तुझसे लाड लड़ाने
का मन करता है
बचपन में फिर
जाने का मन करता है
तेरा आना मुश्किल
है फिर भी अम्मा
तुझको पास बुलाने
का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने का ...
याद है नानी जब
जब घर में आती थी
तू उस दिन खुद भी
बच्चा बन जाती थी
गाती थी जिन
गीतों को तू मस्ती में
उन गीतों को गाने
का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने
का ...
लग न जाए नज़र
लगाती थी काजल
लगता था उस वक़्त
की अम्मा है पागल
अब जब सर पे नहीं
रहा कोई आँचल
काजल रोज़ लगाने
का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने
का ...
करता हूं महसूस
तेरा साया अक्सर
राह में जब भी
आता है कोई पत्थर
कांटे जब जब करते
हैं मुझको विचलित
तेरी गोदी जाने
का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने
का ...
कांटे जब जब करते हैं मुझको विचलित
जवाब देंहटाएंतेरी गोदी जाने का मन करता है
नि:शब्द करते भाव माँ के सामीप्य का दृश्य सहज ही चित्रित होता है ...
सादर
माँ की 'भीनी भीनी यादें' 'मातृ-दिवस' पर पत्ते आँगन तुलसी माँ और उसका लगाया काजल सब एक साथ पाकर मन को अजब सा सुकून मिला.
जवाब देंहटाएंजब भी हम किसी कठिनाई से गुजरते हैं तो माँ की याद बरबस आ जाती है,वैसे माँ की यादों को भूलते ही कहाँ हैं,बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक और संवेदनात्मक रचना, मन इसलिये और भी व्याकुल और दिखित रहता है कि अब मां लौट कर नही आयेगी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
तुझसे लाड लड़ाने का मन करता है
जवाब देंहटाएंबचपन में फिर जाने का मन करता है
तेरा आना मुश्किल है फिर भी अम्मा
तुझको पास बुलाने का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने का मन करता है
.......माँ की मधुर यादों में डूबती-उतराती माँ सी सुन्दर रचना ...
आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 29/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
लग न जाए नज़र लगाती थी काजल
जवाब देंहटाएंलगता था उस वक़्त की अम्मा है पागल
अब जब सर पे नहीं रहा कोई आँचल
काजल रोज़ लगाने का मन करता है
ख़ूबसूरत मार्मिक पंक्तियाँ नासवा साहब !
dil se likhi hai...iss liye datsak dil tak hai...bahut pyari!!
जवाब देंहटाएंyah chah to hamesha hoti hai .sundar rachna ...
जवाब देंहटाएंमाँ की स्मृति स्थायी हो बस गयी है आपके शब्दों में।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत कविता....
जवाब देंहटाएंएकदम सच्ची..
कुँवर जी,
आप अपनी मां के सच्चे सपूत हैं। मां की यह याद भी बहुत सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंमाँ की अनुपस्थिति भगवान जैसी है |
जवाब देंहटाएंमाँ की अहमियत उनके जाने के बाद और प्रबलता से महसूस होती है ... भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट ममता विरह भाव!!
जवाब देंहटाएंअब जब सर पे नहीं रहा कोई आँचल
काजल रोज़ लगाने का मन करता है
मार्मिक!!
खोने के बाद ही उसके अहियमत का पता चलता है,,,बहुत बेहतरीन सुंदर रचना,,,बधाई
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बेटियाँ,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार (28-05-2013) के "मिथकों में जीवन" चर्चा मंच अंक-1258 पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Sahi Me...Bachpan Me Jaane Ka Man Karta Hai,Unhi Logon Ke Bich Jinse Humara Bachpan Yaadgaar Bna Hai...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया। माँ की स्मृति में सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह एक एक शब्द बीती यादों को दोहराते हुए ,
जवाब देंहटाएंजो यादों में धुन्दला गये थे उन्हें पास बुलाते हुए ,
कितने सुन्दर दिन थे जब हम तेरे करीब थे ,
हाँ माँ देख जहन में हर शख्श तेरी ही बातों को दोहराते हुए |
सुन्दर रचना पढ़कर बीते दिन याद गये और हम इतना कुछ लिख गये |
करता हूं महसूस तेरा साया अक्सर
जवाब देंहटाएंराह में जब भी आता है कोई पत्थर
हर दर्द में माँ का स्पर्श मरहम का काम करता है ...
मार्मिक सुंदर भाव ..
खुश और स्वस्थ रहें !
माँ की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती.
जवाब देंहटाएंमाँ की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती.
जवाब देंहटाएंwaaaah waaaaah bhot khub bhot khub................aapne fir se bachpn ki yad dila di..waaaah bhot khub
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति ममत्व की छाँव को तरसती हुई...मार्मिक...!!!
