स्वप्न मेरे: यात्रा ...

मंगलवार, 13 अगस्त 2013

यात्रा ...

गुस्सा तो है पर तू निष्ठुर नहीं ... 
अक्सर ऐसा तुम कहा करती थीं माँ   

पर पता नहीं कैसे एक ही दिन में इतना बदलाव आ गया 
तुम भी चलीं गयीं 
और मैंने भी जाने दिया 

कर दिया अग्नी के हवाले उस शरीर को 
जिसका कभी मैं हिस्सा था   
याद भी न आई वो थपकी 
जिसके बिना करवटें बदलता था 
वो गोदी, जहाँ घंटों चैन की नीद लेता था    

उस दिन सबके बीच 
(जब सब कह रहे थे ये तुम्हारी अंतिम यात्रा की तैयारी है) 
कुछ पल भी तुम्हें रोके ना रख सका 

ज़माने के रस्मों रिवाज़ जो निभाने थे   

कहा तो था सबने पर सच बताना 
क्या वो सच में तुम्हारी अंतिम यात्रा थी ...?  

पता है ... उस भीड़ में, मैं भी शामिल था ... 
    

71 टिप्‍पणियां:

  1. एक दिन जाना सब को है,अच्छी रचना।

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  2. क्या वो सच में तुम्हारी अंतिम यात्रा थी ...?
    ***
    शायद नहीं, क्यूंकि पुत्र के साथ आज भी भाव रूप में यात्रारत ही तो हैं वे...!

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  3. पार्थिव देह की अंतिम यात्रा हो सकती है पर जो मन में बसी है उसको कोई नही छीन सकता.

    रामराम.

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  4. कहते है एक औरत का जीवन माँ बन जाने के बाद ही पूर्ण होता है और यही सच भी है शायद इसलिए एक माँ की यात्रा कभी ख़त्म नहीं होती वह अपने बच्चों के साथ उनके जीवन सफर पर चाहे साथ-साथ चले या अनदेखा साया बनकर मगर माँ साथ रहती है हर पल।

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  5. तुम को खो दिया तो जाना ....
    मिट गई जो देह थी वो ....
    छब अभी भी मन मे मेरे ...
    आत्मा है माँ तुम्हारी साथ मेरे ...

    ये मेरी माँ पर लिखी कविता की चार पंक्तियाँ हैं दिगंबर जी ....माँ की आत्मा सदा बच्चों के कल्याण हित ही सोचती है ...बच्चे भले ही भुला दें ....

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  6. आप मेरी भावनाओं को शब्द देते हैं
    शुक्रिया और आभार छोटा लगने लगता है

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  7. वें माँ सौभाग्यशाली हैं जिनकी अंतिम यात्रा उनके बेटे के कंधो पर होती है ,बहुत ही सार्थक रचना।

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  8. बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति नासवा साहब !

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  9. बहुत हीभावपूर्ण और माँ के जुदाई वेदना से भरी हुई रचना !!

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  10. क्या वो सच में तुम्हारी अंतिम यात्रा थी ...?

    वें माँ सौभाग्यशाली हैं जिनकी अंतिम यात्रा उनके बेटे के कंधो पर होती है ,बहुत ही सार्थक रचना नासवा जी

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  11. क्या वो सच में तुम्हारी अंतिम यात्रा थी ...?

    वें माँ सौभाग्यशाली हैं जिनकी अंतिम यात्रा उनके बेटे के कंधो पर होती है ,बहुत ही सार्थक रचना नासवा जी

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  12. बहुत हीभावपूर्ण ....बहुत ही सार्थक रचना।

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  13. बहुत हीभावपूर्ण ....बहुत ही सार्थक रचना।

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  14. प्रभावी प्रस्तुति,आभार आदरणीय दिगम्बर नासवा जी।

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  15. भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

    आपकी और भी कवितायें पढ़ी हैं मैंने...
    सारी "माँ" के लिए ही लिखी हैं...

    जान के अच्छा लगा...

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  16. दूर हो कर भी वह इतने पास है कि उसके ना होने पर यकीन नहीं होता..बहुत भावपूर्ण रचना.

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  17. माँ एक सतत प्रेममयी प्रक्रिया है. इसकी कोई अंतिम यात्रा नहीं होती. ममत्व से जुड़ी रचना है.

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  18. ये सब ज़माने के रस्मों रिवाज़ हैं, माँ कहीं नहीं जा सकती वो हमेशा हमारे साथ है और रहेगी….

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  19. अपने कर्तव्य पूरे कर, वृद्ध शिथिल होते तन में कितना रहतीं माँ? सबको आशीष दे कर तुष्ट, निश्चिन्त मन ले अगली यात्रा पर गईँ -वे शान्ति से रहें!

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  20. यही नियति है कि कोई ह्रदय के कितना ही करीब हो पर जाना तो है एक दिन ...मर्मस्पर्शी रचना!

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  21. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (14 -08-2013) के चर्चा मंच -1337 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  22. नहीं माँ तो हमारी शिराओं में हमारे संस्कारों में अनवरत यात्रा कर रही है और आने वाली पीढ़ियों में भी यह शाश्वत यात्रा चलती रहेगी

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  23. भावपूर्ण रचना !!
    जो बच्चे महरूम हों माँ के साए से
    हर आँचल में ममता ढूँढा करते हैं

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  24. भावपूर्ण रचना नासवा जी,
    बहुत मार्मिक लगी !

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  25. तन की अंतिम यात्रा थी माँ तो आपके मन में है ।

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  26. sir
    aapki rachna man ke antah-sthal ko chhoo gai. maa ki yaadon ke sahare hi to ham jivan paryant aage badhte rahte hain.
    maa ka saaya hamesha bachchon ke saath rahta hai----
    poonam

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  27. दिल को छु जाने वाली रचना है .बहुत सुन्दर शब्द दिए आपने इस को ..

