फूल बन के उम्र भर खिलते
रहे
माँ की छाया में जो हम पलते
रहे
बुझ गई जो रौशनी
घर की कभी
हौंसले माँ के
सदा जलते रहे
यूं ही सीखोगे हुनर चलने का
तुम
बचपने में पांव जो छिलते
रहे
साथ में चलती रही माँ की
दुआ
काफिले उम्मीद के चलते रहे
हर कदम हर मोड़ पे माँ साथ
थी
उन्नती के रास्ते खुलते
रहे
माँ बदल देती है खुशियों
में उन्हें
हादसे जो राह में मिलते
रहे
यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम
जवाब देंहटाएंबचपने में पांव जो छिलते रहे
बहुत खूब!
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंबुझ गई जो रौशनी घर की कभी
जवाब देंहटाएंहौंसले माँ के सदा जलते रहे
बहुत खूब.......
माँ तो बस माँ ही है..
जवाब देंहटाएंमाँ की दुआ हरपल साथ ,रक्षा बंधन की हार्दिक बधाइयाँ।
जवाब देंहटाएंमाँ उम्मीद देती है हौसला भी...सुंदर प्रस्तुती !
जवाब देंहटाएंमाँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
जवाब देंहटाएंहादसे जो राह में मिलते रहे
........Bahut khoob Naswa ji aapne to nishabd kar diya....!
माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
जवाब देंहटाएंहादसे जो राह में मिलते रहे
-सच कहा
-बहुत ही भावपूर्ण रचना !
साथ में चलती रही माँ की दुआ
जवाब देंहटाएंकाफिले उम्मीद के चलते रहे
....मुझे तो यह वाला शेर सबसे अच्छा लगा। ग़ज़ल तो है प्यारी, हमेशा की तरह।
माँ बदल देती थी खुशियों में उन्हें
जवाब देंहटाएंहादसे जो राह में मिलते रहे
बहुत लाजबाब !
भावपूर्ण रचना..बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्षि और भावुकता से ओतप्रोत गजल, हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर गजल नासवा जी,
जवाब देंहटाएंवो तो अक्सर होती ही है हर शेर नायाब लगा !
वाह.. बहुत सुन्दर रचना..रक्षाबंधन की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमाँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
जवाब देंहटाएंहादसे जो राह में मिलते रहे
बहुत सुंदर पंक्तियाँ.
ममतामयी माँ के आँचल की छाया !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल { बुधवार}{21/08/2013} को
जवाब देंहटाएंचाहत ही चाहत हो चारों ओर हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः3 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
hindiblogsamuh.blogspot.com
राखी की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. वाह.. बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबुझ गई जो रौशनी घर की कभी
जवाब देंहटाएंहौंसले माँ के सदा जलते रहे.....
बहुत बहुत बेहतरीन!!!
माँ को समर्पित आपकी आवनाओं को कोटिशः नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंहर कदम हर मोड़ पे माँ साथ थी
जवाब देंहटाएंउन्नती के रास्ते खुलते रहे
माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
हादसे जो राह में मिलते रहे
माँ सम कौन हितैषी दूजा ।
वाह !!! बहुत ही सुंदर सृजन लाजबाब गजल ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : सुलझाया नही जाता.
यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम
बचपने में पांव जो छिलते रहे
वाह !
एक और भावुक रचना !
आदरणीय दिगम्बर नासवा जी
क्या बात है !!
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
-राजेन्द्र स्वर्णकार
माँ की यादों को आपने जिस उत्कृष्टता से शब्दों में ढाला है उसके लिए बहुत बहुत बधाई. एक अविस्मरणीय कृति.
जवाब देंहटाएंमाँ की दुआएं ही सारे उन्नति के मार्ग प्रशस्त करती हैं । सुंदर गज़ल
जवाब देंहटाएंमाँ वो छत होती है जो अपने बच्चों को धूप -छाँव से बचा लेती हैं और दुआओं चादर तान कर रखती है सिर पर कि मेरे बच्चे हमेशा सुरक्षित रहें
जवाब देंहटाएंमाँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
जवाब देंहटाएंहादसे जो राह में मिलते रहे
यही सच है
बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
जवाब देंहटाएंकल 22/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
दिगम्भर जी .. मेरे पास आपकी इस गजल के लिए कोई शब्द नहीं है , सिवाय इसके कि आपकी लेखनी को सलाम .. बस !
जवाब देंहटाएंमाँ !
दिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com
मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com
साथ में चलती रही माँ की दुआ
जवाब देंहटाएंकाफिले उम्मीद के चलते रहे
नासवा साहब, जीवन में बहुत कम लोग ऐसे मिले हैं जिन्होंने माँ को जीवन में इतना महत्व दिया है....
