राह में चिराग छोड़ कर गया
जो हवा के रुख को मोड़ कर गया
क्योंकि तय है आज रात का मिलन
जुगनुओं के पँख तोड़ कर गया
बेलगाम भीड़ का वो अंग था
सिर किसी की आँख फोड़ कर गया
जुड़ नहीं सका किसी की प्रीत में
दिल से दर्द जो निचोड़ कर गया
गुनगुना रहें हैं उसके गीत सब
जो ज़मीं से साथ जोड़ कर गया
मखमली लिबास में वो तंग था
सूत का कफ़न जो ओढ़ कर गया
जो हवा के रुख को मोड़ कर गया
क्योंकि तय है आज रात का मिलन
जुगनुओं के पँख तोड़ कर गया
बेलगाम भीड़ का वो अंग था
सिर किसी की आँख फोड़ कर गया
जुड़ नहीं सका किसी की प्रीत में
दिल से दर्द जो निचोड़ कर गया
गुनगुना रहें हैं उसके गीत सब
जो ज़मीं से साथ जोड़ कर गया
मखमली लिबास में वो तंग था
सूत का कफ़न जो ओढ़ कर गया
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