एक ही झटके में सिखा दीं वो
तमाम बातें
समय ने
सीख नहीं सका, बालों में
सफेदी आने के बावजूद
उस पर मज़े की बात
न कोई अध्यापक, न किताब, न रटने का सिलसिला
जब तक समझ पाता, छप गया
पूरा पाठ दिमाग में
जिंदगी भर न भूलने के लिए
सोचता था पा लूँगा हर वो चीज़
समय से लड़ के
जो लेना चाहता हूं
समय के आगे कभी नतमस्तक
नहीं हुआ
हालांकि तू हमेशा कहती रही
समय की कद्र करने की ...
सच तो ये है की सपने में भी
नहीं सोच सका
रह पाऊंगा तेरे बगेर एक भी
दिन
पर सिखा दिया समय ने, न
सिर्फ जीना, बल्कि जीते भी रहना
तेरे चले जाने के बाद भी इस
दुनिया में
तू अक्सर कहा करती थी वक़्त
की मार का इलाज
हकीम लुकमान के पास भी नहीं ...
समय की करनी के आगे सर
झुकाना पड़ता है ...
सही कहती थी माँ
समय के एक ही वार ने हर बात
सिखा दी
सत्य तो यही है.. समय सबसे बलवान. माँ की कही बात गलत कैसे हो सकती है.
जवाब देंहटाएंसमय सब सिखा देता है.....
जवाब देंहटाएंमगर वेदनाएं कम नहीं होती,हाँ हम कराहना ज़रूर कम कर देते हैं....
सादर
अनु
सिखा वक्त की मार दे, रविकर बात तमाम |
जवाब देंहटाएंजब तक जीवनसार दे, लेत लकुटिया थाम-
बढ़िया पंक्तियाँ-
बढ़िया सीख-
आभार आदरणीय-
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
जवाब देंहटाएंक्या बात,बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसमय ही सिखा देता है जीवन का हर पाठ..स्वयं बीतता हुआ सा लगता है पर बीतते हम हैं, इसका अहसास भी नहीं होने देता..
जवाब देंहटाएंसमय की महिमा अपार है और माँ की कथनी की कोई काट नहीं!
जवाब देंहटाएंमाँ की दूरदर्शिता को प्रणाम!
हमेशा की तरह सुन्दर... आपका कहा हर शब्द आपके दिल की आवाज़ है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच कहा माँ ने ,समय सबसे अधिक प्रबल होता है ,पर हम उसकी महत्ता उसके गुजर जाने के बाद ही समझ पाते हैं .....
जवाब देंहटाएंमाँ की पाठशाला में समय का पाठ.. अति सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच्ची बात ....
जवाब देंहटाएंदिल को छूती रचना ...
माँ के सिवा अगर कोई सिखाता है कुछ तो समय है..पर ...समय भी अच्छा शिक्षक है... लेकिन, कठोर है, बहुत कठोर..!
समय की करनी के आगे सर झुकाना पड़ता है ...
जवाब देंहटाएंसत्य है पर देर से समझ आता है।
''समय की करनी के आगे सर झुकाना पड़ता है''
जवाब देंहटाएंसच कहा था !
बहुत सुन्दर और सच्ची बात कह दी है इस कविता में.
जिंदगी ऐसे ही गुज़र जाती है।
जवाब देंहटाएंसमय के रुप और विद्रूप के बीच मां, उसकी बातें याद आती हैं।
जवाब देंहटाएंमाँ की बातें और उनकी शिक्षा जीवन के हर मोड़ पर काम आते है..हमेशा की तरह सुन्दर...अति सुन्दर...
जवाब देंहटाएं:-)
तू अक्सर कहा करती थी वक़्त की मार का इलाज
जवाब देंहटाएंहकीम लुकमान के पास भी नहीं ...
समय की करनी के आगे सर झुकाना पड़ता है ...
सच्ची बात कह दी है ...
माँ, समय और हम, शायद एक ही चीज़ का अहसास हैं.
जवाब देंहटाएंमाँ के दिए संस्कार,ही परिस्थितियों से मुकाबला करने की ताकत देता है,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : फूल बिछा न सको
नमस्कार आपकी यह रचना कल मंगलवार (03-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार -4/09/2013 को
जवाब देंहटाएंमर्त्य देश के निवासी - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः12 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
समय बहुत बलवान होता है जो किसी का इंतजार भी नहीं करता ,बहुत ही बेहतरीन सार्थक प्रस्तुतिकरण।
जवाब देंहटाएंसही है..माँ के जाने के बाद लगता है हम अकेले हो गये दुनियाँ में।
जवाब देंहटाएंसमय तो ताकतवर है ही, निर्मम भी ... बेहद ही शानदार पोस्ट..
जवाब देंहटाएंसच है..... भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबिलकुल, एक एक पंक्ति सत्य है ।
जवाब देंहटाएंयह सच भी समय के साथ समझ में आता है.
जवाब देंहटाएंसही बात है...~वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए... और कभी-कभी तो टेढ़ी चाल चल कर क्या कुछ नहीं सिखा देता..
जवाब देंहटाएं~सादर
सुन्दर प्रस्तुति ....!!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (03-09-2013) को "उपासना में वासना" (चर्चा मंचःअंक-1358) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति ....!!
