जब सुलह की बात करने आएगा
जेब में खंजर छुपा के लाएगा
क्यों बना मजनू जो वो लैला नहीं
उठ विरह के गीत कब तक गाएगा
एक पत्थर मार उसमें छेद कर
उड़ गया बादल तो क्या बरसाएगा
चंद खुशियाँ तू भी भर ले हाथ में
रह गया तो बाद में पछताएगा
छीन ले शमशीर उसके हाथ से
मार कब तक बेवजह फिर खाएगा
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
देख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
बहुत सुंदर भाव .....सुंदर रचना ....!!
जब सुलह की बात करने आएगा
जवाब देंहटाएंजेब में खंजर छुपा के लाएगा ....दुखद |
वाह वाह - बहुत खूब
जवाब देंहटाएंतू बिना मांगे ही देना सीख ले
जवाब देंहटाएंदेख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा ....बहुत खूब.....
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति एक संदेश देती हुई
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना
हार्दिक शुभकामनायें
क्यों बना मजनू जो वो लैला नहीं
जवाब देंहटाएंउठ विरह के गीत कब तक गाएगा
आनंद आ गया महाराज !!
:)
एक पत्थर मार उसमें छेद कर
जवाब देंहटाएंउड़ गया बादल तो क्या बरसाएगा
बहुत सुन्दर गहरे भाव .... आभार
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
तू अपनी दरिया दिली से जग को जीत लेगा
latest post: कुछ एह्सासें !
प्रशंसनीय रचना..।
जवाब देंहटाएंसोये हुओं को जगाती ..ये आपकी रचना ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
हर पंक्ति जीने की सीख दे रही है मानो...... बहुत ही उम्दा
जवाब देंहटाएंदर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
क्या खूब ! पंक्तियाँ हैं. वाह !
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
जवाब देंहटाएंदेख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
वाह क्या बात है सभी लाजवाब शेर है !
छीन ले शमशीर उसके हाथ से
जवाब देंहटाएंमार कब तक बेवजह फिर खाएगा
आज इसी की ज़रूरत है.
बढिया रचना .
बहुत अच्छी सीख देती रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..उम्दा
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंहर शेर सटीक बात कहता हुआ.
सादर
अनु
उम्दा भाव .. स्वागत है आपका पुन: गजल की दुनिया में..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक और सार्थक रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह वाह - बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,प्रभावित करती सुंदर गजल ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अपनी राम कहानी में.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार - 09/10/2013 को कहानी: माँ की शक्ति - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः32 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
जवाब देंहटाएंदर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
sahi kaha aapne bahut khoob
rachana
वाह वाह की प्रशंसा से परे है यह ग़ज़ल. हर शेर सीधे ह्रदय में उतरा है. व्यंग्य भी, शिक्षा भी, सन्देश भी और उतनी ही सरलता. उत्कृष्ट कोटि की रचना.
जवाब देंहटाएंएक पत्थर मार उसमें छेद कर
जवाब देंहटाएंउड़ गया बादल तो क्या बरसाएगा
चंद खुशियाँ तू भी भर ले हाथ में
रह गया तो बाद में पछताएगा
छीन ले शमशीर उसके हाथ से
मार कब तक बेवजह फिर खाएगा
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
देख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
एक से बढ़के एक अशआर :
वोट को भुगताना अब तू सीख ले ,
एक पत्थर मार उसमें छेद कर
जवाब देंहटाएंउड़ गया बादल तो क्या बरसाएगा
चंद खुशियाँ तू भी भर ले हाथ में
रह गया तो बाद में पछताएगा
छीन ले शमशीर उसके हाथ से
मार कब तक बेवजह फिर खाएगा
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
देख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
एक से बढ़के एक अशआर :
वोट को भुगताना अब तू सीख ले ,
सेकुलर बढ़ आगे तेरे पाँव पे गिर जाएगा।
जेल भुगताके वो फिर से चारा खाने आयेगा।
छीन ले शमशीर उसके हाथ से
जवाब देंहटाएंमार कब तक बेवजह फिर खाएगा
सारी ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी. यह शे'र बहुत सामयिक रहा.
