स्वप्न मेरे: हादसे जो राह में मिलते रहे ...

मंगलवार, 20 अगस्त 2013

हादसे जो राह में मिलते रहे ...

फूल बन के उम्र भर खिलते रहे 
माँ की छाया में जो हम पलते रहे 

बुझ गई जो रौशनी घर की कभी   
हौंसले माँ के सदा जलते रहे 

यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम 
बचपने में पांव जो छिलते रहे 

साथ में चलती रही माँ की दुआ 
काफिले उम्मीद के चलते रहे 

हर कदम हर मोड़ पे माँ साथ थी 
उन्नती के रास्ते खुलते रहे  

माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें 
हादसे जो राह में मिलते रहे  

67 टिप्‍पणियां:

  1. यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम
    बचपने में पांव जो छिलते रहे

    बहुत खूब!

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  2. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  3. बुझ गई जो रौशनी घर की कभी
    हौंसले माँ के सदा जलते रहे
    बहुत खूब.......

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  4. माँ की दुआ हरपल साथ ,रक्षा बंधन की हार्दिक बधाइयाँ।

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  5. माँ उम्मीद देती है हौसला भी...सुंदर प्रस्तुती !

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  6. माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे

    ........Bahut khoob Naswa ji aapne to nishabd kar diya....!

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  7. माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे
    -सच कहा
    -बहुत ही भावपूर्ण रचना !

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  8. साथ में चलती रही माँ की दुआ
    काफिले उम्मीद के चलते रहे

    ....मुझे तो यह वाला शेर सबसे अच्छा लगा। ग़ज़ल तो है प्यारी, हमेशा की तरह।

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  9. माँ बदल देती थी खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे

    बहुत लाजबाब !

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  10. भावपूर्ण रचना..बहुत सुन्दर.

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  11. बहुत ही मर्मस्पर्षि और भावुकता से ओतप्रोत गजल, हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  12. बहुत सुन्दर गजल नासवा जी,
    वो तो अक्सर होती ही है हर शेर नायाब लगा !

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  13. वाह.. बहुत सुन्दर रचना..रक्षाबंधन की शुभकामनाएं

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  14. माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे

    बहुत सुंदर पंक्तियाँ.

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  15. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल { बुधवार}{21/08/2013} को
    चाहत ही चाहत हो चारों ओर हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः3 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra

    hindiblogsamuh.blogspot.com

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  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. वाह.. बहुत सुन्दर रचना.

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  17. बुझ गई जो रौशनी घर की कभी
    हौंसले माँ के सदा जलते रहे.....
    बहुत बहुत बेहतरीन!!!

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  18. माँ को समर्पित आपकी आवनाओं को कोटिशः नमन ।

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  19. हर कदम हर मोड़ पे माँ साथ थी
    उन्नती के रास्ते खुलते रहे

    माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे

    माँ सम कौन हितैषी दूजा ।

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  20. यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम
    बचपने में पांव जो छिलते रहे

    वाह !

    एक और भावुक रचना !
    आदरणीय दिगम्बर नासवा जी
    क्या बात है !!

    हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  21. माँ की यादों को आपने जिस उत्कृष्टता से शब्दों में ढाला है उसके लिए बहुत बहुत बधाई. एक अविस्मरणीय कृति.

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  22. माँ की दुआएं ही सारे उन्नति के मार्ग प्रशस्त करती हैं । सुंदर गज़ल

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  23. माँ वो छत होती है जो अपने बच्चों को धूप -छाँव से बचा लेती हैं और दुआओं चादर तान कर रखती है सिर पर कि मेरे बच्चे हमेशा सुरक्षित रहें

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  24. माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे

    यही सच है

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  25. बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......

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  26. कल 22/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  27. दिगम्भर जी .. मेरे पास आपकी इस गजल के लिए कोई शब्द नहीं है , सिवाय इसके कि आपकी लेखनी को सलाम .. बस !
    माँ !

    दिल से बधाई स्वीकार करे.

    विजय कुमार
    मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com

    मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com

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  28. साथ में चलती रही माँ की दुआ
    काफिले उम्मीद के चलते रहे

    नासवा साहब, जीवन में बहुत कम लोग ऐसे मिले हैं जिन्होंने माँ को जीवन में इतना महत्व दिया है....