जवाब देंहटाएंsaare shabd phike hai ....no words to say .....
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना कल मंगलवार (28 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंकांटे जब जब करते हैं मुझको विचलित
जवाब देंहटाएंतेरी गोदी जाने का मन करता है
दिल को छूने वाले भाव
क्या कहूं इतनी प्यारी पंक्तियों को पढ़कर. बस यही की वापस उसी बचपन में लौट जाने का मन कर रहा है.
जवाब देंहटाएंकरता हूं महसूस तेरा साया अक्सर
जवाब देंहटाएंराह में जब भी आता है कोई पत्थर
कांटे जब जब करते हैं मुझको विचलित
तेरी गोदी जाने का मन करता है
मार्मिक पंक्तियाँ नासवा जी,
क़िस्मत वालों को माँ का दुलार मिलता है
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना है भाई, आप का जादू ग़ज़ल, नज़्म, गीत सभी जगह सर चढ़ कर बोलता है
सर यू आर मैन विद गोल्डन हार्ट
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता से कभी मन नहीं भरता... सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता से कभी मन नहीं भरता... सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता से बढ़कर दुनिया में कुछ नही..
जवाब देंहटाएंजब भी मां का जिक्र आता है तो मन वाकई बहुत दुखी हो जाता है। मुझे लगता है कि आज वही दुनिया का सबसे अमीर आदमी है जिसके सिर पर मां का हाथ है।
जवाब देंहटाएंऐ अंधेरे देख ले, मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी, घर में उजाला हो गया।
बहुत सुंदर रचना
बहुत बढिया
करता हूं महसूस तेरा साया अक्सर
जवाब देंहटाएंराह में जब भी आता है कोई पत्थर
कांटे जब जब करते हैं मुझको विचलित
तेरी गोदी जाने का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने का ...
खुबसूरत एहसास में माँ की याद
माँ एक मीठा शब्द , सुन्दर एहसास और दिल के न्बहुत पास
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना आपकी
वाह बहुत सुन्दर.......
जवाब देंहटाएंसुकून देती रचना.....
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट ममता विरह भाव.
जवाब देंहटाएंमाँ पता है तुम न आ पाओगी लौटकर फिर भी
जवाब देंहटाएंतुझे बुलाने को , तेरी गोद में सर रखकर सो जाने को , तुझसे दिल की जाने कितनी अनकही बातें कह जाने को , बहुत दिल करता है .... बहुत दिल करता है ...
आदरणीय हमेशा की तरह ही बेहतरीन ....
लग न जाए नज़र लगाती थी काजल
जवाब देंहटाएंलगता था उस वक़्त की अम्मा है पागल
अब जब सर पे नहीं रहा कोई आँचल
काजल रोज़ लगाने का मन करता है
...अप्रतिम अहसास..सदैव की तरह माँ की स्मृति ताजा करती एक मर्मस्पर्शी रचना...
लग न जाए नज़र लगाती थी काजल
जवाब देंहटाएंलगता था उस वक़्त की अम्मा है पागल
अब जब सर पे नहीं रहा कोई आँचल
काजल रोज़ लगाने का मन करता है....
लाजवाब अभिव्यक्ति
लग न जाए नज़र लगाती थी काजल
जवाब देंहटाएंलगता था उस वक़्त की अम्मा है पागल
अब जब सर पे नहीं रहा कोई आँचल
काजल रोज़ लगाने का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने का ... --
वाकई माँ जीवन को संवारती है
वह है तो जीवन है
बहुत सार्थक रचना
सादर
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
जवाब देंहटाएंयाद है नानी जब जब घर में आती थी
तू उस दिन खुद भी बच्चा बन जाती थी
गाती थी जिन गीतों को तू मस्ती में
उन गीतों को गाने का मन करता है
मनभावन रचना
आपको पढ़कर बस एक भावनाओं का सैलाब ..दूर-दूर तक सैलाब ही दिखता है .
जवाब देंहटाएंमाँ तेरा दुलार पाने को मन करता है,जब बैठा हूँ यूँ ही तेरी यादों में जीने को मन करता है,
जवाब देंहटाएंकिसे कहूँ मेरा दर्द,आज भी तुझसे लाड लड़ने को मन करता है.....
अति सुन्दर रचना...
बेहतरीन सोच! क्या खूब पंक्तियाँ लिखीं आपने
जवाब देंहटाएंकरता हूं महसूस तेरा साया अक्सर
राह में जब भी आता है कोई पत्थर
कांटे जब जब करते हैं मुझको विचलित
तेरी गोदी जाने का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने का ...
निशब्द....जितनी सराहना की जाये कम है
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
हर शब्द माँ को पुकारता सा प्रतीत हो रहा है, भावुक करती रचना...
