुन्दर।।
जवाब देंहटाएंअबतक की पढ़ी सभी कविताओं मैं सबसे अलग।।
माँ का बहुत सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंअविस्मरणीय अहसास.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंधूप, हवा, बरसात, अंधेरा, सुख, दुख, छाया, जीवन में,
नीव, दिवारें, सोफा, कुर्सी, छत, दरवाजे, खिड़की माँ,-----
माँ जीवन है,सांस है,सृजन है
बहुत गजब लिखा भाई जी
अदभुत रचना
सादर
आग्रह हैं पढ़े
ओ मेरी सुबह--
http://jyoti-khare.blogspot.in
वो जहाँ भी हो लेकिन उनकी आत्मा और आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहेगा... अनमोल रचना... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
अद्भुत...!!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंवाह!! माँ की दिनचर्या इतने उम्दा तरीके से प्रस्तुत करी है आपने... अद्भुत!!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की ५५० वीं बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन की 550 वीं पोस्ट = कमाल है न मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंनिशब्द ....
जवाब देंहटाएंसबकी मां ऐसी ही होती हैं.. ? शायद हां। पूरा जीवन कुछ शब्दों में बयां करना कोई आप से सीखे। hatsoff !!
जवाब देंहटाएंमन की आशा, मीठे सपने, हवन समिग्री जीवन की,
जवाब देंहटाएंचिंतन, मंथन, लक्ष्य निरंतर, दीप-शिखा सी जलती माँ!
अद्भुत! इतनी प्यारी कविता बहुत कम ही पढने को मिलती हैं।
बहुत बहुत सुन्दर!
वाह!
जवाब देंहटाएंअपनी समग्रता में अवतरित हुई माँ!