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  28. वाह बहुत बढ़िया । गहन, सुन्दर , शानदार |

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  29. एक माँ कहीं नहीं जाती है .. शरीर जाता है ...रूह सदा साथ रहती है
    तुम न सोचो क्यों है ये तनहाइयाँ
    हर पल साथ होंगी मेरी परछाइयाँ

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  30. वाह किया बात है , बहुत खूब,

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  31. माँ के लिए मदर्स डे पर लिखा था इसे...

    माँ सा प्यारा कोई नहीं
    वृद्ध हो तो क्या हुआ
    तुम अभी भी नही हो बेकार
    अनुभवों का हो खज़ाना
    जीवन के इस मोड़ पर भी
    तुम्हें हमें है सजाना|

    जीवन रथ
    मंजिल पर आकर
    ठहर चुकाहै|
    सिर्फ़ प्रस्थान शेष है|
    जाना न माँ
    इतनी जल्दी भी क्या है|

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  32. ये आत्मा पहले भी थी बाद में भी रहेगी। नया चोला लिए नए सम्बन्धों में। जो स्नेह के साथ है वह कहीं नहीं जाता है।

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  33. आपकी प्रेरणादाई माँ को नमन

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  34. बहुत मार्मिक भावपूर्ण रचना,,,,

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  35. ह्रदय को हिलोर देते है आपके शब्द. दूर होकर भी माँ दूर कहाँ हो पाती है.

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  36. गहरे कहीं एक अंतर्नाद होता है...जब जब आपको पढ़ती हूँ,,, माँ हर वक्त आपके साथ हैं ...और आपके साथ साथ हम सब भी उन्हें जान रहे हैं पल-पल ,प्रतिपल ..हर शब्दों द्वारा आपके...
    माँ को नमन...

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  37. प्‍यारी मां न्‍यारी मां
    सशरीर न सही स्‍मृतियों में सदैव रहेंगी। निश्‍चय ही उस अन्तिम यात्रा में भीड़ के बीच होते हुए भी असहाय थे आप। क्‍यूंकि जो नहीं होना चाहिए वो दुख घटा था उस दिन।

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  38. बहुत बढ़िया.. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...

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  39. अंतर्मन को बेधती आपकी रचनाएँ हमेशा प्रभावशाली होती हैं - आजादी के पर्व पर हार्दिक बधाई

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  40. माँ की यादें और उससे जुडी भावनाएं ये कभी अंतिम यात्रा होती है?

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  41. कहा तो था सबने पर सच बताना
    क्या वो सच में तुम्हारी अंतिम यात्रा थी ...?

    पता है ... उस भीड़ में, मैं भी शामिल था ...
    .....................................

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  42. व्यक्ति पैदा होते ही मरना शुरू कर देता है फिर भी ये राग ये अनुराग भूले नहीं भूलता। माँ पहले भी थी बाद में भी रहेगी सिर्फ हमारे साथ उसके सम्बन्ध का स्वरूप ही तो बदलेगा। माँ की आत्मा जहां रहेगी प्रसन्न बदन रहेगी ऐसे ही पालना देगी सपूतों को।

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  43. माँ कभी नहीं जातीं। वे सदा आपके साथ हैं।
    शुभकामनायें!

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  44. सच में माँ से अलग होना कौन चाहता है
    बहुत ही मार्मिक
    सादर!

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  45. हर बार की तरह ... माँ से जुड़े ये अहसास
    भावनाओं का सिंचन करती यादें
    मन को छूते शब्‍द
    ...

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  46. सच में ’माँ’ शरीर कब होती है! ’माँ’ तो वह उष्मा,ऊर्जा, शक्ति है, जो जीवन को संचालित करती है। मूर्त,सूक्ष्म या स्थूल रूप में!माँ, तुझे सलाम!

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  47. कर दिया अग्नी के हवाले उस शरीर को
    जिसका कभी मैं हिस्सा था....

    बहुत खूब नासवा साहब,माँ के प्रति प्रेम और उसके विछोह की पीड़ा को प्रतिविम्बित करते मार्मिक शब्द....साधुवाद........

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  48. शुक्रिया !इस भाव वाचक रचना को सांझा करने एवं आपकी टिपण्णी का।

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  49. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,,,,

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  50. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,,,,

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  51. भावपूर्ण व संवेदनायुक्त रचना....

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  52. शुक्रिया टिपण्णी का। श्रृद्धा सुमन उस माँ के प्रति जो सबकी यकसां होती है।

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  53. बहुत ही मार्मिक रचना लगी.……. माँ जैसा स्नेह देने वाला इस पृथ्वी पर दूसरा कोई प्राणी हो ही नहीं सकता। . माँ के प्रति सच्चे उदगार को प्रदर्शित करती यह रचना रोंगटे खड़ी कर देती है। … बिलकुल चिरकाल तक के लिए संग्रहनीय रचना लिखी है आपने ……. माँ के लिए ह्रदय से सच्ची श्रधांजलि मेरी और से भी।

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  54. सदैव की तरह माँ की स्मृति को समर्पित एक उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...बहुत मर्मस्पर्शी..

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  55. मां पर एक स्नेही पुत्र कितना ही लिखे कम है ..

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  56. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  57. भाव पूर्ण, मार्मिक रचना,माँ को मेरी विन्रम श्रधांजलि

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  58. भाव पूर्ण, मार्मिक रचना,माँ को मेरी विन्रम श्रधांजलि

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  59. भाव पूर्ण, मार्मिक रचना,माँ को मेरी विन्रम श्रधांजलि

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