अब्बू के तो पाँव
है छूता, माँ से लाड लड़ाता है
अपने-पन का ये
कैसा फिर माँ बेटे का नाता है
डरता है या कर ना
पाता, अब्बू से मन की बातें
आगे पीछे माँ से
पर वो सारे किस्से गाता है
हाथ नहीं हो अब्बू
का जैसे इंसान बनाने में
सबके आगे बस वो
अपनी माँ का राग सुनाता है
मुश्किल हो या
दुख जितना अब्बू से बाँट नहीं पाता
बिन बोले माँ के
सीने लग के हल्का हो जाता है
उम्र के साथ वो
अब्बू जितना हो जाता है पर फिर भी
माँ के आगे अपने
को फिर भी बच्चा ही पाता है
ऐसी तो है बात
नहीं की अब्बू से है प्यार नहीं
माँ के आगे पर
बेटे को कोई नहीं फिर भाता है
बहुत सही कहा आपने, पिता से प्यार तो होता है पर स्वाभाविक रूप से मां से जो प्यार,लाड दुलार मिलता है वही मनुष्य को मां के अति निकट कर देता है.
जवाब देंहटाएंभावनात्मक लगा ही है जो मां से इंसान अपने आपको कभी अलग नही कर पाता है.
रामराम.
माँ के स्नेह में स्नेहत्व भरपूर होता है।
जवाब देंहटाएंमाँ रोती है तो दूधपीबा बच्चे का रोना भी शुरू हो जाता है. इसी नाते की वजह से शायद.. सुन्दर पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, इसके लिए माँ की तरफ से बच्चे को मिलने वाला 'सॉफ्ट कॉर्नर' जिम्मेदार है !
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जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
माँ का स्नेह बेटे के प्रति पिता से ज्यादा मिलने के कारण शायद माँ को अपने से ज्यादा नजदीक पाता है,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
RECENT POST : तड़प,
हाँ जी बेटों का तो माँ की ओर झुकाव स्वाभाविक है..पर बेटियाँ तो पिटा की लाडली होती हैं....
जवाब देंहटाएंग़ज़ल बहुत सुन्दर..मगर बेटी होने के नाते मैं इसका उलट पढूंगी :-)
सादर
अनु
सुन्दर पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंमाँ का स्नेह बेटे के प्रति
जवाब देंहटाएं.........बहुत सुंदर नाता
माँ बेटे का नाता ही ऐसा है.
जवाब देंहटाएंऐसी तो है बात नहीं की अब्बू से है प्यार नहीं
जवाब देंहटाएंमाँ के आगे पर बेटे को कोई नहीं फिर भाता है
...बिल्कुल सच कहा है...पिता का सम्मान करता है पर प्रेम और लगाव माँ से ही होता है...
सच, बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
आज की पीढ़ी अब्बू से भी सारी बात कह लेती है ... हमारे समय में ज़रूर पिता से डर लगता था ॥न जाने क्यों ? जबकि पिता ने शायद ही कभी डांटा हो :):)
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल
आज की पीढ़ी अब्बू से भी सारी बात कह लेती है ... हमारे समय में ज़रूर पिता से डर लगता था ॥न जाने क्यों ? जबकि पिता ने शायद ही कभी डांटा हो :):)
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल
.बेहतरीन अभिव्यक्ति आभार . जनता की पहली पसंद -कौंग्रेस आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंबच्चे का माँ से जो रिश्ता होता है वह उसके गर्भ रहने से लेकर अपने आप में समर्थ होने तक एक अंश जैसे ही होता है और यही कारण है कि वह माँ के करीब ज्यादा होता है . पिता से उतना करीब नहीं हो पाता है . प्यार दोनों के लिए बराबर होता है लेकिन बाँट वह माँ के साथ ही पाता है .
जवाब देंहटाएंरस परिवर्तन की दरकार है !
जवाब देंहटाएंमाँ से कुछ ज्यादाही भावनात्मक रिश्ता होता है बेटे का यह एक वैज्ञानिक तथ्य है, इस नाते बहुत सुन्दर सार्थक रचना लिखी है !
जवाब देंहटाएंदोनो ही रिश्तों के भावों को एक साथ समेटना ………बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमुश्किल हो या दुख जितना अब्बू से बाँट नहीं पाता
बिन बोले माँ के सीने लग के हल्का हो जाता है
मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
जवाब देंहटाएंआप की ये रचना 21-06-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
कुलदीप ठाकुर...
उम्दा रचना,बिल्कुल सच कहा आपने,लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बेटे माँ के जिगर के टुकड़े होते है तो बेटियां बाप की लाडली,बेटा माँ की परछाई होता है तो बेटियाँ पिता के दिलों पे राज करती है....... सच है,नाता ही तो है
जवाब देंहटाएंअब तो बच्चे पिता-माता दोनों से ही समान रूप से जुडे रहते हैं लेकिन पहले तो वाकई मां से ही कह पाते थे दिल की बात.
जवाब देंहटाएंअब तो बच्चे पिता-माता दोनों से ही समान रूप से जुडे रहते हैं लेकिन पहले तो वाकई मां से ही कह पाते थे दिल की बात.
जवाब देंहटाएंबेटों का माँ से चाहें वह कुछ भी बन जाए एक अटूट बंधन हमेशा रहता है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबड़ा अच्छा लगता है आपकी रचना को पढना ....बेटे भी माँ की कमी को उसी प्रकार महसूस करते है ...जैसे की बेटियाँ .....वस्तुतः अब बच्चे दोनों के करीब हो रहे हैं .....