    बहुत खूब, बहुत सुन्दर :)

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  29. बहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना....

    ~सादर!!!

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  30. बुझ गई जो रौशनी घर की कभी
    हौंसले माँ के सदा जलते रहे ....खूबसूरत भावपूर्ण रचना
    latest post नेताजी फ़िक्र ना करो!
    latest post नेता उवाच !!!

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  31. यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम
    बचपने में पांव जो छिलते रहे

    सही कहा...बहुत खूबसूरत रचना...

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  32. एक सलाम आपकी लेखनी को, बहुत ही प्यारी और हृदयस्पर्शी गजल, ढेरो शुभकामनाये
    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_6131.html

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  33. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  34. भावांजलि खूब सूरत माँ के प्रति।

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  35. बुझ गई जो रौशनी घर की कभी
    हौंसले माँ के सदा जलते रहे

    रौशनी बन माँ सदा खिलती रही।

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  36. उतनी ही सुन्दर है गज़ल जितनी की माँ

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  37. बुझ गई जो रौशनी घर की कभी
    हौंसले माँ के सदा जलते रहे

    बेहद ख़ूबसूरत।

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  38. माँ के स्पर्श में जादुई स्पर्श है..

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  39. मां से मां के लिए.............(उन्‍नती) को (उन्‍नति)कर लें।

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  40. माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे।
    न जाने माँ को यह जादू कौन सीखा जाता है :)

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  41. साथ में चलती रही(रहे) माँ की दुआ
    काफिले उम्मीद के चलते रहे/रहें!

    माँ की दुआ चलती रहे, और काफिले उम्मीद के लिए 'रहे' की जगह 'रहें'पढ़ने का मन हुआ - अच्छा
    लग न ?

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  42. माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे...

    यकीनन ऐसा ही होता है... बेहद सुंदर रचना।।।

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  43. बहुत खूब .
    माँ की दुआओं का असर है,
    खाने को रोटी रहने को घर है.
    ............ नीरज 'नीर'

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  44. कुछ बुजुर्गों की मौत मैंने देखी है दर्द सहते हुए वो अपनी माँ को याद कर रहे थे। हर पीड़ा में जीने का जज्बा शायद उन्हें अपनी माँ से ही मिल रहा था।

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  45. माँ के प्रति सुन्दर शब्द |

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  46. आज तो सारा आलम सारी कायनात ही कृष्ण मय हो रई भैया । उसकी लीला ही अपरम्पार हैं स्वाद लेबे को भागवत कथा सुनबे। झूठ् ना कहूँ तोसे। मजो आ गया ओ ,नन्द आनंद कारज होवे और मजा न आवे। नन्द का मतलब होवे आनंद।

    मैया मोहे दाऊ भोत खिजायो ,

    मोते कहत मोल को लीन्हों तू जसुमत कब जायो,


    गोर नन्द जसोदा गोरी तू कत श्याम शरीर

    जन्माष्टमी की बधाई क्या बधाया सब ब्लागियन कु।

    ॐ शान्ति

    भैया जसोदा का मतलब ही होवे है जो यश दिलवावे। सगरे बिग्रे काज संभारे।


    माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे

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  47. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना..
    अति उत्तम...
    :-)

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  48. बहुत सुन्दर .
    आगे बढ़ा जा रहा हूँ मैं नहीं मुझको कुछ खबर है
    सब कहते हैं ये तेरी माँ की दुआओं का असर है
    http://yunhiikabhi.blogspot.com
    http://dehatrkj.blogspot.com

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  49. बेहतरीन प्रस्तुति, माँ के लिए जो भाव आपकी रचनाओं में होते हैं वो अभिभूत करते हैं दिल को छूते हैं इस उत्कृष्ट ग़ज़ल के लिए तहे दिल से दाद देती हूँ

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  50. यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम
    बचपने में पांव जो छिलते रहे nice lines

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  51. माँ के आंचल की खुशबू समेटे हुए एहसास ......

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  52. वाह वाह वाह
    बहुत ही सुन्दर

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  53. माँ बदल देती थी खुशियों में उन्हें
    हादसे जो राह में मिलते रहे
    माँ हमेशा से ही मन का संबल रही है ....

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है