स्वप्न मेरे: आ गया जो धर्म धड़े हो गए ...

सोमवार, 18 नवंबर 2013

आ गया जो धर्म धड़े हो गए ...

ज़ुल्म के खिलाफ खड़े हो गए
नौनिहाल आज बड़े हो गए

थे जो सादगी के कभी देवता
बुत उन्ही के रत्न जड़े हो गए

ये चुनाव खत्म हुए थे अभी
लीडरों के नाक चड़े हो गए

आदमी के दर्द, खुशी एक से
आ गया जो धर्म, धड़े हो गए

लूटमार कर के कहा बस हुआ
आज से नियम ये कड़े हो गए

इश्क प्यार दर्द खुदा कुछ नहीं
बंदगी में यार, छड़े हो गए


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