जवाब देंहटाएंशायद मां का वो ममता मयी प्यार ही है जो हमें अपनी ओर खींचता है...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह आदरणीय वाह बेहद सुन्दर ग़ज़ल सभी के सभी अशआर ह्रदय को स्पर्श कर गए मेरी ओर से हार्दिक बधाई के साथ साथ ढेरों दाद भी कुबूल फरमाएं.
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना कल बुधवार (19-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (19 -06-2013) के तड़प जिंदगी की .....! चर्चा मंच अंक-1280 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
माँ के दुलार का ही नतीजा है जो हमशा झुकाव उन्ही की तरफ रहता है आखिर हमारी जननी जो ठहरी..
जवाब देंहटाएंअद्भुत नाता होता है माँ के साथ .... बहुत खूबसूरती से बयां किया आपने
जवाब देंहटाएंबेटों का तो माँ की ओर झुकाव स्वाभाविक है,मां का वो ममता मयी प्यार ही है जो हमें अपनी ओर खींचता,बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमाँ का रिश्ता सबसे खास होता है।
जवाब देंहटाएंउम्र के साथ वो अब्बू जितना हो जाता है पर फिर भी
जवाब देंहटाएंमाँ के आगे अपने को फिर भी बच्चा ही पाता है
Wah! Waise to harek panki sundar hai!
वाह.......बहुत खुबसूरत........वक़्त मिले तो जज़्बात की नयी पोस्ट देखें।
जवाब देंहटाएंsaahitya mein leek se alag hat kar vaalee baaton ka bhi swagat hona chahiye......... aap ke is sahas ko naman & is rachana ke liye bahut bahut badhaiyan bhai
जवाब देंहटाएंअहसास जो कभी खत्म नहीं होंगे
जवाब देंहटाएंप्रेम दोनों से है पर ,माँ ..फिर भी माँ है
जवाब देंहटाएं"माँ के आगे पर बेटे को कोई नहीं फिर भाता है "
जवाब देंहटाएंवैसे ही जैसे बेटी को पिता के आगे कोई नहीं भाता :)
सुन्दर रचना
behtreen abhivakti....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसही कहा....एक बेटा मां के ज्यादा करीब होता है...पिता के बनिस्पत
जवाब देंहटाएंभावनात्मक रंग लिए सच्ची अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमन को छू गयी है कविता.
जवाब देंहटाएंमाँ हमेशा मन के पास होती है न!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण, सुंदर रचना ..
जवाब देंहटाएंसुंदर कोमल मनोभाव...
जवाब देंहटाएंक्यूंकि माँ जैसा दूजा कोई नहीं
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह खूब
पोस्ट !
वो नौ दिन और अखियाँ चार
हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!
क्यूंकि माँ जैसा दूजा कोई नहीं
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह खूब
पोस्ट !
वो नौ दिन और अखियाँ चार
हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!
सच है एक पुत्र अपनी माँ से ज्यादा किसी के नज़दीक नहीं होता, अपने पिता से भी नहीं. जबकि पिता को भी बहुत प्यार करता है. माँ को समर्पित एक और रचना के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंमाँ के आगे पर बेटे को कोई नहीं फिर भाता है..
जवाब देंहटाएंI loved that concluding verse..
true.. there's no one like Maa :)
उम्र के साथ वो अब्बू जितना हो जाता है पर फिर भी
जवाब देंहटाएंमाँ के आगे अपने को फिर भी बच्चा ही पाता है
बहुत खूबसूरत रचना
real truth
जवाब देंहटाएंमाँ के आगे पर उसको कोई और नही फिर भाता है ।
जवाब देंहटाएंप्यारा सच ।
पता नहीं क्यों पर माँ के पास शुकून मिलता है
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण
सादर !
जवाब देंहटाएंमाँ बेटे का है इस जग में है , कितना सुन्दर नाता ,
पूत कपूत सुने हैं ,लेकिन माता हुईं सुमाता .
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
सच, माँ तो माँ है
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंहैल्थ इज वैल्थपर पधारेँ।
अच्छी रचना ...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
बड़ी प्यारी मसूस अभिव्यक्ति , आभार आपका !
जवाब देंहटाएंअक्सर पेन पेन्सिल लेकर
माँ कैसी थी ?चित्र बनाते,
पापा इतना याद न आते
पर जब आते, खूब रुलाते !
उनके गले में, बाहें डाले, खूब झूलते,मेरे गीत !
पिता की उंगली पकडे पकडे,चलाना सीखे मेरे गीत !४
वाह:-)
जवाब देंहटाएंbahut khoob....
जवाब देंहटाएंमाँ होती ही ऐसी है ....बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंMAA KE MAHATTV KEE KYA BAAT HAI !
जवाब देंहटाएंAAPKEE LEKHNI MEIN NIKHAAR HAI .
क्या बात है...भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंkitna yaad krete ho maa ko?? aakhir kb tk?? kvita nhi hai....sisliyan hai uss bchche ki jo maa ko khojta rhta hai hr jagah......hr cheej ....hr shbd me. 'wo' dekhti hogi oopr se hr pl aapko.
जवाब देंहटाएंमाँ के आँचल की छाँव आत्मा को परिशान्त करती रहेगी आइन्दा भी उसकी याद के झरोखे से ..
जवाब देंहटाएंहाथ नहीं हो अब्बू का जैसे इंसान बनाने में
जवाब देंहटाएंसबके आगे बस वो अपनी माँ का राग सुनाता है
:)
भावनात्मक नाते को हर पंक्ति के साथ सुन्दरता से उकेरा है!
Beautiful!!!
माँ के आगे अपने को फिर भी बच्चा ही पाता है
जवाब देंहटाएंaawwsm
nc / bahut umda abhivyakti sr
जवाब देंहटाएंWoori Casino No Deposit Bonus 2021 | Free Play in Demo
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