वाह बहुत खुबसूरत । "माँ" विषय से इतर बहुत अरसे बाद लिखा है आपने कुछ । पहला और आखिरी शेर बहुत ही बढ़िया लगा |
जवाब देंहटाएंदिगम्बर भाई जी , इस सुन्दर रचना पे मैं क्या बोलू , बोलता हूँ तो बस इतना ही कि , तारीफ करूं क्या उसकी जिसने आपको बनाया
जवाब देंहटाएंदें अगर सब बिना मांगे तो पाएंगे सब बिना मांगे जैसी ऊंची बातें करती पंक्तियां सीधे दिल में उतर रही हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव .....सुंदर रचना ....!!
जवाब देंहटाएंसुरेश राय
इस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-10/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -21 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....
नवरात्रि की शुभकामनाएँ.
हर पंक्ति विश्वास और उर्जा से भरी हुई...
जवाब देंहटाएंनए विषय के साथ सुन्दर रचना का स्वागत है.शुभकामनाएँ...
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
जवाब देंहटाएंदेख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
सुंदर बोध देती पंक्तियाँ !
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंभावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंछीन ले शमशीर उसके हाथ से
जवाब देंहटाएंमार कब तक बेवजह फिर खाएगा
वाह बहुत सुन्दर!
बहुत सशक्त गजल -
जवाब देंहटाएंछीन ले ब्रह्मास्त्र उसके हाथसे ,
वो इसे भी सेकुलर बतलायेगा।
वोट का भक्षक खड़ा है घात में ,
एक तेलांगना यहाँ बनवाएगा।
बड़ी ही सटीक बातें गुँथी हैं आपकी रचना में।
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat
जवाब देंहटाएंदर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
बहुत खूबसूरत गज़ल
क्यों बना मजनू जो वो लैला नहीं
जवाब देंहटाएंउठ विरह के गीत कब तक गाएगा
एक पत्थर मार उसमें छेद कर
उड़ गया बादल तो क्या बरसाएगा
वाह सर बहुत गज़ब ग़ज़ल !!
लाजवाब ग़ज़ल |
जवाब देंहटाएंएक पत्थर मार उसमें छेद कर
जवाब देंहटाएंउड़ गया बादल तो क्या बरसाएगा
चंद खुशियाँ तू भी भर ले हाथ में
रह गया तो बाद में पछताएगा
बेहतरीन पंक्तियाँ...
कल 13/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बढ़िया ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार विजय दशमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसादर
जवाब देंहटाएंदर्द पर मरहम लगा दे गैर के
देख फिर ये आसमां झुक जाएगा-----
मन में कुछ अच्छा करने की ललक तो होती है,पर
कर नही पाते--
आपने सकारात्मक सोच को हवा दे दी है
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
उत्कृष्ट
सादर
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
सुन्दर। दर्द तेरा भी ,यकीन मिट जाएगा।
हौसले पे हौसला फिर आयेगा।
वाह बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल .. बधाई आपको
जवाब देंहटाएंदर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
यह शेर बहुत ख़ास लगा.
बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है.
माँ को भी पढ़ा और महसूस किया ,फिर ये गज़ल पढ़ी,ज़रा दूसरे शेर को आप भी दुबारा पढ़ लीजिए ,मेहरबानी होगी.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदर्द पर मरहम लगा दे गैर के
देख फिर ये आसमां झुक जायेगा
सत्य वचन.
जब सुलह की बात करने आएगा
जवाब देंहटाएंजेब में खंजर छुपा के लाएगा behtarin sher!
सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ,सार्थक ,प्रभावी ....
जवाब देंहटाएंदर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
...बहुत खूब! हरेक शेर बहुत उम्दा..
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
waah, man bhaya
shubhkamnayen
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
बहुत सुंदर भाव .....
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
जवाब देंहटाएंदेख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
बहुत सुंदर भाव .....
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंलाजवाब...
जवाब देंहटाएंगजब...शब्दों को गुथने की कला अद्भुत है आपमें...बधाई सुन्दर गजल के लिए...!!
जवाब देंहटाएंतू बिना मांगे ही देना सीख ले
जवाब देंहटाएंदेख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
---------- nc sr