बहुत खूब, बहुत सुन्दर :)
बहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
बुझ गई जो रौशनी घर की कभी
जवाब देंहटाएंहौंसले माँ के सदा जलते रहे ....खूबसूरत भावपूर्ण रचना
latest post नेताजी फ़िक्र ना करो!
latest post नेता उवाच !!!
यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम
जवाब देंहटाएंबचपने में पांव जो छिलते रहे
सही कहा...बहुत खूबसूरत रचना...
एक सलाम आपकी लेखनी को, बहुत ही प्यारी और हृदयस्पर्शी गजल, ढेरो शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_6131.html
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंभावांजलि खूब सूरत माँ के प्रति।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबुझ गई जो रौशनी घर की कभी
हौंसले माँ के सदा जलते रहे
रौशनी बन माँ सदा खिलती रही।
उतनी ही सुन्दर है गज़ल जितनी की माँ
जवाब देंहटाएंबुझ गई जो रौशनी घर की कभी
जवाब देंहटाएंहौंसले माँ के सदा जलते रहे
बेहद ख़ूबसूरत।
माँ के स्पर्श में जादुई स्पर्श है..
जवाब देंहटाएंमां से मां के लिए.............(उन्नती) को (उन्नति)कर लें।
जवाब देंहटाएंमाँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
जवाब देंहटाएंहादसे जो राह में मिलते रहे।
न जाने माँ को यह जादू कौन सीखा जाता है :)
साथ में चलती रही(रहे) माँ की दुआ
जवाब देंहटाएंकाफिले उम्मीद के चलते रहे/रहें!
माँ की दुआ चलती रहे, और काफिले उम्मीद के लिए 'रहे' की जगह 'रहें'पढ़ने का मन हुआ - अच्छा
लग न ?
सुन्दर , कमाल
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमाँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
हादसे जो राह में मिलते रहे...
यकीनन ऐसा ही होता है... बेहद सुंदर रचना।।।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंreally , i salute your feelings and expressions
जवाब देंहटाएंमाँ की दुआओं में ही बरकत है !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .
जवाब देंहटाएंमाँ की दुआओं का असर है,
खाने को रोटी रहने को घर है.
............ नीरज 'नीर'
कुछ बुजुर्गों की मौत मैंने देखी है दर्द सहते हुए वो अपनी माँ को याद कर रहे थे। हर पीड़ा में जीने का जज्बा शायद उन्हें अपनी माँ से ही मिल रहा था।
जवाब देंहटाएंमाँ के प्रति सुन्दर शब्द |
जवाब देंहटाएंoh माँ
जवाब देंहटाएंbahut acchi gazal hai...
जवाब देंहटाएंmaa jaisee pyaari rachna ....
जवाब देंहटाएंआज तो सारा आलम सारी कायनात ही कृष्ण मय हो रई भैया । उसकी लीला ही अपरम्पार हैं स्वाद लेबे को भागवत कथा सुनबे। झूठ् ना कहूँ तोसे। मजो आ गया ओ ,नन्द आनंद कारज होवे और मजा न आवे। नन्द का मतलब होवे आनंद।
जवाब देंहटाएंमैया मोहे दाऊ भोत खिजायो ,
मोते कहत मोल को लीन्हों तू जसुमत कब जायो,
गोर नन्द जसोदा गोरी तू कत श्याम शरीर
जन्माष्टमी की बधाई क्या बधाया सब ब्लागियन कु।
ॐ शान्ति
भैया जसोदा का मतलब ही होवे है जो यश दिलवावे। सगरे बिग्रे काज संभारे।
माँ बदल देती है खुशियों में उन्हें
हादसे जो राह में मिलते रहे
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंअति उत्तम...
:-)
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंआगे बढ़ा जा रहा हूँ मैं नहीं मुझको कुछ खबर है
सब कहते हैं ये तेरी माँ की दुआओं का असर है
http://yunhiikabhi.blogspot.com
http://dehatrkj.blogspot.com
बेहतरीन प्रस्तुति, माँ के लिए जो भाव आपकी रचनाओं में होते हैं वो अभिभूत करते हैं दिल को छूते हैं इस उत्कृष्ट ग़ज़ल के लिए तहे दिल से दाद देती हूँ
जवाब देंहटाएंबेहतरीन,भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन,भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंयूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम
जवाब देंहटाएंबचपने में पांव जो छिलते रहे nice lines
माँ के आंचल की खुशबू समेटे हुए एहसास ......
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
माँ बदल देती थी खुशियों में उन्हें
जवाब देंहटाएंहादसे जो राह में मिलते रहे
माँ हमेशा से ही मन का संबल रही है ....