काठ के पुतलों में कितनी जान है
देख कर हर आइना हैरान है
कब तलक बाकी रहेगी क्या पता
रेत पर लिक्खी हुयी पहचान है
हर सितम पे होंसला बढ़ता गया
वक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
मैं चिरागों की तरह जलता रहा
क्या हुआ जो ये गली सुनसान है
उम्र भर रिश्ता निभाना है कठिन
छोड़ कर जाना बहुत आसान है
जुर्म का तो कुछ खुलासा है नहीं
पर सजा का हाथ में फरमान है
देख कर हर आइना हैरान है
कब तलक बाकी रहेगी क्या पता
रेत पर लिक्खी हुयी पहचान है
हर सितम पे होंसला बढ़ता गया
वक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
मैं चिरागों की तरह जलता रहा
क्या हुआ जो ये गली सुनसान है
उम्र भर रिश्ता निभाना है कठिन
छोड़ कर जाना बहुत आसान है
जुर्म का तो कुछ खुलासा है नहीं
पर सजा का हाथ में फरमान है
बहुत ही सुन्दर लेखन , दिगंबर भाई ऐसा लिखा है जैसे मेरी बात आपने कह दी हो , बढ़िया रचना व लेखन , भाई जी धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
क्या बात है। लाजवाब लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना मंगलवार 20 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ा मुझपे बड़ा एहसान है
जवाब देंहटाएंमैं चिरागों की तरह जलता रहा
क्या हुआ जो ये गली सुनसान है
सुंदर रचना...
कुलदीप ठाकुर[मन का मंथन]
जवाब देंहटाएंहर सितम पे होंसला बढ़ता गया
वक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
क्या बात है .......बहुत ही उम्दा
वाह...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ग़ज़ल !!
सादर
अनु
हर सितम पे होंसला बढ़ता गया
जवाब देंहटाएंवक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
बहुत ही सुन्दर !
आपने पूरे एक वर्ष माँ की याद में बडी भावपूर्ण कविताएं लिखीं थीं । अब ये सारपूर्ण गज़लें आ रही हैं एक के बाद एक । छोटी सी पंक्तियों में निहित व्यंग्यार्थ रचना को गंभीर बनाता है ।
जवाब देंहटाएंवाह ! खूबसूरत ग़ज़लें आप की पहचान है !
जवाब देंहटाएंतबीयत से कही गयी दिल की बात....
जवाब देंहटाएंबहोत खूबसूरत...... नस्वाजी ....हर शेर पहले से बेहतर...!!!
जवाब देंहटाएंगहरी बातें गजल के माध्यम से। बेहतर और बेहतर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (20-05-2014) को "जिम्मेदारी निभाना होगा" (चर्चा मंच-1618) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ...!!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंजुर्म का तो कुछ खुलासा है नहीं
जवाब देंहटाएंपर सजा का हाथ में फरमान है .....बहुत खूब...
जुर्म का तो कुछ खुलासा है नहीं
जवाब देंहटाएंपर सजा का हाथ में फरमान है .....बहुत खूब...
कब तलक बाकी रहेगी क्या पता
जवाब देंहटाएंरेत पर लिक्खी हुयी पहचान है
...लाज़वाब...सभी अशआर बहुत उम्दा...
कब तलक बाकी रहेगी क्या पता
जवाब देंहटाएंरेत पर लिक्खी हुयी पहचान है
...लाज़वाब...सभी अशआर बहुत उम्दा...
गज़ब का असर है इस ग़ज़ल में.
जवाब देंहटाएंहर सितम पे होंसला बढ़ता गया
जवाब देंहटाएंवक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
Behtreen Panktiyan....
हर सितम पे होंसला बढ़ता गया
जवाब देंहटाएंवक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
बेहद खूबसूरत , नासवा जी बधाई !
जुर्म का तो कुछ खुलासा है नहीं
जवाब देंहटाएंपर सजा का हाथ में फरमान है
बहुत उम्दा..वैसे तो हर शेर लाजवाब है
बहुत ही सुन्दर असरार,बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकब तलक बाकी रहेगी क्या पता
जवाब देंहटाएंरेत पर लिक्खी हुयी पहचान है
क्या बात है ..वाह! स्वस्थ रहें ...
बहुत सुंदर गजल.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ! नाउम्मीदी हर तरफ पर हौसला बरकरार है.
जवाब देंहटाएंbehtreen panktiyan
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar. Abhaar
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक शेर ..... सितम के बढ़ने से हौसला बढ़ने की बात बहुत पसंद आई .
जवाब देंहटाएंमैं चिरागों की तरह जलता रहा
जवाब देंहटाएंक्या हुआ जो ये गली सुनसान है
.. waah! behtreen gazal digambar ji !
लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंमैं चिरागों की तरह जलता रहा
जवाब देंहटाएंक्या हुआ जो ये गली सुनसान है
उम्र भर रिश्ता निभाना है कठिन
छोड़ कर जाना बहुत आसान है
खूबसूरत अलफ़ाज़
जवाब देंहटाएंउम्र भर रिश्ता निभाना है कठिन
छोड़ कर जाना बहुत आसान है
जुर्म का तो कुछ खुलासा है नहीं
पर सजा का हाथ में फरमान है ...बहुत सुंदर ग़ज़ल !
हर सितम पे होंसला बढ़ता गया
जवाब देंहटाएंवक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है...बहुत खुबसुरत
कब तलक बाकी रहेगी क्या पता
जवाब देंहटाएंरेत पर लिक्खी हुयी पहचान है
हर सितम पे होंसला बढ़ता गया
वक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
bahut badhiyaan!!!