पाठशाला थी जहाँ तुड़वा दिया
और इक ठेका नया खुलवा दिया
खुदकशी का नाम दे के क़त्ल को
पंचनामा लाश का करवा दिया
देश का क़ानून इनकी जेब में
दिन दहाड़े घर से ही उठवा दिया
लूट के अस्मत किसी मज़लूम की
रात को फिर चौंक पे फिकवा दिया
उनके कूँए में जो डाली बाल्टी
सामने सबके उसे ठुकवा दिया
चंद सिक्के दे दिए ख़ैरात में
खेत अपने नाम पे लिखवा लिया
उम्र भर के पाप धोने के लिए
एक प्याऊ चौंक पे बनवा दिया
धर्म जो कहता रहा मिल के रहो
धर्म के ही नाम पे लड़वा दिया
और इक ठेका नया खुलवा दिया
खुदकशी का नाम दे के क़त्ल को
पंचनामा लाश का करवा दिया
देश का क़ानून इनकी जेब में
दिन दहाड़े घर से ही उठवा दिया
लूट के अस्मत किसी मज़लूम की
रात को फिर चौंक पे फिकवा दिया
उनके कूँए में जो डाली बाल्टी
सामने सबके उसे ठुकवा दिया
चंद सिक्के दे दिए ख़ैरात में
खेत अपने नाम पे लिखवा लिया
उम्र भर के पाप धोने के लिए
एक प्याऊ चौंक पे बनवा दिया
धर्म जो कहता रहा मिल के रहो
धर्म के ही नाम पे लड़वा दिया
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