जवाब देंहटाएंअप्रतिम
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
वाह ,बेह्तरीन
जवाब देंहटाएंअम्मा को रोज हिचकी आती है
जवाब देंहटाएंऔर आधी रात को वह काजल लगा जाती है अपने बेटे को
उस माँ से मिलने को हर पल अब सबका मन करता है।
जवाब देंहटाएंयाद है नानी जब जब घर में आती थी
जवाब देंहटाएंतू उस दिन खुद भी बच्चा बन जाती थी
.
. atiii sunder....
वाह दिगंबर जी!
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद ब्लॉग की दुनिया मैं लोटा हूँ और सबसे पहले आपक के ब्लॉग पर आना हुआ
'माँ' पर इतनी खूबसूरत शेर और कवितायें पढ़ कर आँखे नम हो गईं
बहुत बहुत बधाई!
हर शब्द जैसे बोलता है..माँ...तुम कहाँ हो?
जवाब देंहटाएंमन की वेदना सहज नज़र आती है आप की इन कविताओं में ...
क्या कहूँ फिर से बचपन में जाने को मन करता है। बहुत मासूम सी कविता.
जवाब देंहटाएंसच में अम्मा के गोद में जाने का लाड लडाने का मन करता है ।
जवाब देंहटाएंdil se likhi kavita..ekdam nostalgic see....sabko kuch yaad sa aane lagta hai!!
जवाब देंहटाएंअम्मा की गोद और अम्मा का लाड भी भुलाया जा सकता है क्या.
जवाब देंहटाएंएक-एक शब्द सच्ची ....सच्ची अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसादर
माँ की कोमल यादों से सजी सुन्दर और हृदयस्पर्शी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.,..
:-)
करता हूं महसूस तेरा साया अक्सर
जवाब देंहटाएंराह में जब भी आता है कोई पत्थर
कांटे जब जब करते हैं मुझको विचलित
तेरी गोदी जाने का मन करता है
तुझसे लाड लड़ाने का ... ,bahut sundr abhivykti,kabhi meri site pr bhi pdhare
जवाब देंहटाएंतपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
संवेदनात्मक रचना, माँ तो माँ होती है कुछ भी कहा जाए कम है...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंयाद है नानी जब जब घर में आती थी
जवाब देंहटाएंतू उस दिन खुद भी बच्चा बन जाती थी
गाती थी जिन गीतों को तू मस्ती में
उन गीतों को गाने का मन करता है
मां की स्मृतियों को समर्पित अप्रतिम हृदयोद्गार !
I felt it..
जवाब देंहटाएंfeeling so emotional..
a very powerful writing..
loved it..
MUDDAT KE BAAD EK UMDA RACHNAA PADHNE KO MILEE HAI . BADHAAEE
जवाब देंहटाएंAUR SHUBH KAMNA .
निःशब्द कर देने वाली संवेदना..
जवाब देंहटाएंकाजल रोज़ लगाने का मन करता है ...
जवाब देंहटाएंमाँ की हर बात हमें जिन्दगी भर याद रहती है
क्यूंकि वो हर चीज हमारे भले के लिए करती है
सादर!
बचपन की याद दिलाती हुई कविता .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्याली छि कविता !!
आपकी यह सुन्दर रचना शनिवार 08.06.2013 को निर्झर टाइम्स (http://nirjhar-times.blogspot.in) पर लिंक की गयी है! कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
जवाब देंहटाएंbhavpurn rachana... love u ma!
जवाब देंहटाएंमाँ के साथ कितनी सारी बातें जुड़ी होती हैं...माँ का काजल जो हर बुरे नजर से बचाता है...बहुत भावुक रचना|
जवाब देंहटाएंमाँ की स्मृति में लिखे आपके हर शब्द अविस्मरिनीय है नि:शब्द अनुभव कर रहा हूँ
जवाब देंहटाएंLATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
latest post मंत्री बनू मैं
सबसे ज्यादा सुकून माँ की गोद में
जवाब देंहटाएंदुनिया की हर माँ को नमन। बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर रचना है आपकी।
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए मैंने भी दिल कागज़ पर रखा है कृपया देखिए -
http://sushilashivran.blogspot.in/2013/05/blog-post_18.html
this is why mother is the god on earth .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
जवाब देंहटाएंbas yehi ki poora blog ek aamta manthan me guntha hai aur uska nishkarsh yehi ki bas maa hi maa hai har tarafa har riste se upar hamare dil me basi aur man mandir me sazi
जवाब देंहटाएंभावुक करता गीत!
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
Ma...मां या कोई भीशब्द उन अनुभूतियों से बहुत ही छोटा है... जो मां से हमें मिलती हैं
जवाब देंहटाएं