जवाब देंहटाएंपोस्ट तक आते आते सोच रही थी कि आज फिर माँ पर कोई नई कविता होगी
जवाब देंहटाएंऔर वही हुआ ....:))
समय जिंदगी जीना सिखा देता है ,कोई शिक्षक की जरुरत नहीं होता
जवाब देंहटाएंनिस्संदेह, सबसे श्रेष्ठ शिक्षक तो समय ही है।
जवाब देंहटाएंकहा जाता है समय हर घाव को भर देता है
जवाब देंहटाएंलेकिन माँ की कमी और माँ की बातें हमारे जीवन के वो मूल्वान चीजें हैं......
उनके बिना जीना अभी भी हमें अखरता है .
समय ही सारथी है। रथी है। तारती है मार से। मारती अभिमान को।
जवाब देंहटाएंकि एक साया....हट गया हो जैसे!!
जवाब देंहटाएंआ भाई...एक नाव में हैं...कुछ देर दर्द बांट लें फिर चलें...आ जा!!
जवाब देंहटाएंसोचता था पा लूँगा हर वो चीज़ समय से लड़ के
जवाब देंहटाएंजो लेना चाहता हूं
समय के आगे कभी नतमस्तक नहीं हुआ
हालांकि तू हमेशा कहती रही समय की कद्र करने की ...
सही कहती थी माँ
समय के एक ही वार ने हर बात सिखा दी
भावमय प्रस्तुति
काल प्रहार सहज हो सहना,
जवाब देंहटाएंसिखला दो बस मन में रहना
एक ही झटके में सिखा दीं वो तमाम बातें समय ने
जवाब देंहटाएंसीख नहीं सका, बालों में सफेदी आने के बावजूद
उस पर मज़े की बात न कोई अध्यापक, न किताब,न रटने का सिलसिला
जब तक समझ पाता,छप गया पूरा पाठ दिमाग में
जिंदगी भर न भूलने के लिए
बहुत सुन्दर रचना.
मां पहली गुरु होती है...
जवाब देंहटाएंमाँ का कहा गलत नहीं ..बहुत सुन्दर ढाला आपने इसको शब्दों में
जवाब देंहटाएंसमय की सलाई पर बच्चों के लिए,अपने घर के लिए फंदे डालती माँ - जीवन की तपती चट्टान पर चलना सिखा ही देती है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंtime's a great teacher
जवाब देंहटाएंbut, it always teaches us in the hard way.
lovely read..
very touching expressions
समय के प्रहार से बचाने की माँ की कोशिशें आज भी जारी हैं, उनकी हर याद के साथ ... माँ सच ही कहती थी...
जवाब देंहटाएंतू अक्सर कहा करती थी वक़्त की मार का इलाज
जवाब देंहटाएंहकीम लुकमान के पास भी नहीं ...
समय की करनी के आगे सर झुकाना पड़ता है
...सच माँ बाप की बातों में उनका चिरकाल का अनुभव छिपा रहता है जो हमें सही राह दिखाता है ..
बहुत सुन्दर
वाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट
समय से बड़ा कोई शिक्षक नहीं...माँ का कहा समय के साथ समझ आ ही जाता है
जवाब देंहटाएंमाँ की बातें सौ प्रतिशत सही थीं ... समय सब सिखा देता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव .. समय बहुत कुछ सीखा सेता है.
जवाब देंहटाएंसत्य कहा आपने ...माँ हर बात सीखा सकती है
जवाब देंहटाएंअसंभव है उनको भुलाना ...
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं आपको !
समय सच में सब कुछ सीखा जाता है इंसान को :(
जवाब देंहटाएंbahut sundar bahut sacchi anubhuti.....saadar...
जवाब देंहटाएंवक़्त के कल और आज ….वक़्त की हर शै गुलाम ……बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंसमय से बड़ा अध्यापक कोई हो भी नहीं सकता..
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति..टीचर डे की हार्दिक शुभकामनाएं।।।
इस संसार की हर वस्तु प्राणि हर पल बदल रहे हैं यह काया भी हर पल न जाने कितनी कोशायें मर जातीं हैं फिर एक दिन अस्तित्व कोष भी मर जाते हैं। शरीर तो किराए का मकान होता है जिसके पांच हिस्सेदार पृथ्वी ,वायु जल अग्नि आकाश अपना अ पना हिस्सा बाँट लेते हैं अस्तित्व कोष के शरीर से निकल जाने के बाद। फिर भी प्राणी दंभ करता है।सवारी उसकी समय ही करता है।
जवाब देंहटाएंवैसे प्राण मरता नहीं है कायान्तरण ही होता है प्राण का।
माँ अब किसी और रूप में हैं।
वक़्त सब सिखा देता है लेकिन यादें कभी साथ नहीं छोड़तीं...
जवाब देंहटाएंबहुत संवेदनशील रचना
जवाब देंहटाएंकल 09/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत खूब ....
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जवाब देंहटाएंतू साथ खड़ी मुस्कुरा रही थी
तेरा अस्थि-कलश जब घर न रख के
मंदिर रखवाया गया
तभी तो तेरी संजीवनी को सब रखना चाहते है अपने करीब
ताकि तू रह सके ... हमेशा उनके पास, उनके साथ
प्रिय नासवा जी ...खूबसूरत ख्यालात कोमल रचना ममतामयी माँ तो सदा संतान पर बलिहारी है माँ के प्रति श्रद्धा और अनोखे भाव लिए प्यारी रचना काश उसके बच्चे उसको यों ही पूजते रहें आज का बदला हालात न दिखे
भ्रमर ५
माँ की हर बात सही व सच्ची
जवाब देंहटाएं....
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंगहन चिंतन - प्रभावी प्रस्तुति
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